Monday, June 30, 2014
लखनऊ में होगा 'मदारी और बंदर' का खेल
लखनऊ में होगा 'मदारी और बंदर' का खेल
http://abpnews.abplive.in/ind/2014/06/27/article351717.ece/%E0%A4%B2%E0%A4%96%E0%A4%A8%E0%A4%8A-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%B9%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A4%BE-%E0%A4%AE%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%AC%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A4%BE-#.U7Bj-0Bu_FwYou are here: Home > भारत
लखनऊ में होगा 'मदारी और बंदर' का खेल
By एजेंसी
शुक्रवार, २७ जून २०१४ ०८:४८ पूर्वाह्न
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में आरटीआई कार्यकर्ताओं पर लगातार हो रहे हमलों और उत्पीड़न के खिलाफ 30 जुलाई को 'नेशनल व्हिसिलब्लोवर्स डे' पर राजधानी लखनऊ में देश के विभिन्न हिस्सों से आए आरटीआई कार्यकर्ता और सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग नुक्कड़ नाटक 'मदारी और बंदर' के माध्यम से शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेंगे. अपनी तरह के इस बेहद अलग प्रदर्शन की आयोजक और आरटीआई कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों द्वारा राजनेताओं के इशारों पर कार्य करके निर्दोष जनता को निरंतर प्रताड़ित किया जा रहा है. प्रदेश में अनगिनत आरटीआई कार्यकर्ता या तो मारे जा रहे हैं या उनको भांति-भांति से प्रताड़ित किया जा रहा है.
उर्वशी ने कहा कि निंदनीय कृत्यों में प्रशासन और पुलिस प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संलिप्त है. ऐसे में हमने देश के समाजसेवियों और जागरूक नागरिकों का आह्वान करते हुए 'येश्वर्याज सेवा संस्थान' के बैनर तले 30 जुलाई को राजधानी लखनऊ में 'नेशनल व्हिसिलब्लोवर्स डे' मनाने एवं 'मदारी और बंदर' नाटक के माध्यम से हजरतगंज जीपीओ के निकट स्थित महात्मा गांधी प्रतिमा के सामने शांतिपूर्ण प्रतीकात्मक प्रदर्शन करने का फैसला किया है.
उर्वशी ने कहा कि विगत कुछ वर्षो में उत्तर प्रदेश में कानून के राज का निरंतर ह्रास हुआ है. प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों द्वारा राजनेताओं के इशारों पर कार्य करके निर्दोष जनता को प्रताड़ित करने के मामले आम हो गए हैं.
उन्होंने कहा कि आज का प्रशासनिक और पुलिस तंत्र भ्रष्टाचारियों और सत्तासीनों के अलावा समाज के किसी भी वर्ग के हित को संरक्षित रखने के लिए बिल्कुल भी तत्पर नहीं हैं. सही मायने में आज का प्रशासनिक और पुलिस तंत्र राजनेताओं को अपना मदारी मान चुका है और उनके इशारों पर बंदर की तरह नाच रहा है, जिसकी परिणति समाज के 'सचेतकों' की हत्याओं और प्रताड़नाओं के रूप में सामने आ रही है.
उर्वशी ने कहा, "हम प्रशासनिक और पुलिस तंत्र को आईना दिखाएंगे और उनकी सो चुकी अंतरात्मा को झकझोरने का प्रयास करेंगे."
Wednesday, June 25, 2014
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 30 जुलाई 2014 को 'नेशनल व्हिसिलब्लोवर्स डे' मनाने एवं 'मदारी और बन्दर' के माध्यम से शांतिपूर्ण प्रतीकात्मक प्रदर्शन करने के हमारे प्रयास को अपना समर्थन देने की अपील
प्रिय मित्र,
हम सभी भिज्ञ हैं कि उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों
द्वारा राजनेताओं के इशारों पर कार्य करके निर्दोष जनता को निरंतर ही
प्रताणित किया जा रहा है l प्रदेश में अनगिनत आरटीआई एक्टिविस्ट या तो
मारे जा रहे हैं या उनको भांति-भांति से प्रताणित किया जा रहा है l इन
निंदनीय कृत्यों में प्रशासन और पुलिस प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से
इन्वोल्व है l ऐसे में मैं देश के समाजसेवियों और जागरूक नागरिको का
आवाह्न करती हूँ कि वे 'येश्वर्याज सेवा संस्थान' के बैनर तले 30 जुलाई
2014 को राजधानी लखनऊ में 'नेशनल व्हिसिलब्लोवर्स डे' मनाने एवं 'मदारी
और बन्दर' के माध्यम से लखनऊ में हज़रतगंज जीपीओ के निकट स्थित महात्मा
गांधी प्रतिमा के सामने एक शांतिपूर्ण प्रतीकात्मक प्रदर्शन करने के
हमारे प्रयास को अपना समर्थन दें l
विगत कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश में कानून के राज का निरंतर ह्रास हुआ
है l प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों द्वारा राजनेताओं के इशारों पर
कार्य करके निर्दोष जनता को प्रताणित करने के मामले आम हो गए हैं l आज का
प्रशासनिक और पुलिस तंत्र भ्रष्टाचारियों और सत्तानशीनों के अतिरिक्त
समाज के किसी भी वर्ग के हित संरक्षित रखने में बिलकुल भी तत्पर नहीं है
l संक्षेप में कहें तो आज का प्रशासनिक और पुलिस तंत्र राजनेताओं को
अपना मदारी मान चुका है और उनके इशारों पर बंधक बन्दर की तरह नाच रहा है
जिसकी परिणति समाज के 'व्हिसिलब्लोवर्स' की हत्याओं और प्रताणनाओ के रूप
में भी हो रही है l
हम जानते हैं कि मनपसंद और मलाईदार पोस्टिंग को लेकर इन आला प्रशासनिक और
पुलिस अधिकारियों की अपनी मजबूरियां हैं पर यदि देश की सर्वाधिक
प्रतिष्ठित कही जाने बाली अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी भी अपने निजी लाभ
के लिए जनता के अधिकारों का सौदा करेंगे और निर्दोष जनता की लाशों से ही
अपनी सफलता की इमारत बनाएंगे तो आखिर समाज बचेगा कैसे l
हम नहीं जानते क़ि हम इस समाज को बचा पाएंगे या नहीं किन्तु प्रशासनिक और
पुलिस तंत्र को आइना दिखाने और इनकी सोयी पडी अंतरात्मा को झकझोरने के
उद्देश्य से एक प्रयास अवश्य करेंगे और उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक और
पुलिस अधिकारियों द्वारा राजनेताओं के इशारों पर कार्य करके निर्दोष
जनता को प्रताणित किये जाने के विरुद्ध देश के समाजसेवियों और जागरूक
नागरिको के साथ 'येश्वर्याज सेवा संस्थान' के बैनर तले 30 जुलाई 2014
को राजधानी लखनऊ में 'नेशनल व्हिसिलब्लोवर्स डे' मनाएंगे एवं 'मदारी और
बन्दर' के माध्यम से लखनऊ में हज़रतगंज जीपीओ के निकट स्थित महात्मा गांधी
प्रतिमा के सामने एक शांतिपूर्ण प्रतीकात्मक प्रदर्शन करेंगे जिसकी
अगुआई मैं स्वयं करूंगी l
हमारे प्रयास को अपना समर्थन देने के लिए आप ई-मेल
rtimahilamanchup@gmail.com पर या मोबाइल नंबर 9455553838, 8081898081 पर
संपर्क कर सकते हैं l
आपके समर्थन की अपेक्षा में :
उर्वशी
Mobile- 9369613513
--
-Sincerely Yours,
Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption 9455553838
http://upcpri.blogspot.in/
हम सभी भिज्ञ हैं कि उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों
द्वारा राजनेताओं के इशारों पर कार्य करके निर्दोष जनता को निरंतर ही
प्रताणित किया जा रहा है l प्रदेश में अनगिनत आरटीआई एक्टिविस्ट या तो
मारे जा रहे हैं या उनको भांति-भांति से प्रताणित किया जा रहा है l इन
निंदनीय कृत्यों में प्रशासन और पुलिस प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से
इन्वोल्व है l ऐसे में मैं देश के समाजसेवियों और जागरूक नागरिको का
आवाह्न करती हूँ कि वे 'येश्वर्याज सेवा संस्थान' के बैनर तले 30 जुलाई
2014 को राजधानी लखनऊ में 'नेशनल व्हिसिलब्लोवर्स डे' मनाने एवं 'मदारी
और बन्दर' के माध्यम से लखनऊ में हज़रतगंज जीपीओ के निकट स्थित महात्मा
गांधी प्रतिमा के सामने एक शांतिपूर्ण प्रतीकात्मक प्रदर्शन करने के
हमारे प्रयास को अपना समर्थन दें l
विगत कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश में कानून के राज का निरंतर ह्रास हुआ
है l प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों द्वारा राजनेताओं के इशारों पर
कार्य करके निर्दोष जनता को प्रताणित करने के मामले आम हो गए हैं l आज का
प्रशासनिक और पुलिस तंत्र भ्रष्टाचारियों और सत्तानशीनों के अतिरिक्त
समाज के किसी भी वर्ग के हित संरक्षित रखने में बिलकुल भी तत्पर नहीं है
l संक्षेप में कहें तो आज का प्रशासनिक और पुलिस तंत्र राजनेताओं को
अपना मदारी मान चुका है और उनके इशारों पर बंधक बन्दर की तरह नाच रहा है
जिसकी परिणति समाज के 'व्हिसिलब्लोवर्स' की हत्याओं और प्रताणनाओ के रूप
में भी हो रही है l
हम जानते हैं कि मनपसंद और मलाईदार पोस्टिंग को लेकर इन आला प्रशासनिक और
पुलिस अधिकारियों की अपनी मजबूरियां हैं पर यदि देश की सर्वाधिक
प्रतिष्ठित कही जाने बाली अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी भी अपने निजी लाभ
के लिए जनता के अधिकारों का सौदा करेंगे और निर्दोष जनता की लाशों से ही
अपनी सफलता की इमारत बनाएंगे तो आखिर समाज बचेगा कैसे l
हम नहीं जानते क़ि हम इस समाज को बचा पाएंगे या नहीं किन्तु प्रशासनिक और
पुलिस तंत्र को आइना दिखाने और इनकी सोयी पडी अंतरात्मा को झकझोरने के
उद्देश्य से एक प्रयास अवश्य करेंगे और उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक और
पुलिस अधिकारियों द्वारा राजनेताओं के इशारों पर कार्य करके निर्दोष
जनता को प्रताणित किये जाने के विरुद्ध देश के समाजसेवियों और जागरूक
नागरिको के साथ 'येश्वर्याज सेवा संस्थान' के बैनर तले 30 जुलाई 2014
को राजधानी लखनऊ में 'नेशनल व्हिसिलब्लोवर्स डे' मनाएंगे एवं 'मदारी और
बन्दर' के माध्यम से लखनऊ में हज़रतगंज जीपीओ के निकट स्थित महात्मा गांधी
प्रतिमा के सामने एक शांतिपूर्ण प्रतीकात्मक प्रदर्शन करेंगे जिसकी
अगुआई मैं स्वयं करूंगी l
हमारे प्रयास को अपना समर्थन देने के लिए आप ई-मेल
rtimahilamanchup@gmail.com पर या मोबाइल नंबर 9455553838, 8081898081 पर
संपर्क कर सकते हैं l
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उर्वशी
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Urvashi Sharma
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101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
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राजधानी में 58844 व्यक्तियों की आवादी पर 1 सार्वजनिक शौचालय और 43712 व्यक्तियों की आवादी पर है 1 सार्वजनिक मूत्रालय : टीपू की राजधानी में सार्वजनिक शौचालयों /मूत्रालयों का टोटा : आधी आवादी के लिए सार्वजनिक शौचालय /मूत्रालय की कोई अलग व्यवस्था नहीं
प्रदेश के दूरदराज इलाकों में जब भी महिलाओं के साथ बलात्कार जैसी घटनाएं होती हैं तो उस इलाके के घरों में शौचालय न होने की बात भी सामने आती है l अब इन दूरदराज के इलाकों का तो क्या कहा जाये जब प्रदेश की राजधानी में सूबे के मुखिया की नाक के नीचे ही ऐसा अंधेर हो रहा है l दरअसल मेरी एक आरटीआई के जबाब में लखनऊ के नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने सूचना दी है कि लखनऊ नगर निगम की सीमा मैं आधी आवादी के लिए शौचालय /मूत्रालय की कोई अलग व्यवस्था नहीं है और पुरुष और महिलाओं के शौचालय /मूत्रालय एक ही में हैं l जब सूबे की राजधानी में सूबे के मुखिया की नाक के नीचे ऐसा अंधेर है तो प्रदेश के दूरदराज इलाकों के बारे में तो मात्र कल्पना ही की जा सकती है l भइया अखिलेश प्रायः ही किसी न किसी कार्यक्रम में शिरकत करने लखनऊ के रास्तों से जाते रहते हैं पर आश्चर्य है कि आखिर क्यों उन्होंने इस दिशा में कभी सोचा ही नहीं है l अखिलेश को या तो इसकी भनक नहीं है या हमारे सीएम महिलाओं के मुद्दों के प्रति नितांत ही संवेदनहीन हैं l मेरा सबाल यह है कि आखिर कब तक महिला सुरक्षा का केवल ढोल पीटा जाता रहेगा और आखिर कब इस दिशा में कुछ ठोस कदम उठाये जायेंगे ?
लखनऊ लखनऊ एक पर्यटक स्थल होने के साथ साथ प्रदेश की राजधानी भी है जहाँ विभिन्न केंद्रीय विभागों, विभिन्न आयोगों आदि के साथ अधिकाँश सरकारी महकमों के मुख्यालय भी होने के कारण प्रायः लोग इन सरकारी विभागों से सम्बंधित कार्यों से लखनऊ आते रहते हैं l यही नहीं आये दिन होने बाली प्रतियोगी परीक्षाओं, धरना-प्रदर्शन आदि के लिए भी एक बहुत बड़ी संख्या में लोग लखनऊ आते रहते हैं l
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार लखनऊ की कुल जनसँख्या 4589838 है l ऐसे में इतनी आवादी के बीच मात्र 78 सार्वजनिक शौचालयों का होना एवं मात्र 105 सार्वजनिक मूत्रालय होना इन जनसुविधाओं की भयंकर कमी स्वतः ही उजागर कर रहा है l यद्यपि लखनऊ में अन्य जिलों से आने बाले यात्रियों का भी बोझ रहता है पर केवल आवादी के हिसाब से भी देखें तो लखनऊ में 58844 व्यक्तियों की आवादी पर 1 शौचालय और 43712 व्यक्तियों की आवादी पर 1 मूत्रालय है l ये मूत्रालय और शौचालय कितने साफ रहते हैं ये भी हम सबसे छुपा नहीं है l
पुरुषों और बालकों की तो छोड़िये, मैंने प्रायः महिलाओं और बालिकाओं को खुले में मूत्र-विसर्जन करते देखा है जो मंगल गृह पर पहुंच रही हमारी सभ्यता की संवेदनशीलता पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह होने के साथ साथ हमारी व्यवस्थाओं के खोखलेपन भी को उजागर करता है l
तो अगली बार यदि आप किसी व्यक्ति को अपने घर के बाहर मूत्र-विसर्जन करते देखें तो उसे दोष मत दीजिये l यदि आप कुछ कर सकते हैं तो इन व्यवस्थाओं के कथित व्यवस्थापकों के कान उमेठने के लिए एक जागरूक नागरिक बनिए और अपनी सामर्थ्यानुसार मुद्दा उचित मंच पर उठाईये l
आरटीआई और आरटीआई के जबाब की प्रति संलग्न है l
Monday, June 23, 2014
Transform India with Narendra Modi Circle Invite
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Friday, June 13, 2014
अखिलेश सरकार की दलितों के प्रति संवेदनहीनता फिर उजागर : दलित उत्पीड़न से सम्बंधित सूचना न देने पर उप्र के मुख्य सूचना आयुक्त ने समाज कल्याण विभाग के अनुसचिव राज कुमार त्रिवेदी पर किया रू 10000/- का अर्थदण्ड अधिरोपित
अब इसे उत्तर प्रदेश का दुर्भाग्य कहें या अखिलेश सरकार की दलितों के प्रति संवेदनहीनता कि सूबे के जिस समाज कल्याण विभाग पर दलितों के हितों की रक्षा करने का दायित्व है, उसी समाज कल्याण विभाग द्वारा दलित उत्पीड़न से सम्बंधित एक मामले की सूचना तक नहीं दी गयी और हारकर उत्तर प्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त रंजीत सिंह पंकज ने बीते 20 मई को उप्र समाज कल्याण विभाग के अनुसचिव राज कुमार त्रिवेदी पर रू 10000/- का अर्थदण्ड अधिरोपित किया है l
दरअसल साल 2008 में समाज कल्याण की संस्था राजकीय गोविन्द बल्लभ पंत पॉलीटेक्निक के तत्कालीन प्रधानाचार्य अशोक कुमार बाजपेई के द्वारा संस्था के छात्रों से जातिसूचक शव्दों के प्रयोग की एक शिकायत की गयी थी l समाज कल्याण के संयुक्त निदेशक एवं वित्त नियंत्रक की जांच समिति ने अशोक कुमार बाजपेई को दलित छात्रों से जातिसूचक शब्दों के प्रयोग का दोषी सिद्ध किया था l एक समाजसेविका होने के नाते दलित छात्रों को पूर्ण न्याय दिलाने एवं तत्कालीन प्रधानाचार्य अशोक कुमार बाजपेई के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने हेतु मैंने यह प्रकरण येश्वर्याज सेवा संस्थान के माध्यम से समाज कल्याण के उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाया एवं आरटीआई का प्रयोग भी किया l
समाज कल्याण के अनु सचिव धर्मराज सिंह ने साल 2012 में निदेशक को अशोक कुमार बाजपेई के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराकर प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति मुझे उपलब्ध कराने हेतु निर्देशित किया l इस पत्र के आधार पर सूचना आयोग ने मेरे वाद संख्या S-10/1387/C/2009 को दिनांक 25-10-2012 को निस्तारित कर दिया था l मैंने भी शासन के कथन पर विश्वास कर वाद निस्तारित हो जाने दिया किन्तु कई माह बाद भी प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति प्राप्त न होने पर मैंने वाद को संख्या S-9/108/ पुनः /2013 पर पुनर्स्थापित कराया l
वाद की पुनर्स्थापना के बाद पर्याप्त अवसर दिए जाने पर भी प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति प्राप्त न कराये जाने पर उत्तर प्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त रंजीत सिंह पंकज ने बीते 20 मई को उप्र समाज कल्याण विभाग के अनुसचिव एवं जन सूचना अधिकारी राज कुमार त्रिवेदी पर रू 10000/- का अर्थदण्ड अधिरोपित किया है जिसकी बसूली राज कुमार त्रिवेदी के वेतन से दिनांक 31-08-14 तक अधिकतम तीन किश्तों में करने हेतु सचिव सचिवालय प्रशासन को तथा यह बसूली राज कुमार त्रिवेदी के वेतन से न होने की स्थिति में 10000/- रुपयों की बसूली भू-राजस्व की भाँति करने हेतु जिलाधिकारी लखनऊ को निर्देशित किया है l उत्तर प्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त रंजीत सिंह पंकज ने इस वाद को निस्तारित भी कर दिया है l
अब यह उत्तर प्रदेश का दुर्भाग्य ही है जहाँ दलित उत्पीड़न जैसे संवेदनशील मामले में शासन के लिखे का भी भरोसा टूटा है l अखिलेशराज में जब शासन के लिखे का भी भरोसा नहीं रहा है तो नेताओं के भाषणों के थोथेपन को तो कोई भी आसानी से समझ सकता है l यह अखिलेश सरकार की दलितों के प्रति संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है कि सूबे के जिस समाज कल्याण विभाग पर दलितों के हितों की रक्षा करने का दायित्व है, उसी समाज कल्याण विभाग द्वारा शासन के पत्र के बाबजूद दलित उत्पीड़न से सम्बंधित इस मामले की प्रथम सूचना रिपोर्ट अभी तक नहीं लिखाई जा सकी है l
आखिर कब तक अखिलेश के सिपहसालार इसी तरह समाज के वंचित वर्ग की आवाज को दबाते रहेंगे ? शायद जब तक सत्ता से बेदखल न हो जाएं तब तक l
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सूचना नहीं देने पर समाज कल्याण विभाग के अंडर सेक्रेटरी पर 10 हजार का जुर्माना
http://www.bhaskar.com/article/UP-LUCK-social-welfare-department-under-secretary-fined-ten-thousand-4646226-PHO.html
सूचना नहीं देने पर समाज कल्याण विभाग के अंडर सेक्रेटरी पर 10 हजार का जुर्माना
dainikbhaskar.com | Jun 13, 2014, 21:02PM IST
1 of 2
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सूचना नहीं देने पर समाज कल्याण विभाग के अंडर सेक्रेटरी पर 10 हजार का जुर्माना
लखनऊ. दलितों के प्रति सरकारी रवैया कैसा है, इसकी बानगी राज्य सूचना
आयोग द्वारा समाज कल्याण विभाग के अंडर सेक्रेटरी पर लगे जुर्माने से पता
चलता है। राज्य सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त रणजीत सिंह पंकज ने
दलित उत्पीड़न के एक मामले में सूचना नहीं देने पर यूपी समाज कल्याण
विभाग के अनुसचिव राज कुमार त्रिवेदी पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया
है।
प्रदेश सरकार के समाज कल्याण विभाग से आरटीआई कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा ने
दलित उत्पीड़न के मामले में जानकारी मांगी थी। वर्ष 2012 में मांगी गई
सूचना को एक साल बाद उपलब्ध नहीं कराने पर उर्वशी शर्मा ने राज्य सूचना
आयोग में मामले की सुनवाई के लिए वर्ष 2013 में एक बार फिर अपील की थी।
मुख्य सूचना आयुक्त ने इस मामले की सुनवाई की।
उन्होंने मामले में दायर की गई एफआईआर की प्रति प्राप्त न कराये जाने पर
बीती 20 मई को यूपी समाज कल्याण विभाग के अनुसचिव एवं जन सूचना अधिकारी
राज कुमार त्रिवेदी पर 10 हजार रुपयों का जुर्माना लगाया।
इस जुर्माने की वसूली राज कुमार त्रिवेदी के वेतन से दिनांक 31 अगस्त तक
की जाएगी। जुर्माने को अधिकतम तीन किश्तों में भुगतान करने का निर्देश
दिया गया है। इसके लिए सचिव, सचिवालय प्रशासन को और राज कुमार त्रिवेदी
के वेतन से नहीं होने की स्थिति में भू-राजस्व की तरह करने के लिए
जिलाधिकारी, लखनऊ को निर्देशित किया है।
आगे पढ़िए क्या था मामला...
f 2
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सूचना नहीं देने पर समाज कल्याण विभाग के अंडर सेक्रेटरी पर 10 हजार का जुर्माना
क्या था मामला
उर्वशी शर्मा ने बताया कि वर्ष 2008 में समाज कल्याण की संस्था राजकीय
गोविन्द बल्लभ पंत पॉलीटेक्निक के तत्कालीन प्रधानाचार्य अशोक कुमार
बाजपेयी पर जातिसूचक शब्दों के प्रयोग का आरोप लगा था। समाज कल्याण के
संयुक्त निदेशक एवं वित्त नियंत्रक की जांच समिति ने अशोक कुमार बाजपेयी
को दलित छात्रों से जातिसूचक शब्दों के प्रयोग का दोषी भी पाया था।
उर्वशी शर्मा ने दलित छात्रों को न्याय दिलाने और तत्कालीन प्रधानाचार्य
अशोक कुमार बाजपेयी के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए
मामले की जानकारी समाज कल्याण के उच्चाधिकारियों को दी और आरटीआई का
प्रयोग भी किया। उर्वशी शर्मा को समाज कल्याण के अनुसचिव धर्मराज सिंह ने
वर्ष 2012 में अशोक कुमार बाजपेयी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज उसकी कॉपी को
उन्हें उपलब्ध कराने का निर्देश। इसके बावजूद कई माह बाद भी एफआईआर की
कॉपी प्राप्त नहीं हुई।
उर्वशी ने इस मामले की सुनवाई के लिए अपील की। मामले की सुनवाई के दौरान
पर्याप्त अवसर दिए जाने पर भी एफआईआर की कॉपी उपलब्ध नहीं करवाई गई। इस
पर उत्तर प्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त रंजीत सिंह पंकज ने यूपी समाज
कल्याण विभाग के अनुसचिव एवं जन सूचना अधिकारी राज कुमार त्रिवेदी पर दस
हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।
--
-Sincerely Yours,
Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption 9455553838
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सूचना नहीं देने पर समाज कल्याण विभाग के अंडर सेक्रेटरी पर 10 हजार का जुर्माना
dainikbhaskar.com | Jun 13, 2014, 21:02PM IST
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सूचना नहीं देने पर समाज कल्याण विभाग के अंडर सेक्रेटरी पर 10 हजार का जुर्माना
लखनऊ. दलितों के प्रति सरकारी रवैया कैसा है, इसकी बानगी राज्य सूचना
आयोग द्वारा समाज कल्याण विभाग के अंडर सेक्रेटरी पर लगे जुर्माने से पता
चलता है। राज्य सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त रणजीत सिंह पंकज ने
दलित उत्पीड़न के एक मामले में सूचना नहीं देने पर यूपी समाज कल्याण
विभाग के अनुसचिव राज कुमार त्रिवेदी पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया
है।
प्रदेश सरकार के समाज कल्याण विभाग से आरटीआई कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा ने
दलित उत्पीड़न के मामले में जानकारी मांगी थी। वर्ष 2012 में मांगी गई
सूचना को एक साल बाद उपलब्ध नहीं कराने पर उर्वशी शर्मा ने राज्य सूचना
आयोग में मामले की सुनवाई के लिए वर्ष 2013 में एक बार फिर अपील की थी।
मुख्य सूचना आयुक्त ने इस मामले की सुनवाई की।
उन्होंने मामले में दायर की गई एफआईआर की प्रति प्राप्त न कराये जाने पर
बीती 20 मई को यूपी समाज कल्याण विभाग के अनुसचिव एवं जन सूचना अधिकारी
राज कुमार त्रिवेदी पर 10 हजार रुपयों का जुर्माना लगाया।
इस जुर्माने की वसूली राज कुमार त्रिवेदी के वेतन से दिनांक 31 अगस्त तक
की जाएगी। जुर्माने को अधिकतम तीन किश्तों में भुगतान करने का निर्देश
दिया गया है। इसके लिए सचिव, सचिवालय प्रशासन को और राज कुमार त्रिवेदी
के वेतन से नहीं होने की स्थिति में भू-राजस्व की तरह करने के लिए
जिलाधिकारी, लखनऊ को निर्देशित किया है।
आगे पढ़िए क्या था मामला...
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सूचना नहीं देने पर समाज कल्याण विभाग के अंडर सेक्रेटरी पर 10 हजार का जुर्माना
क्या था मामला
उर्वशी शर्मा ने बताया कि वर्ष 2008 में समाज कल्याण की संस्था राजकीय
गोविन्द बल्लभ पंत पॉलीटेक्निक के तत्कालीन प्रधानाचार्य अशोक कुमार
बाजपेयी पर जातिसूचक शब्दों के प्रयोग का आरोप लगा था। समाज कल्याण के
संयुक्त निदेशक एवं वित्त नियंत्रक की जांच समिति ने अशोक कुमार बाजपेयी
को दलित छात्रों से जातिसूचक शब्दों के प्रयोग का दोषी भी पाया था।
उर्वशी शर्मा ने दलित छात्रों को न्याय दिलाने और तत्कालीन प्रधानाचार्य
अशोक कुमार बाजपेयी के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए
मामले की जानकारी समाज कल्याण के उच्चाधिकारियों को दी और आरटीआई का
प्रयोग भी किया। उर्वशी शर्मा को समाज कल्याण के अनुसचिव धर्मराज सिंह ने
वर्ष 2012 में अशोक कुमार बाजपेयी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज उसकी कॉपी को
उन्हें उपलब्ध कराने का निर्देश। इसके बावजूद कई माह बाद भी एफआईआर की
कॉपी प्राप्त नहीं हुई।
उर्वशी ने इस मामले की सुनवाई के लिए अपील की। मामले की सुनवाई के दौरान
पर्याप्त अवसर दिए जाने पर भी एफआईआर की कॉपी उपलब्ध नहीं करवाई गई। इस
पर उत्तर प्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त रंजीत सिंह पंकज ने यूपी समाज
कल्याण विभाग के अनुसचिव एवं जन सूचना अधिकारी राज कुमार त्रिवेदी पर दस
हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।
--
-Sincerely Yours,
Urvashi Sharma
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Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption 9455553838
http://upcpri.blogspot.in/
उत्तर प्रदेश में बढ़ रही हैं कथित बलात्कार की घटनाएँ?
http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2014/06/140612_up_rape_cases_rns.shtml
उत्तर प्रदेश में बढ़ रही हैं कथित बलात्कार की घटनाएँ?
मनीष मिश्रा
लखनऊ से बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए
शुक्रवार, 13 जून, 2014 को 10:57 IST तक के समाचार
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प्रिंट करें
रेप, बलात्कार, विरोध प्रदर्शन
उत्तर प्रदेश में विगत कुछ दिनों से महिलाओं के साथ बलात्कार और हिंसा की
घटनाएं काफ़ी बढ़ गई हैं. प्रदेश के कई जिलों बदायूं, सीतापुर, लखीमपुर,
बहराइच, बाराबंकी, अमेठी, फैजाबाद, कुशीनगर और मुरादाबाद, में महिलाओं के
साथ कथित तौर पर बलात्कार के बाद हत्या करने की ख़बरें आईं.
पुलिस ने कुछ जगहों पर कार्रवाई करते हुए अभियुक्तों की गिरफ़्तारी तो की
लेकिन उनके ख़िलाफ़ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई.
संबंधित समाचार
'ख़ामोशी बलात्कार की माँ है'
उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर तबादले
अखिलेश ने मीडिया पर साधा निशाना
टॉपिक
भारत
क्लिक करें उत्तर प्रदेशः महिला का शव पेड़ से लटका मिला
प्रदेश में आए दिन किसी न किसी स्थान से महिलाओं के बलात्कार और उनकी
हत्या होने की ख़बर लगातार आ रही है.
अखिलेश यादव की सरकार क़ानून व्यवस्था को मज़बूत करने और प्रदेश में
महिलाओं के ख़िलाफ़ हो रहे कथित बलात्कार और हत्या की घटना को रोकने का
दावा करने के बावजूद भी ये थमने का नाम नहीं ले रही हैं.
लखनऊ की महिला सामाजिक कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा कहती हैं, "उत्तर प्रदेश
में क़ानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गयी है. यहां महिलाओं के साथ
रोज़ रेप हो रहे हैं और उनकी हत्या की जा रही है. अपराधी खुले आम वारदात
को अंजाम दे रहें है. उन्हें क़ानून का कोई ख़ौफ़ नहीं है."
सरकार की कार्रवाई
बदायूँ में हुए बलात्कार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन
उर्वशी का कहना है, "प्रदेश की अखिलेश यादव की सरकार बलात्कार करने वाले
लोगों के विरुद्ध कोई सख्त कार्रवाई नहीं कर पा रही है. जिससे अपराधियों
के हौसले काफ़ी बुलंद है. सरकार रेप को अंजाम देने वाले अभियुक्तों को ही
बचाने का काम कर रही हैं."
ऐसे में किसी भी पीड़ित महिला और उसके परिवार को न्याय कैसे मिलेगा?
उर्वशी कहती हैं, "सरकार को महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों को रोकने
वाले सख्त क़ानून लागू करना चाहिए जिससे ऐसी घटनाओं में कमी की जा सके."
उनका दावा है कि उत्तर प्रदेश में महिलाओं के साथ हो रहे बलात्कार और
हिंसा का ग्राफ नौ प्रतिशत से ऊपर पहुंच गया है लेकिन प्रदेश सरकार इस पर
ध्यान नहीं दे रही है. केवल अपराध के आंकड़ों को छुपाने का काम कर रही
है.
क्लिक करें जयपुर: मलेशियाई महिला से बलात्कार में एक गिरफ़्तार
प्रदेश में महिलाओं के साथ हो रहे कथित रेप और हत्या की घटना पर राज्य
सरकार के प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने बीबीसी हिन्दी से कहा, "यह एक
सामाजिक समस्या है. प्रदेश की आबादी 21 करोड़ है. कुछ मामले तो आपसी
रंजिश के, तो कुछ फ़र्ज़ी पाए गए हैं. सरकार क़ानून व्यवस्था को मज़बूत
करने के लिए अपनी ओर से पूरा प्रयास कर रही है. कई मामलों में सरकार ने
सख्त कार्रवाई की है."
हमीरपुर और मुरादाबाद में हुए कथित रेप और हत्या के बारे में पूछने पर
राजेन्द्र चैधरी का कहना था कि वो इसकी जानकारी जुटा रहे हैं.
उधर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विजय पाठक प्रदेश में महिलाओं के साथ हो
रहे बलात्कार उनकी हत्या पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहते हैं, "प्रदेश
के पुलिस महानिदेशक जब सार्वजनिक रूप से यह बयान देंगे कि बलात्कार और
हत्या रूटीन है तो ऐसे में क़ानून व्यवस्था की स्थिति और महिलाओं की
सुरक्षा कैसे हो पाएगी."
बलात्कार पर बयान
बदायूँ की बलात्कार पीड़ित की माँ
पाठक कहते हैं, "प्रदेश सरकार अपना नैतिक अधिकार खो चुकी है. क़ानून
व्यवस्था को मज़बूत करने और महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने के बजाए
बलात्कार और हत्या की घटनाओं को साजिश बता रही है. जो काफ़ी
दुर्भाग्यपूर्ण है. भाजपा कोई भी अलोकतांत्रिक क़दम नहीं उठाएगी. हमारी
पार्टी प्रदेश की जनता के साथ पूरी ताक़त के साथ खड़ी रहेगी."
क्लिक करें बदायूं बलात्कार पर अखिलेश सीबीआई जांच को तैयार
उत्तर प्रदेश की पुलिस महानिरीक्षक कानून व्यवस्था अमरेन्द्र कुमार सिंह
सेंगर ने बीबीसी हिन्दी को बताया कि प्रदेश में कहीं भी किसी महिला के
साथ बलात्कार और उनकी हत्या की घटना घटती है तो उसपर त्वरित कार्रवाई
करने का आदेश सभी थानाध्यक्षों को दिया गया है.
उन्हें यह भी निर्देश दिया गया है कि पीड़ित पक्ष का बयान तुरन्त दर्ज
किया जाए और उनके साथ मानवीय व्यवहार किया जाए.
हमीरपुर की घटना का उल्लेख करते हुए आईजी ने कहा, "थाने में महिला के साथ
बलात्कार की बात पूरी तरह से ग़लत है आज आईजी और कमिशनर ने स्वयं घटना
स्थल पर जाकर पूरे मामले की तहकीकात की. उनकी जांच में बलात्कार की घटना
को असत्य पाया गया है. जिस महिला द्वारा पुलिस पर बलात्कार करने का आरोप
लगाया गया था उस महिला का पति उस इलाक़े का हिस्ट्रीसीटर है. उसे पहले भी
गिरफ़्तार किया गया था. कल उसे पुलिस ने एक मामले में गिरफ़्तार कर थाने
में ले आई थी."
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए क्लिक करें यहां क्लिक करें. आप
हमें क्लिक करें फ़ेसबुक और क्लिक करें ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)
--
-Sincerely Yours,
Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
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उत्तर प्रदेश में बढ़ रही हैं कथित बलात्कार की घटनाएँ?
मनीष मिश्रा
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रेप, बलात्कार, विरोध प्रदर्शन
उत्तर प्रदेश में विगत कुछ दिनों से महिलाओं के साथ बलात्कार और हिंसा की
घटनाएं काफ़ी बढ़ गई हैं. प्रदेश के कई जिलों बदायूं, सीतापुर, लखीमपुर,
बहराइच, बाराबंकी, अमेठी, फैजाबाद, कुशीनगर और मुरादाबाद, में महिलाओं के
साथ कथित तौर पर बलात्कार के बाद हत्या करने की ख़बरें आईं.
पुलिस ने कुछ जगहों पर कार्रवाई करते हुए अभियुक्तों की गिरफ़्तारी तो की
लेकिन उनके ख़िलाफ़ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई.
संबंधित समाचार
'ख़ामोशी बलात्कार की माँ है'
उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर तबादले
अखिलेश ने मीडिया पर साधा निशाना
टॉपिक
भारत
क्लिक करें उत्तर प्रदेशः महिला का शव पेड़ से लटका मिला
प्रदेश में आए दिन किसी न किसी स्थान से महिलाओं के बलात्कार और उनकी
हत्या होने की ख़बर लगातार आ रही है.
अखिलेश यादव की सरकार क़ानून व्यवस्था को मज़बूत करने और प्रदेश में
महिलाओं के ख़िलाफ़ हो रहे कथित बलात्कार और हत्या की घटना को रोकने का
दावा करने के बावजूद भी ये थमने का नाम नहीं ले रही हैं.
लखनऊ की महिला सामाजिक कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा कहती हैं, "उत्तर प्रदेश
में क़ानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गयी है. यहां महिलाओं के साथ
रोज़ रेप हो रहे हैं और उनकी हत्या की जा रही है. अपराधी खुले आम वारदात
को अंजाम दे रहें है. उन्हें क़ानून का कोई ख़ौफ़ नहीं है."
सरकार की कार्रवाई
बदायूँ में हुए बलात्कार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन
उर्वशी का कहना है, "प्रदेश की अखिलेश यादव की सरकार बलात्कार करने वाले
लोगों के विरुद्ध कोई सख्त कार्रवाई नहीं कर पा रही है. जिससे अपराधियों
के हौसले काफ़ी बुलंद है. सरकार रेप को अंजाम देने वाले अभियुक्तों को ही
बचाने का काम कर रही हैं."
ऐसे में किसी भी पीड़ित महिला और उसके परिवार को न्याय कैसे मिलेगा?
उर्वशी कहती हैं, "सरकार को महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों को रोकने
वाले सख्त क़ानून लागू करना चाहिए जिससे ऐसी घटनाओं में कमी की जा सके."
उनका दावा है कि उत्तर प्रदेश में महिलाओं के साथ हो रहे बलात्कार और
हिंसा का ग्राफ नौ प्रतिशत से ऊपर पहुंच गया है लेकिन प्रदेश सरकार इस पर
ध्यान नहीं दे रही है. केवल अपराध के आंकड़ों को छुपाने का काम कर रही
है.
क्लिक करें जयपुर: मलेशियाई महिला से बलात्कार में एक गिरफ़्तार
प्रदेश में महिलाओं के साथ हो रहे कथित रेप और हत्या की घटना पर राज्य
सरकार के प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने बीबीसी हिन्दी से कहा, "यह एक
सामाजिक समस्या है. प्रदेश की आबादी 21 करोड़ है. कुछ मामले तो आपसी
रंजिश के, तो कुछ फ़र्ज़ी पाए गए हैं. सरकार क़ानून व्यवस्था को मज़बूत
करने के लिए अपनी ओर से पूरा प्रयास कर रही है. कई मामलों में सरकार ने
सख्त कार्रवाई की है."
हमीरपुर और मुरादाबाद में हुए कथित रेप और हत्या के बारे में पूछने पर
राजेन्द्र चैधरी का कहना था कि वो इसकी जानकारी जुटा रहे हैं.
उधर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विजय पाठक प्रदेश में महिलाओं के साथ हो
रहे बलात्कार उनकी हत्या पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहते हैं, "प्रदेश
के पुलिस महानिदेशक जब सार्वजनिक रूप से यह बयान देंगे कि बलात्कार और
हत्या रूटीन है तो ऐसे में क़ानून व्यवस्था की स्थिति और महिलाओं की
सुरक्षा कैसे हो पाएगी."
बलात्कार पर बयान
बदायूँ की बलात्कार पीड़ित की माँ
पाठक कहते हैं, "प्रदेश सरकार अपना नैतिक अधिकार खो चुकी है. क़ानून
व्यवस्था को मज़बूत करने और महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने के बजाए
बलात्कार और हत्या की घटनाओं को साजिश बता रही है. जो काफ़ी
दुर्भाग्यपूर्ण है. भाजपा कोई भी अलोकतांत्रिक क़दम नहीं उठाएगी. हमारी
पार्टी प्रदेश की जनता के साथ पूरी ताक़त के साथ खड़ी रहेगी."
क्लिक करें बदायूं बलात्कार पर अखिलेश सीबीआई जांच को तैयार
उत्तर प्रदेश की पुलिस महानिरीक्षक कानून व्यवस्था अमरेन्द्र कुमार सिंह
सेंगर ने बीबीसी हिन्दी को बताया कि प्रदेश में कहीं भी किसी महिला के
साथ बलात्कार और उनकी हत्या की घटना घटती है तो उसपर त्वरित कार्रवाई
करने का आदेश सभी थानाध्यक्षों को दिया गया है.
उन्हें यह भी निर्देश दिया गया है कि पीड़ित पक्ष का बयान तुरन्त दर्ज
किया जाए और उनके साथ मानवीय व्यवहार किया जाए.
हमीरपुर की घटना का उल्लेख करते हुए आईजी ने कहा, "थाने में महिला के साथ
बलात्कार की बात पूरी तरह से ग़लत है आज आईजी और कमिशनर ने स्वयं घटना
स्थल पर जाकर पूरे मामले की तहकीकात की. उनकी जांच में बलात्कार की घटना
को असत्य पाया गया है. जिस महिला द्वारा पुलिस पर बलात्कार करने का आरोप
लगाया गया था उस महिला का पति उस इलाक़े का हिस्ट्रीसीटर है. उसे पहले भी
गिरफ़्तार किया गया था. कल उसे पुलिस ने एक मामले में गिरफ़्तार कर थाने
में ले आई थी."
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए क्लिक करें यहां क्लिक करें. आप
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Urvashi Sharma
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Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption 9455553838
http://upcpri.blogspot.in/
BBC Feature उत्तर प्रदेश में बढ़ रही हैं कथित बलात्कार की घटनाएँ?
http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2014/06/140612_up_rape_cases_rns.shtml
उत्तर प्रदेश में बढ़ रही हैं कथित बलात्कार की घटनाएँ?
प्रदेश में आए दिन किसी न किसी स्थान से महिलाओं के बलात्कार और उनकी हत्या होने की ख़बर लगातार आ रही है.
उत्तर प्रदेश में बढ़ रही हैं कथित बलात्कार की घटनाएँ?
मनीष मिश्रा
लखनऊ से बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए
शुक्रवार, 13 जून, 2014 को 10:57 IST
उत्तर प्रदेश में विगत कुछ दिनों से महिलाओं के साथ बलात्कार और हिंसा की घटनाएं काफ़ी बढ़ गई हैं. प्रदेश के कई जिलों बदायूं, सीतापुर, लखीमपुर, बहराइच, बाराबंकी, अमेठी, फैजाबाद, कुशीनगर और मुरादाबाद, में महिलाओं के साथ कथित तौर पर बलात्कार के बाद हत्या करने की ख़बरें आईं.
पुलिस ने कुछ जगहों पर कार्रवाई करते हुए अभियुक्तों की गिरफ़्तारी तो की लेकिन उनके ख़िलाफ़ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई.
अखिलेश यादव की सरकार क़ानून व्यवस्था को मज़बूत करने और प्रदेश में महिलाओं के ख़िलाफ़ हो रहे कथित बलात्कार और हत्या की घटना को रोकने का दावा करने के बावजूद भी ये थमने का नाम नहीं ले रही हैं.
लखनऊ की महिला सामाजिक कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा कहती हैं, "उत्तर प्रदेश में क़ानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गयी है. यहां महिलाओं के साथ रोज़ रेप हो रहे हैं और उनकी हत्या की जा रही है. अपराधी खुले आम वारदात को अंजाम दे रहें है. उन्हें क़ानून का कोई ख़ौफ़ नहीं है."
सरकार की कार्रवाई
उर्वशी का कहना है, "प्रदेश की अखिलेश यादव की सरकार बलात्कार करने वाले लोगों के विरुद्ध कोई सख्त कार्रवाई नहीं कर पा रही है. जिससे अपराधियों के हौसले काफ़ी बुलंद है. सरकार रेप को अंजाम देने वाले अभियुक्तों को ही बचाने का काम कर रही हैं."
ऐसे में किसी भी पीड़ित महिला और उसके परिवार को न्याय कैसे मिलेगा? उर्वशी कहती हैं, "सरकार को महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों को रोकने वाले सख्त क़ानून लागू करना चाहिए जिससे ऐसी घटनाओं में कमी की जा सके."
उनका दावा है कि उत्तर प्रदेश में महिलाओं के साथ हो रहे बलात्कार और हिंसा का ग्राफ नौ प्रतिशत से ऊपर पहुंच गया है लेकिन प्रदेश सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है. केवल अपराध के आंकड़ों को छुपाने का काम कर रही है.
प्रदेश में महिलाओं के साथ हो रहे कथित रेप और हत्या की घटना पर राज्य सरकार के प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने बीबीसी हिन्दी से कहा, "यह एक सामाजिक समस्या है. प्रदेश की आबादी 21 करोड़ है. कुछ मामले तो आपसी रंजिश के, तो कुछ फ़र्ज़ी पाए गए हैं. सरकार क़ानून व्यवस्था को मज़बूत करने के लिए अपनी ओर से पूरा प्रयास कर रही है. कई मामलों में सरकार ने सख्त कार्रवाई की है."
हमीरपुर और मुरादाबाद में हुए कथित रेप और हत्या के बारे में पूछने पर राजेन्द्र चैधरी का कहना था कि वो इसकी जानकारी जुटा रहे हैं.
उधर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विजय पाठक प्रदेश में महिलाओं के साथ हो रहे बलात्कार उनकी हत्या पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहते हैं, "प्रदेश के पुलिस महानिदेशक जब सार्वजनिक रूप से यह बयान देंगे कि बलात्कार और हत्या रूटीन है तो ऐसे में क़ानून व्यवस्था की स्थिति और महिलाओं की सुरक्षा कैसे हो पाएगी."
बलात्कार पर बयान
पाठक कहते हैं, "प्रदेश सरकार अपना नैतिक अधिकार खो चुकी है. क़ानून व्यवस्था को मज़बूत करने और महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने के बजाए बलात्कार और हत्या की घटनाओं को साजिश बता रही है. जो काफ़ी दुर्भाग्यपूर्ण है. भाजपा कोई भी अलोकतांत्रिक क़दम नहीं उठाएगी. हमारी पार्टी प्रदेश की जनता के साथ पूरी ताक़त के साथ खड़ी रहेगी."
उत्तर प्रदेश की पुलिस महानिरीक्षक कानून व्यवस्था अमरेन्द्र कुमार सिंह सेंगर ने बीबीसी हिन्दी को बताया कि प्रदेश में कहीं भी किसी महिला के साथ बलात्कार और उनकी हत्या की घटना घटती है तो उसपर त्वरित कार्रवाई करने का आदेश सभी थानाध्यक्षों को दिया गया है.
उन्हें यह भी निर्देश दिया गया है कि पीड़ित पक्ष का बयान तुरन्त दर्ज किया जाए और उनके साथ मानवीय व्यवहार किया जाए.
हमीरपुर की घटना का उल्लेख करते हुए आईजी ने कहा, "थाने में महिला के साथ बलात्कार की बात पूरी तरह से ग़लत है आज आईजी और कमिशनर ने स्वयं घटना स्थल पर जाकर पूरे मामले की तहकीकात की. उनकी जांच में बलात्कार की घटना को असत्य पाया गया है. जिस महिला द्वारा पुलिस पर बलात्कार करने का आरोप लगाया गया था उस महिला का पति उस इलाक़े का हिस्ट्रीसीटर है. उसे पहले भी गिरफ़्तार किया गया था. कल उसे पुलिस ने एक मामले में गिरफ़्तार कर थाने में ले आई थी."
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