Saturday, April 30, 2016

यूपी के खराब सूचना आयुक्तों में मुलायम समधी अरविन्द बिष्ट पहली और पूर्व मुख्य सचिव जावेद उस्मानी दूसरी पायदान पर.




लखनऊ/30/04/16.... क्या आम आरटीआई आवेदक और क्या ख़ास आरटीआई एक्टिविस्ट, सभी यूपी के सूचना आयुक्तों के कार्य और व्यवहार से इस हद तक निराश हैं कि जब राजधानी लखनऊ की सामजिक संस्था येश्वर्याज सेवा संस्थान ने सूबे के सबसे खराब सूचना आयुक्त का पता लगाने के लिए एक सर्वे किया तो यूपी से सटे प्रदेश उत्तराखंड और यूपी के सुदूर जिलों से आये आक्रोशित लोगों ने संस्था द्वारा न मांगे जाने पर भी अपनी पीड़ा और गुस्से को शब्दों का रूप देते हुए सर्वे के फॉर्म पर अपने दिल की भावनाएं बेबाक अंदाज में व्यक्त कर दीं.जहाँ मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित समाजसेवी डा० संदीप पाण्डेय ने सभी सूचना आयुक्तों के कार्य व्यवहार को गलत बताते हुए सभी सूचना आयुक्तों द्वारा निराश किये जाने और सभी सूचना आयुक्तों की नियुक्तियां काबिलियत के आधार पर न होकर राजनैतिक कारणों से होने की बात कही तो वहीं लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर और विश्वविख्यात आरटीआई विशेषज्ञ डा0 नीरज कुमार सभी सूचना आयुक्तों के पास आरटीआई एक्ट का कोई भी ज्ञान न होने की बात कहने से अपने आप को रोक नहीं पाए. एक राष्ट्रीय सामाजिक संगठन के संस्थापक कमरुल हुदा ने अखिलेश सरकार द्वारा जावेद उस्मानी को पूर्व में मुख्य सचिव के पद से हटाने की बजह कार्य के प्रति लापरवाही बताते हुए ऐसे व्यक्ति से मुख्य सूचना आयुक्त की जिम्मेदारी बखूबी निभाने की आशा करने को बेमानी बताया और मतदाता जागरण संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा० शेख सिराज बाबा ने एक सूचना आयुक्त पर सबाल उठाते हुए लिखा (हाफिज) और मोमिन होने के बाबजूद कोई मुसलमान भ्रष्टाचार और झूंठ का पुलंदा अपनी बातों में बांधे उससे भ्रष्ट कोई भी आयुक्त हो ही नहीं सकता” . जहाँ हरिद्वार, उत्तराखंड से आये  मनोज कुमार ने मुख्य सूचना आयुक्त से सबाल किया कि अगर वे इमानदार हैं तो सुनवाई की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग क्यों नहीं करवाते तो वहीं फर्रुखाबाद से आये शिवनारायण श्रीवास्तव ने सूचना आयुक्तों पर लम्बी अवधि की तारीखें देकर अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिवादीगण को बचाने की बात लिखी. लखनऊ के पंकज मिश्र ने सभी सूचना आयुक्तों की कार्यप्रणाली को नियम विरुद्ध और असंतोषजनक बताकर तो वहीं अजय कुमार ने एक सूचना आयुक्त को सबसे भ्रष्ट कहते हुए अपनी भावनाएं व्यक्त कीं.


येश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव और सामाजिक कार्यकत्री उर्वशी शर्मा, आरटीआई कार्यकर्ता तनवीर अहमद सिद्दीकी, आरटीआई विधिक सलाहकार और उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ खंडपीठ के अधिवक्ता रुवैद कमाल किदवई और आरटीआई एक्सपर्ट आर.एस. यादव ने आज लखनऊ में एक प्रेस वार्ता को संयुक्त रूप से संबोधित करते हुए सर्वे के परिणाम सार्वजनिक किये. सर्वे के आधार पर सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के समधी सूचना आयुक्त अरविन्द सिंह बिष्ट को सूबे का सबसे खराब सूचना आयुक्त बताया गया है तो वहीं जन सूचना अधिकारियों द्वारा आरटीआई आवेदनों के निस्तारण में की जा रही हीलाहवाली आरटीआई एक्ट के क्रियान्वयन की सबसे बड़ी बाधा के रूप में सामने आयी है.




उर्वशी शर्मा ने बताया कि उत्तराखंड के हरिद्वार और उत्तर प्रदेश के आगरा,बहराइच,बरेली,बस्ती, देवरिया,इटावा, फर्रुखाबाद, फतेहपुर, गोंडा, जालौन, कानपुर, लखनऊ,मऊ,रायबरेली,सीतापुर,श्रावस्ती,सुल्तानपुर और उन्नाव जिले के लोगों ने भाग लेकर यूपी के सबसे खराब सूचना आयुक्त का और यूपी में आरटीआई एक्ट को प्रभावी रूप से लागू करने के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा का चुनाव करने के येश्वर्याज के इस अनूठे सर्वे में अपनी राय व्यक्त की. उर्वशी ने बताया कि खराब सूचना आयुक्तों की श्रेणी के सर्वे में व्यक्त कुल मतों में से 17% मत पाकर अरविन्द सिंह बिष्ट पहली पायदान पर रहे. 13.8% मत पाकर मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी दूसरी पायदान पर, 11.6% मत पाकर गजेन्द्र यादव तीसरी पायदान पर,9.4% मत पाकर हाफिज उस्मान चौथी पायदान पर, 9.1% मत पाकर स्वदेश कुमार पांचवीं पायदान पर,8.4% मत पाकर पारस नाथ गुप्ता छठी पायदान पर,8.1% मत पाकर खदीजतुल कुबरा सातवीं पायदान पर, 7.9% मत पाकर राजकेश्वर सिंह आठवीं पायदान पर और बराबर-बराबर 7.2% मत पाकर दो सूचना आयुक्त सैयद हैदर अब्बास रिज़वी और विजय शंकर शर्मा आख़िरी पायदान पर रहे.   


आरटीआई एक्ट के क्रियान्वयन की सबसे बड़ी बाधा का पता लगाने के लिए किये सर्वे में लोगों ने  कुल पड़े मतों में से 28% मत देकर जन सूचना अधिकारियों द्वारा आरटीआई आवेदनों के निस्तारण में की जा रही हीलाहवाली को आरटीआई एक्ट के क्रियान्वयन की सबसे बड़ी बाधा बताया. सर्वे के अनुसार 25.4% मत पाकर सूचना आयोग की खराब कार्यप्रणाली आरटीआई एक्ट के क्रियान्वयन की दूसरी बड़ी बाधा के रूप में सामने आयी. 24.3% मत पाकर आरटीआई रूल्स 2015 तीसरी और 22.2% मत पाकर प्रथम अपीलीय अधिकारियों का गैर-जिम्मेदाराना रवैया आरटीआई एक्ट के क्रियान्वयन की चौथी बाधा के रूप में सामने आया. उर्वशी ने बताया कि कुछ महीने पूर्व ही जारी हुए आरटीआई रूल्स के प्रति लोगों के भारी विरोध से स्पष्ट है कि निकट भविष्य में ये रूल्स आरटीआई एक्ट के क्रियान्वयन के लिए कितने बड़े बाधक बनने जा रहे हैं l



उर्वशी ने बताया कि सर्वे के इन परिणामों को सूबे के राज्यपाल को भेजकर सूचना आयुक्त अरविन्द सिंह बिष्ट को आरटीआई एक्ट की धारा 17 में विहित व्यवस्थानुसार हटाने के लिए प्रकरण को उच्चतम न्यायालय को संदर्भित करने की मांग की जा रही है. सामाजिक संगठन येश्वर्याज ने सर्वे के इन परिणामों को सूबे के मुख्यमंत्री को भेजकर आरटीआई एक्ट को प्रभावी रूप से लागू करने के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा के रूप में सामने आये जन सूचना अधिकारियों के लचर रवैये पर सख्त कदम उठाकर उनको समुचित ट्रेनिंग दिलवाने और आरटीआई का पालन न करने बाले जनसूचना अधिकारियों को विभागीय दंड देने की व्यवस्था करने की मांग उठाने की बात बतायी गयी है.



उर्वशी ने बताया कि आरटीआई एक्ट के लिए सूबे में नोडल विभाग के रूप में कार्य रहे प्रशासनिक सुधार विभाग को यह रिपोर्ट इस आशय से प्रेषित की जा रही है कि वे वर्तमान सूचना आयुक्तों को चेतावनी जारी कर इनको आरटीआई एक्ट और मानवाधिकार संरक्षण की ट्रेनिंग दिलवाने और भविष्य में होनी बाली सूचना आयुक्तों की नियुक्तियों में योग्य व्यक्तिओं की नियुक्तियां पारदर्शी रूप से की जाएँ तथा आरटीआई एक्ट के क्रियान्वयन के मार्ग की इन बाधाओं को दूर करने के लिए  विभाग एक रणनीति बनाकर तेजी से कार्य करे .




बकौल उर्वशी वे स्वयं उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग  जाकर  इस सर्वे की रिपोर्ट को मुख्य सूचना आयुक्त को सौंपकर उनसे इस रिपोर्ट को सभी सूचना आयुक्तों को प्रसारित करने का अनुरोध भी करेंगी ताकि मुख्य सूचना आयुक्त समेत सभी सूचना आयुक्त आत्मावलोकन कर अपने कार्य व्यवहार में अपेक्षित सुधार कर अपने दायित्वों का निर्वहन आरटीआई एक्ट की मंशा के अनुसार कर सकें.



उर्वशी ने घोषणा की है कि उनका संगठन 6 महीने बाद इसी प्रकार का सर्वे एक ही दिन यूपी के सभी जिलों में आयोजित करेगा. 

Friday, April 29, 2016

Press conference in Lucknow to announce name of the worst info-commissioner of UP.



Press conference in Lucknow to announce name of the worst info-commissioner of UP.

यूपी का सबसे खराब सूचना आयुक्त कौन ? कल घोषित होंगे येश्वर्याज के सर्वे के नतीजे .



लखनऊ/29 अप्रैल 2016/ यूपी के आरटीआई कार्यकर्ता लम्बे समय से यूपी के मुख्य सूचना आयुक्त और सभी 9 सूचना आयुक्तों की कार्यप्रणाली और व्यवहार पर उंगली उठाते रहे हैं. जहाँ एक तरफ आरटीआई कार्यकर्त्ता सूचना आयुक्तों पर उत्पीडन करने और सरकार की चाटुकारिता करने के चलते समय पर सूचना न दिलाने का आरोप लगाते रहे हैं तो वहीं सूचना आयुक्त भी आरटीआई कार्यकर्ताओं पर आरटीआई के नाम पर धन्धेबाजी करने और ब्लैकमेलिंग कर धन उगाही करने के चलते सूचना आयुक्तों पर बेजा दबाव बनाने का आरोप लगाते रहे हैं. इस सबके बीच कभी सूचना आयुक्त आरटीआई आवेदकों के खिलाफ एफ.आई.आर. लिखाकर उन्हें जेल भिजवाते है तो कभी आरटीआई कार्यकर्ता सभी सूचना आयुक्तों के सामने यूपी के सूचना आयोग ‘आरटीआई भवन’ में उन सभी का पुतला फूँक कर अपना विरोध बुलंद करते हैं. इन सबके बीच सूबे में आरटीआई के प्रचार प्रसार के लिए कार्यरत एक सामाजिक संगठन ने एक अनूठे प्रयास के तहत बीते शनिवार को राजधानी लखनऊ के हजरतगंज जी.पी.ओ. स्थित महात्मा गाँधी पार्क में एक कैंप लगाकर यूपी के सबसे खराब सूचना आयुक्त का पता लगाने और यूपी में आरटीआई एक्ट को प्रभावी रूप से लागू करने के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा का पता लगाने के लिए  एक सर्वे कराया था. यह संस्था कल इस सर्वे के परिणाम की घोषणा एक प्रेस-कांफ्रेंस के माध्यम से करने जा रही है.



लखनऊ की सामाजिक संस्था येश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव और सामाजिक कार्यकत्री उर्वशी शर्मा ने बताया कि सर्वे के आंकड़ों की गिनती के आधार पर परिणाम निकाल लिए गए हैं और कल दिनांक  30 अप्रैल 2016,दिन शनिवार को 01:30 बजे अपराह्न लखनऊ के बर्लिंगटन चौराहे से ओडियन सिनेमा की तरफ जाने वाली सड़क , 33 कैंट रोड, ‘एजमा प्लेस’ के बेसमेंट में बने कार्यालय में येश्वर्याज के पदाधिकारियों द्वारा एक प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से इस सर्वे के परिणाम सार्वजनिक किये जायेंगे.  


सूचना आयुक्तों द्वारा आरटीआई कार्यकर्ताओं पर आरटीआई के नाम पर धन्धेबाजी करने और ब्लैकमेलिंग कर धन उगाही करने के चलते सूचना आयुक्तों पर बेजा दबाव बनाने के आरोप लगाने पर बातचीत करते हुए उर्वशी ने आयुक्तों के इस आरोप को सिरे से ख़ारिज करते हुए सभी सूचना आयुक्तों को इस मुद्दे पर इन-कैमरा खुली बहस की चुनौती दी. ‘साँच को आँच नहीं’ बाला जुमला बोलते हुए उर्वशी ने कहा कि लम्बे समय से उनका संगठन यूपी के सूचना आयोग की कार्यवाहियों की वीडियो रिकॉर्डिंग की मांग कर रहा है पर जनता के बीसियों करोड़ फूंककर बनाए गए ‘आरटीआई भवन’ में भी जनता पर नज़र रखने के लिए तो कैमरे हैं पर सुनवाइयों में सूचना आयुक्तों के व्यवहार पर नज़र रखने के लिए एक भी कैमरा नहीं है. उर्वशी ने कहा कि यदि सूचना आयुक्त सही हैं और आरटीआई आवेदक उन पर बेजा दबाब बनाते हैं तो सूचना आयुक्तों को सुनवाइयों की रिकॉर्डिंग से  परहेज क्यों है? उर्वशी ने    बताया कि अखिलेश की पूर्ववर्ती मायावती सरकार के समय उनके संगठन के प्रयास से सूचना आयुक्तों की सुनवाइयों की वीडियो रिकॉर्डिंग की मुकम्मल व्यवस्था की गयी थी जिसे वर्तमान आयुक्तों द्वारा अपने भ्रष्ट हित साधने के लिए जानबूझकर बंद करा दिया है. बकौल उर्वशी उनका संगठन सूचना आयोग में आरटीआई आवेदकों की सुरक्षा के लिए कृतसंकल्प है और वे यूपी के सूचना आयोग की सुनवाइयों में शत-प्रतिशत वीडियो रिकॉर्डिंग की व्यवस्था की मुहिम को अंजाम तक पंहुचाकर ही दम लेंगी जिसके लिए आगामी मई माह में उनका ‘सविनय कार्य वहिष्कार’ आन्दोलन प्रस्तावित है.



अपने पद से बर्खास्त होने बाले lदेश के एक मात्र सूचना आयुक्त यूपी के पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त एम. ए. खान को हटवाने में अग्रणी भूमिका निभाने बाली समाजसेविका उर्वशी ने बताया कि सर्वे के आधार पर सामने आये यूपी के सबसे खराब सूचना आयुक्त का नाम कल ही राज्य के राज्यपाल को देकर उनसे इस सूचना आयुक्त को आरटीआई एक्ट की धारा 17 में विहित व्यवस्थानुसार हटाने के लिए प्रकरण को उच्चतम न्यायालय को संदर्भित करने की बात कही जायेगी और और यूपी में आरटीआई एक्ट को प्रभावी रूप से लागू करने के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा की सूचना सूबे के मुख्यमंत्री को देकर इस बाधा को दूर कराने के आवश्यक उपाय कराने की मांग की जायेगी.



यूपी का सबसे खराब सूचना आयुक्त कौन ? कल घोषित होंगे येश्वर्याज के सर्वे के नतीजे .





लखनऊ/29 अप्रैल 2016/ यूपी के आरटीआई कार्यकर्ता लम्बे समय से यूपी के मुख्य सूचना आयुक्त और सभी 9 सूचना आयुक्तों की कार्यप्रणाली और व्यवहार पर उंगली उठाते रहे हैं. जहाँ एक तरफ आरटीआई कार्यकर्त्ता सूचना आयुक्तों पर उत्पीडन करने और सरकार की चाटुकारिता करने के चलते समय पर सूचना न दिलाने का आरोप लगाते रहे हैं तो वहीं सूचना आयुक्त भी आरटीआई कार्यकर्ताओं पर आरटीआई के नाम पर धन्धेबाजी करने और ब्लैकमेलिंग कर धन उगाही करने के चलते सूचना आयुक्तों पर बेजा दबाव बनाने का आरोप लगाते रहे हैं. इस सबके बीच कभी सूचना आयुक्त आरटीआई आवेदकों के खिलाफ एफ.आई.आर. लिखाकर उन्हें जेल भिजवाते है तो कभी आरटीआई कार्यकर्ता सभी सूचना आयुक्तों के सामने यूपी के सूचना आयोग ‘आरटीआई भवन’ में उन सभी का पुतला फूँक कर अपना विरोध बुलंद करते हैं. इन सबके बीच सूबे में आरटीआई के प्रचार प्रसार के लिए कार्यरत एक सामाजिक संगठन ने एक अनूठे प्रयास के तहत बीते शनिवार को राजधानी लखनऊ के हजरतगंज जी.पी.ओ. स्थित महात्मा गाँधी पार्क में एक कैंप लगाकर यूपी के सबसे खराब सूचना आयुक्त का पता लगाने और यूपी में आरटीआई एक्ट को प्रभावी रूप से लागू करने के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा का पता लगाने के लिए  एक सर्वे कराया था. यह संस्था कल इस सर्वे के परिणाम की घोषणा एक प्रेस-कांफ्रेंस के माध्यम से करने जा रही है.



लखनऊ की सामाजिक संस्था येश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव और सामाजिक कार्यकत्री उर्वशी शर्मा ने बताया कि सर्वे के आंकड़ों की गिनती के आधार पर परिणाम निकाल लिए गए हैं और कल दिनांक  30 अप्रैल 2016,दिन शनिवार को 01:30 बजे अपराह्न लखनऊ के बर्लिंगटन चौराहे से ओडियन सिनेमा की तरफ जाने वाली सड़क , 33 कैंट रोड, एजमा प्लेस’ के बेसमेंट में बने कार्यालय में येश्वर्याज के पदाधिकारियों द्वारा एक प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से इस सर्वे के परिणाम सार्वजनिक किये जायेंगे.  


सूचना आयुक्तों द्वारा आरटीआई कार्यकर्ताओं पर आरटीआई के नाम पर धन्धेबाजी करने और ब्लैकमेलिंग कर धन उगाही करने के चलते सूचना आयुक्तों पर बेजा दबाव बनाने के आरोप लगाने पर बातचीत करते हुए उर्वशी ने आयुक्तों के इस आरोप को सिरे से ख़ारिज करते हुए सभी सूचना आयुक्तों को इस मुद्दे पर इन-कैमरा खुली बहस की चुनौती दी. ‘साँच को आँच नहीं’ बाला जुमला बोलते हुए उर्वशी ने कहा कि लम्बे समय से उनका संगठन यूपी के सूचना आयोग की कार्यवाहियों की वीडियो रिकॉर्डिंग की मांग कर रहा है पर जनता के बीसियों करोड़ फूंककर बनाए गए ‘आरटीआई भवन’ में भी जनता पर नज़र रखने के लिए तो कैमरे हैं पर सुनवाइयों में सूचना आयुक्तों के व्यवहार पर नज़र रखने के लिए एक भी कैमरा नहीं है. उर्वशी ने कहा कि यदि सूचना आयुक्त सही हैं और आरटीआई आवेदक उन पर बेजा दबाब बनाते हैं तो सूचना आयुक्तों को सुनवाइयों की रिकॉर्डिंग से  परहेज क्यों है? उर्वशी ने    बताया कि अखिलेश की पूर्ववर्ती मायावती सरकार के समय उनके संगठन के प्रयास से सूचना आयुक्तों की सुनवाइयों की वीडियो रिकॉर्डिंग की मुकम्मल व्यवस्था की गयी थी जिसे वर्तमान आयुक्तों द्वारा अपने भ्रष्ट हित साधने के लिए जानबूझकर बंद करा दिया है. बकौल उर्वशी उनका संगठन सूचना आयोग में आरटीआई आवेदकों की सुरक्षा के लिए कृतसंकल्प है और वे यूपी के सूचना आयोग की सुनवाइयों में शत-प्रतिशत वीडियो रिकॉर्डिंग की व्यवस्था की मुहिम को अंजाम तक पंहुचाकर ही दम लेंगी जिसके लिए आगामी मई माह में उनका ‘सविनय कार्य वहिष्कार’ आन्दोलन प्रस्तावित है.



अपने पद से बर्खास्त होने बाले lदेश के एक मात्र सूचना आयुक्त यूपी के पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त एम. ए. खान को हटवाने में अग्रणी भूमिका निभाने बाली समाजसेविका उर्वशी ने बताया कि सर्वे के आधार पर सामने आये यूपी के सबसे खराब सूचना आयुक्त का नाम कल ही राज्य के राज्यपाल को देकर उनसे इस सूचना आयुक्त को आरटीआई एक्ट की धारा 17 में विहित व्यवस्थानुसार हटाने के लिए प्रकरण को उच्चतम न्यायालय को संदर्भित करने की बात कही जायेगी और और यूपी में आरटीआई एक्ट को प्रभावी रूप से लागू करने के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा की सूचना सूबे के मुख्यमंत्री को देकर इस बाधा को दूर कराने के आवश्यक उपाय कराने की मांग की जायेगी.