Read Times of India feature by Priyangi Agarwal, TNN | Jan 20, 2015, 09.50PM IST titled "No one caught smoking in public in UP?"
BAREILLY: An RTI activist who sought a reply on the number of people fined for smoking in public in the last five years in the state has drawn a blank. The directorate of local bodies of Uttar Pradesh revealed that they had no information to the effect in their records though a nationwide law prohibiting smoking in any public place was implemented in October 2008. Under the law, a penalty of Rs 200 would be imposed on the person caught flouting the rule.
RTI activist Urvashi Sharma said this reply implies that the fine has not been levied on any person in UP from July 10, 2009 to November 11, 2014. In reply to the same RTI, the department also stated that there is no record of persons found littering at public places.
"Asked on the number of people on whom a fine was imposed for smoking in public district wise in the state in last five years, the RTI reply stated that they have no such information in their records. It clearly suggests that not a single person in any district of the state has been fined during the said period and hence, no record is available in the directorate of local bodies," said Sharma."The motive of filing RTI was to ascertain whether the rule was enforced better during Mayawati's or Akhilesh Yadav's regime. But it appears that no one was interested in it."
However, smoking in public places was prohibited nationwide from October 2008 under the Prohibition of Smoking in Public Places Rules, 2008 and Cigarettes and Other Tobacco Products Act (COTPA). The public places where smoking is banned include small cafes, restaurants, educational institutions, pubs or discotheques, public offices, airports, hospitals, railway stations and bus stands.
"Even Union government has recently moved an amendment for a more stringent anti-smoking law with radical changes, including ban on sale of loose cigarettes, raising the minimum age of a person buying tobacco products to 21 years from existing 18 years, raising of fine to Rs 1,000 from Rs 200 on smoking in public places, increasing the maximum fine to Rs 1 lakh from the existing Rs 10,000. A person can gauge that how far this new law would be effective through the RTI reply," said Sharma.
The same RTI query also revealed that there is no record of the fine imposed on number of people caught throwing garbage in open at public places in the last five years. "This again suggests that no person in the state has been fined for littering in public places but hoardings and posters have been put up at many places in the state with warnings of penalties for littering in public places. As government agencies have failed to strictly levy fine on people, it also poses a question mark on the success of Prime Minister Narendra Modi's 'clean India campaign' in the state," said Sharma.
http://timesofindia.indiatimes.com/city/bareilly/No-one-caught-smoking-in-public-in-UP/articleshow/45957649.cms
Friday, January 30, 2015
Thursday, January 29, 2015
CBI inquiry sought in Unnao ( UP ) ‘Floating dead bodies in Ganga ‘ & 'Skeletons-in-Police-Lines-Complex' exposures by Lucknow NGO ‘TAHRIR’ .
Lucknow based NGO 'TAHRIR' has sought a CBI inquiry in Unnao ( UP )
'Floating dead bodies in Ganga ' & 'Skeletons-in-Police-Lines-Complex'
exposures.
Please find memorandum sent to President of India, Union Home
Minister, Governor of UP, CM of UP, CS of UP, DGP of UP & NHRC at
http://tahririndia.blogspot.in/2015/01/blog-post_10.html
'Floating dead bodies in Ganga ' & 'Skeletons-in-Police-Lines-Complex'
exposures.
Please find memorandum sent to President of India, Union Home
Minister, Governor of UP, CM of UP, CS of UP, DGP of UP & NHRC at
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उन्नाव में पहले सैकड़ों शव और अब सैकड़ों नर कंकाल मिलने के मामलों की सीबीआई जाँच कराने की लखनऊ स्थित सामाजिक संगठन 'तहरीर' की मांग .
'तहरीर' ने गंगा में मिली लाशों और उन्नाव में मिले नर कंकालों के प्रकरण
की जाँच मानवाधिकारों के उल्लंघन के मद्देनज़र, प्रदेश की बदहाल क़ानून
व्यवस्था के मद्देनज़र और सत्ताधारी पार्टी द्वारा पुलिस संरक्षण में
अपने राजनैतिक प्रतिद्वंदियों अथवा सामाजिक/मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की
हत्याओं के परिणाम होने की संभावना के मद्देनज़र सभी जिलों के
जिलाधिकारियों के माध्यम से सूबे के सभी जिलों के बंद पड़े सभी सरकारी
कक्षों की तत्काल जाँच कराकर ऐसे सभी प्रकरणों को सामने लाने और इन सभी
मामलों की सीबीआई जाँच कराने की की मांग की है ।.
Read more at http://tahririndia.blogspot.in/2015/01/blog-post_10.html
की जाँच मानवाधिकारों के उल्लंघन के मद्देनज़र, प्रदेश की बदहाल क़ानून
व्यवस्था के मद्देनज़र और सत्ताधारी पार्टी द्वारा पुलिस संरक्षण में
अपने राजनैतिक प्रतिद्वंदियों अथवा सामाजिक/मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की
हत्याओं के परिणाम होने की संभावना के मद्देनज़र सभी जिलों के
जिलाधिकारियों के माध्यम से सूबे के सभी जिलों के बंद पड़े सभी सरकारी
कक्षों की तत्काल जाँच कराकर ऐसे सभी प्रकरणों को सामने लाने और इन सभी
मामलों की सीबीआई जाँच कराने की की मांग की है ।.
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CBI inquiry sought in Unnao ( UP ) ‘Floating dead bodies in Ganga ‘ & 'Skeletons-in-Police-Lines-Complex' exposures by Lucknow NGO ‘TAHRIR’ .
CBI inquiry sought in Unnao ( UP ) 'Floating dead bodies in Ganga ' & 'Skeletons-in-Police-Lines-Complex' exposures by Lucknow NGO 'TAHRIR' .
Lucknow based NGO 'TAHRIR' has sought a CBI inquiry in Unnao ( UP ) 'Floating dead bodies in Ganga ' & 'Skeletons-in-Police-Lines-Complex' exposures.
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Lucknow based NGO 'TAHRIR' has sought a CBI inquiry in Unnao ( UP ) 'Floating dead bodies in Ganga ' & 'Skeletons-in-Police-Lines-Complex' exposures.
Please find memorandum sent to President of India, Union Home Minister, Governor of UP, CM of UP, CS of UP, DGP of UP & NHRC at http://tahririndia.blogspot.in/2015/01/blog-post_10.html
उन्नाव में पहले सैकड़ों शव और अब सैकड़ों नर कंकाल मिलने के मामलों की सीबीआई जाँच कराने की लखनऊ स्थित सामाजिक संगठन 'तहरीर' की मांग .
'तहरीर' ने गंगा में मिली लाशों और उन्नाव में मिले नर कंकालों के प्रकरण की जाँच मानवाधिकारों के उल्लंघन के मद्देनज़र, प्रदेश की बदहाल क़ानून व्यवस्था के मद्देनज़र और सत्ताधारी पार्टी द्वारा पुलिस संरक्षण में अपने राजनैतिक प्रतिद्वंदियों अथवा सामाजिक/मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की हत्याओं के परिणाम होने की संभावना के मद्देनज़र सभी जिलों के जिलाधिकारियों के माध्यम से
सूबे के सभी जिलों के बंद पड़े सभी सरकारी कक्षों की तत्काल जाँच कराकर ऐसे सभी प्रकरणों को सामने लाने और इन सभी मामलों की सीबीआई जाँच कराने की की मांग की है ।.
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सूबे के सभी जिलों के बंद पड़े सभी सरकारी कक्षों की तत्काल जाँच कराकर ऐसे सभी प्रकरणों को सामने लाने और इन सभी मामलों की सीबीआई जाँच कराने की की मांग की है ।.
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भारत में मृत्यु दंड की सजा के पूर्ण खात्मे के लिए 'तहरीर' की मांग : इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदलने का किया स्वागत
http://tahririndia.blogspot.in/2015/01/blog-post_84.html
भारत में मानवाधिकार संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत लखनऊ स्थित सामाजिक संगठन 'तहरीर' ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदलते हुए फांसी की सजा को संविधान के अनुच्छेद 21 के जीवन के अधिकार के खिलाफ करार दिये जाने,पहले जारी डेथ वारंट को भी असंवैधानिक करार दिये जाने तथा कैदी को तन्हाई में रखने को संवैधानिक अधिकारों के विपरीत
बताये जाने के निर्णय का स्वागत किया है. इस मामले में हाई कोर्ट में बीते मंगलवार को सुनवाई पूरी हुई थी और बीते बुधवार को मुख्य न्यायाधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की खंडपीठ ने खुली अदालत में फैसला लिखाया था.
तहरीर के संस्थापक इंजीनियर संजय शर्मा ने मृत्यु दंड की सजा खत्म किये जाने की मांग की । संजय ने कहा कि दुनिया के अधिकांश देशों ने मृत्यु दंड खत्म कर दिया है और अब कुछ देशों में ही मृत्यु दंड दिया जाता है पर भारत उनमे से एक है.संजय ने कहा कि मृत्यु दंड से नहीं बल्कि जीवित रखने से ही अपराधी अपनी गलती को समझ सकता है. संजय के अनुसार सामान्यतया हम यह समझते हैं कि मृत्यु दंड उन
दूसरे व्यक्तियों को हतोत्साहित करने के लिए है जो अपराध करने को प्रवृत्त हो सकते हैं, जो दूसरे अपराधियों को अपराध करने से रोकती है पर यदि आंकड़ों पर गौर करें तो हमें मालूम हो जाएगा कि यह एक विशुद्ध गलत-फहमी है। जिन देशों में फाँसी की सजा नहीं है, वहाँ हमारे देश के मुकाबले कम अपराध होते हैं। संजय के अनुसार हमारे यहाँ भी फाँसी की सजा जिन्हें होती है उनमें से ज्यादातर
साधनहीन, गरीब लोग होते हैं, जो न्याय हासिल करने के लिए वकीलों को मोटी मोटी फीस नहीं दे सकते हैं. भारत में गरीब लोगों को मृत्यु दंड मिलता है, यह बात 1947 के बाद से अब तक प्राप्त आँकड़ों से जाहिर है. इसके विपरीत किसी समृद्ध व्यक्ति को सजा मिलती भी है तो उसे दया माफी मिल जाती है. हमारे देश में आज तक संगठित गिरोहबंद सुपारी किलर्स में से किसी एक को भी फांसी नहीं हुई है.
संजय ने बताया कि पिछले दिनों संयुक्त महासभा की मानवाधिकार समिति ने दुनिया भर में मृत्यु दंड समाप्त करने का प्रस्ताव भी पास किया था. संजय ने कहा कि जीवन को ग्रहण करना और जीवन का जाना प्राकृतिक है और राज्य द्वारा अच्छे काम के एवज में किसी के जीवन-अवधि को विस्तार नहीं दिया जा सकता है, तो बुरे काम लिए उसकी जीवन अवधि को कम या समाप्त कर देना भी न्याय संगत नहीं है. जनतंत्र की
व्यवस्था में नागरिक द्वारा प्रदत्त अधिकार और शक्ति ही मूलतः राज्य के पास होते हैं.जो अधिकार और शक्ति नागरिक के पास नहीं है वह राज्य भी धारित नहीं कर सकता है. यदि राज्य को किसी भी तरह किसी की जीवन-अवधि को कम या समाप्त कर देने का अधिकार दिया जाता है तो उस राज्य के नागरिकों के पास अपनी जीवन-अवधि को कम या समाप्त करने के निर्णय के अधिकार होना उचित हो जाता है अर्थात किसी दूसरे
को यदि किसी व्यक्ति की जीवन अवधि को कम या समाप्त करने के निर्णय के अधिकार है तो उस व्यक्ति के पास भी अपनी जीवन-अवधि को कम या समाप्त करने के निर्णय के अधिकार का होना उचित हो जाता है जो असंभव है. न्याय का बुनियादी सिद्धांत है कि यथा-संभव मनुष्य या राज्य के नियम प्रकृति के नियम स न टकराएँ। न्यायिक मौत इस बुनियादी बात के विपरीत है अतः इसे समाप्त किया ही जाना चाहिए।
भारत में मानवाधिकार संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत लखनऊ स्थित सामाजिक संगठन 'तहरीर' ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदलते हुए फांसी की सजा को संविधान के अनुच्छेद 21 के जीवन के अधिकार के खिलाफ करार दिये जाने,पहले जारी डेथ वारंट को भी असंवैधानिक करार दिये जाने तथा कैदी को तन्हाई में रखने को संवैधानिक अधिकारों के विपरीत
बताये जाने के निर्णय का स्वागत किया है. इस मामले में हाई कोर्ट में बीते मंगलवार को सुनवाई पूरी हुई थी और बीते बुधवार को मुख्य न्यायाधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की खंडपीठ ने खुली अदालत में फैसला लिखाया था.
तहरीर के संस्थापक इंजीनियर संजय शर्मा ने मृत्यु दंड की सजा खत्म किये जाने की मांग की । संजय ने कहा कि दुनिया के अधिकांश देशों ने मृत्यु दंड खत्म कर दिया है और अब कुछ देशों में ही मृत्यु दंड दिया जाता है पर भारत उनमे से एक है.संजय ने कहा कि मृत्यु दंड से नहीं बल्कि जीवित रखने से ही अपराधी अपनी गलती को समझ सकता है. संजय के अनुसार सामान्यतया हम यह समझते हैं कि मृत्यु दंड उन
दूसरे व्यक्तियों को हतोत्साहित करने के लिए है जो अपराध करने को प्रवृत्त हो सकते हैं, जो दूसरे अपराधियों को अपराध करने से रोकती है पर यदि आंकड़ों पर गौर करें तो हमें मालूम हो जाएगा कि यह एक विशुद्ध गलत-फहमी है। जिन देशों में फाँसी की सजा नहीं है, वहाँ हमारे देश के मुकाबले कम अपराध होते हैं। संजय के अनुसार हमारे यहाँ भी फाँसी की सजा जिन्हें होती है उनमें से ज्यादातर
साधनहीन, गरीब लोग होते हैं, जो न्याय हासिल करने के लिए वकीलों को मोटी मोटी फीस नहीं दे सकते हैं. भारत में गरीब लोगों को मृत्यु दंड मिलता है, यह बात 1947 के बाद से अब तक प्राप्त आँकड़ों से जाहिर है. इसके विपरीत किसी समृद्ध व्यक्ति को सजा मिलती भी है तो उसे दया माफी मिल जाती है. हमारे देश में आज तक संगठित गिरोहबंद सुपारी किलर्स में से किसी एक को भी फांसी नहीं हुई है.
संजय ने बताया कि पिछले दिनों संयुक्त महासभा की मानवाधिकार समिति ने दुनिया भर में मृत्यु दंड समाप्त करने का प्रस्ताव भी पास किया था. संजय ने कहा कि जीवन को ग्रहण करना और जीवन का जाना प्राकृतिक है और राज्य द्वारा अच्छे काम के एवज में किसी के जीवन-अवधि को विस्तार नहीं दिया जा सकता है, तो बुरे काम लिए उसकी जीवन अवधि को कम या समाप्त कर देना भी न्याय संगत नहीं है. जनतंत्र की
व्यवस्था में नागरिक द्वारा प्रदत्त अधिकार और शक्ति ही मूलतः राज्य के पास होते हैं.जो अधिकार और शक्ति नागरिक के पास नहीं है वह राज्य भी धारित नहीं कर सकता है. यदि राज्य को किसी भी तरह किसी की जीवन-अवधि को कम या समाप्त कर देने का अधिकार दिया जाता है तो उस राज्य के नागरिकों के पास अपनी जीवन-अवधि को कम या समाप्त करने के निर्णय के अधिकार होना उचित हो जाता है अर्थात किसी दूसरे
को यदि किसी व्यक्ति की जीवन अवधि को कम या समाप्त करने के निर्णय के अधिकार है तो उस व्यक्ति के पास भी अपनी जीवन-अवधि को कम या समाप्त करने के निर्णय के अधिकार का होना उचित हो जाता है जो असंभव है. न्याय का बुनियादी सिद्धांत है कि यथा-संभव मनुष्य या राज्य के नियम प्रकृति के नियम स न टकराएँ। न्यायिक मौत इस बुनियादी बात के विपरीत है अतः इसे समाप्त किया ही जाना चाहिए।
मुस्कुरायें कि यूपी का युवा सीएम और उसका परिवार स्वस्थ है . मुख्यमंत्री कार्यकाल में अखिलेश यादव एवं उनके परिवार के किसी भी सदस्य की चिकित्सा पर राजकोष से कोई व्यय नहीं.
Lucknow/Bareilly.29-01-15.यूपी के वाशिंदों के लिए ये राहत की बात है कि उनका सीएम और उसका परिवार स्वस्थ है. दरअसल इस बात की तस्दीक़ मेरी एक आरटीआई पर उत्तर प्रदेश शासन के गोपन विभाग के जनसूचना अधिकारी और विशेष सचिव कृष्ण गोपाल द्वारा दिए गये जबाब से हो रही है.
मैने साल २०१३ में ०४ अप्रैल को मुख्यमंत्री द्वारा अपनी एवं अपने परिवार की चिकित्सा सुविधा का विवरण और उस पर व्यय की गयी धनराशि के विवरण की सूचना माँगी थी. बीते १८ नबंबर को उत्तर प्रदेश शासन के गोपन विभाग के जनसूचना अधिकारी और विशेष सचिव कृष्ण गोपाल ने मेरी आरटीआई के जबाब में मुझे बताया है कि सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा अपनी एवं अपने परिवार के किसी भी सदस्य
का कोई चिकित्सा प्रतिपूर्ति संबंधी दावा गोपन विभाग में प्रेषित नही किया है और यह भी कि गोपन विभाग ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एवं उनके परिवार के किसी भी सदस्य के चिकित्सा पर कोई भी धनराशि व्यय नहीं की है.
आज जब उम्रदराज राजनेताओं की बीमारियों की बजह से राजकोष पर अतिरिक्त अधिभार आना रोज की सी बात हो गयी है, ऐसे में यूपी के सीएम और उनके परिवार ने स्वस्थ रहकर यूपी को मुस्कुराने की कम से कम एक वजह तो दी.
Urvashi Sharma
मैने साल २०१३ में ०४ अप्रैल को मुख्यमंत्री द्वारा अपनी एवं अपने परिवार की चिकित्सा सुविधा का विवरण और उस पर व्यय की गयी धनराशि के विवरण की सूचना माँगी थी. बीते १८ नबंबर को उत्तर प्रदेश शासन के गोपन विभाग के जनसूचना अधिकारी और विशेष सचिव कृष्ण गोपाल ने मेरी आरटीआई के जबाब में मुझे बताया है कि सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा अपनी एवं अपने परिवार के किसी भी सदस्य
का कोई चिकित्सा प्रतिपूर्ति संबंधी दावा गोपन विभाग में प्रेषित नही किया है और यह भी कि गोपन विभाग ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एवं उनके परिवार के किसी भी सदस्य के चिकित्सा पर कोई भी धनराशि व्यय नहीं की है.
आज जब उम्रदराज राजनेताओं की बीमारियों की बजह से राजकोष पर अतिरिक्त अधिभार आना रोज की सी बात हो गयी है, ऐसे में यूपी के सीएम और उनके परिवार ने स्वस्थ रहकर यूपी को मुस्कुराने की कम से कम एक वजह तो दी.
Urvashi Sharma
मुस्कुरायें कि आपका युवा सीएम और उसका परिवार स्वस्थ है . मुख्यमंत्री कार्यकाल में अखिलेश यादव एवं उनके परिवार के किसी भी सदस्य की चिकित्सा पर राजकोष से कोई व्यय नहीं.
Lucknow/Bareilly.29-01-15.यूपी के वाशिंदों के लिए ये राहत की बात है कि
उनका सीएम और उसका परिवार स्वस्थ है. दरअसल इस बात की तस्दीक़ मेरी एक
आरटीआई पर उत्तर प्रदेश शासन के गोपन विभाग के जनसूचना अधिकारी और विशेष
सचिव कृष्ण गोपाल द्वारा दिए गये जबाब से हो रही है.
मैने साल २०१३ में ०४ अप्रैल को मुख्यमंत्री द्वारा अपनी एवं अपने
परिवार की चिकित्सा सुविधा का विवरण और उस पर व्यय की गयी धनराशि के
विवरण की सूचना माँगी थी. बीते १८ नबंबर को उत्तर प्रदेश शासन के गोपन
विभाग के जनसूचना अधिकारी और विशेष सचिव कृष्ण गोपाल ने मेरी आरटीआई के
जबाब में मुझे बताया है कि सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा अपनी
एवं अपने परिवार के किसी भी सदस्य का कोई चिकित्सा प्रतिपूर्ति संबंधी
दावा गोपन विभाग में प्रेषित नही किया है और यह भी कि गोपन विभाग ने
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एवं उनके परिवार के किसी भी सदस्य के चिकित्सा
पर कोई भी धनराशि व्यय नहीं की है.
आज जब उम्रदराज राजनेताओं की बीमारियों की बजह से राजकोष पर अतिरिक्त
अधिभार आना रोज की सी बात हो गयी है, ऐसे में यूपी के सीएम और उनके
परिवार ने स्वस्थ रहकर यूपी को मुस्कुराने की कम से कम एक वजह तो दी.
--
-Sincerely Yours,
Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption 9455553838
http://upcpri.blogspot.in/
Note : if you don't want to receive mails from me,kindly inform me so
that i should delete your name from my mailing list.
उनका सीएम और उसका परिवार स्वस्थ है. दरअसल इस बात की तस्दीक़ मेरी एक
आरटीआई पर उत्तर प्रदेश शासन के गोपन विभाग के जनसूचना अधिकारी और विशेष
सचिव कृष्ण गोपाल द्वारा दिए गये जबाब से हो रही है.
मैने साल २०१३ में ०४ अप्रैल को मुख्यमंत्री द्वारा अपनी एवं अपने
परिवार की चिकित्सा सुविधा का विवरण और उस पर व्यय की गयी धनराशि के
विवरण की सूचना माँगी थी. बीते १८ नबंबर को उत्तर प्रदेश शासन के गोपन
विभाग के जनसूचना अधिकारी और विशेष सचिव कृष्ण गोपाल ने मेरी आरटीआई के
जबाब में मुझे बताया है कि सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा अपनी
एवं अपने परिवार के किसी भी सदस्य का कोई चिकित्सा प्रतिपूर्ति संबंधी
दावा गोपन विभाग में प्रेषित नही किया है और यह भी कि गोपन विभाग ने
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एवं उनके परिवार के किसी भी सदस्य के चिकित्सा
पर कोई भी धनराशि व्यय नहीं की है.
आज जब उम्रदराज राजनेताओं की बीमारियों की बजह से राजकोष पर अतिरिक्त
अधिभार आना रोज की सी बात हो गयी है, ऐसे में यूपी के सीएम और उनके
परिवार ने स्वस्थ रहकर यूपी को मुस्कुराने की कम से कम एक वजह तो दी.
--
-Sincerely Yours,
Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption 9455553838
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Wednesday, January 28, 2015
Lucknow based NGO TAHRIR welcomes Allahabad high court’s verdict on Surinder Koli's death sentence commuted to life imprisonment.
As a growing frontline defender organization for protection of Human Rights in India, 'TAHRIR'( Transparency, Accountability & Human Rights' Initiative for Revolution ) welcomes Allahabad high court's verdict on Surinder Koli's death sentence commuted to life imprisonment.
'TAHRIR' believes that the death penalty is the ultimate denial of human rights. It is the premeditated and cold-blooded killing of a human being by the state. This cruel, inhuman and degrading punishment is done in the name of justice. It violates the right to life as proclaimed in the Universal Declaration of Human Rights. TAHRIR opposes the death penalty in all cases without exception regardless of the nature of the crime, the characteristics of the offender, or the method used by the state to kill the prisoner.We, at TAHRIR believe that there have been and always will be cases of executions of innocent people. No matter how developed a justice system is, it will always remain susceptible to human failure. Unlike prison sentences, the death penalty is irreversible and irreparable. We believe that the arbitrary application of the death penalty can never be ruled out. The death penalty is often used in a disproportional manner against the poor,
minorities and members of racial, ethnic, political and religious groups.
The death penalty is incompatible with human rights and human dignity. The death penalty violates the right to life which happens to be the most basic of all human rights. It also violates the right not to be subjected to torture and other cruel, inhumane or degrading treatment or punishment. Furthermore, the death penalty undermines human dignity which is inherent to every human being. The death penalty does not deter crime effectively. The death penalty lacks the deterrent effect which is commonly referred to by its advocates. As recently stated by the General Assembly of the United Nations, "there is no conclusive evidence of the deterrent value of the death penalty" (UNGA Resolution 65/206). It is noteworthy that in many retentionist states, the effectiveness of the death penalty in order to prevent crime is being seriously questioned by a continuously increasing number of law enforcement professionals. Moreover, Public support for the death
penalty does not necessarily mean that taking away the life of a human being by the state is right. There are undisputed historical precedences where gross human rights violations had had the support of a majority of the people, but which were condemned vigorously later on. It is the job of leading figures and politicians to underline the incompatibility of capital punishment with human rights and human dignity. It needs to be pointed out that public support for the death penalty is inextricably linked to the desire of the people to be free from crime. However, there exist more effective ways to prevent crime.
High Court Allahabad has commuted death sentence of Surinder Koli to life imprisonment on the ground of "inordinate delay" in deciding his mercy petition.A division bench comprising Chief Justice DY Chandrachud and Justice PKS Baghel held that execution of Koli's death sentence would be "unconstitutional in view of the inordinate delay" in deciding his mercy petition.The order has come on a Public Interest Litigation filed by NGO People's Union for Democratic Rights (PUDR) which contended that the period elapsed in disposal of Koli's mercy petition was "3 years and 3 months" and, as such, execution of death sentence would be in violation of the Right to Life granted in Article 21 of the Constitution.A petition was filed later by Koli himself, challenging the death sentence on the same ground as the one stated in the PIL, has also been clubbed with it.The death sentence was awarded to him by a special CBI court at Ghaziabad on February 13, 2009.The PIL
was filed on October 31 last year, three days after the Supreme Court rejected Koli's recall application. The death warrant issued by the trial court on September 2 had fixed September 12 as the date of hanging, though its execution was stayed in view of the apex court's decision to hear the recall application. Rejection of the recall application had cleared the decks for execution of the death sentence, but it was stayed by the high court on October 31 when it decided to hear the PIL.After his appeal against the trial court order was turned down by High Court on September 11, 2009 while co-accused and his employer Moninder Singh Pandher was acquitted, Koli filed a petition before the Supreme Court challenging his conviction which was dismissed on February 15, 2011.Koli, thereafter filed his mercy petition before the Governor of Uttar Pradesh on May 7, 2011, which was rejected 23 months later, on April 2, 2013.The mercy petition was thereafter forwarded
to the Union Home Ministry on July 19, 2013 and it was turned down by the President on July 20, 2014.The court had agreed to hear the PIL disagreeing with the Centre's preliminary objection that "the convict (Koli) had not filed a petition (at the time of filing of the PIL) challenging the rejection of his mercy petition"."The proceeding which has been instituted before this court is not in the nature of an appeal on merits against the order of conviction."The petition seeks to question the constitutionality of the execution of the sentence of death in the present case, on the ground of a delay on the part of constitutional authorities in disposing of the mercy petitions," the court had said.
'TAHRIR' believes that the death penalty is the ultimate denial of human rights. It is the premeditated and cold-blooded killing of a human being by the state. This cruel, inhuman and degrading punishment is done in the name of justice. It violates the right to life as proclaimed in the Universal Declaration of Human Rights. TAHRIR opposes the death penalty in all cases without exception regardless of the nature of the crime, the characteristics of the offender, or the method used by the state to kill the prisoner.We, at TAHRIR believe that there have been and always will be cases of executions of innocent people. No matter how developed a justice system is, it will always remain susceptible to human failure. Unlike prison sentences, the death penalty is irreversible and irreparable. We believe that the arbitrary application of the death penalty can never be ruled out. The death penalty is often used in a disproportional manner against the poor,
minorities and members of racial, ethnic, political and religious groups.
The death penalty is incompatible with human rights and human dignity. The death penalty violates the right to life which happens to be the most basic of all human rights. It also violates the right not to be subjected to torture and other cruel, inhumane or degrading treatment or punishment. Furthermore, the death penalty undermines human dignity which is inherent to every human being. The death penalty does not deter crime effectively. The death penalty lacks the deterrent effect which is commonly referred to by its advocates. As recently stated by the General Assembly of the United Nations, "there is no conclusive evidence of the deterrent value of the death penalty" (UNGA Resolution 65/206). It is noteworthy that in many retentionist states, the effectiveness of the death penalty in order to prevent crime is being seriously questioned by a continuously increasing number of law enforcement professionals. Moreover, Public support for the death
penalty does not necessarily mean that taking away the life of a human being by the state is right. There are undisputed historical precedences where gross human rights violations had had the support of a majority of the people, but which were condemned vigorously later on. It is the job of leading figures and politicians to underline the incompatibility of capital punishment with human rights and human dignity. It needs to be pointed out that public support for the death penalty is inextricably linked to the desire of the people to be free from crime. However, there exist more effective ways to prevent crime.
High Court Allahabad has commuted death sentence of Surinder Koli to life imprisonment on the ground of "inordinate delay" in deciding his mercy petition.A division bench comprising Chief Justice DY Chandrachud and Justice PKS Baghel held that execution of Koli's death sentence would be "unconstitutional in view of the inordinate delay" in deciding his mercy petition.The order has come on a Public Interest Litigation filed by NGO People's Union for Democratic Rights (PUDR) which contended that the period elapsed in disposal of Koli's mercy petition was "3 years and 3 months" and, as such, execution of death sentence would be in violation of the Right to Life granted in Article 21 of the Constitution.A petition was filed later by Koli himself, challenging the death sentence on the same ground as the one stated in the PIL, has also been clubbed with it.The death sentence was awarded to him by a special CBI court at Ghaziabad on February 13, 2009.The PIL
was filed on October 31 last year, three days after the Supreme Court rejected Koli's recall application. The death warrant issued by the trial court on September 2 had fixed September 12 as the date of hanging, though its execution was stayed in view of the apex court's decision to hear the recall application. Rejection of the recall application had cleared the decks for execution of the death sentence, but it was stayed by the high court on October 31 when it decided to hear the PIL.After his appeal against the trial court order was turned down by High Court on September 11, 2009 while co-accused and his employer Moninder Singh Pandher was acquitted, Koli filed a petition before the Supreme Court challenging his conviction which was dismissed on February 15, 2011.Koli, thereafter filed his mercy petition before the Governor of Uttar Pradesh on May 7, 2011, which was rejected 23 months later, on April 2, 2013.The mercy petition was thereafter forwarded
to the Union Home Ministry on July 19, 2013 and it was turned down by the President on July 20, 2014.The court had agreed to hear the PIL disagreeing with the Centre's preliminary objection that "the convict (Koli) had not filed a petition (at the time of filing of the PIL) challenging the rejection of his mercy petition"."The proceeding which has been instituted before this court is not in the nature of an appeal on merits against the order of conviction."The petition seeks to question the constitutionality of the execution of the sentence of death in the present case, on the ground of a delay on the part of constitutional authorities in disposing of the mercy petitions," the court had said.
As a growing frontline defender organization for protection of Human Rights in India, ‘TAHRIR’( Transparency, Accountability & Human Rights’ Initiative for Revolution ) welcomes Allahabad high court’s verdict on Surinder Koli's death sentence commuted to life imprisonment.
http://tahririndia.blogspot.in/2015/01/as-growing-frontline-defender.html
As a growing frontline defender organization for protection of Human
Rights in India, 'TAHRIR'( Transparency, Accountability & Human
Rights' Initiative for Revolution ) welcomes Allahabad high court's
verdict on Surinder Koli's death sentence commuted to life
imprisonment.
'TAHRIR' believes that the death penalty is the ultimate denial of
human rights. It is the premeditated and cold-blooded killing of a
human being by the state. This cruel, inhuman and degrading punishment
is done in the name of justice. It violates the right to life as
proclaimed in the Universal Declaration of Human Rights. TAHRIR
opposes the death penalty in all cases without exception regardless of
the nature of the crime, the characteristics of the offender, or the
method used by the state to kill the prisoner.
We, at TAHRIR believe that there have been and always will be cases of
executions of innocent people. No matter how developed a justice
system is, it will always remain susceptible to human failure. Unlike
prison sentences, the death penalty is irreversible and irreparable.
We believe that the arbitrary application of the death penalty can
never be ruled out. The death penalty is often used in a
disproportional manner against the poor, minorities and members of
racial, ethnic, political and religious groups. The death penalty is
incompatible with human rights and human dignity. The death penalty
violates the right to life which happens to be the most basic of all
human rights. It also violates the right not to be subjected to
torture and other cruel, inhumane or degrading treatment or
punishment. Furthermore, the death penalty undermines human dignity
which is inherent to every human being. The death penalty does not
deter crime effectively. The death penalty lacks the deterrent effect
which is commonly referred to by its advocates. As recently stated by
the General Assembly of the United Nations, "there is no conclusive
evidence of the deterrent value of the death penalty" (UNGA Resolution
65/206). It is noteworthy that in many retentionist states, the
effectiveness of the death penalty in order to prevent crime is being
seriously questioned by a continuously increasing number of law
enforcement professionals. Moreover, Public support for the death
penalty does not necessarily mean that taking away the life of a human
being by the state is right. There are undisputed historical
precedences where gross human rights violations had had the support of
a majority of the people, but which were condemned vigorously later
on. It is the job of leading figures and politicians to underline the
incompatibility of capital punishment with human rights and human
dignity. It needs to be pointed out that public support for the death
penalty is inextricably linked to the desire of the people to be free
from crime. However, there exist more effective ways to prevent crime.
High Court Allahabad has commuted death sentence of Surinder Koli to
life imprisonment on the ground of "inordinate delay" in deciding his
mercy petition.A division bench comprising Chief Justice DY
Chandrachud and Justice PKS Baghel held that execution of Koli's death
sentence would be "unconstitutional in view of the inordinate delay"
in deciding his mercy petition.The order has come on a Public Interest
Litigation filed by NGO People's Union for Democratic Rights (PUDR)
which contended that the period elapsed in disposal of Koli's mercy
petition was "3 years and 3 months" and, as such, execution of death
sentence would be in violation of the Right to Life granted in Article
21 of the Constitution.A petition was filed later by Koli himself,
challenging the death sentence on the same ground as the one stated in
the PIL, has also been clubbed with it.The death sentence was awarded
to him by a special CBI court at Ghaziabad on February 13, 2009.The
PIL was filed on October 31 last year, three days after the Supreme
Court rejected Koli's recall application. The death warrant issued by
the trial court on September 2 had fixed September 12 as the date of
hanging, though its execution was stayed in view of the apex court's
decision to hear the recall application. Rejection of the recall
application had cleared the decks for execution of the death sentence,
but it was stayed by the high court on October 31 when it decided to
hear the PIL.After his appeal against the trial court order was turned
down by High Court on September 11, 2009 while co-accused and his
employer Moninder Singh Pandher was acquitted, Koli filed a petition
before the Supreme Court challenging his conviction which was
dismissed on February 15, 2011.Koli, thereafter filed his mercy
petition before the Governor of Uttar Pradesh on May 7, 2011, which
was rejected 23 months later, on April 2, 2013.The mercy petition was
thereafter forwarded to the Union Home Ministry on July 19, 2013 and
it was turned down by the President on July 20, 2014.The court had
agreed to hear the PIL disagreeing with the Centre's preliminary
objection that "the convict (Koli) had not filed a petition (at the
time of filing of the PIL) challenging the rejection of his mercy
petition"."The proceeding which has been instituted before this court
is not in the nature of an appeal on merits against the order of
conviction."The petition seeks to question the constitutionality of
the execution of the sentence of death in the present case, on the
ground of a delay on the part of constitutional authorities in
disposing of the mercy petitions," the court had said.
--
-Sincerely Yours,
Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption 9455553838
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Note : if you don't want to receive mails from me,kindly inform me so
that i should delete your name from my mailing list.
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human rights. It is the premeditated and cold-blooded killing of a
human being by the state. This cruel, inhuman and degrading punishment
is done in the name of justice. It violates the right to life as
proclaimed in the Universal Declaration of Human Rights. TAHRIR
opposes the death penalty in all cases without exception regardless of
the nature of the crime, the characteristics of the offender, or the
method used by the state to kill the prisoner.
We, at TAHRIR believe that there have been and always will be cases of
executions of innocent people. No matter how developed a justice
system is, it will always remain susceptible to human failure. Unlike
prison sentences, the death penalty is irreversible and irreparable.
We believe that the arbitrary application of the death penalty can
never be ruled out. The death penalty is often used in a
disproportional manner against the poor, minorities and members of
racial, ethnic, political and religious groups. The death penalty is
incompatible with human rights and human dignity. The death penalty
violates the right to life which happens to be the most basic of all
human rights. It also violates the right not to be subjected to
torture and other cruel, inhumane or degrading treatment or
punishment. Furthermore, the death penalty undermines human dignity
which is inherent to every human being. The death penalty does not
deter crime effectively. The death penalty lacks the deterrent effect
which is commonly referred to by its advocates. As recently stated by
the General Assembly of the United Nations, "there is no conclusive
evidence of the deterrent value of the death penalty" (UNGA Resolution
65/206). It is noteworthy that in many retentionist states, the
effectiveness of the death penalty in order to prevent crime is being
seriously questioned by a continuously increasing number of law
enforcement professionals. Moreover, Public support for the death
penalty does not necessarily mean that taking away the life of a human
being by the state is right. There are undisputed historical
precedences where gross human rights violations had had the support of
a majority of the people, but which were condemned vigorously later
on. It is the job of leading figures and politicians to underline the
incompatibility of capital punishment with human rights and human
dignity. It needs to be pointed out that public support for the death
penalty is inextricably linked to the desire of the people to be free
from crime. However, there exist more effective ways to prevent crime.
High Court Allahabad has commuted death sentence of Surinder Koli to
life imprisonment on the ground of "inordinate delay" in deciding his
mercy petition.A division bench comprising Chief Justice DY
Chandrachud and Justice PKS Baghel held that execution of Koli's death
sentence would be "unconstitutional in view of the inordinate delay"
in deciding his mercy petition.The order has come on a Public Interest
Litigation filed by NGO People's Union for Democratic Rights (PUDR)
which contended that the period elapsed in disposal of Koli's mercy
petition was "3 years and 3 months" and, as such, execution of death
sentence would be in violation of the Right to Life granted in Article
21 of the Constitution.A petition was filed later by Koli himself,
challenging the death sentence on the same ground as the one stated in
the PIL, has also been clubbed with it.The death sentence was awarded
to him by a special CBI court at Ghaziabad on February 13, 2009.The
PIL was filed on October 31 last year, three days after the Supreme
Court rejected Koli's recall application. The death warrant issued by
the trial court on September 2 had fixed September 12 as the date of
hanging, though its execution was stayed in view of the apex court's
decision to hear the recall application. Rejection of the recall
application had cleared the decks for execution of the death sentence,
but it was stayed by the high court on October 31 when it decided to
hear the PIL.After his appeal against the trial court order was turned
down by High Court on September 11, 2009 while co-accused and his
employer Moninder Singh Pandher was acquitted, Koli filed a petition
before the Supreme Court challenging his conviction which was
dismissed on February 15, 2011.Koli, thereafter filed his mercy
petition before the Governor of Uttar Pradesh on May 7, 2011, which
was rejected 23 months later, on April 2, 2013.The mercy petition was
thereafter forwarded to the Union Home Ministry on July 19, 2013 and
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agreed to hear the PIL disagreeing with the Centre's preliminary
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-Sincerely Yours,
Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption 9455553838
http://upcpri.blogspot.in/
Note : if you don't want to receive mails from me,kindly inform me so
that i should delete your name from my mailing list.
यूपी - महज 'घोषणा-वीर' बनकर रह गए मुख्यमंत्री अखिलेश .
सरकारी छलावा मात्र है मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हालिया गठित राज्य इनोवेशन काउन्सिल : संजय शर्मा
सूबे के किसी भी विभाग ने नहीं किया कोई नव-प्रयोग .
Read full story here:
http://tahririndia.blogspot.in/2015/01/blog-post_28.html
सूबे के किसी भी विभाग ने नहीं किया कोई नव-प्रयोग .
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UP Pollution Control Board unaware about Gomti cleaning : RTI
UP Pollution Control Board unaware about Gomti cleaning : RTI
News18 | Gulam Jeelani | Wed Jan 28, 2015 | 10:35 IST
http://www.news18.com/news/uttar-pradesh/up-pollution-control-board-unaware-about-gomti-cleaning-rti-678143.html
#Lucknow #Uttar Pradesh The Uttar Pradesh Pollution Control Board (UPPCB) is unaware about any steps taken by the Centre or State to clean the river Gomti, an RTI query by a 13-year-old Lucknow girl has revealed.
Worse still, the pollution watchdog body doesn't even have any information about the laws to keep a tab on people polluting the river, the reply added.
In reply to a the queries regarding expenses (by Centre or State) on Gomti river cleaning, in a Right to Information (RTI) application by Aishwarya Parashar, 13, the UPPCB said that it had no knowledge about the money spent. Instead it asked the young activist to get the details from the state's department of urban development.
"Every one is talking about cleaning the river. But they don't event know how much they have done so far," said Aishwarya, who shot to fame a few years ago after her RTI plea forced authorities to remove garbage outside her school in the state capital. Surprisingly, the UPPCB officials also said that they did not have any information about any laws or directives to stop people from dumping garbage (mostly after prayers) in the river.
The apathy doesn't stop here. The board took one year and three months to come up with the reply to the RTI plea while the RTI Act mandates the reply should come within 30 days. The plea was filed by Aishwarya is October 2013.
Notably, the government had, of late, taken many initiatives for cleaning Gomti. State chief secretary, Alok Ranjan had directed diversion of all nullahs to sewage treatment plant and ban on discharge of effluents directly into the river.
Even Lucknow's district magistrate Raj Shekhar had cleaned the river himself regularly with teams of NGOs and had released some funds for the cleaning of the river.
News18 | Gulam Jeelani | Wed Jan 28, 2015 | 10:35 IST
http://www.news18.com/news/uttar-pradesh/up-pollution-control-board-unaware-about-gomti-cleaning-rti-678143.html
#Lucknow #Uttar Pradesh The Uttar Pradesh Pollution Control Board (UPPCB) is unaware about any steps taken by the Centre or State to clean the river Gomti, an RTI query by a 13-year-old Lucknow girl has revealed.
Worse still, the pollution watchdog body doesn't even have any information about the laws to keep a tab on people polluting the river, the reply added.
In reply to a the queries regarding expenses (by Centre or State) on Gomti river cleaning, in a Right to Information (RTI) application by Aishwarya Parashar, 13, the UPPCB said that it had no knowledge about the money spent. Instead it asked the young activist to get the details from the state's department of urban development.
"Every one is talking about cleaning the river. But they don't event know how much they have done so far," said Aishwarya, who shot to fame a few years ago after her RTI plea forced authorities to remove garbage outside her school in the state capital. Surprisingly, the UPPCB officials also said that they did not have any information about any laws or directives to stop people from dumping garbage (mostly after prayers) in the river.
The apathy doesn't stop here. The board took one year and three months to come up with the reply to the RTI plea while the RTI Act mandates the reply should come within 30 days. The plea was filed by Aishwarya is October 2013.
Notably, the government had, of late, taken many initiatives for cleaning Gomti. State chief secretary, Alok Ranjan had directed diversion of all nullahs to sewage treatment plant and ban on discharge of effluents directly into the river.
Even Lucknow's district magistrate Raj Shekhar had cleaned the river himself regularly with teams of NGOs and had released some funds for the cleaning of the river.
UP Pollution Control Board unaware about Gomti cleaning : RTI
UP Pollution Control Board unaware about Gomti cleaning : RTI
News18 | Gulam Jeelani | Wed Jan 28, 2015 | 10:35 IST
http://www.news18.com/news/uttar-pradesh/up-pollution-control-board-unaware-about-gomti-cleaning-rti-678143.html
#Lucknow #Uttar Pradesh The Uttar Pradesh Pollution Control Board
(UPPCB) is unaware about any steps taken by the Centre or State to
clean the river Gomti, an RTI query by a 13-year-old Lucknow girl has
revealed.
Worse still, the pollution watchdog body doesn't even have any
information about the laws to keep a tab on people polluting the
river, the reply added.
In reply to a the queries regarding expenses (by Centre or State) on
Gomti river cleaning, in a Right to Information (RTI) application by
Aishwarya Parashar, 13, the UPPCB said that it had no knowledge about
the money spent. Instead it asked the young activist to get the
details from the state's department of urban development.
"Every one is talking about cleaning the river. But they don't event
know how much they have done so far," said Aishwarya, who shot to fame
a few years ago after her RTI plea forced authorities to remove
garbage outside her school in the state capital. Surprisingly, the
UPPCB officials also said that they did not have any information about
any laws or directives to stop people from dumping garbage (mostly
after prayers) in the river.
UP Pollution Control Board unaware about Gomti cleaning : RTI
The apathy doesn't stop here. The board took one year and three months
to come up with the reply to the RTI plea while the RTI Act mandates
the reply should come within 30 days. The plea was filed by Aishwarya
is October 2013.
Notably, the government had, of late, taken many initiatives for
cleaning Gomti. State chief secretary, Alok Ranjan had directed
diversion of all nullahs to sewage treatment plant and ban on
discharge of effluents directly into the river.
Even Lucknow's district magistrate Raj Shekhar had cleaned the river
himself regularly with teams of NGOs and had released some funds for
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Urvashi Sharma
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revealed.
Worse still, the pollution watchdog body doesn't even have any
information about the laws to keep a tab on people polluting the
river, the reply added.
In reply to a the queries regarding expenses (by Centre or State) on
Gomti river cleaning, in a Right to Information (RTI) application by
Aishwarya Parashar, 13, the UPPCB said that it had no knowledge about
the money spent. Instead it asked the young activist to get the
details from the state's department of urban development.
"Every one is talking about cleaning the river. But they don't event
know how much they have done so far," said Aishwarya, who shot to fame
a few years ago after her RTI plea forced authorities to remove
garbage outside her school in the state capital. Surprisingly, the
UPPCB officials also said that they did not have any information about
any laws or directives to stop people from dumping garbage (mostly
after prayers) in the river.
UP Pollution Control Board unaware about Gomti cleaning : RTI
The apathy doesn't stop here. The board took one year and three months
to come up with the reply to the RTI plea while the RTI Act mandates
the reply should come within 30 days. The plea was filed by Aishwarya
is October 2013.
Notably, the government had, of late, taken many initiatives for
cleaning Gomti. State chief secretary, Alok Ranjan had directed
diversion of all nullahs to sewage treatment plant and ban on
discharge of effluents directly into the river.
Even Lucknow's district magistrate Raj Shekhar had cleaned the river
himself regularly with teams of NGOs and had released some funds for
the cleaning of the river.
--
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Urvashi Sharma
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News
#Gomti cleaning #RTI #UP Pollution Control Board
Saturday, January 24, 2015
गोमती सफाई पर 'आरटीआई गर्ल' ऐश्वर्या पाराशर की आरटीआई ने खोली सरकारी दिखावों की पोल.
यूपी की राजधानी लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल राजाजीपुरम शाखा की कक्षा
8 की छात्रा 13 वर्षीय ऐश्वर्या पाराशर की एक आरटीआई ने गोमती सफाई पर
सरकारी दिखावों की पोल खोल दी है .
Download original RTI reply from
http://aishwarya-parashar.blogspot.in/2015/01/blog-post.html
दरअसल ऐश्वर्या ने साल 2013 के 25 अक्टूबर को सूबे के मुख्यमंत्री
कार्यालय में एक आरटीआई दायर करके उत्तर प्रदेश के गठन से अब तक गोमती
सफाई पर केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार द्वारा खर्च किये गए रुपयों की
जानकारी माँगी थी . ऐश्वर्या ने गोमती में कूड़ा- कचरा डालने से रोकने
के लिए प्रदेश सरकार द्वारा किये गए आदेशों की जानकारी भी माँगी थी .
हालाँकि आरटीआई एक्ट में 30 दिनों में ही सूचना देने की अनिवार्यता है पर
सरकारी उदासीनता के चलते यह सूचना उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
द्वारा लगभग 1 साल 2 महीने बाद ऐश्वर्या को दी गयी है. उत्तर
प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा ऐश्वर्या को दी गयी सूचना से
गोमती सफाई पर सरकारी दिखावों की पोल स्वतः ही खुल रही है.
ऐश्वर्या को दी गयी सूचना में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने
स्वीकारा है कि चाहें केंद्र की सरकार हो या प्रदेश की सरकार, किसी ने
भी गोमती नदी की सफाई के लिए उत्तर प्रदेश के गठन से अब तक एक रुपया भी
खर्च नहीं किया है. उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने यह भी
स्वीकारा है कि उनके पास गोमती में कूड़ा- कचरा डालने से रोकने के लिए
प्रदेश सरकार द्वारा किये गए आदेशों की जानकारी नहीं है और ये जानकारी
लेने के लिए ऐश्वर्या को नगर विकास विभाग से संपर्क करने को कहा है.
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दी गयी सूचना से व्यथित
ऐश्वर्या सबाल करती है कि जब केंद्र की सरकार और प्रदेश की सरकार ने
गोमती नदी की सफाई के लिए उत्तर प्रदेश के गठन से अब तक एक रुपया भी
खर्च नहीं किया है और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास
गोमती में कूड़ा- कचरा डालने से रोकने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा किये
गए आदेशों की जानकारी ही नहीं है तो आखिर गोमती नदी की सफाई होगी
कैसे ?
गौरतलब है कि देश में 'आरटीआई बाली लड़की' के नाम से विख्यात ऐश्वर्या महज
8 साल की उम्र में अपनी आरटीआई से सिटी मॉन्टेसरी स्कूल राजाजीपुरम शाखा
के सामने से कूड़ाघर हटवाकर पब्लिक लाइब्रेरी बनबा चुकी हैं.
बापू नहीं 'राष्ट्रपिता' ,हॉकी नहीं 'राष्ट्रीय खेल', 26 जनवरी (गणतंत्र
दिवस), 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) और 2 अक्टूबर (गांधी जयंती) नहीं
'राष्ट्रीय अवकाश' जैसे कड़वे सच अपनी बिभिन्न आरटीआई से देश के सामने
उजागर करने बाली इस 'आरटीआई गर्ल' ऐश्वर्या ने गोमती नदी की सफाई की अपनी
इस मुहिम में सभी नागरिकों से सोयी सरकारों को जगाने में सहयोग की अपील
की है और आने बाले 15 फरवरी रविवार को राजधानी लखनऊ में गांधी पार्क
हज़रतगंज क्रासिंग के पास हस्ताक्षर अभियान आरम्भ करने की घोषणा भी की है.
--
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Urvashi Sharma
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8 की छात्रा 13 वर्षीय ऐश्वर्या पाराशर की एक आरटीआई ने गोमती सफाई पर
सरकारी दिखावों की पोल खोल दी है .
Download original RTI reply from
http://aishwarya-parashar.blogspot.in/2015/01/blog-post.html
दरअसल ऐश्वर्या ने साल 2013 के 25 अक्टूबर को सूबे के मुख्यमंत्री
कार्यालय में एक आरटीआई दायर करके उत्तर प्रदेश के गठन से अब तक गोमती
सफाई पर केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार द्वारा खर्च किये गए रुपयों की
जानकारी माँगी थी . ऐश्वर्या ने गोमती में कूड़ा- कचरा डालने से रोकने
के लिए प्रदेश सरकार द्वारा किये गए आदेशों की जानकारी भी माँगी थी .
हालाँकि आरटीआई एक्ट में 30 दिनों में ही सूचना देने की अनिवार्यता है पर
सरकारी उदासीनता के चलते यह सूचना उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
द्वारा लगभग 1 साल 2 महीने बाद ऐश्वर्या को दी गयी है. उत्तर
प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा ऐश्वर्या को दी गयी सूचना से
गोमती सफाई पर सरकारी दिखावों की पोल स्वतः ही खुल रही है.
ऐश्वर्या को दी गयी सूचना में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने
स्वीकारा है कि चाहें केंद्र की सरकार हो या प्रदेश की सरकार, किसी ने
भी गोमती नदी की सफाई के लिए उत्तर प्रदेश के गठन से अब तक एक रुपया भी
खर्च नहीं किया है. उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने यह भी
स्वीकारा है कि उनके पास गोमती में कूड़ा- कचरा डालने से रोकने के लिए
प्रदेश सरकार द्वारा किये गए आदेशों की जानकारी नहीं है और ये जानकारी
लेने के लिए ऐश्वर्या को नगर विकास विभाग से संपर्क करने को कहा है.
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दी गयी सूचना से व्यथित
ऐश्वर्या सबाल करती है कि जब केंद्र की सरकार और प्रदेश की सरकार ने
गोमती नदी की सफाई के लिए उत्तर प्रदेश के गठन से अब तक एक रुपया भी
खर्च नहीं किया है और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास
गोमती में कूड़ा- कचरा डालने से रोकने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा किये
गए आदेशों की जानकारी ही नहीं है तो आखिर गोमती नदी की सफाई होगी
कैसे ?
गौरतलब है कि देश में 'आरटीआई बाली लड़की' के नाम से विख्यात ऐश्वर्या महज
8 साल की उम्र में अपनी आरटीआई से सिटी मॉन्टेसरी स्कूल राजाजीपुरम शाखा
के सामने से कूड़ाघर हटवाकर पब्लिक लाइब्रेरी बनबा चुकी हैं.
बापू नहीं 'राष्ट्रपिता' ,हॉकी नहीं 'राष्ट्रीय खेल', 26 जनवरी (गणतंत्र
दिवस), 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) और 2 अक्टूबर (गांधी जयंती) नहीं
'राष्ट्रीय अवकाश' जैसे कड़वे सच अपनी बिभिन्न आरटीआई से देश के सामने
उजागर करने बाली इस 'आरटीआई गर्ल' ऐश्वर्या ने गोमती नदी की सफाई की अपनी
इस मुहिम में सभी नागरिकों से सोयी सरकारों को जगाने में सहयोग की अपील
की है और आने बाले 15 फरवरी रविवार को राजधानी लखनऊ में गांधी पार्क
हज़रतगंज क्रासिंग के पास हस्ताक्षर अभियान आरम्भ करने की घोषणा भी की है.
--
-Sincerely Yours,
Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption 9455553838
http://upcpri.blogspot.in/
Note : if you don't want to receive mails from me,kindly inform me so
that i should delete your name from my mailing list.
Monday, January 19, 2015
'कुपोषण' पर ‘स्टेट न्यूट्रीशन मिशन’ की अखिलेश-घोषणा के दावों का झूँठ उजागर करती आरटीआई l पिछले पांच सालों में 'कुपोषण' के सम्बन्ध में नहीं गई हुई कोई स्टडी या सर्वे;नहीं है 'कुपोषण' से ग्रसितों की संख्या की कोई भी सूचना l
पिछले पांच सालों में यूपी सरकार ने 'कुपोषण' के सम्बन्ध में नहीं कराया
कोई भी स्टडी या सर्वे l नहीं है यूपी सरकार के पास पिछले पांच सालों
में 'कुपोषण' की समस्या से ग्रसित पुरुषों , महिलाओं, किन्नरों, वालकों,
वालिकाओं और शिशुओं की संख्या की कोई भी सूचना l आखिर किस आधार पर
स्टेट न्यूट्रीशन मिशन के तहत जरूरतमंद लोगों तक पौष्टिक पदार्थ पहुंचाने
और इस मिशन से सूबे की एक लाख महिलाओं को जोड़े जाने के दावे कर रहे हैं
अखिलेश ? : शर्म करो,आखिर और कितना नीचे-नीचे-नीचे गिरोगे अखिलेश ! कम
से कम 'कुपोषण' जैसी समस्या को तो घिनौने राजनैतिक दाँव-पेंचों से मुक्त
रखा होता ।
Download RTI n reply by clicking the link
http://upcpri.blogspot.in/2015/01/l-l.html
प्रिय मित्र,
अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं जब हाल ही में बीते नवम्बर माह में यूपी
के सीएम अखिलेश यादव ने अपने सरकारी आवास पांच कालिदास मार्ग पर भारी
सरकारी तामझाम और चमक-दमक के साथ आयोजित कार्यक्रम में बाल विकास
पुष्टाहार मंत्री की उपस्थिति में कुपोषण के खिलाफ 'राज्य पोषण मिशन'
(स्टेट न्यूट्रीशन मिशन) का शुभारंभ किया था l सीएम अखिलेश ने स्टेट
न्यूट्रीशन मिशन के तहत जरूरतमंद लोगों तक पौष्टिक पदार्थ पहुंचाने और
इस मिशन से सूबे की एक लाख महिलाओं को जोड़े जाने को अपना मकसद बताया था
।
यूपी के बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार निदेशालय द्वारा मेरी एक
आरटीआई के जबाब से सीएम अखिलेश ने स्टेट न्यूट्रीशन मिशन के तहत
जरूरतमंद लोगों तक पौष्टिक पदार्थ पहुंचाने और इस मिशन से सूबे की एक
लाख महिलाओं को जोड़े जाने को अपना मकसद बताने सम्बन्धी अखिलेश सरकार की
मंशा पर जबरदस्त जबरदस्त प्रश्नचिन्ह् लग रहा है l
यूपी के बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार निदेशालय द्वारा मेरी एक
आरटीआई पर दिए जबाब के अनुसार यूपी में मायाराज हो या अखिलेशराज, पिछले
पांच सालों में यूपी सरकार ने 'कुपोषण' के सम्बन्ध में कोई भी स्टडी या
सर्वे नहीं कराया है l बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार निदेशालय द्वारा
दिए जबाब के अनुसार यूपी सरकार के पास पिछले पांच सालों में 'कुपोषण'
की समस्या से ग्रसित पुरुषों , महिलाओं, किन्नरों, वालकों, वालिकाओं और
शिशुओं की संख्या की कोई भी सूचना नहीं है l
मेरा सबाल है कि जब यूपी में सरकार ने पिछले पांच सालों में 'कुपोषण'
के सम्बन्ध में कोई कोई भी स्टडी या सर्वे नहीं कराया है और यूपी
सरकार के पास पिछले पांच सालों में 'कुपोषण' की समस्या से ग्रसित
पुरुषों , महिलाओं, किन्नरों, वालकों, वालिकाओं और शिशुओं की संख्या
की कोई सूचना भी नहीं है तो आखिर किस आधार पर अखिलेश ने स्टेट
न्यूट्रीशन मिशन के शुभारम्भ पर जरूरतमंद लोगों तक पौष्टिक पदार्थ
पहुंचाने और इस मिशन से सूबे की एक लाख महिलाओं को जोड़े जाने के दावे कर
दिए दिए थे ? मेरा मानना है कि जरूरतमंदों के सम्बन्ध में बिना
तथ्यों के ही उन तक पौष्टिक पदार्थ पहुंचाने और इस मिशन से सूबे की
लाखों महिलाओं को जोड़े जाने के दावे कर अखिलेश ने 'कुपोषण' जैसी
समस्या को भी अपने घिनौने राजनैतिक दाँव-पेंचों में फाँसकर सस्ती
लोकप्रियता पाने के लिए झूँठ बोलकर वास्तविक कुपोषितों का मज़ाक बनाया है
l
मेरा प्रश्न यह भी है कि आखिर कब शर्म करेंगे और आखिर कब तक अखिलेश सूबे
की जनता को इस प्रकार मूर्ख बनाने के लिए ऐसे झूठे-झूठे हथकंडे अपनाते
रहेंगे ? क्या अखिलेश गम्भीरतापूर्वक कार्य भी करेंगे या नयी घोषणाएं
और महज कोरी भाषणवाजी ही होती रहेगी ?
--
-Sincerely Yours,
Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption 9455553838
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कोई भी स्टडी या सर्वे l नहीं है यूपी सरकार के पास पिछले पांच सालों
में 'कुपोषण' की समस्या से ग्रसित पुरुषों , महिलाओं, किन्नरों, वालकों,
वालिकाओं और शिशुओं की संख्या की कोई भी सूचना l आखिर किस आधार पर
स्टेट न्यूट्रीशन मिशन के तहत जरूरतमंद लोगों तक पौष्टिक पदार्थ पहुंचाने
और इस मिशन से सूबे की एक लाख महिलाओं को जोड़े जाने के दावे कर रहे हैं
अखिलेश ? : शर्म करो,आखिर और कितना नीचे-नीचे-नीचे गिरोगे अखिलेश ! कम
से कम 'कुपोषण' जैसी समस्या को तो घिनौने राजनैतिक दाँव-पेंचों से मुक्त
रखा होता ।
Download RTI n reply by clicking the link
http://upcpri.blogspot.in/2015/01/l-l.html
प्रिय मित्र,
अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं जब हाल ही में बीते नवम्बर माह में यूपी
के सीएम अखिलेश यादव ने अपने सरकारी आवास पांच कालिदास मार्ग पर भारी
सरकारी तामझाम और चमक-दमक के साथ आयोजित कार्यक्रम में बाल विकास
पुष्टाहार मंत्री की उपस्थिति में कुपोषण के खिलाफ 'राज्य पोषण मिशन'
(स्टेट न्यूट्रीशन मिशन) का शुभारंभ किया था l सीएम अखिलेश ने स्टेट
न्यूट्रीशन मिशन के तहत जरूरतमंद लोगों तक पौष्टिक पदार्थ पहुंचाने और
इस मिशन से सूबे की एक लाख महिलाओं को जोड़े जाने को अपना मकसद बताया था
।
यूपी के बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार निदेशालय द्वारा मेरी एक
आरटीआई के जबाब से सीएम अखिलेश ने स्टेट न्यूट्रीशन मिशन के तहत
जरूरतमंद लोगों तक पौष्टिक पदार्थ पहुंचाने और इस मिशन से सूबे की एक
लाख महिलाओं को जोड़े जाने को अपना मकसद बताने सम्बन्धी अखिलेश सरकार की
मंशा पर जबरदस्त जबरदस्त प्रश्नचिन्ह् लग रहा है l
यूपी के बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार निदेशालय द्वारा मेरी एक
आरटीआई पर दिए जबाब के अनुसार यूपी में मायाराज हो या अखिलेशराज, पिछले
पांच सालों में यूपी सरकार ने 'कुपोषण' के सम्बन्ध में कोई भी स्टडी या
सर्वे नहीं कराया है l बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार निदेशालय द्वारा
दिए जबाब के अनुसार यूपी सरकार के पास पिछले पांच सालों में 'कुपोषण'
की समस्या से ग्रसित पुरुषों , महिलाओं, किन्नरों, वालकों, वालिकाओं और
शिशुओं की संख्या की कोई भी सूचना नहीं है l
मेरा सबाल है कि जब यूपी में सरकार ने पिछले पांच सालों में 'कुपोषण'
के सम्बन्ध में कोई कोई भी स्टडी या सर्वे नहीं कराया है और यूपी
सरकार के पास पिछले पांच सालों में 'कुपोषण' की समस्या से ग्रसित
पुरुषों , महिलाओं, किन्नरों, वालकों, वालिकाओं और शिशुओं की संख्या
की कोई सूचना भी नहीं है तो आखिर किस आधार पर अखिलेश ने स्टेट
न्यूट्रीशन मिशन के शुभारम्भ पर जरूरतमंद लोगों तक पौष्टिक पदार्थ
पहुंचाने और इस मिशन से सूबे की एक लाख महिलाओं को जोड़े जाने के दावे कर
दिए दिए थे ? मेरा मानना है कि जरूरतमंदों के सम्बन्ध में बिना
तथ्यों के ही उन तक पौष्टिक पदार्थ पहुंचाने और इस मिशन से सूबे की
लाखों महिलाओं को जोड़े जाने के दावे कर अखिलेश ने 'कुपोषण' जैसी
समस्या को भी अपने घिनौने राजनैतिक दाँव-पेंचों में फाँसकर सस्ती
लोकप्रियता पाने के लिए झूँठ बोलकर वास्तविक कुपोषितों का मज़ाक बनाया है
l
मेरा प्रश्न यह भी है कि आखिर कब शर्म करेंगे और आखिर कब तक अखिलेश सूबे
की जनता को इस प्रकार मूर्ख बनाने के लिए ऐसे झूठे-झूठे हथकंडे अपनाते
रहेंगे ? क्या अखिलेश गम्भीरतापूर्वक कार्य भी करेंगे या नयी घोषणाएं
और महज कोरी भाषणवाजी ही होती रहेगी ?
--
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Urvashi Sharma
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Sunday, January 18, 2015
Nobody littered in UP in five years, reveals RTI query
http://www.deccanherald.com/content/454303/nobody-littered-up-five-years.html
Nobody littered in UP in five years, reveals RTI query
Lucknow, Jan 19, 2015, DHNS:
Not a single case of "littering" at public places has been reported in Uttar Pradesh in the past five years!.
It is another matter though that one may come across heaps of garbage at public parks, roadsides and even inside the buildings that house government offices in the state capital as well as in the districts.
A Right To Information (RTI) query filed by a social activist here has revealed that no one has been fined in the state for "littering" and "smoking" at public places in the past five years.
The Directorate of Local bodies of Uttar Pradesh, in reply to the RTI query filed by Urvashi Sharma, said that there was no "record" with the government about fines being imposed on people for littering and smoking at public places. It replied in a similar way on the query pertaining to smoking at public places in the state.
"It is really shocking that in spite of the fact that public places are being littered all across Uttar Pradesh, the government has no records in this regard," Sharma said while speaking to Deccan Herald here on Sunday.
Nobody littered in UP in five years, reveals RTI query
Lucknow, Jan 19, 2015, DHNS:
Not a single case of "littering" at public places has been reported in Uttar Pradesh in the past five years!.
It is another matter though that one may come across heaps of garbage at public parks, roadsides and even inside the buildings that house government offices in the state capital as well as in the districts.
A Right To Information (RTI) query filed by a social activist here has revealed that no one has been fined in the state for "littering" and "smoking" at public places in the past five years.
The Directorate of Local bodies of Uttar Pradesh, in reply to the RTI query filed by Urvashi Sharma, said that there was no "record" with the government about fines being imposed on people for littering and smoking at public places. It replied in a similar way on the query pertaining to smoking at public places in the state.
"It is really shocking that in spite of the fact that public places are being littered all across Uttar Pradesh, the government has no records in this regard," Sharma said while speaking to Deccan Herald here on Sunday.
Fw: Please sign & share TAHRIR's online petition for a high-level enquiry based on scientific and forensic evidences including CDR of Mobiles, brain-mapping etc. of accused & complainant while giving due consideration to the conspiracy angle in allegations of Rape & Molestation against Uttar Pradesh cadre IPS Amitabh Thakur & his Social Activist wife Nutan Thakur by a Ghaziabad based woman before the State Women Commission.
--- On Mon, 19/1/15, Sanjay Sharma <tahririndia@gmail.com> wrote:
> From: Sanjay Sharma <tahririndia@gmail.com>
> Subject: Please sign & share TAHRIR's online petition for a high-level enquiry based on scientific and forensic evidences including CDR of Mobiles, brain-mapping etc. of accused & complainant while giving due consideration to the conspiracy angle in allegations of Rape & Molestation against Uttar Pradesh cadre IPS Amitabh Thakur & his Social Activist wife Nutan Thakur by a Ghaziabad based woman before the State Women Commission.
> To: rtimahilamanchup@gmail.com, "rtimahilamanchup" <rtimahilamanchup@yahoo.co.in>
> Date: Monday, 19 January, 2015, 9:31 AM
> Please sign & share TAHRIR's
> online petition for a high-level enquiry
> based on scientific and forensic evidences including CDR of
> Mobiles,
> brain-mapping etc. of accused & complainant while giving
> due
> consideration to the conspiracy angle in allegations of Rape
> &
> Molestation against Uttar Pradesh cadre IPS Amitabh Thakur
> & his
> Social Activist wife Nutan Thakur by a Ghaziabad based woman
> before
> the State Women Commission.
>
> https://www.change.org/p/the-governor-of-uttar-pradesh-uttar-pradesh-government-lucknow-chief-minister-of-uttar-pradesh-uttar-pradesh-government-lucknow-chief-secretary-of-uttar-pradesh-uttar-pradesh-governmen-a-high-level-enquiry-based-on-scientific-and-forensic-evidences-w
>
> --
> Sanjay Sharma سنجے شرما संजय
> शर्मा
> ( Founder & Chairman)
> Transparency, Accountability & Human Rights Initiative
> for Revolution
> ( TAHRIR )
> 101,Narain Tower,F Block, Rajajipuram
>
>
> Lucknow,Uttar Pradesh-226017
> Facebook : https://www.facebook.com/sanjay.sharma.tahrir
> Website :http://tahririndia.blogspot.in/
> E-mail : tahririndia@gmail.com
> Twitter Handle : @tahririndia
> Mobile : 9369613513
>
>
> TAHRIR ( Transparency, Accountability & Human Rights
> initiative for
> revolution ) is a Bareilly/Lucknow based Social
> Organization, working
> at grass-root level by taking up & solving issues
> related to
> strengthening transparency & accountability in public
> life and
> protection of Human Rights in
> India. तहरीर
> (पारदर्शिता, जवाबदेही
> और
> मानवाधिकार क्रांति के
> लिए पहल ) भारत में
> लोक जीवन में
> पारदर्शिता
> संवर्धन, जबाबदेही
> निर्धारण और आमजन के
> मानवाधिकारों के
> संरक्षण के
> हितार्थ जमीनी स्तर
> पर कार्यशील संस्था
> है l
>
> From: Sanjay Sharma <tahririndia@gmail.com>
> Subject: Please sign & share TAHRIR's online petition for a high-level enquiry based on scientific and forensic evidences including CDR of Mobiles, brain-mapping etc. of accused & complainant while giving due consideration to the conspiracy angle in allegations of Rape & Molestation against Uttar Pradesh cadre IPS Amitabh Thakur & his Social Activist wife Nutan Thakur by a Ghaziabad based woman before the State Women Commission.
> To: rtimahilamanchup@gmail.com, "rtimahilamanchup" <rtimahilamanchup@yahoo.co.in>
> Date: Monday, 19 January, 2015, 9:31 AM
> Please sign & share TAHRIR's
> online petition for a high-level enquiry
> based on scientific and forensic evidences including CDR of
> Mobiles,
> brain-mapping etc. of accused & complainant while giving
> due
> consideration to the conspiracy angle in allegations of Rape
> &
> Molestation against Uttar Pradesh cadre IPS Amitabh Thakur
> & his
> Social Activist wife Nutan Thakur by a Ghaziabad based woman
> before
> the State Women Commission.
>
> https://www.change.org/p/the-governor-of-uttar-pradesh-uttar-pradesh-government-lucknow-chief-minister-of-uttar-pradesh-uttar-pradesh-government-lucknow-chief-secretary-of-uttar-pradesh-uttar-pradesh-governmen-a-high-level-enquiry-based-on-scientific-and-forensic-evidences-w
>
> --
> Sanjay Sharma سنجے شرما संजय
> शर्मा
> ( Founder & Chairman)
> Transparency, Accountability & Human Rights Initiative
> for Revolution
> ( TAHRIR )
> 101,Narain Tower,F Block, Rajajipuram
>
>
> Lucknow,Uttar Pradesh-226017
> Facebook : https://www.facebook.com/sanjay.sharma.tahrir
> Website :http://tahririndia.blogspot.in/
> E-mail : tahririndia@gmail.com
> Twitter Handle : @tahririndia
> Mobile : 9369613513
>
>
> TAHRIR ( Transparency, Accountability & Human Rights
> initiative for
> revolution ) is a Bareilly/Lucknow based Social
> Organization, working
> at grass-root level by taking up & solving issues
> related to
> strengthening transparency & accountability in public
> life and
> protection of Human Rights in
> India. तहरीर
> (पारदर्शिता, जवाबदेही
> और
> मानवाधिकार क्रांति के
> लिए पहल ) भारत में
> लोक जीवन में
> पारदर्शिता
> संवर्धन, जबाबदेही
> निर्धारण और आमजन के
> मानवाधिकारों के
> संरक्षण के
> हितार्थ जमीनी स्तर
> पर कार्यशील संस्था
> है l
>
A woman from Ghaziabad accuse RTI activist UP IPS Amitabh Thakur of Rape that too in his own house with the help of his RTI activist wife Nutan Thakur : Time RTI activists should consolidate n fight it back with full might
Respected Friends,
A woman from Ghaziabad has accused RTI activist UP IPS Amitabh Thakur
of Rape and that too in his own house with the help of his RTI activist wife Nutan Thakur.
I came to know about this from today's edition of AVADHNAMA newspaper. Find clip at http://upcpri.blogspot.in/2015/01/a-woman-from-ghaziabad-accuse-rti.html
From newspaper feed and my telephonic conversation with Nutan Thakur
in this matter, I think the incidence is not true and I feel its time
for RTI activists to consolidate n fight it back with full might. So be with us at this point of time n support our demand of impartial probe.
Sincerely Yours,
Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption 9455553838
http://upcpri.blogspot.in/
A woman from Ghaziabad has accused RTI activist UP IPS Amitabh Thakur
of Rape and that too in his own house with the help of his RTI activist wife Nutan Thakur.
I came to know about this from today's edition of AVADHNAMA newspaper. Find clip at http://upcpri.blogspot.in/2015/01/a-woman-from-ghaziabad-accuse-rti.html
From newspaper feed and my telephonic conversation with Nutan Thakur
in this matter, I think the incidence is not true and I feel its time
for RTI activists to consolidate n fight it back with full might. So be with us at this point of time n support our demand of impartial probe.
Sincerely Yours,
Urvashi Sharma
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a woman from Ghaziabad accuse RTI activist UP IPS Amitabh thakur of Rape that too in his own house with the help of his RTI activist wife Nutan Thakur : Time RTI actists should consolidate n fight it back with full might
respected sir/madam,
A woman from Ghaziabad has accused RTI activist UP IPS Amitabh thakur
of Rape and that too in his own house with the help of his RTI
activist wife Nutan Thakur.
I came to know about this from today's newspaper, clips of which are attached.
From newspaper feed and my telephonic conversation with Nutan Thakur
in this matter, I think the incidence is not true and i feel its time
for RTI activists
to consolidate n fight it back with full might.
--
-Sincerely Yours,
Urvashi Sharma
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Note : if you don't want to receive mails from me,kindly inform me so
that i should delete your name from my mailing list.
A woman from Ghaziabad has accused RTI activist UP IPS Amitabh thakur
of Rape and that too in his own house with the help of his RTI
activist wife Nutan Thakur.
I came to know about this from today's newspaper, clips of which are attached.
From newspaper feed and my telephonic conversation with Nutan Thakur
in this matter, I think the incidence is not true and i feel its time
for RTI activists
to consolidate n fight it back with full might.
--
-Sincerely Yours,
Urvashi Sharma
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Saturday, January 17, 2015
Smile, that U R in UP; Litter,Smoke anywhere n rest assured U won’t be fined!
Find scanned copy of RTI papers by clicking the link below :
http://upcpri.blogspot.in/2015/01/smile-that-u-r-in-up-littersmoke.html
In UP, Be it Mayaraj or Akhileshraj, Not even a single case of fine for 'littering' or 'smoking' at public places reported in last 5 years putting a big question Mark on Success of Modi's 'Swacch Bharat Mission' in UP!: It is as if Laws are made only to keep them buried deep in official shelves.
Dear Friend,
Success of Narendra Modi's dream project 'Swach Bharat', proposed to be completed in the next five years upto 150th anniversary of Mahatma Gandhi in 2019, seems to be impossible in Uttar Pradesh, the largest populated state of India. .Yes I am saying this on the basis of a RTI reply from directorate of Local bodies of UP which states that in UP not even a single person has been fined for littering the Public Places in any of the districts of Uttar Pradesh in last 5 years. Its altogether a different thing that you n me might have seen signboards with cautions of penalties for littering public places Though cleanliness has direct relationship with well-being, we all know the reality as to how these public places are being littered all across UP.
Recently, Union Government has moved an amendment for a more stringent anti-smoking law with radical changes, including ban on sale of loose cigarettes, raising the minimum age of a person buying tobacco products to 21 years from existing 18, raising of fine to Rs 1,000 from Rs 200 on smoking in public places, increasing the maximum fine to Rs 1 lakh from the existing Rs 10,000 , Ban to employ, engage or use any person who is under 18 years of age in cultivation, processing, sale of tobacco or tobacco products and removal of designated smoking zones in hotels and restaurants .Yes, I am talking of Cigarettes and Other Tobacco Products (Prohibition of Advertisement and Regulation of Trade and Commerce, Production, Supply and Distribution) (Amendment) Bill 2015, which were put out by the health ministry on to seek suggestions from the public. But How far this new law shall be effective, can easily be gauged by a RTI reply from directorate of Local bodies
of UP which states that in UP not even a single person has been fined for smoking in Public Places in any of the districts of Uttar Pradesh in last 5 years.
http://upcpri.blogspot.in/2015/01/smile-that-u-r-in-up-littersmoke.html
In UP, Be it Mayaraj or Akhileshraj, Not even a single case of fine for 'littering' or 'smoking' at public places reported in last 5 years putting a big question Mark on Success of Modi's 'Swacch Bharat Mission' in UP!: It is as if Laws are made only to keep them buried deep in official shelves.
Dear Friend,
Success of Narendra Modi's dream project 'Swach Bharat', proposed to be completed in the next five years upto 150th anniversary of Mahatma Gandhi in 2019, seems to be impossible in Uttar Pradesh, the largest populated state of India. .Yes I am saying this on the basis of a RTI reply from directorate of Local bodies of UP which states that in UP not even a single person has been fined for littering the Public Places in any of the districts of Uttar Pradesh in last 5 years. Its altogether a different thing that you n me might have seen signboards with cautions of penalties for littering public places Though cleanliness has direct relationship with well-being, we all know the reality as to how these public places are being littered all across UP.
Recently, Union Government has moved an amendment for a more stringent anti-smoking law with radical changes, including ban on sale of loose cigarettes, raising the minimum age of a person buying tobacco products to 21 years from existing 18, raising of fine to Rs 1,000 from Rs 200 on smoking in public places, increasing the maximum fine to Rs 1 lakh from the existing Rs 10,000 , Ban to employ, engage or use any person who is under 18 years of age in cultivation, processing, sale of tobacco or tobacco products and removal of designated smoking zones in hotels and restaurants .Yes, I am talking of Cigarettes and Other Tobacco Products (Prohibition of Advertisement and Regulation of Trade and Commerce, Production, Supply and Distribution) (Amendment) Bill 2015, which were put out by the health ministry on to seek suggestions from the public. But How far this new law shall be effective, can easily be gauged by a RTI reply from directorate of Local bodies
of UP which states that in UP not even a single person has been fined for smoking in Public Places in any of the districts of Uttar Pradesh in last 5 years.
यूपी में हैं तो बेखौफ, वेफिक्र चाहें जहां गन्दगी करें या धूम्रपान; आपको दण्डित किये जाने का कोई चाँस नहीं !
Find scanned copy of RTI papers by clicking the link below :
http://upcpri.blogspot.in/2015/01/blog-post_17.html
यूपी में मायाराज हो या अखिलेशराज, पिछले पांच सालों में सार्वजनिक स्थलों पर 'गन्दगी करने' या 'धूम्रपान करने' के लिए दण्डित किये जाने का कोई भी मामला नहीं है दर्ज ! यूपी में नरेंद्र मोदी के 'स्वच्छ भारत अभियान' की सफलता की संभावनाओं पर प्रश्नचिन्ह् ! : क्या क़ानून महज बनाने और सरकारी अलमारियों में दफ़न करने की चीज मात्र हैं ?
प्रिय मित्र,
यूपी के स्थानीय निकाय निदेशालय द्वारा मेरी एक आरटीआई के जबाब से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान और केंद्र सरकार के धूम्रपान निरोधक कानून में संशोधन की कवायद के यूपी में सफल होने की संभावनाओं पर जबरदस्त जबरदस्त प्रश्नचिन्ह् लग रहा है l
जब यूपी में सरकार ने पिछले पांच सालों में सार्वजनिक स्थलों पर 'गन्दगी करने' के लिए दण्डित किये जाने का कोई भी मामला दर्ज ही नहीं किया है तो यूपी में नरेंद्र मोदी के 'स्वच्छ भारत अभियान' की सफलता की संभावना भी नगण्य ही है l
जब यूपी में सरकार ने धूम्रपान निरोधक कानून के तहत पिछले पांच सालों में सार्वजनिक स्थलों पर 'धूम्रपान करने' के लिए दण्डित किये जाने का कोई भी मामला दर्ज ही नहीं किया है तो इस संशोधन से भी किसी बदलाव की उम्मीद करना बेकार है l
मेरा सबाल यह है कि क्या क़ानून महज बनाने और सरकारी अलमारियों में दफ़न करने की चीज मात्र हैं ? क्या कभी हमारे नीति-नियंता इन कानूनों को लागू कराने के गम्भीरतापूर्वक प्रयास भी करेंगे या नयी घोषणाएं और महज कोरी भाषणवाजी ही होती रहेगी ?
http://upcpri.blogspot.in/2015/01/blog-post_17.html
यूपी में मायाराज हो या अखिलेशराज, पिछले पांच सालों में सार्वजनिक स्थलों पर 'गन्दगी करने' या 'धूम्रपान करने' के लिए दण्डित किये जाने का कोई भी मामला नहीं है दर्ज ! यूपी में नरेंद्र मोदी के 'स्वच्छ भारत अभियान' की सफलता की संभावनाओं पर प्रश्नचिन्ह् ! : क्या क़ानून महज बनाने और सरकारी अलमारियों में दफ़न करने की चीज मात्र हैं ?
प्रिय मित्र,
यूपी के स्थानीय निकाय निदेशालय द्वारा मेरी एक आरटीआई के जबाब से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान और केंद्र सरकार के धूम्रपान निरोधक कानून में संशोधन की कवायद के यूपी में सफल होने की संभावनाओं पर जबरदस्त जबरदस्त प्रश्नचिन्ह् लग रहा है l
जब यूपी में सरकार ने पिछले पांच सालों में सार्वजनिक स्थलों पर 'गन्दगी करने' के लिए दण्डित किये जाने का कोई भी मामला दर्ज ही नहीं किया है तो यूपी में नरेंद्र मोदी के 'स्वच्छ भारत अभियान' की सफलता की संभावना भी नगण्य ही है l
जब यूपी में सरकार ने धूम्रपान निरोधक कानून के तहत पिछले पांच सालों में सार्वजनिक स्थलों पर 'धूम्रपान करने' के लिए दण्डित किये जाने का कोई भी मामला दर्ज ही नहीं किया है तो इस संशोधन से भी किसी बदलाव की उम्मीद करना बेकार है l
मेरा सबाल यह है कि क्या क़ानून महज बनाने और सरकारी अलमारियों में दफ़न करने की चीज मात्र हैं ? क्या कभी हमारे नीति-नियंता इन कानूनों को लागू कराने के गम्भीरतापूर्वक प्रयास भी करेंगे या नयी घोषणाएं और महज कोरी भाषणवाजी ही होती रहेगी ?
Smile, that U R in UP; Litter,Smoke anywhere n rest assured U won’t be fined!
Dear friend,
In UP, Be it Mayaraj or Akhileshraj, Not even a single case of fine
for 'littering' or 'smoking' at public places reported in last 5 years
putting a big question Mark on Success of Modi's 'Swacch Bharat
Mission' in UP!: It is as if Laws are made only to keep them buried
deep in official shelves.
Dear Friend,
Success of Narendra Modi's dream project 'Swach Bharat', proposed to
be completed in the next five years upto 150th anniversary of Mahatma
Gandhi in 2019, seems to be impossible in Uttar Pradesh, the largest
populated state of India. .Yes I am saying this on the basis of a RTI
reply from directorate of Local bodies of UP which states that in UP
not even a single person has been fined for littering the Public
Places in any of the districts of Uttar Pradesh in last 5 years. Its
altogether a different thing that you n me might have seen signboards
with cautions of penalties for littering public places Though
cleanliness has direct relationship with well-being, we all know the
reality as to how these public places are being littered all across
UP.
Recently, Union Government has moved an amendment for a more
stringent anti-smoking law with radical changes, including ban on sale
of loose cigarettes, raising the minimum age of a person buying
tobacco products to 21 years from existing 18, raising of fine to Rs
1,000 from Rs 200 on smoking in public places, increasing the maximum
fine to Rs 1 lakh from the existing Rs 10,000 , Ban to employ, engage
or use any person who is under 18 years of age in cultivation,
processing, sale of tobacco or tobacco products and removal of
designated smoking zones in hotels and restaurants .Yes, I am talking
of Cigarettes and Other Tobacco Products (Prohibition of Advertisement
and Regulation of Trade and Commerce, Production, Supply and
Distribution) (Amendment) Bill 2015, which were put out by the health
ministry on to seek suggestions from the public. But How far this new
law shall be effective, can easily be gauged by a RTI reply from
directorate of Local bodies of UP which states that in UP not even a
single person has been fined for smoking in Public Places in any of
the districts of Uttar Pradesh in last 5 years.
Scanned copies of RTI are attached.
--
-Sincerely Yours,
Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption 9455553838
http://upcpri.blogspot.in/
Note : if you don't want to receive mails from me,kindly inform me so
that i should delete your name from my mailing list.
In UP, Be it Mayaraj or Akhileshraj, Not even a single case of fine
for 'littering' or 'smoking' at public places reported in last 5 years
putting a big question Mark on Success of Modi's 'Swacch Bharat
Mission' in UP!: It is as if Laws are made only to keep them buried
deep in official shelves.
Dear Friend,
Success of Narendra Modi's dream project 'Swach Bharat', proposed to
be completed in the next five years upto 150th anniversary of Mahatma
Gandhi in 2019, seems to be impossible in Uttar Pradesh, the largest
populated state of India. .Yes I am saying this on the basis of a RTI
reply from directorate of Local bodies of UP which states that in UP
not even a single person has been fined for littering the Public
Places in any of the districts of Uttar Pradesh in last 5 years. Its
altogether a different thing that you n me might have seen signboards
with cautions of penalties for littering public places Though
cleanliness has direct relationship with well-being, we all know the
reality as to how these public places are being littered all across
UP.
Recently, Union Government has moved an amendment for a more
stringent anti-smoking law with radical changes, including ban on sale
of loose cigarettes, raising the minimum age of a person buying
tobacco products to 21 years from existing 18, raising of fine to Rs
1,000 from Rs 200 on smoking in public places, increasing the maximum
fine to Rs 1 lakh from the existing Rs 10,000 , Ban to employ, engage
or use any person who is under 18 years of age in cultivation,
processing, sale of tobacco or tobacco products and removal of
designated smoking zones in hotels and restaurants .Yes, I am talking
of Cigarettes and Other Tobacco Products (Prohibition of Advertisement
and Regulation of Trade and Commerce, Production, Supply and
Distribution) (Amendment) Bill 2015, which were put out by the health
ministry on to seek suggestions from the public. But How far this new
law shall be effective, can easily be gauged by a RTI reply from
directorate of Local bodies of UP which states that in UP not even a
single person has been fined for smoking in Public Places in any of
the districts of Uttar Pradesh in last 5 years.
Scanned copies of RTI are attached.
--
-Sincerely Yours,
Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
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यूपी में हैं तो बेखौफ, वेफिक्र चाहें जहां गन्दगी करें या धूम्रपान; आपको दण्डित किये जाने का कोई चाँस नहीं !
यूपी में मायाराज हो या अखिलेशराज, पिछले पांच सालों में सार्वजनिक
स्थलों पर 'गन्दगी करने' या 'धूम्रपान करने' के लिए दण्डित किये जाने का
कोई भी मामला नहीं है दर्ज ! यूपी में नरेंद्र मोदी के 'स्वच्छ भारत
अभियान' की सफलता की संभावनाओं पर प्रश्नचिन्ह् ! : क्या क़ानून महज
बनाने और सरकारी अलमारियों में दफ़न करने की चीज मात्र हैं ?
प्रिय मित्र,
यूपी के स्थानीय निकाय निदेशालय द्वारा मेरी एक आरटीआई के जबाब से
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान और केंद्र सरकार के
धूम्रपान निरोधक कानून में संशोधन की कवायद के यूपी में सफल होने की
संभावनाओं पर जबरदस्त जबरदस्त प्रश्नचिन्ह् लग रहा है l
जब यूपी में सरकार ने पिछले पांच सालों में सार्वजनिक स्थलों पर 'गन्दगी
करने' के लिए दण्डित किये जाने का कोई भी मामला दर्ज ही नहीं किया है
तो यूपी में नरेंद्र मोदी के 'स्वच्छ भारत अभियान' की सफलता की संभावना
भी नगण्य ही है l
जब यूपी में सरकार ने धूम्रपान निरोधक कानून के तहत पिछले पांच सालों में
सार्वजनिक स्थलों पर 'धूम्रपान करने' के लिए दण्डित किये जाने का कोई भी
मामला दर्ज ही नहीं किया है तो इस संशोधन से भी किसी बदलाव की
उम्मीद करना बेकार है l
मेरा सबाल यह है कि क्या क़ानून महज बनाने और सरकारी अलमारियों में दफ़न
करने की चीज मात्र हैं ? क्या कभी हमारे नीति-नियंता इन कानूनों को लागू
कराने के गम्भीरतापूर्वक प्रयास भी करेंगे या नयी घोषणाएं और महज
कोरी भाषणवाजी ही होती रहेगी ?
--
-Sincerely Yours,
Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption 9455553838
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Note : if you don't want to receive mails from me,kindly inform me so
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स्थलों पर 'गन्दगी करने' या 'धूम्रपान करने' के लिए दण्डित किये जाने का
कोई भी मामला नहीं है दर्ज ! यूपी में नरेंद्र मोदी के 'स्वच्छ भारत
अभियान' की सफलता की संभावनाओं पर प्रश्नचिन्ह् ! : क्या क़ानून महज
बनाने और सरकारी अलमारियों में दफ़न करने की चीज मात्र हैं ?
प्रिय मित्र,
यूपी के स्थानीय निकाय निदेशालय द्वारा मेरी एक आरटीआई के जबाब से
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान और केंद्र सरकार के
धूम्रपान निरोधक कानून में संशोधन की कवायद के यूपी में सफल होने की
संभावनाओं पर जबरदस्त जबरदस्त प्रश्नचिन्ह् लग रहा है l
जब यूपी में सरकार ने पिछले पांच सालों में सार्वजनिक स्थलों पर 'गन्दगी
करने' के लिए दण्डित किये जाने का कोई भी मामला दर्ज ही नहीं किया है
तो यूपी में नरेंद्र मोदी के 'स्वच्छ भारत अभियान' की सफलता की संभावना
भी नगण्य ही है l
जब यूपी में सरकार ने धूम्रपान निरोधक कानून के तहत पिछले पांच सालों में
सार्वजनिक स्थलों पर 'धूम्रपान करने' के लिए दण्डित किये जाने का कोई भी
मामला दर्ज ही नहीं किया है तो इस संशोधन से भी किसी बदलाव की
उम्मीद करना बेकार है l
मेरा सबाल यह है कि क्या क़ानून महज बनाने और सरकारी अलमारियों में दफ़न
करने की चीज मात्र हैं ? क्या कभी हमारे नीति-नियंता इन कानूनों को लागू
कराने के गम्भीरतापूर्वक प्रयास भी करेंगे या नयी घोषणाएं और महज
कोरी भाषणवाजी ही होती रहेगी ?
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Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
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Friday, January 16, 2015
यूपी के सामाजिक संगठन 'तहरीर' की शिकायत पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग करेगा तमिलनाडु सूचना आयुक्तों द्वारा आरटीआई एक्टिविस्ट को जेल भेजे जाने के मामले की जांच
NHRC registers case against TN Info-Commissioners in RTI activist's
alleged illegal arrest & custody/ UP based NGO TAHRIR has raised this
Complaint
Please find communication received from National Human Rights
Commission ( NHRC ) and TAHRIR's appeal sent to NHRC at below-given
link:
http://tahririndia.blogspot.in/2015/01/nhrc-registers-case-against-tn-info.html
--
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Urvashi Sharma
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Complaint
Please find communication received from National Human Rights
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link:
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--
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NHRC registers case against TN Info-Commissioners in RTI activist’s alleged illegal arrest & custody/ UP based NGO TAHRIR has raised this Complaint
यूपी के सामाजिक संगठन 'तहरीर' की शिकायत पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
करेगा तमिलनाडु सूचना आयुक्तों द्वारा आरटीआई एक्टिविस्ट को जेल भेजे
जाने के मामले की जांच
Please find communication received from National Human Rights
Commission ( NHRC ) and TAHRIR's appeal sent to NHRC at below-given
link:
http://tahririndia.blogspot.in/2015/01/nhrc-registers-case-against-tn-info.html
--
-Sincerely Yours,
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करेगा तमिलनाडु सूचना आयुक्तों द्वारा आरटीआई एक्टिविस्ट को जेल भेजे
जाने के मामले की जांच
Please find communication received from National Human Rights
Commission ( NHRC ) and TAHRIR's appeal sent to NHRC at below-given
link:
http://tahririndia.blogspot.in/2015/01/nhrc-registers-case-against-tn-info.html
--
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Fw: NHRC registers case against TN Info-Commissioners in RTI activists alleged illegal arrest & custody/ UP based NGO TAHRIR has raised this Complaint : यूपी के सामाजिक संगठन 'तहरीर' की शिकायत पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग करेगा तमिलनाडु सूचना आयुक्तों द्वारा आरटीआई एक्टिविस्ट को जेल भेजे जाने के मामले की जांच
FYI
--- On Fri, 16/1/15, Sanjay Sharma <tahririndia@gmail.com> wrote:
> From: Sanjay Sharma <tahririndia@gmail.com>
> Subject: NHRC registers case against TN Info-Commissioners in RTI activists alleged illegal arrest & custody/ UP based NGO TAHRIR has raised this Complaint : यूपी के सामाजिक संगठन 'तहरीर' की शिकायत पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग करेगा तमिलनाडु सूचना आयुक्तों द्वारा आरटीआई एक्टिविस्ट को जेल भेजे जाने के मामले की जांच
> To: rtimahilamanchup@yahoo.co.in
> Date: Friday, 16 January, 2015, 7:49 PM
> NHRC registers case against TN
> Info-Commissioners in RTI activists
> alleged illegal arrest & custody/ UP based NGO TAHRIR
> has raised this
> Complaint : यूपी के सामाजिक
> संगठन 'तहरीर' की शिकायत
> पर राष्ट्रीय
> मानवाधिकार आयोग करेगा
> तमिलनाडु सूचना
> आयुक्तों द्वारा
> आरटीआई एक्टिविस्ट
> को जेल भेजे जाने के
> मामले की जांच
>
> Please find communication received from National Human
> Rights
> Commission ( NHRC ) and TAHRIR's appeal sent to NHRC at
> below-given
> link:
> http://tahririndia.blogspot.in/2015/01/nhrc-registers-case-against-tn-info.html
>
>
> --
> Sanjay Sharma سنجے شرما संजय
> शर्मा
> ( Founder & Chairman)
> Transparency, Accountability & Human Rights Initiative
> for Revolution
> ( TAHRIR )
> 101,Narain Tower,F Block, Rajajipuram
>
>
> Lucknow,Uttar Pradesh-226017
> Facebook : https://www.facebook.com/sanjay.sharma.tahrir
> Website :http://tahririndia.blogspot.in/
> E-mail : tahririndia@gmail.com
> Twitter Handle : @tahririndia
> Mobile : 9369613513
>
>
> TAHRIR ( Transparency, Accountability & Human Rights
> initiative for
> revolution ) is a Bareilly/Lucknow based Social
> Organization, working
> at grass-root level by taking up & solving issues
> related to
> strengthening transparency & accountability in public
> life and
> protection of Human Rights in
> India. तहरीर
> (पारदर्शिता, जवाबदेही
> और
> मानवाधिकार क्रांति के
> लिए पहल ) भारत में
> लोक जीवन में
> पारदर्शिता
> संवर्धन, जबाबदेही
> निर्धारण और आमजन के
> मानवाधिकारों के
> संरक्षण के
> हितार्थ जमीनी स्तर
> पर कार्यशील संस्था
> है l
>
--- On Fri, 16/1/15, Sanjay Sharma <tahririndia@gmail.com> wrote:
> From: Sanjay Sharma <tahririndia@gmail.com>
> Subject: NHRC registers case against TN Info-Commissioners in RTI activists alleged illegal arrest & custody/ UP based NGO TAHRIR has raised this Complaint : यूपी के सामाजिक संगठन 'तहरीर' की शिकायत पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग करेगा तमिलनाडु सूचना आयुक्तों द्वारा आरटीआई एक्टिविस्ट को जेल भेजे जाने के मामले की जांच
> To: rtimahilamanchup@yahoo.co.in
> Date: Friday, 16 January, 2015, 7:49 PM
> NHRC registers case against TN
> Info-Commissioners in RTI activists
> alleged illegal arrest & custody/ UP based NGO TAHRIR
> has raised this
> Complaint : यूपी के सामाजिक
> संगठन 'तहरीर' की शिकायत
> पर राष्ट्रीय
> मानवाधिकार आयोग करेगा
> तमिलनाडु सूचना
> आयुक्तों द्वारा
> आरटीआई एक्टिविस्ट
> को जेल भेजे जाने के
> मामले की जांच
>
> Please find communication received from National Human
> Rights
> Commission ( NHRC ) and TAHRIR's appeal sent to NHRC at
> below-given
> link:
> http://tahririndia.blogspot.in/2015/01/nhrc-registers-case-against-tn-info.html
>
>
> --
> Sanjay Sharma سنجے شرما संजय
> शर्मा
> ( Founder & Chairman)
> Transparency, Accountability & Human Rights Initiative
> for Revolution
> ( TAHRIR )
> 101,Narain Tower,F Block, Rajajipuram
>
>
> Lucknow,Uttar Pradesh-226017
> Facebook : https://www.facebook.com/sanjay.sharma.tahrir
> Website :http://tahririndia.blogspot.in/
> E-mail : tahririndia@gmail.com
> Twitter Handle : @tahririndia
> Mobile : 9369613513
>
>
> TAHRIR ( Transparency, Accountability & Human Rights
> initiative for
> revolution ) is a Bareilly/Lucknow based Social
> Organization, working
> at grass-root level by taking up & solving issues
> related to
> strengthening transparency & accountability in public
> life and
> protection of Human Rights in
> India. तहरीर
> (पारदर्शिता, जवाबदेही
> और
> मानवाधिकार क्रांति के
> लिए पहल ) भारत में
> लोक जीवन में
> पारदर्शिता
> संवर्धन, जबाबदेही
> निर्धारण और आमजन के
> मानवाधिकारों के
> संरक्षण के
> हितार्थ जमीनी स्तर
> पर कार्यशील संस्था
> है l
>
Tuesday, January 13, 2015
महिला अपराधों पर लगाम लगाने में अखिलेश सरकार नाकाम!
http://hindi.news18.com/news/uttar-pradesh/lucknow/akhilesh-government-failed-to-rein-in-female-crime-411671.html
न्यूज
#अखिलेश यादव #अपराध #महिला
महिला अपराधों पर लगाम लगाने में अखिलेश सरकार नाकाम!
ETV UP/Uttarakhand | Anurag Tripathi | Tue Jan 13, 2015 | 11:52 IST
#लखनऊ #उत्तर प्रदेश उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सूबे में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर तमाम कोशिशों में जुटे हुए हैं, लेकिन परिणाम इसके विपरीत हैं। अखिलेश सरकार के ढाई साल के कामकाज पर नजर डालें तो फिलहाल वह महिला सशक्तीकरण के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के अंतिम ढाई वर्षों के कामकाज से काफी पीछे हैं। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी
में यह तथ्य सामने आया है।
सामाजिक और आरटीआई कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा ने 15 सितंबर 2014 को उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग से सूचना के अधिकार के तहत अखिलेश राज के शुरुआती ढाई साल और मायावती के अंतिम ढाई वर्षों के दौरान महिला सुरक्षा को लेकर किए गए कामकाज की जानकारी मांगी थी। आयोग की तरफ से 17 दिसंबर 2014 को इसकी जानकारी दी गई, जिसमें काफी चौंकाने वाली बातें हैं।
उर्वशी शर्मा ने बताया, "महिला आयोग में मेरे द्वारा दायर एक आरटीआई से खुलासा हुआ है कि मायावती के नेतृत्व बाली बहुजन समाज पार्टी सरकार के मुकाबले अखिलेश के नेतृत्व वाली समाजवादी सरकार में महिला आयोग में दर्ज शिकायतों में 42 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि मामलों के निस्तारण में 45 फीसदी की कमी आई है।"
उन्होंने बताया कि मायाराज में महिला आयोग में दर्ज शिकायतों के निस्तारण की दर 85 फीसदी थी जो अखिलेश के समय में घटकर महज 33 प्रतिशत रह गई है। महिला आयोग में लंबित मामलों में 557 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उर्वशी की मानें तो ये सभी आंकड़े मायावती के अंतिम ढाई वर्ष के कार्यकाल और अखिलेश के आरंभिक ढाई वर्ष के कार्यकाल के हैं।
महिला अपराधों पर लगाम लगाने में अखिलेश सरकार नाकाम!
उन्होंने बताया कि महिला आयोग के आंकड़े बताते हैं कि मायावती के अंतिम ढाई वर्ष के कार्यकाल (15 सितंबर 2009 से 14 मार्च 2012) में महिला आयोग के पास महिला उत्पीड़न के 55301 मामले पंहुचे जो अखिलेश के आरंभिक ढाई वर्ष के कार्यकाल (15 मार्च 2012 से 14 सितंबर 2014) में बढ़कर 78483 हो गए।
मायावती राज के अंतिम ढाई वर्ष में महिला आयोग द्वारा महिला उत्पीड़न के 47319 मामले निस्तारित हुए जो अखिलेश के आरंभिक ढाई वर्ष के कार्यकाल (15 मार्च 2012 से 14 सितंबर 2014) में घटकर 26007 रह गए। उर्वशी ने बताया कि हैरानी की बात है कि वित्तवर्ष 2014-15 में 16 दिसंबर तक राज्य महिला आयोग गैर वेतन मद में प्राप्त 1 करोड़ रुपये में से 40 लाख से भी कम राशि ही खर्च कर पाया है।
वह कहती हैं, "इन आंकड़ों से उप्र पुलिस की महिलाओं को सुरक्षा न्याय दे पाने में विफलता भी सामने आ रही है, क्योंकि कोई भी महिला पुलिस से निराश होने पर ही महिला आयोग का दरवाजा खटखटाती है। महिला आयोग की अकर्मण्यता का तो हाल ये है कि 25 सदस्यीय महिला आयोग वित्तवर्ष 2014-15 के 71 फीसदी समय में गैर वेतन मद का महज 40 प्रतिशत ही खर्च कर पाया है।
मुख्यमंत्री अखिलेश भले ही सैफई महोत्सव में भरे मंच से महिला सशक्तीकरण की बात करें, कैबिनेट में राज्य महिला सशक्तीकरण मिशन के लिए प्रावधान को मंजूरी दें, रानी लक्ष्मीबाई सम्मान कोष की स्थापना करें या महिला हेल्पलाइन की बात करें, लेकिन राज्य महिला आयोग के आंकड़ों को यदि सच माना जाए तो महिलाओं के सम्मान को सुरक्षित रखने, महिलाओं के विरुद्ध अपराधों पर लगाम लगाने और
पीड़ित महिलाओं को मदद मुहैया कराने में उतने सफल नहीं हो पाए हैं।
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#अखिलेश यादव #अपराध #महिला
महिला अपराधों पर लगाम लगाने में अखिलेश सरकार नाकाम!
ETV UP/Uttarakhand | Anurag Tripathi | Tue Jan 13, 2015 | 11:52 IST
#लखनऊ #उत्तर प्रदेश उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सूबे में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर तमाम कोशिशों में जुटे हुए हैं, लेकिन परिणाम इसके विपरीत हैं। अखिलेश सरकार के ढाई साल के कामकाज पर नजर डालें तो फिलहाल वह महिला सशक्तीकरण के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के अंतिम ढाई वर्षों के कामकाज से काफी पीछे हैं। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी
में यह तथ्य सामने आया है।
सामाजिक और आरटीआई कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा ने 15 सितंबर 2014 को उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग से सूचना के अधिकार के तहत अखिलेश राज के शुरुआती ढाई साल और मायावती के अंतिम ढाई वर्षों के दौरान महिला सुरक्षा को लेकर किए गए कामकाज की जानकारी मांगी थी। आयोग की तरफ से 17 दिसंबर 2014 को इसकी जानकारी दी गई, जिसमें काफी चौंकाने वाली बातें हैं।
उर्वशी शर्मा ने बताया, "महिला आयोग में मेरे द्वारा दायर एक आरटीआई से खुलासा हुआ है कि मायावती के नेतृत्व बाली बहुजन समाज पार्टी सरकार के मुकाबले अखिलेश के नेतृत्व वाली समाजवादी सरकार में महिला आयोग में दर्ज शिकायतों में 42 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि मामलों के निस्तारण में 45 फीसदी की कमी आई है।"
उन्होंने बताया कि मायाराज में महिला आयोग में दर्ज शिकायतों के निस्तारण की दर 85 फीसदी थी जो अखिलेश के समय में घटकर महज 33 प्रतिशत रह गई है। महिला आयोग में लंबित मामलों में 557 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उर्वशी की मानें तो ये सभी आंकड़े मायावती के अंतिम ढाई वर्ष के कार्यकाल और अखिलेश के आरंभिक ढाई वर्ष के कार्यकाल के हैं।
महिला अपराधों पर लगाम लगाने में अखिलेश सरकार नाकाम!
उन्होंने बताया कि महिला आयोग के आंकड़े बताते हैं कि मायावती के अंतिम ढाई वर्ष के कार्यकाल (15 सितंबर 2009 से 14 मार्च 2012) में महिला आयोग के पास महिला उत्पीड़न के 55301 मामले पंहुचे जो अखिलेश के आरंभिक ढाई वर्ष के कार्यकाल (15 मार्च 2012 से 14 सितंबर 2014) में बढ़कर 78483 हो गए।
मायावती राज के अंतिम ढाई वर्ष में महिला आयोग द्वारा महिला उत्पीड़न के 47319 मामले निस्तारित हुए जो अखिलेश के आरंभिक ढाई वर्ष के कार्यकाल (15 मार्च 2012 से 14 सितंबर 2014) में घटकर 26007 रह गए। उर्वशी ने बताया कि हैरानी की बात है कि वित्तवर्ष 2014-15 में 16 दिसंबर तक राज्य महिला आयोग गैर वेतन मद में प्राप्त 1 करोड़ रुपये में से 40 लाख से भी कम राशि ही खर्च कर पाया है।
वह कहती हैं, "इन आंकड़ों से उप्र पुलिस की महिलाओं को सुरक्षा न्याय दे पाने में विफलता भी सामने आ रही है, क्योंकि कोई भी महिला पुलिस से निराश होने पर ही महिला आयोग का दरवाजा खटखटाती है। महिला आयोग की अकर्मण्यता का तो हाल ये है कि 25 सदस्यीय महिला आयोग वित्तवर्ष 2014-15 के 71 फीसदी समय में गैर वेतन मद का महज 40 प्रतिशत ही खर्च कर पाया है।
मुख्यमंत्री अखिलेश भले ही सैफई महोत्सव में भरे मंच से महिला सशक्तीकरण की बात करें, कैबिनेट में राज्य महिला सशक्तीकरण मिशन के लिए प्रावधान को मंजूरी दें, रानी लक्ष्मीबाई सम्मान कोष की स्थापना करें या महिला हेल्पलाइन की बात करें, लेकिन राज्य महिला आयोग के आंकड़ों को यदि सच माना जाए तो महिलाओं के सम्मान को सुरक्षित रखने, महिलाओं के विरुद्ध अपराधों पर लगाम लगाने और
पीड़ित महिलाओं को मदद मुहैया कराने में उतने सफल नहीं हो पाए हैं।
देश भर के सूचना आयोगों में आरटीआई आवेदकों के मानवाधिकार हनन के विरुद्ध आवाज उठाते उत्तर प्रदेश के समाजसेवी
देश भर के सूचना आयोगों में आरटीआई आवेदकों के मानवाधिकार हनन के विरुद्ध आवाज उठाते उत्तर प्रदेश के समाजसेवी : Pls. read/download समाचारपत्रों से कुछ खबरें at given link
http://upcpri.blogspot.co.uk/2015/01/l_13.html
http://upcpri.blogspot.co.uk/2015/01/l_13.html
In solidarity with Siva Elango, UP RTI activists up in arms in a demonstration against incidents of violations of Human Rights of RTI users by various info-commissions all across the nation
In solidarity with Siva Elango, UP RTI activists up in arms in a demonstration against incidents of violations of Human Rights of RTI users by various info-commissions all across the nation :Pls. download/read News-clips at given link
http://upcpri.blogspot.co.uk/2015/01/in-solidarity-with-siva-elango-up-rti.html
http://upcpri.blogspot.co.uk/2015/01/in-solidarity-with-siva-elango-up-rti.html
Sunday, January 11, 2015
UP RTI activists demonstrate with chair in solidarity with protests across the nation over harassment of RTI users by Information Commissioners
Please download pics of the event by clicking under-given web-link
http://tahririndia.blogspot.in/2015/01/l-ll.html
1- सूचना आयुक्तों होश में आओ, होश में आओ, होश में आओ l
हमारी 'कुर्सी' हमें दिलाओ, हमें दिलाओ, हमें दिलाओ ll
2- नौकर बैठे मालिक देखे, नहीं चलेगा नहीं चलेगा l
3- बंद करो यह अत्याचार, 'कुर्सी' की है अब दरकार l
Lucknow. 11/01/2015. यह बानगी है उन नारों की जो यूपी की
राजधानी लखनऊ में लगाते हुए आरटीआई कार्यकर्ताओं ने सूचना आयोगों में
सुनवाई के दौरान सूचनार्थियों को कुर्सी पर बैठाना सुनिश्चित कराने की
मांग समेत अन्य मांगों के लिए 'कुर्सी के साथ'हुंकार भरी l
तमिलनाडु में एक आरटीआई कार्यकर्ता के द्वारा कुर्सी मांगने पर सूचना
आयुक्तों द्वारा आरटीआई कार्यकर्ता को जेल भेजने के मामले से आक्रोशित
उत्तर प्रदेश के आरटीआई कार्यकर्ताओं ने आज लखनऊ के हज़रतगंज जीपीओ के
निकट महात्मा गांधी पार्क में 'कुर्सी' के साथ' धरना देकर देश भर के
सूचना आयोगों समेत सभी न्यायिक और अर्द्ध-न्यायिक प्रतिष्ठानों की
सुनवाइयों में सभी पक्षों को कुर्सी पर बैठाकर सुनवाई करने की मांग के
साथ देश के राष्ट्रपति, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और देश
के सभी प्रदेशों के राज्यपालों को 11 सूत्रीय मांगो से सम्बंधित एक
ज्ञापन प्रेषित किया l
धरने में समाजसेवी नवीन तिवारी,उर्वशी शर्मा,संजय शर्मा,देवीदत्त
पाण्डेय,अशोक कुमार गोयल,हयात कादरी,राम स्वरुप यादव,सूरज प्रसाद,केदार
नाथ सैनी,ज्ञानेश पाण्डेय,होमेन्द्र कुमार,मीना पाण्डेय, तुलसी बल्लभ
गुप्ता,रोहित कुमार और अनामिका पोरवाल ने देश के आरटीआई एक्टिविस्टों
के मानवाधिकारों के संरक्षण के पक्ष में अपनी आवाज बुलंद की l
मानवाधिकार संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत सामाजिक संगठन 'तहरीर' के
संस्थापक संजय शर्मा ने बताया कि सूचना आयुक्तों द्वारा की जा रही
सुनवाइयों में सूचना मांगने बालों को खड़ा रहने को वाध्य करना सूचना
मांगने बालों के मानवाधिकारों का हनन है l सूचना आयुक्तों को सामंतवादी
मानसिकता का शिकार बताते हुए संजय ने कहा कि चाटुकारिता के चलते उच्च पद
पा गए सूचना आयुक्त शायद यह भूल रहे हैं कि देश में लोकशाही है जिसमे
जनता राजा है और सूचना आयुक्त जनता के सेवक मात्र हैं l
कार्यकर्ताओं ने धरने में लोकतंत्र समर्थक नारे लगाते हुए सूचना आयुक्तों
के विरुद्ध लंबित शिकायतों का निपटारा तीन माह में करने, सूचना आयुक्तों
के पद-ग्रहण से पूर्व उनको आरटीआई एक्ट और मानवाधिकारों सम्बन्धी
प्रशिक्षण अनिवार्य करने, सूचना मांगने बालों के खिलाफ शिकायत आने पर
उनके लंबित आरटीआई प्रकरणों को भी जांचों में शामिल करने समेत 11सूत्रीय
मांगो से सम्बंधित एक ज्ञापन राष्ट्रपति, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के
अध्यक्ष और देश के सभी प्रदेशों के राज्यपालों को प्रेषित किया l धरने
की समन्वयक संस्था द्वारा एक ज्ञापन राज्यपाल कार्यालय में प्राप्त भी
कराया गया l
संजय ने बताया कि वे देश के सभी प्रदेशों के आरटीआई और मानवाधिकार
कार्यकर्ताओं के संपर्क में हैं और यदि 3 माह में उनकी मांगें नहीं मानी
गयीं तो इस सम्बन्ध में शीघ्र ही देशव्यापी आंदोलन चलाया जायेगा l
धरने के बाद धरने की समन्वयक संस्था द्वारा एक ज्ञापन राज्यपाल कार्यालय
में प्राप्त कराया गया जिसकी स्कैन्ड कॉपी भी अपलोड की जा रही है l धरने
के कुछ फोटो भी अपलोड किये जा रहे हैं l
राष्ट्रपति, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और देश के सभी
प्रदेशों के राज्यपालों को प्रेषित किया जाने बाला ज्ञापन निम्नानुसार
है :
Letter No. : TAHRIR/2014-15/150111-32
Date : 11-01-2015
To,
1) The President of India,Rashtrapati Bhavan,New Delhi - 110 004
,Phone: 011 23015321
2) The Chairman,National Human Rights Commission,ManavAdhikarBhawan,
Block-C, GPO Complex, INA,New Delhi – 110 023
3) Governor of Andhra Pradesh , Raj Bhawan, Raj Bhawan Road,
Hyderabad,500041 governor@ap.nic.in
4) Governor of Arunachal Pradesh Governor Secretariat
5) Governor of Assam, Raj Bhawan, Kharguli,Guwahati,781004
6) Governor of Bihar, Governor House, B. G. Camp,Patna,800022
governorbihar@nic.in
7) Governor of Chhattisgarh, Raj Bhawan,Raipur
8) Governor of Goa, Raj Niwas, Dona Paula,404004 governor@rajbhavangoa.org
9) Governor of Gujarat, Raj Bhavan ,Gandhinagar,382020
10) Governor of Haryana, Haryana Raj Bhawan,Chandigarh
11) Governor of Himachal Pradesh, Barnes Court, Raj Bhawan,Shimla,171002
12) Governor of Jammu And Kashmir, Raj Bhawan Srinagar,Kashmir,180001
nnvohra@nic.in
13) Governor of Jharkhand, Raj Bhawan, Kanke Road,Ranchi
14) Governor of Karnataka, Raj Bhavan,Banglore,560001
rajbhavan.karnataka@gmail.com
15) Governor of Kerala, keralagovernor@gmail.com
16) Raj Bhawan,Thiruvaanantpuram,695099
17) Governor of Madhya Pradesh, Raj Bhavan,Bhopal
18) Governor of Maharashtra, Raj Bhawan, Malabar Hill Mumbai,400035
rajbhavan@maharashtra.gov.in
19) Governor of Manipur, Raj Bhawan Imphal,795001
20) Governor of Meghalaya, Raj Bhawan,Shilong,793001
21) Governor of Mizoram, Raj Bhawan, Aizawl,Aizawl,796001
22) Governor of Odisha, Governor's House,Bhubanesewar govodisha@nic.in
23) Governor of Nagaland, Raj Bhawan,Kohima
24) Governor of Punjab, Punjab Raj Bhawan/6, Chandigarh
25) Governor of Rajasthan, Raj Bhawan, Civil Lines,Jaipur,302005
26) Governor of Sikkim, Raj Bhawan,Gangtok,737103 governor-skm@nic.in
27) Governor of Tamil Nadu, Raj Bhawan,Chennai,600022
28) Governor of Telangana, Raj Bhawan, Raj Bhawan Road,Hyderabad,500041
29) Governor of Tripura, Raj Bhawan (Pushbanta Palace),Agartala,799066
30) Governor of Uttar Pradesh, Raj Bhawan (Governor
House)Lucknow,226027 hgovup@gov.in
31) Governor of West Bengal, Raj Bhawan,Kolkata,700062
32) Governor of Uttarakhand, Rajbhawan,Dehradun,248003
33)
34)
Sir/Madam,
TAHRIR ( Transparency, Accountability & Human Rights initiative for
revolution ) is a Bareilly/Lucknow based Social Organization, working
at grass-root level by taking up & solving issues related to
strengthening transparency & accountability in public life and
protection of Human Rights in India.
We are now writing to express our grave concern over incidents of
misbehavior with RTI users at the hands of Information commissioners
in various information commissions of India. A RTI users is a Human
Right Defenders ( HRDs).In all the cases of violations of human rights
of RTI users in the premises of Info-commissions, the information
commissioners are the Perpetrators. The Paris Principles are also not
followed in all matters relating to the CIC & SICs in the country when
they are actually Human Rights Institutions [HRIs] also and need to
adhere by the Paris Principles.
We are shocked by recent arrest of RTI activist Siva Elango in
Tamilnadu. Activists across the country have their experiences of
inhumane behavior by info-commissioners. UPSIC has long been harassing
RTI applicants and we have no hesitation to say that the
info-commissioners, who were perceived as the custodian of RTI act
have now started strangling the RTI Act. Like many other
info-commissions, UPSIC too has neglected the basic right of
activists to sit during a hearing. Previously IC Arvind Singh Bisht
sent Senior Citizen RTI activist Ashok Kumar Goyal to jail and very
recently same IC misbehaved with another Senior Citizen RTI activist
named Mahendra Agarwal. Activists in Uttar Pradesh are now scared to
appear in appeal proceedings in commissions as they may lodge cases
against them.
We feel that today the only jobs these commissions are performing are
to reject RTI applications and demoralize RTI applicants by harassing
them as the commissions allow government officials to sit during the
hearings, but they insist RTI applicants to stand till the proceedings
ends to demoralize them. The commissions are going easy on public
information officers (PIOs) who delay and deny information. Though the
commissions should impose a penalty of up to Rs 25,000 on a PIO for
failing to furnish information within 30 days and for deliberately
providing incorrect, incomplete and misleading information but they
are seldom doing it.No words can be strong enough to deprecate the
practice of making the parties to the proceedings stand like beggars,
especially when In Namit Sharma Case, the Apex Court has ruled that
Information Commissions are NOT judicial or quasi-judicial bodies.
There is lack of understanding of RTI Act by Info-commissions. Though
Sec 18 [3] gives Info-commissioners the status equal to a District
Judge who could exercise powers under Code of Civil Procedure 1908
[Order XVI] [Summoning & Attendance of Witnesses] but
info-commissioners had only power of a District Judge but they are not
a "Judge". So they have to exercise their authority / power through
authorities [Administration/Police]. Job of Information Commissioners
is only to ensure the petitioners get Information within time-frame
and nothing else.
We, therefore urge you to immediately take necessary steps to ensure that :
All judicial, quasi-judicial bodies and all commissions in the country
should offer a chair during proceedings.
i. All pending complaints of misbehavior/ misconduct and abuse of
authority against Information Commissioners be disposed-off on merits
within 3 months and all Info-commissioner, proved guilty be
immediately dismissed.
ii. All the appointments at info-commissions across the country be
made in a transparent manner while ensuring that persons of real
eminence, intact integrity and of Humane mindset are sent there for
working.
iii. All cases of harassment of RTI users, reported till now, be
probed immediately thorough transparent, effective and impartial
investigation.
iv. Rights of RTI activists who are also human rights defenders be
upheld including their right to associate, assembly, peacefully
protest, criticize and free expression – all of which have generally
been denied in all the cases reported so far.
v. Before registering the cases of the allegations against RTI users,
motive between the RTI user & the Information Commission and record of
pending applications of RTI user at info-commission be first taken
into account.
vi. All annual reports of the Info-commissions are made ready and
produced before the Parliament/ State Legislatures.
vii. Training on provisions of RTI act be mandatorily provided by
DoPT GOI New Delhi & State governments to all info-commissioners
before their taking the charge.
viii. NHRC & SHRCs are made to mandatorily undertake a special
training sessions for all Chairpersons and Members of all the CIC &
State Information Commissions.
ix. That the Judicial Academies be made to undertake a special
training on the rights of human rights defenders to all members of the
police & judiciary and to ensure that all police officers & judicial
officers are made to adhere strictly the law of arrest and judicial
remand as directed by the Criminal Procedure Code and the judgements
of the Hon'ble SC.
x. Local district officials puts an end to all acts of harassment
against all RTI Activists and all human rights defenders in general to
ensure that in all circumstances they carry out their activities
without any hindrances.
xi. Conform with the provisions of the UN Declaration on Human Rights
Defenders, adopted by the General Assembly of the United Nations on
December 9, 1998, especially Article 1, which states that "everyone
has the right, individually and in association with others, to promote
and to strive for the protection and realization of human rights and
fundamental freedoms at the national and international levels",Article
12.2, which provides that ""the State shall take all necessary
measures to ensure the protection by the competent authorities of
everyone, individually and in association with others, against any
violence, threats, retaliation, de facto or de jure adverse
discrimination, pressure or any other arbitrary action as a
consequence of his or her legitimate exercise of the rights referred
to in the present Declaration" and More generally, ensure in all
circumstances the respect for human rights and fundamental freedoms in
accordance with in accordance with the Universal Declaration of Human
Rights and with international human rights instruments ratified by
India is strictly adhered to in India .
Looking forward to your immediate action in this regard,
Sincerely yours,
Sanjay Sharma سنجے شرما संजय शर्मा
( Founder & Chairman)
Transparency, Accountability & Human Rights Initiative for Revolution
( TAHRIR )
101,Narain Tower,F Block, Rajajipuram
Lucknow,Uttar Pradesh-226017
Facebook : https://www.facebook.com/sanjay.sharma.tahrir
Website :http://tahririndia.blogspot.in/
E-mail : tahririndia@gmail.com
Twitter Handle : @tahririndia
Mobile : 9369613513
http://tahririndia.blogspot.in/2015/01/l-ll.html
1- सूचना आयुक्तों होश में आओ, होश में आओ, होश में आओ l
हमारी 'कुर्सी' हमें दिलाओ, हमें दिलाओ, हमें दिलाओ ll
2- नौकर बैठे मालिक देखे, नहीं चलेगा नहीं चलेगा l
3- बंद करो यह अत्याचार, 'कुर्सी' की है अब दरकार l
Lucknow. 11/01/2015. यह बानगी है उन नारों की जो यूपी की
राजधानी लखनऊ में लगाते हुए आरटीआई कार्यकर्ताओं ने सूचना आयोगों में
सुनवाई के दौरान सूचनार्थियों को कुर्सी पर बैठाना सुनिश्चित कराने की
मांग समेत अन्य मांगों के लिए 'कुर्सी के साथ'हुंकार भरी l
तमिलनाडु में एक आरटीआई कार्यकर्ता के द्वारा कुर्सी मांगने पर सूचना
आयुक्तों द्वारा आरटीआई कार्यकर्ता को जेल भेजने के मामले से आक्रोशित
उत्तर प्रदेश के आरटीआई कार्यकर्ताओं ने आज लखनऊ के हज़रतगंज जीपीओ के
निकट महात्मा गांधी पार्क में 'कुर्सी' के साथ' धरना देकर देश भर के
सूचना आयोगों समेत सभी न्यायिक और अर्द्ध-न्यायिक प्रतिष्ठानों की
सुनवाइयों में सभी पक्षों को कुर्सी पर बैठाकर सुनवाई करने की मांग के
साथ देश के राष्ट्रपति, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और देश
के सभी प्रदेशों के राज्यपालों को 11 सूत्रीय मांगो से सम्बंधित एक
ज्ञापन प्रेषित किया l
धरने में समाजसेवी नवीन तिवारी,उर्वशी शर्मा,संजय शर्मा,देवीदत्त
पाण्डेय,अशोक कुमार गोयल,हयात कादरी,राम स्वरुप यादव,सूरज प्रसाद,केदार
नाथ सैनी,ज्ञानेश पाण्डेय,होमेन्द्र कुमार,मीना पाण्डेय, तुलसी बल्लभ
गुप्ता,रोहित कुमार और अनामिका पोरवाल ने देश के आरटीआई एक्टिविस्टों
के मानवाधिकारों के संरक्षण के पक्ष में अपनी आवाज बुलंद की l
मानवाधिकार संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत सामाजिक संगठन 'तहरीर' के
संस्थापक संजय शर्मा ने बताया कि सूचना आयुक्तों द्वारा की जा रही
सुनवाइयों में सूचना मांगने बालों को खड़ा रहने को वाध्य करना सूचना
मांगने बालों के मानवाधिकारों का हनन है l सूचना आयुक्तों को सामंतवादी
मानसिकता का शिकार बताते हुए संजय ने कहा कि चाटुकारिता के चलते उच्च पद
पा गए सूचना आयुक्त शायद यह भूल रहे हैं कि देश में लोकशाही है जिसमे
जनता राजा है और सूचना आयुक्त जनता के सेवक मात्र हैं l
कार्यकर्ताओं ने धरने में लोकतंत्र समर्थक नारे लगाते हुए सूचना आयुक्तों
के विरुद्ध लंबित शिकायतों का निपटारा तीन माह में करने, सूचना आयुक्तों
के पद-ग्रहण से पूर्व उनको आरटीआई एक्ट और मानवाधिकारों सम्बन्धी
प्रशिक्षण अनिवार्य करने, सूचना मांगने बालों के खिलाफ शिकायत आने पर
उनके लंबित आरटीआई प्रकरणों को भी जांचों में शामिल करने समेत 11सूत्रीय
मांगो से सम्बंधित एक ज्ञापन राष्ट्रपति, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के
अध्यक्ष और देश के सभी प्रदेशों के राज्यपालों को प्रेषित किया l धरने
की समन्वयक संस्था द्वारा एक ज्ञापन राज्यपाल कार्यालय में प्राप्त भी
कराया गया l
संजय ने बताया कि वे देश के सभी प्रदेशों के आरटीआई और मानवाधिकार
कार्यकर्ताओं के संपर्क में हैं और यदि 3 माह में उनकी मांगें नहीं मानी
गयीं तो इस सम्बन्ध में शीघ्र ही देशव्यापी आंदोलन चलाया जायेगा l
धरने के बाद धरने की समन्वयक संस्था द्वारा एक ज्ञापन राज्यपाल कार्यालय
में प्राप्त कराया गया जिसकी स्कैन्ड कॉपी भी अपलोड की जा रही है l धरने
के कुछ फोटो भी अपलोड किये जा रहे हैं l
राष्ट्रपति, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और देश के सभी
प्रदेशों के राज्यपालों को प्रेषित किया जाने बाला ज्ञापन निम्नानुसार
है :
Letter No. : TAHRIR/2014-15/150111-32
Date : 11-01-2015
To,
1) The President of India,Rashtrapati Bhavan,New Delhi - 110 004
,Phone: 011 23015321
2) The Chairman,National Human Rights Commission,ManavAdhikarBhawan,
Block-C, GPO Complex, INA,New Delhi – 110 023
3) Governor of Andhra Pradesh , Raj Bhawan, Raj Bhawan Road,
Hyderabad,500041 governor@ap.nic.in
4) Governor of Arunachal Pradesh Governor Secretariat
5) Governor of Assam, Raj Bhawan, Kharguli,Guwahati,781004
6) Governor of Bihar, Governor House, B. G. Camp,Patna,800022
governorbihar@nic.in
7) Governor of Chhattisgarh, Raj Bhawan,Raipur
8) Governor of Goa, Raj Niwas, Dona Paula,404004 governor@rajbhavangoa.org
9) Governor of Gujarat, Raj Bhavan ,Gandhinagar,382020
10) Governor of Haryana, Haryana Raj Bhawan,Chandigarh
11) Governor of Himachal Pradesh, Barnes Court, Raj Bhawan,Shimla,171002
12) Governor of Jammu And Kashmir, Raj Bhawan Srinagar,Kashmir,180001
nnvohra@nic.in
13) Governor of Jharkhand, Raj Bhawan, Kanke Road,Ranchi
14) Governor of Karnataka, Raj Bhavan,Banglore,560001
rajbhavan.karnataka@gmail.com
15) Governor of Kerala, keralagovernor@gmail.com
16) Raj Bhawan,Thiruvaanantpuram,695099
17) Governor of Madhya Pradesh, Raj Bhavan,Bhopal
18) Governor of Maharashtra, Raj Bhawan, Malabar Hill Mumbai,400035
rajbhavan@maharashtra.gov.in
19) Governor of Manipur, Raj Bhawan Imphal,795001
20) Governor of Meghalaya, Raj Bhawan,Shilong,793001
21) Governor of Mizoram, Raj Bhawan, Aizawl,Aizawl,796001
22) Governor of Odisha, Governor's House,Bhubanesewar govodisha@nic.in
23) Governor of Nagaland, Raj Bhawan,Kohima
24) Governor of Punjab, Punjab Raj Bhawan/6, Chandigarh
25) Governor of Rajasthan, Raj Bhawan, Civil Lines,Jaipur,302005
26) Governor of Sikkim, Raj Bhawan,Gangtok,737103 governor-skm@nic.in
27) Governor of Tamil Nadu, Raj Bhawan,Chennai,600022
28) Governor of Telangana, Raj Bhawan, Raj Bhawan Road,Hyderabad,500041
29) Governor of Tripura, Raj Bhawan (Pushbanta Palace),Agartala,799066
30) Governor of Uttar Pradesh, Raj Bhawan (Governor
House)Lucknow,226027 hgovup@gov.in
31) Governor of West Bengal, Raj Bhawan,Kolkata,700062
32) Governor of Uttarakhand, Rajbhawan,Dehradun,248003
33)
34)
Sir/Madam,
TAHRIR ( Transparency, Accountability & Human Rights initiative for
revolution ) is a Bareilly/Lucknow based Social Organization, working
at grass-root level by taking up & solving issues related to
strengthening transparency & accountability in public life and
protection of Human Rights in India.
We are now writing to express our grave concern over incidents of
misbehavior with RTI users at the hands of Information commissioners
in various information commissions of India. A RTI users is a Human
Right Defenders ( HRDs).In all the cases of violations of human rights
of RTI users in the premises of Info-commissions, the information
commissioners are the Perpetrators. The Paris Principles are also not
followed in all matters relating to the CIC & SICs in the country when
they are actually Human Rights Institutions [HRIs] also and need to
adhere by the Paris Principles.
We are shocked by recent arrest of RTI activist Siva Elango in
Tamilnadu. Activists across the country have their experiences of
inhumane behavior by info-commissioners. UPSIC has long been harassing
RTI applicants and we have no hesitation to say that the
info-commissioners, who were perceived as the custodian of RTI act
have now started strangling the RTI Act. Like many other
info-commissions, UPSIC too has neglected the basic right of
activists to sit during a hearing. Previously IC Arvind Singh Bisht
sent Senior Citizen RTI activist Ashok Kumar Goyal to jail and very
recently same IC misbehaved with another Senior Citizen RTI activist
named Mahendra Agarwal. Activists in Uttar Pradesh are now scared to
appear in appeal proceedings in commissions as they may lodge cases
against them.
We feel that today the only jobs these commissions are performing are
to reject RTI applications and demoralize RTI applicants by harassing
them as the commissions allow government officials to sit during the
hearings, but they insist RTI applicants to stand till the proceedings
ends to demoralize them. The commissions are going easy on public
information officers (PIOs) who delay and deny information. Though the
commissions should impose a penalty of up to Rs 25,000 on a PIO for
failing to furnish information within 30 days and for deliberately
providing incorrect, incomplete and misleading information but they
are seldom doing it.No words can be strong enough to deprecate the
practice of making the parties to the proceedings stand like beggars,
especially when In Namit Sharma Case, the Apex Court has ruled that
Information Commissions are NOT judicial or quasi-judicial bodies.
There is lack of understanding of RTI Act by Info-commissions. Though
Sec 18 [3] gives Info-commissioners the status equal to a District
Judge who could exercise powers under Code of Civil Procedure 1908
[Order XVI] [Summoning & Attendance of Witnesses] but
info-commissioners had only power of a District Judge but they are not
a "Judge". So they have to exercise their authority / power through
authorities [Administration/Police]. Job of Information Commissioners
is only to ensure the petitioners get Information within time-frame
and nothing else.
We, therefore urge you to immediately take necessary steps to ensure that :
All judicial, quasi-judicial bodies and all commissions in the country
should offer a chair during proceedings.
i. All pending complaints of misbehavior/ misconduct and abuse of
authority against Information Commissioners be disposed-off on merits
within 3 months and all Info-commissioner, proved guilty be
immediately dismissed.
ii. All the appointments at info-commissions across the country be
made in a transparent manner while ensuring that persons of real
eminence, intact integrity and of Humane mindset are sent there for
working.
iii. All cases of harassment of RTI users, reported till now, be
probed immediately thorough transparent, effective and impartial
investigation.
iv. Rights of RTI activists who are also human rights defenders be
upheld including their right to associate, assembly, peacefully
protest, criticize and free expression – all of which have generally
been denied in all the cases reported so far.
v. Before registering the cases of the allegations against RTI users,
motive between the RTI user & the Information Commission and record of
pending applications of RTI user at info-commission be first taken
into account.
vi. All annual reports of the Info-commissions are made ready and
produced before the Parliament/ State Legislatures.
vii. Training on provisions of RTI act be mandatorily provided by
DoPT GOI New Delhi & State governments to all info-commissioners
before their taking the charge.
viii. NHRC & SHRCs are made to mandatorily undertake a special
training sessions for all Chairpersons and Members of all the CIC &
State Information Commissions.
ix. That the Judicial Academies be made to undertake a special
training on the rights of human rights defenders to all members of the
police & judiciary and to ensure that all police officers & judicial
officers are made to adhere strictly the law of arrest and judicial
remand as directed by the Criminal Procedure Code and the judgements
of the Hon'ble SC.
x. Local district officials puts an end to all acts of harassment
against all RTI Activists and all human rights defenders in general to
ensure that in all circumstances they carry out their activities
without any hindrances.
xi. Conform with the provisions of the UN Declaration on Human Rights
Defenders, adopted by the General Assembly of the United Nations on
December 9, 1998, especially Article 1, which states that "everyone
has the right, individually and in association with others, to promote
and to strive for the protection and realization of human rights and
fundamental freedoms at the national and international levels",Article
12.2, which provides that ""the State shall take all necessary
measures to ensure the protection by the competent authorities of
everyone, individually and in association with others, against any
violence, threats, retaliation, de facto or de jure adverse
discrimination, pressure or any other arbitrary action as a
consequence of his or her legitimate exercise of the rights referred
to in the present Declaration" and More generally, ensure in all
circumstances the respect for human rights and fundamental freedoms in
accordance with in accordance with the Universal Declaration of Human
Rights and with international human rights instruments ratified by
India is strictly adhered to in India .
Looking forward to your immediate action in this regard,
Sincerely yours,
Sanjay Sharma سنجے شرما संजय शर्मा
( Founder & Chairman)
Transparency, Accountability & Human Rights Initiative for Revolution
( TAHRIR )
101,Narain Tower,F Block, Rajajipuram
Lucknow,Uttar Pradesh-226017
Facebook : https://www.facebook.com/sanjay.sharma.tahrir
Website :http://tahririndia.blogspot.in/
E-mail : tahririndia@gmail.com
Twitter Handle : @tahririndia
Mobile : 9369613513
UP RTI activists demonstrate with chair in solidarity with protests across the nation over harassment of RTI users by Information Commissioners
Please download pics of the event by clicking under-given web-link
http://tahririndia.blogspot.in/2015/01/l-ll.html
1- सूचना आयुक्तों होश में आओ, होश में आओ, होश में आओ l
हमारी 'कुर्सी' हमें दिलाओ, हमें दिलाओ, हमें दिलाओ ll
2- नौकर बैठे मालिक देखे, नहीं चलेगा नहीं चलेगा l
3- बंद करो यह अत्याचार, 'कुर्सी' की है अब दरकार l
Lucknow. 11/01/2015. यह बानगी है उन नारों की जो यूपी की
राजधानी लखनऊ में लगाते हुए आरटीआई कार्यकर्ताओं ने सूचना आयोगों में
सुनवाई के दौरान सूचनार्थियों को कुर्सी पर बैठाना सुनिश्चित कराने की
मांग समेत अन्य मांगों के लिए 'कुर्सी के साथ'हुंकार भरी l
तमिलनाडु में एक आरटीआई कार्यकर्ता के द्वारा कुर्सी मांगने पर सूचना
आयुक्तों द्वारा आरटीआई कार्यकर्ता को जेल भेजने के मामले से आक्रोशित
उत्तर प्रदेश के आरटीआई कार्यकर्ताओं ने आज लखनऊ के हज़रतगंज जीपीओ के
निकट महात्मा गांधी पार्क में 'कुर्सी' के साथ' धरना देकर देश भर के
सूचना आयोगों समेत सभी न्यायिक और अर्द्ध-न्यायिक प्रतिष्ठानों की
सुनवाइयों में सभी पक्षों को कुर्सी पर बैठाकर सुनवाई करने की मांग के
साथ देश के राष्ट्रपति, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और देश
के सभी प्रदेशों के राज्यपालों को 11 सूत्रीय मांगो से सम्बंधित एक
ज्ञापन प्रेषित किया l
धरने में समाजसेवी नवीन तिवारी,उर्वशी शर्मा,संजय शर्मा,देवीदत्त
पाण्डेय,अशोक कुमार गोयल,हयात कादरी,राम स्वरुप यादव,सूरज प्रसाद,केदार
नाथ सैनी,ज्ञानेश पाण्डेय,होमेन्द्र कुमार,मीना पाण्डेय, तुलसी बल्लभ
गुप्ता,रोहित कुमार और अनामिका पोरवाल ने देश के आरटीआई एक्टिविस्टों
के मानवाधिकारों के संरक्षण के पक्ष में अपनी आवाज बुलंद की l
मानवाधिकार संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत सामाजिक संगठन 'तहरीर' के
संस्थापक संजय शर्मा ने बताया कि सूचना आयुक्तों द्वारा की जा रही
सुनवाइयों में सूचना मांगने बालों को खड़ा रहने को वाध्य करना सूचना
मांगने बालों के मानवाधिकारों का हनन है l सूचना आयुक्तों को सामंतवादी
मानसिकता का शिकार बताते हुए संजय ने कहा कि चाटुकारिता के चलते उच्च पद
पा गए सूचना आयुक्त शायद यह भूल रहे हैं कि देश में लोकशाही है जिसमे
जनता राजा है और सूचना आयुक्त जनता के सेवक मात्र हैं l
कार्यकर्ताओं ने धरने में लोकतंत्र समर्थक नारे लगाते हुए सूचना आयुक्तों
के विरुद्ध लंबित शिकायतों का निपटारा तीन माह में करने, सूचना आयुक्तों
के पद-ग्रहण से पूर्व उनको आरटीआई एक्ट और मानवाधिकारों सम्बन्धी
प्रशिक्षण अनिवार्य करने, सूचना मांगने बालों के खिलाफ शिकायत आने पर
उनके लंबित आरटीआई प्रकरणों को भी जांचों में शामिल करने समेत 11सूत्रीय
मांगो से सम्बंधित एक ज्ञापन राष्ट्रपति, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के
अध्यक्ष और देश के सभी प्रदेशों के राज्यपालों को प्रेषित किया l धरने
की समन्वयक संस्था द्वारा एक ज्ञापन राज्यपाल कार्यालय में प्राप्त भी
कराया गया l
संजय ने बताया कि वे देश के सभी प्रदेशों के आरटीआई और मानवाधिकार
कार्यकर्ताओं के संपर्क में हैं और यदि 3 माह में उनकी मांगें नहीं मानी
गयीं तो इस सम्बन्ध में शीघ्र ही देशव्यापी आंदोलन चलाया जायेगा l
धरने के बाद धरने की समन्वयक संस्था द्वारा एक ज्ञापन राज्यपाल कार्यालय
में प्राप्त कराया गया जिसकी स्कैन्ड कॉपी भी अपलोड की जा रही है l धरने
के कुछ फोटो भी अपलोड किये जा रहे हैं l
राष्ट्रपति, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और देश के सभी
प्रदेशों के राज्यपालों को प्रेषित किया जाने बाला ज्ञापन निम्नानुसार
है :
Letter No. : TAHRIR/2014-15/150111-32
Date : 11-01-2015
To,
1) The President of India,Rashtrapati Bhavan,New Delhi - 110 004
,Phone: 011 23015321
2) The Chairman,National Human Rights Commission,ManavAdhikarBhawan,
Block-C, GPO Complex, INA,New Delhi – 110 023
3) Governor of Andhra Pradesh , Raj Bhawan, Raj Bhawan Road,
Hyderabad,500041 governor@ap.nic.in
4) Governor of Arunachal Pradesh Governor Secretariat
5) Governor of Assam, Raj Bhawan, Kharguli,Guwahati,781004
6) Governor of Bihar, Governor House, B. G. Camp,Patna,800022
governorbihar@nic.in
7) Governor of Chhattisgarh, Raj Bhawan,Raipur
8) Governor of Goa, Raj Niwas, Dona Paula,404004 governor@rajbhavangoa.org
9) Governor of Gujarat, Raj Bhavan ,Gandhinagar,382020
10) Governor of Haryana, Haryana Raj Bhawan,Chandigarh
11) Governor of Himachal Pradesh, Barnes Court, Raj Bhawan,Shimla,171002
12) Governor of Jammu And Kashmir, Raj Bhawan Srinagar,Kashmir,180001
nnvohra@nic.in
13) Governor of Jharkhand, Raj Bhawan, Kanke Road,Ranchi
14) Governor of Karnataka, Raj Bhavan,Banglore,560001
rajbhavan.karnataka@gmail.com
15) Governor of Kerala, keralagovernor@gmail.com
16) Raj Bhawan,Thiruvaanantpuram,695099
17) Governor of Madhya Pradesh, Raj Bhavan,Bhopal
18) Governor of Maharashtra, Raj Bhawan, Malabar Hill Mumbai,400035
rajbhavan@maharashtra.gov.in
19) Governor of Manipur, Raj Bhawan Imphal,795001
20) Governor of Meghalaya, Raj Bhawan,Shilong,793001
21) Governor of Mizoram, Raj Bhawan, Aizawl,Aizawl,796001
22) Governor of Odisha, Governor's House,Bhubanesewar govodisha@nic.in
23) Governor of Nagaland, Raj Bhawan,Kohima
24) Governor of Punjab, Punjab Raj Bhawan/6, Chandigarh
25) Governor of Rajasthan, Raj Bhawan, Civil Lines,Jaipur,302005
26) Governor of Sikkim, Raj Bhawan,Gangtok,737103 governor-skm@nic.in
27) Governor of Tamil Nadu, Raj Bhawan,Chennai,600022
28) Governor of Telangana, Raj Bhawan, Raj Bhawan Road,Hyderabad,500041
29) Governor of Tripura, Raj Bhawan (Pushbanta Palace),Agartala,799066
30) Governor of Uttar Pradesh, Raj Bhawan (Governor
House)Lucknow,226027 hgovup@gov.in
31) Governor of West Bengal, Raj Bhawan,Kolkata,700062
32) Governor of Uttarakhand, Rajbhawan,Dehradun,248003
33)
34)
Sir/Madam,
TAHRIR ( Transparency, Accountability & Human Rights initiative for
revolution ) is a Bareilly/Lucknow based Social Organization, working
at grass-root level by taking up & solving issues related to
strengthening transparency & accountability in public life and
protection of Human Rights in India.
We are now writing to express our grave concern over incidents of
misbehavior with RTI users at the hands of Information commissioners
in various information commissions of India. A RTI users is a Human
Right Defenders ( HRDs).In all the cases of violations of human rights
of RTI users in the premises of Info-commissions, the information
commissioners are the Perpetrators. The Paris Principles are also not
followed in all matters relating to the CIC & SICs in the country when
they are actually Human Rights Institutions [HRIs] also and need to
adhere by the Paris Principles.
We are shocked by recent arrest of RTI activist Siva Elango in
Tamilnadu. Activists across the country have their experiences of
inhumane behavior by info-commissioners. UPSIC has long been harassing
RTI applicants and we have no hesitation to say that the
info-commissioners, who were perceived as the custodian of RTI act
have now started strangling the RTI Act. Like many other
info-commissions, UPSIC too has neglected the basic right of
activists to sit during a hearing. Previously IC Arvind Singh Bisht
sent Senior Citizen RTI activist Ashok Kumar Goyal to jail and very
recently same IC misbehaved with another Senior Citizen RTI activist
named Mahendra Agarwal. Activists in Uttar Pradesh are now scared to
appear in appeal proceedings in commissions as they may lodge cases
against them.
We feel that today the only jobs these commissions are performing are
to reject RTI applications and demoralize RTI applicants by harassing
them as the commissions allow government officials to sit during the
hearings, but they insist RTI applicants to stand till the proceedings
ends to demoralize them. The commissions are going easy on public
information officers (PIOs) who delay and deny information. Though the
commissions should impose a penalty of up to Rs 25,000 on a PIO for
failing to furnish information within 30 days and for deliberately
providing incorrect, incomplete and misleading information but they
are seldom doing it.No words can be strong enough to deprecate the
practice of making the parties to the proceedings stand like beggars,
especially when In Namit Sharma Case, the Apex Court has ruled that
Information Commissions are NOT judicial or quasi-judicial bodies.
There is lack of understanding of RTI Act by Info-commissions. Though
Sec 18 [3] gives Info-commissioners the status equal to a District
Judge who could exercise powers under Code of Civil Procedure 1908
[Order XVI] [Summoning & Attendance of Witnesses] but
info-commissioners had only power of a District Judge but they are not
a "Judge". So they have to exercise their authority / power through
authorities [Administration/Police]. Job of Information Commissioners
is only to ensure the petitioners get Information within time-frame
and nothing else.
We, therefore urge you to immediately take necessary steps to ensure that :
All judicial, quasi-judicial bodies and all commissions in the country
should offer a chair during proceedings.
i. All pending complaints of misbehavior/ misconduct and abuse of
authority against Information Commissioners be disposed-off on merits
within 3 months and all Info-commissioner, proved guilty be
immediately dismissed.
ii. All the appointments at info-commissions across the country be
made in a transparent manner while ensuring that persons of real
eminence, intact integrity and of Humane mindset are sent there for
working.
iii. All cases of harassment of RTI users, reported till now, be
probed immediately thorough transparent, effective and impartial
investigation.
iv. Rights of RTI activists who are also human rights defenders be
upheld including their right to associate, assembly, peacefully
protest, criticize and free expression – all of which have generally
been denied in all the cases reported so far.
v. Before registering the cases of the allegations against RTI users,
motive between the RTI user & the Information Commission and record of
pending applications of RTI user at info-commission be first taken
into account.
vi. All annual reports of the Info-commissions are made ready and
produced before the Parliament/ State Legislatures.
vii. Training on provisions of RTI act be mandatorily provided by
DoPT GOI New Delhi & State governments to all info-commissioners
before their taking the charge.
viii. NHRC & SHRCs are made to mandatorily undertake a special
training sessions for all Chairpersons and Members of all the CIC &
State Information Commissions.
ix. That the Judicial Academies be made to undertake a special
training on the rights of human rights defenders to all members of the
police & judiciary and to ensure that all police officers & judicial
officers are made to adhere strictly the law of arrest and judicial
remand as directed by the Criminal Procedure Code and the judgements
of the Hon'ble SC.
x. Local district officials puts an end to all acts of harassment
against all RTI Activists and all human rights defenders in general to
ensure that in all circumstances they carry out their activities
without any hindrances.
xi. Conform with the provisions of the UN Declaration on Human Rights
Defenders, adopted by the General Assembly of the United Nations on
December 9, 1998, especially Article 1, which states that "everyone
has the right, individually and in association with others, to promote
and to strive for the protection and realization of human rights and
fundamental freedoms at the national and international levels",Article
12.2, which provides that ""the State shall take all necessary
measures to ensure the protection by the competent authorities of
everyone, individually and in association with others, against any
violence, threats, retaliation, de facto or de jure adverse
discrimination, pressure or any other arbitrary action as a
consequence of his or her legitimate exercise of the rights referred
to in the present Declaration" and More generally, ensure in all
circumstances the respect for human rights and fundamental freedoms in
accordance with in accordance with the Universal Declaration of Human
Rights and with international human rights instruments ratified by
India is strictly adhered to in India .
Looking forward to your immediate action in this regard,
Sincerely yours,
Sanjay Sharma سنجے شرما संजय शर्मा
( Founder & Chairman)
Transparency, Accountability & Human Rights Initiative for Revolution
( TAHRIR )
101,Narain Tower,F Block, Rajajipuram
Lucknow,Uttar Pradesh-226017
Facebook : https://www.facebook.com/sanjay.sharma.tahrir
Website :http://tahririndia.blogspot.in/
E-mail : tahririndia@gmail.com
Twitter Handle : @tahririndia
Mobile : 9369613513
--
-Sincerely Yours,
Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption 9455553838
http://upcpri.blogspot.in/
Note : if you don't want to receive mails from me,kindly inform me so
that i should delete your name from my mailing list.
http://tahririndia.blogspot.in/2015/01/l-ll.html
1- सूचना आयुक्तों होश में आओ, होश में आओ, होश में आओ l
हमारी 'कुर्सी' हमें दिलाओ, हमें दिलाओ, हमें दिलाओ ll
2- नौकर बैठे मालिक देखे, नहीं चलेगा नहीं चलेगा l
3- बंद करो यह अत्याचार, 'कुर्सी' की है अब दरकार l
Lucknow. 11/01/2015. यह बानगी है उन नारों की जो यूपी की
राजधानी लखनऊ में लगाते हुए आरटीआई कार्यकर्ताओं ने सूचना आयोगों में
सुनवाई के दौरान सूचनार्थियों को कुर्सी पर बैठाना सुनिश्चित कराने की
मांग समेत अन्य मांगों के लिए 'कुर्सी के साथ'हुंकार भरी l
तमिलनाडु में एक आरटीआई कार्यकर्ता के द्वारा कुर्सी मांगने पर सूचना
आयुक्तों द्वारा आरटीआई कार्यकर्ता को जेल भेजने के मामले से आक्रोशित
उत्तर प्रदेश के आरटीआई कार्यकर्ताओं ने आज लखनऊ के हज़रतगंज जीपीओ के
निकट महात्मा गांधी पार्क में 'कुर्सी' के साथ' धरना देकर देश भर के
सूचना आयोगों समेत सभी न्यायिक और अर्द्ध-न्यायिक प्रतिष्ठानों की
सुनवाइयों में सभी पक्षों को कुर्सी पर बैठाकर सुनवाई करने की मांग के
साथ देश के राष्ट्रपति, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और देश
के सभी प्रदेशों के राज्यपालों को 11 सूत्रीय मांगो से सम्बंधित एक
ज्ञापन प्रेषित किया l
धरने में समाजसेवी नवीन तिवारी,उर्वशी शर्मा,संजय शर्मा,देवीदत्त
पाण्डेय,अशोक कुमार गोयल,हयात कादरी,राम स्वरुप यादव,सूरज प्रसाद,केदार
नाथ सैनी,ज्ञानेश पाण्डेय,होमेन्द्र कुमार,मीना पाण्डेय, तुलसी बल्लभ
गुप्ता,रोहित कुमार और अनामिका पोरवाल ने देश के आरटीआई एक्टिविस्टों
के मानवाधिकारों के संरक्षण के पक्ष में अपनी आवाज बुलंद की l
मानवाधिकार संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत सामाजिक संगठन 'तहरीर' के
संस्थापक संजय शर्मा ने बताया कि सूचना आयुक्तों द्वारा की जा रही
सुनवाइयों में सूचना मांगने बालों को खड़ा रहने को वाध्य करना सूचना
मांगने बालों के मानवाधिकारों का हनन है l सूचना आयुक्तों को सामंतवादी
मानसिकता का शिकार बताते हुए संजय ने कहा कि चाटुकारिता के चलते उच्च पद
पा गए सूचना आयुक्त शायद यह भूल रहे हैं कि देश में लोकशाही है जिसमे
जनता राजा है और सूचना आयुक्त जनता के सेवक मात्र हैं l
कार्यकर्ताओं ने धरने में लोकतंत्र समर्थक नारे लगाते हुए सूचना आयुक्तों
के विरुद्ध लंबित शिकायतों का निपटारा तीन माह में करने, सूचना आयुक्तों
के पद-ग्रहण से पूर्व उनको आरटीआई एक्ट और मानवाधिकारों सम्बन्धी
प्रशिक्षण अनिवार्य करने, सूचना मांगने बालों के खिलाफ शिकायत आने पर
उनके लंबित आरटीआई प्रकरणों को भी जांचों में शामिल करने समेत 11सूत्रीय
मांगो से सम्बंधित एक ज्ञापन राष्ट्रपति, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के
अध्यक्ष और देश के सभी प्रदेशों के राज्यपालों को प्रेषित किया l धरने
की समन्वयक संस्था द्वारा एक ज्ञापन राज्यपाल कार्यालय में प्राप्त भी
कराया गया l
संजय ने बताया कि वे देश के सभी प्रदेशों के आरटीआई और मानवाधिकार
कार्यकर्ताओं के संपर्क में हैं और यदि 3 माह में उनकी मांगें नहीं मानी
गयीं तो इस सम्बन्ध में शीघ्र ही देशव्यापी आंदोलन चलाया जायेगा l
धरने के बाद धरने की समन्वयक संस्था द्वारा एक ज्ञापन राज्यपाल कार्यालय
में प्राप्त कराया गया जिसकी स्कैन्ड कॉपी भी अपलोड की जा रही है l धरने
के कुछ फोटो भी अपलोड किये जा रहे हैं l
राष्ट्रपति, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और देश के सभी
प्रदेशों के राज्यपालों को प्रेषित किया जाने बाला ज्ञापन निम्नानुसार
है :
Letter No. : TAHRIR/2014-15/150111-32
Date : 11-01-2015
To,
1) The President of India,Rashtrapati Bhavan,New Delhi - 110 004
,Phone: 011 23015321
2) The Chairman,National Human Rights Commission,ManavAdhikarBhawan,
Block-C, GPO Complex, INA,New Delhi – 110 023
3) Governor of Andhra Pradesh , Raj Bhawan, Raj Bhawan Road,
Hyderabad,500041 governor@ap.nic.in
4) Governor of Arunachal Pradesh Governor Secretariat
5) Governor of Assam, Raj Bhawan, Kharguli,Guwahati,781004
6) Governor of Bihar, Governor House, B. G. Camp,Patna,800022
governorbihar@nic.in
7) Governor of Chhattisgarh, Raj Bhawan,Raipur
8) Governor of Goa, Raj Niwas, Dona Paula,404004 governor@rajbhavangoa.org
9) Governor of Gujarat, Raj Bhavan ,Gandhinagar,382020
10) Governor of Haryana, Haryana Raj Bhawan,Chandigarh
11) Governor of Himachal Pradesh, Barnes Court, Raj Bhawan,Shimla,171002
12) Governor of Jammu And Kashmir, Raj Bhawan Srinagar,Kashmir,180001
nnvohra@nic.in
13) Governor of Jharkhand, Raj Bhawan, Kanke Road,Ranchi
14) Governor of Karnataka, Raj Bhavan,Banglore,560001
rajbhavan.karnataka@gmail.com
15) Governor of Kerala, keralagovernor@gmail.com
16) Raj Bhawan,Thiruvaanantpuram,695099
17) Governor of Madhya Pradesh, Raj Bhavan,Bhopal
18) Governor of Maharashtra, Raj Bhawan, Malabar Hill Mumbai,400035
rajbhavan@maharashtra.gov.in
19) Governor of Manipur, Raj Bhawan Imphal,795001
20) Governor of Meghalaya, Raj Bhawan,Shilong,793001
21) Governor of Mizoram, Raj Bhawan, Aizawl,Aizawl,796001
22) Governor of Odisha, Governor's House,Bhubanesewar govodisha@nic.in
23) Governor of Nagaland, Raj Bhawan,Kohima
24) Governor of Punjab, Punjab Raj Bhawan/6, Chandigarh
25) Governor of Rajasthan, Raj Bhawan, Civil Lines,Jaipur,302005
26) Governor of Sikkim, Raj Bhawan,Gangtok,737103 governor-skm@nic.in
27) Governor of Tamil Nadu, Raj Bhawan,Chennai,600022
28) Governor of Telangana, Raj Bhawan, Raj Bhawan Road,Hyderabad,500041
29) Governor of Tripura, Raj Bhawan (Pushbanta Palace),Agartala,799066
30) Governor of Uttar Pradesh, Raj Bhawan (Governor
House)Lucknow,226027 hgovup@gov.in
31) Governor of West Bengal, Raj Bhawan,Kolkata,700062
32) Governor of Uttarakhand, Rajbhawan,Dehradun,248003
33)
34)
Sir/Madam,
TAHRIR ( Transparency, Accountability & Human Rights initiative for
revolution ) is a Bareilly/Lucknow based Social Organization, working
at grass-root level by taking up & solving issues related to
strengthening transparency & accountability in public life and
protection of Human Rights in India.
We are now writing to express our grave concern over incidents of
misbehavior with RTI users at the hands of Information commissioners
in various information commissions of India. A RTI users is a Human
Right Defenders ( HRDs).In all the cases of violations of human rights
of RTI users in the premises of Info-commissions, the information
commissioners are the Perpetrators. The Paris Principles are also not
followed in all matters relating to the CIC & SICs in the country when
they are actually Human Rights Institutions [HRIs] also and need to
adhere by the Paris Principles.
We are shocked by recent arrest of RTI activist Siva Elango in
Tamilnadu. Activists across the country have their experiences of
inhumane behavior by info-commissioners. UPSIC has long been harassing
RTI applicants and we have no hesitation to say that the
info-commissioners, who were perceived as the custodian of RTI act
have now started strangling the RTI Act. Like many other
info-commissions, UPSIC too has neglected the basic right of
activists to sit during a hearing. Previously IC Arvind Singh Bisht
sent Senior Citizen RTI activist Ashok Kumar Goyal to jail and very
recently same IC misbehaved with another Senior Citizen RTI activist
named Mahendra Agarwal. Activists in Uttar Pradesh are now scared to
appear in appeal proceedings in commissions as they may lodge cases
against them.
We feel that today the only jobs these commissions are performing are
to reject RTI applications and demoralize RTI applicants by harassing
them as the commissions allow government officials to sit during the
hearings, but they insist RTI applicants to stand till the proceedings
ends to demoralize them. The commissions are going easy on public
information officers (PIOs) who delay and deny information. Though the
commissions should impose a penalty of up to Rs 25,000 on a PIO for
failing to furnish information within 30 days and for deliberately
providing incorrect, incomplete and misleading information but they
are seldom doing it.No words can be strong enough to deprecate the
practice of making the parties to the proceedings stand like beggars,
especially when In Namit Sharma Case, the Apex Court has ruled that
Information Commissions are NOT judicial or quasi-judicial bodies.
There is lack of understanding of RTI Act by Info-commissions. Though
Sec 18 [3] gives Info-commissioners the status equal to a District
Judge who could exercise powers under Code of Civil Procedure 1908
[Order XVI] [Summoning & Attendance of Witnesses] but
info-commissioners had only power of a District Judge but they are not
a "Judge". So they have to exercise their authority / power through
authorities [Administration/Police]. Job of Information Commissioners
is only to ensure the petitioners get Information within time-frame
and nothing else.
We, therefore urge you to immediately take necessary steps to ensure that :
All judicial, quasi-judicial bodies and all commissions in the country
should offer a chair during proceedings.
i. All pending complaints of misbehavior/ misconduct and abuse of
authority against Information Commissioners be disposed-off on merits
within 3 months and all Info-commissioner, proved guilty be
immediately dismissed.
ii. All the appointments at info-commissions across the country be
made in a transparent manner while ensuring that persons of real
eminence, intact integrity and of Humane mindset are sent there for
working.
iii. All cases of harassment of RTI users, reported till now, be
probed immediately thorough transparent, effective and impartial
investigation.
iv. Rights of RTI activists who are also human rights defenders be
upheld including their right to associate, assembly, peacefully
protest, criticize and free expression – all of which have generally
been denied in all the cases reported so far.
v. Before registering the cases of the allegations against RTI users,
motive between the RTI user & the Information Commission and record of
pending applications of RTI user at info-commission be first taken
into account.
vi. All annual reports of the Info-commissions are made ready and
produced before the Parliament/ State Legislatures.
vii. Training on provisions of RTI act be mandatorily provided by
DoPT GOI New Delhi & State governments to all info-commissioners
before their taking the charge.
viii. NHRC & SHRCs are made to mandatorily undertake a special
training sessions for all Chairpersons and Members of all the CIC &
State Information Commissions.
ix. That the Judicial Academies be made to undertake a special
training on the rights of human rights defenders to all members of the
police & judiciary and to ensure that all police officers & judicial
officers are made to adhere strictly the law of arrest and judicial
remand as directed by the Criminal Procedure Code and the judgements
of the Hon'ble SC.
x. Local district officials puts an end to all acts of harassment
against all RTI Activists and all human rights defenders in general to
ensure that in all circumstances they carry out their activities
without any hindrances.
xi. Conform with the provisions of the UN Declaration on Human Rights
Defenders, adopted by the General Assembly of the United Nations on
December 9, 1998, especially Article 1, which states that "everyone
has the right, individually and in association with others, to promote
and to strive for the protection and realization of human rights and
fundamental freedoms at the national and international levels",Article
12.2, which provides that ""the State shall take all necessary
measures to ensure the protection by the competent authorities of
everyone, individually and in association with others, against any
violence, threats, retaliation, de facto or de jure adverse
discrimination, pressure or any other arbitrary action as a
consequence of his or her legitimate exercise of the rights referred
to in the present Declaration" and More generally, ensure in all
circumstances the respect for human rights and fundamental freedoms in
accordance with in accordance with the Universal Declaration of Human
Rights and with international human rights instruments ratified by
India is strictly adhered to in India .
Looking forward to your immediate action in this regard,
Sincerely yours,
Sanjay Sharma سنجے شرما संजय शर्मा
( Founder & Chairman)
Transparency, Accountability & Human Rights Initiative for Revolution
( TAHRIR )
101,Narain Tower,F Block, Rajajipuram
Lucknow,Uttar Pradesh-226017
Facebook : https://www.facebook.com/sanjay.sharma.tahrir
Website :http://tahririndia.blogspot.in/
E-mail : tahririndia@gmail.com
Twitter Handle : @tahririndia
Mobile : 9369613513
--
-Sincerely Yours,
Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption 9455553838
http://upcpri.blogspot.in/
Note : if you don't want to receive mails from me,kindly inform me so
that i should delete your name from my mailing list.
Saturday, January 10, 2015
'कुर्सी' के लिए’ 'कुर्सी' के साथ’ लखनऊ में धरना देंगे आरटीआई कार्यकर्ता l
Lucknow: Coming Sunday RTI activists shall stage a demonstration near the Uttar Pradesh State Information Commission (UPSIC) in Lucknow to protest against the arrest of RTI activist Siva Elango in Tamilnadu. Activists shall raise a demand that all judicial and quasi-judicial bodies in the country should offer a chair during proceedings. Members of various Social Organizations of Uttar Pradesh shall also participate in the protest against the inhumane act of arrest of Elango.
RTI activist Elango was arrested for taking a seat during a hearing before a two member bench of chief information commissioner K S Sripathi and commissioner S F Akbar of Tamil Nadu State Information Commission.
UPSIC has also been harassing RTI applicants and they are killing the RTI Act. UPSIC too, has even neglected the basic right of activists to sit during a hearing. Previously IC Arvind Singh Bisht sent Senior Citizen RTI activist Ashok Kumar Goyal to jail and.....................................
For more details pls. click
http://tahririndia.blogspot.in/2015/01/l_10.html
RTI activist Elango was arrested for taking a seat during a hearing before a two member bench of chief information commissioner K S Sripathi and commissioner S F Akbar of Tamil Nadu State Information Commission.
UPSIC has also been harassing RTI applicants and they are killing the RTI Act. UPSIC too, has even neglected the basic right of activists to sit during a hearing. Previously IC Arvind Singh Bisht sent Senior Citizen RTI activist Ashok Kumar Goyal to jail and.....................................
For more details pls. click
http://tahririndia.blogspot.in/2015/01/l_10.html
RTI activists up in arms ‘With Chairs’ ‘ For a CHAIR’.
Lucknow: Coming Sunday RTI activists shall stage a demonstration near the Uttar Pradesh State Information Commission (UPSIC) in Lucknow to protest against the arrest of RTI activist Siva Elango in Tamilnadu. Activists shall raise a demand that all judicial and quasi-judicial bodies in the country should offer a chair during proceedings. Members of various Social Organizations of Uttar Pradesh shall also participate in the protest against the inhumane act of arrest of Elango.
RTI activist Elango was arrested for taking a seat during a hearing before a two member bench of chief information commissioner K S Sripathi and commissioner S F Akbar of Tamil Nadu State Information Commission.
UPSIC has also been harassing RTI applicants and they are killing the RTI Act. UPSIC too, has even neglected the basic right of activists to sit during a hearing. Previously IC Arvind Singh Bisht sent Senior Citizen RTI activist Ashok Kumar Goyal to jail and...................................................
For details pls. click the link below
http://tahririndia.blogspot.in/2015/01/rti-activists-up-in-arms-with-chairs.html
RTI activist Elango was arrested for taking a seat during a hearing before a two member bench of chief information commissioner K S Sripathi and commissioner S F Akbar of Tamil Nadu State Information Commission.
UPSIC has also been harassing RTI applicants and they are killing the RTI Act. UPSIC too, has even neglected the basic right of activists to sit during a hearing. Previously IC Arvind Singh Bisht sent Senior Citizen RTI activist Ashok Kumar Goyal to jail and...................................................
For details pls. click the link below
http://tahririndia.blogspot.in/2015/01/rti-activists-up-in-arms-with-chairs.html
Friday, January 9, 2015
Urgent Appeal to United Nations Re. gross violation of Human Rights of a HRD ( RTI Activist ) by Tamilnadu (INDIA) info-commissioners
Urgent Appeal to United Nations Re. gross violation of Human Rights of a HRD ( RTI Activist ) by Tamilnadu (INDIA) info-commissioners .Please download appeal from given link
http://upcpri.blogspot.in/2015/01/urgent-appeal-re-gross-violation-of.html
http://upcpri.blogspot.in/2015/01/urgent-appeal-re-gross-violation-of.html
Urgent Appeal to United Nations Re. gross violation of Human Rights of a HRD ( RTI Activist ) by Tamilnadu (INDIA) info-commissioners
Urgent Appeal to United Nations Re. gross violation of Human Rights of
a HRD ( RTI Activist ) by Tamilnadu (INDIA) info-commissioners .Please
download appeal from given link
http://upcpri.blogspot.in/2015/01/urgent-appeal-re-gross-violation-of.html
--
-Sincerely Yours,
Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption 9455553838
http://upcpri.blogspot.in/
Note : if you don't want to receive mails from me,kindly inform me so
that i should delete your name from my mailing list.
a HRD ( RTI Activist ) by Tamilnadu (INDIA) info-commissioners .Please
download appeal from given link
http://upcpri.blogspot.in/2015/01/urgent-appeal-re-gross-violation-of.html
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-Sincerely Yours,
Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
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