Wednesday, February 28, 2018

OMG! RBI को नहीं है HSBC,लिंचेस्टाइन,पनामा,पैराडाइज महाघोटालों की कोई जानकारी : RTI


लखनऊ / 28 फरवरी 2018............
समाचार लेखिका - उर्वशी शर्मा  ( स्वतंत्र पत्रकार )
Exclusive News by YAISHWARYAJ ©yaishwaryaj

भारत के वित्तीय सिस्टम को रेगुलेट करने के लिए भारत सरकार के साथ-साथ बैंकिंग,इन्श्योरेंस ,कमोडिटी मार्केट,कैपिटल मार्केट,पेंशन फण्ड आदि क्षेत्रों में अनेकों स्वतंत्र  रेगुलेटर हैं जिनमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका बैंकिंग रेगुलेटर यानि कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ( आरबीआई ) की है l अधिकांश वित्तीय घोटालों या अपराधों में किसी न किसी रूप में बैंकों की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष भूमिका रहती ही है और इसीलिये किसी भी बड़े वित्तीय अपराध को होने से रोकने और अपराध के सामने आने के बाद मामले की तह तक पहुँचकर अपराधियों को सजा दिलाने तक की प्रक्रिया में आरबीआई की जिम्मेदारी भी बहुत महत्वपूर्ण होती है l वैसे भी भारत की जनता RBI को भारत की जनता के वित्तीय हितों का पहरेदार मानती है l पर अगर मैं आपसे यह कहूं कि भारत के इसी वित्तीय पहरेदार यानि कि आरबीआई को HSBC बैंक ,लिंचेस्टाइन बैंक ,पनामा पेपर्स ,पैराडाइज पेपर्स जैसे बड़े-बड़े घोटालों या इन महाघोटालों पर की जा रही सरकारी कार्यवाहियों की कोई जानकारी नहीं है तो क्या आप यकीन करेंगे ? शायद नहीं l पर जब आप  उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के फायरब्रांड आरटीआई कंसलटेंट और इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा भारत के प्रधानमंत्री कार्यालय में दायर की गई एक आरटीआई पर भारतीय रिज़र्व बैंक के केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी एस. के. पाणिग्राही द्वारा दिए गए जबाब को देखेंगे तो आपको मेरी इस बात पर यकीन करना ही पड़ेगा  l
  
Scanned copies of original RTI & its replies can be viewed by clicking this exclusive web-link http://upcpri.blogspot.in/2018/02/rbi-hsbc-rti.html 
  
बताते चलें कि लोकजीवन में पारदर्शिता और जबाबदेही और मानवाधिकार संरक्षण के लिए काम कर रहे देश के नामचीन  कार्यकर्ताओं में शुमार होने वाले संजय शर्मा ने बीते साल के नवम्बर महीने की 20 तारीख को  भारत के प्रधानमंत्री कार्यालय में एक आरटीआई अर्जी डाली थी l यह अर्जी अंतरित होकर बीती 17 जनवरी को भारतीय रिज़र्व बैंक पहुँची l RBI के केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी एस. के. पाणिग्राही ने बीते 16 फरवरी के पत्र के माध्यम से एक्टिविस्ट संजय को जो सूचना दी है वह वाकई चौंकाने वाली है l दी गई सूचना के अनुसार देश के बैंकिंग रेगुलेटर को HSBCबैंक और लिंचेस्टाइन बैंक मामलों में काले धन का पता लगाने के लिए भारत सरकार द्वारा बैठाई गई जांचों की कुल संख्या,इन जांचों के आधार पर प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए व्यक्तियों व प्रतिष्ठानों के नामों और  HSBCबैंक ,लिंचेस्टाइन बैंक ,पनामा पेपर्स व पैराडाइज पेपर्स के माध्यम से प्रकाश में आये भारतीय नागरिकों,भारतीय प्रतिष्ठानों और NRIs के नामों की भी कोई सूचना नहीं है l
   
देश-दुनिया से जुड़े सभी मुद्दों पर  अपनी तीखी राय बेबाकी से रखने वाले RTI एक्सपर्ट संजय ने इस RTI जबाब से व्यथित होते हुए देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले घोटालों और काले धन से जुड़े इन बड़े-बड़े मामलों की कोई भी जानकारी आरबीआई को नहीं होने की स्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए गहरी चिंता व्यक्त की है  l
  
वित्तीय क्षेत्र के लिए ब्रिटेन की तर्ज पर एक सुपर रेगुलेटर ( महानियामक ) बनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए समाजसेवी संजय ने अपने पंजीकृत सामाजिक संगठन ‘तहरीर’ के संस्थापक अध्यक्ष  की हैसियत से पीएम मोदी को पत्र  लिखकर श्रीकृष्ण समिति की शिफारिशों में बैंकिंग क्षेत्र को शामिल करते हुए शिफरिशों के लागू कराने की मांग उठाने की बात इस स्वतंत्र पत्रकार उर्वशी शर्मा से की गई एक  एक्सक्लूसिव वार्ता में कही है l
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News written by freelance journalist Urvashi Sharma  
Exclusive News by YAISHWARYAJ ©yaishwaryaj
( Note - This news item can be copy pasted free of charge if used without editing. This news item can be used free of charge with edits but only with proper reference of either of yaishwaryaj blog or name of this freelance journalist. News author can be contacted at mobile number is 8081898081 or email  urvashi.sharma@journalist.com )

Sunday, February 25, 2018

UP सूचना आयुक्त अरविन्द बिष्ट की पत्नी अम्बी के फर्जीबाड़े पर योगी सरकार मेहरबान : RTI खुलासा l

लखनऊ / 26 फरवरी 2018............
समाचार लेखिका - उर्वशी शर्मा  ( स्वतंत्र पत्रकार )
Exclusive News by YAISHWARYAJ ©yaishwaryaj

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुआई में चल रही यूपी की वर्तमान भाजपा सरकार यूपी के सूचना आयुक्त अरविन्द सिंह बिष्ट और अरविन्द की पत्नी अम्बी बिष्ट द्वारा  कूटरचना करके किये गए फर्जीबाड़े के आरोपों के उजागर होने के बाद भी  कार्यवाही करने की जगह अपने आँख-कान बंद किये बैठी है और आरोपियों पर खासी मेहरबानी दिखा रही है l चौंकाने वाला यह खुलासा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के फायरब्रांड आरटीआई कंसलटेंट और इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा दायर की गई एक आरटीआई पर उत्तर प्रदेश के शासन स्थित नगर विकास अनुभाग-4 के अनुभाग अधिकारी और जन सूचना अधिकारी आनंद कुमार सिंह द्वारा  दिए गए एक जबाब से हुआ है l


बताते चलें कि लोकजीवन में पारदर्शिता और जबाबदेही और मानवाधिकार संरक्षण के लिए काम कर रहे देश के नामचीन  कार्यकर्ताओं में शुमार होने वाले संजय शर्मा ने बीते साल के अक्टूबर महीने की 23 तारीख को  यूपी के मुख्य सचिव  के कार्यालय में एक आरटीआई अर्जी देकर लखनऊ विकास प्राधिकरण की तत्कालीन उप सचिव अम्बी बिष्ट द्वारा एलडीए की ट्रांस गोमती नार्थ चाँदगंज  योजना में भूखंड संख्या बी-114 अपने पति और वर्तमान सूचना आयुक्त अरविन्द सिंह बिष्ट के नाम  कराने के लिए तत्कालीन योजना सहायक सीमा अग्रवाल और अनुभाग अधिकारी देवेन्द्र लाल आर्य के साथ मिलकर रिकॉर्ड में साजिशन हेराफेरी और धोखाधड़ी करने के मामले में प्रदेश सरकार द्वारा की गई कार्यवाहियों जैसे विभागीय जांच शुरू करने, ऍफ़.आई.आर. लिखने आदि के सम्बन्ध में में 8 बिन्दुओं पर सूचना माँगी थी l


मुख्य सचिव कार्यालय के अनु सचिव और जन सूचना अधिकारी पी. के. पाण्डेय ने संजय की अर्जी को बीते साल के अक्टूबर  महीने की 26 तारीख को शासन के आवास विभाग को ट्रान्सफर किया l शासन के आवास और शहरी नियोजन अनुभाग-7 के अनुभाग अधिकारी और जन सूचना अधिकारी राजेश कुमार मौर्या ने संजय द्वारा माँगी गई सूचनाएं अपने से सम्बंधित नहीं होना लिखते हुए संजय की अर्जी को बीते साल के नवम्बर महीने की 14 तारीख को शासन के नगर विकास अनुभाग-4 के जनसूचना अधिकारी को ट्रान्सफर कर दिया l


नगर विकास अनुभाग-4 के पीआइओ आनंद कुमार सिंह ने बीती 01 फरवरी को संजय को एक पत्र भेजा है जिसमें संजय को बताया गया है कि अभी अम्बी बिष्ट के खिलाफ न तो कोई विभागीय जांच संस्थित की गई है और न ही इस मामले में कोई FIR ही लिखाई गई है l


Scanned copies of original RTI & its replies can be viewed by clicking this exclusive web-link http://upcpri.blogspot.in/2018/02/up-rti-l.html 


सामाजिक और राजनैतिक मुद्दों पर  अपनी तीखी राय बेबाकी से रखने वाले RTI एक्सपर्ट संजय  इस RTI जबाब के आधार पर कहते हैं कि सूबे में सत्ता परिवर्तन के बाद भी सत्ता का चरित्र नहीं बदला है l बकौल संजय पूर्ववर्ती सपा सरकार के समय अरविन्द सिंह बिष्ट और अम्बी  बिष्ट सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव से रिश्तेदारी की बजह से राजनैतिक संरक्षण पा रहे थे तो वर्तमान भाजपा सरकार के समय ये दोनों  सीएम आदित्यनाथ योगी के मूल प्रदेश उत्तराखंड से होने और ठाकुर जाति से होने की बजह से राजनैतिक संरक्षण पा रहे हैं l



एक संत को जाति,वर्ग,धर्म,सम्प्रदाय और देश-प्रदेश की सीमाओं से परे बताते हुए समाजसेवी संजय ने संत से मुख्यमंत्री बने योगी आदित्यनाथ से उच्च अपेक्षाओं की बात कही है और अपने पंजीकृत सामाजिक संगठन ‘तहरीर’ के संस्थापक अध्यक्ष  की हैसियत से सीएम योगी को पत्र  लिखकर सूचना आयुक्त बिष्ट, अम्बी बिष्ट और एलडीए के अन्य दोषी कार्मिकों के खिलाफ विभागीय जांच और FIR लिखाकर विधिक कार्यवाही कराने की मांग रखने की बात इस स्वतंत्र पत्रकार उर्वशी शर्मा से की गई एक  एक्सक्लूसिव वार्ता में कही है l
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News written by freelance journalist Urvashi Sharma  
Exclusive News by YAISHWARYAJ ©yaishwaryaj
( Note - This news item can be copy pasted free of charge if used without editing. This news item can be used free of charge with edits but only with proper reference of either of yaishwaryaj blog or name of this freelance journalist. News author can be contacted at mobile number is 8081898081 or email  urvashi.sharma@journalist.com )


Saturday, February 24, 2018

सीएम योगी और उनके आवास की सूचना आरटीआई में नहीं देगी यूपी सरकार l

लखनऊ / 25 फरवरी 2018............
समाचार लेखिका - उर्वशी शर्मा  ( स्वतंत्र पत्रकार )
Exclusive News by YAISHWARYAJ ©yaishwaryaj



यूपी के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय ने मुख्यमंत्री की शैक्षिक योग्यताओं और उनके राजधानी लखनऊ स्थित आधिकारिक आवास से सम्बंधित सूचनाओं को सूचना के अधिकार के तहत देने से इन्कार कर दिया है l  चौंकाने वाला यह खुलासा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के फायरब्रांड आरटीआई कंसलटेंट और इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा दायर की गई एक आरटीआई पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुभाग अधिकारी और जन सूचना अधिकारी बसंत कुमार तिवारी द्वारा दिए गए एक जबाब से हुआ है l


बताते चलें कि लोकजीवन में पारदर्शिता और जबाबदेही और मानवाधिकार संरक्षण के लिए काम कर रहे देश के नामचीन  कार्यकर्ताओं में शुमार होने वाले संजय शर्मा ने बीते साल के मई महीने की 5 तारीख को  यूपी के मुख्यमंत्री के कार्यालय में एक आरटीआई अर्जी देकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कक्षा 8 से आगे की शैक्षिक योग्यताओं के प्रमाणों ;योगी के शपथग्रहण के बाद मुख्यमंत्री आवास में कराये गए रेनोवेशन वर्क की संस्तुतियों सहित खर्चों; बिजली बिल और  नगर निगम लखनऊ के बकाया टैक्स की धनराशि आदि के सम्बन्ध में 8 बिन्दुओं पर सूचना माँगी थी l मुख्यमंत्री कार्यालय के जन सूचना अधिकारी बसंत कुमार तिवारी ने बीती 13 फरवरी को संजय को एक पत्र भेजा है जिसमें प्रशासनिक सुधार अनुभाग-2 की अधिसूचना दिनांक 03-12-2015 की धारा 4(5) की व्यवस्था का जिक्र करते हुए माँगी गई सूचना दो से अधिक लोक प्राधिकरणों गोपन विभाग,राज्य संपत्ति विभाग,ऊर्जा विभाग और नगर विकास विभाग द्वारा धारित  होने की बात कही है और सूचना देने से मना कर दिया है l


Scanned copies of original RTI & its replies can be viewed by clicking this exclusive web-link http://upcpri.blogspot.in/2018/02/cm-rti-up-l.html 


RTI एक्सपर्ट संजय का कहना है कि जन सूचना अधिकारी ने गलत आधार लेकर सूचना देने से  मना किया है l बकौल संजय उनके द्वारा माँगी गई सूचनाएं मुख्यमंत्री और उनके आवास के आधिकारिक क्रियाकलापों से सम्बंधित हैं अतः ऐसा माना ही नहीं जा सकता है कि किसी सूबे के मुख्यमंत्री कार्यालय को अपने हालिया मुख्यमंत्री की शैक्षिक योग्यताओं ;मुख्यमंत्री आवास में कराये गए रेनोवेशन वर्क ; बिजली बिल और  नगर निगम लखनऊ के बकाया टैक्स की जानकारी ही नहीं हो l संजय का कहना है कि सूचना का अधिकार कानून की धारा 4(1)(b) के तहत यह सभी सूचनाएं स्वतः स्फूर्त रूप से मुख्यमंत्री कार्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध होनी चाहिए l संजय ने बताया कि उन्होंने इस मामले में अपनी आपत्तियां देते हुए एक अपील राज्य सूचना आयोग में डाली  है जो आने वाले 5 मार्च को मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी द्वारा सुनी जायेगी l संजय ने 5 मार्च को अपनी बात आयोग के सामने रखकर उनके द्वारा माँगी गई सूचना सार्वजनिक करने  की मांग रखने  की बात कही है  l


अपने द्वारा माँगी गई सूचना को बृहद लोकहित से जुड़ा मुद्दा बताते हुए पंजीकृत सामाजिक संगठन ‘तहरीर’ के संस्थापक अध्यक्ष  संजय शर्मा ने अपनी संस्था की और से योगी को पत्र  लिखकर मुख्यमंत्री कार्यालय में सूचना का अधिकार कानून की धारा 4(1)(b) का अनुपालन नहीं होने की अनियमितता का उत्तरदायित्व निर्धारण करके एक्ट का अनुपालन नहीं करने के दोषी कर्मचारियों को दण्डित करने की मांग रखने की बात इस स्वतंत्र पत्रकार से की गई एक  एक्सक्लूसिव वार्ता में कही है l
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News written by freelance journalist Urvashi Sharma  
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Thursday, February 8, 2018

J&K : मनमोहन के मुकाबले मोदी काल में 8 गुनी घटी सेना की कार्यवाहियों में मारे गए नागरिकों की संख्या - एक्टिविस्ट संजय शर्मा की RTI से हुआ खुलासा l

लखनऊ/08 फरवरी 2018............
समाचार लेखिका - उर्वशी शर्मा  ( स्वतंत्र पत्रकार )
Exclusive News by YAISHWARYAJ ©yaishwaryaj

केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता ग्रहण से अब तक समूचा विपक्ष हालिया सरकार पर सेना द्वारा घाटी के नागरिकों के मानवाधिकारों का हनन कराने  आरोप लगाता रहा है पर अब हम आपको सरकारी रिकॉर्ड के आधार पर  बता रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के मानवाधिकारों के संरक्षण के मामले में केंद्र की वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार ने पूर्ववर्ती मनमोहन सरकार को पछाड़ दिया है l मोदी की अगुआई वाली सरकार घाटी में सेना द्वारा की गई कार्यवाहियों में मारे जाने वाले नागरिकों की संख्या में पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार के मुकाबले 8 गुने की बहुत बड़ी कमी लाने में कामयाब होती नज़र आ रही है l चौंकाने वाला यह खुलासा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के फायरब्रांड आरटीआई कंसलटेंट और इंजीनियर संजय शर्मा
द्वारा दायर की गई एक आरटीआई पर भारत सरकार के गृह मामलों के मंत्रालय द्वारा दिए गए एक जबाब से हुआ है l 




लोकजीवन में पारदर्शिता और जबाबदेही और मानवाधिकार संरक्षण के लिए काम कर रहे देश के नामचीन  कार्यकर्ताओं में शुमार होने वाले संजय शर्मा ने बीते 20 नवम्बर को भारत सरकार को एक आरटीआई अर्जी देकर जम्मू कश्मीर में सेना द्वारा मारे गए नागरिकों की संख्या की सूचना माँगी थी l भारत सरकार के गृह मामलों के मंत्रालय की निदेशक ( सुरक्षा ) एवं केन्द्रीय जनसूचना अधिकारी सुलेखा ने बीते 9 जनवरी को पत्र जारी कर संजय को सूचना दे दी है l

सुलेखा ने संजय को बताया है कि 01 जनवरी 2004 से 31 दिसम्बर 2014 तक की 11 वर्षों की अवधि में जम्मू और कश्मीर राज्य में सेना की कार्यवाहियों में कुल 2109  नागरिक मारे गए l सुलेखा ने संजय को यह भी बताया है कि 01 जनवरी 2015 से 31 दिसम्बर 2017 तक की 3 वर्षों की अवधि में जम्मू और कश्मीर राज्य में सेना की कार्यवाहियों में 72 नागरिक मारे गए हैं l


इंजीनियर संजय का कहना है कि साल 2004 से 2014 तक की अवधि के 11 वर्षों में मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे जिनके समय में मारे गए नागरिकों का औसत 192 नागरिक प्रतिवर्ष था जबकि साल 2015 से 2017 तक के 3 वर्षों में देश की कमान वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ में है जिनके समय में मारे जाने वाले नागरिकों का औसत घटकर 24 नागरिक प्रतिवर्ष पर आ गया है l बकौल संजय इस प्रकार केंद्र की वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर में सेना द्वारा की जाने वाली कार्यवाहियों में मारे जाने वाले नागरिकों की संख्या में पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार के मुकाबले 8 गुने की भारी-भरकम कमी लाने में कामयाब रही है l


देश के प्रत्येक नागरिक के जीवन को अनमोल अनमोल बताते हुए आरटीआई विशेषज्ञ संजय शर्मा ने भारतीय सेना से मानवाधिकारों के सिद्धांतों का अनुपालन कराकर मृत नागरिकों की संख्या में कमी लाने के लिए नरेंद्र मोदी को सार्वजनिक रूप से धन्यवाद ज्ञापित करने और देश के प्रत्येक नागरिक के जीवन की रक्षा का दायित्व प्रधानमंत्री पर होने की बात कहते हुए मोदी से उच्च अपेक्षाओं की बात कही है और अपने अपंजीकृत सामाजिक संगठन ‘तहरीर’
की ओर से पत्र लिखकर जम्मू कश्मीर में सेना की गतिविधियों में मारे जाने वाले नागरिकों की संख्या शून्य पर लाने का लक्ष्य बनाकर उसे हासिल करने के लिए शुभकामनायें प्रधानमंत्री तक पहुंचाने की बात इस स्वतंत्र पत्रकार उर्वशी शर्मा से की गई एक  एक्सक्लूसिव वार्ता में कही है l 
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News written by freelance journalist Urvashi Sharma  

Exclusive News by YAISHWARYAJ ©yaishwaryaj
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Tuesday, February 6, 2018

UP:एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा की IGRS शिकायत पर सेवा से बर्खास्त हुए अपर शिक्षा निदेशक बेसिक व माध्यमिक विनय कुमार पांडेय l



लखनऊ/07-02-2018....................सूबे की चर्चित समाजसेविका और आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा की भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम एक बार फिर रंग लाई है l उर्वशी द्वारा मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर बीते 31 दिसम्बर को डाली गई एक शिकायत पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कड़े रुख के बाद सरकार ने आनन-फानन में कार्यवाही करते हुए हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी शासन सत्ता में भ्रष्ट गठजोड़ बनाकर अपर शिक्षा निदेशक बेसिक व माध्यमिक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर पिछले डेढ़ साल से कुण्डली मारे बैठे विनय कुमार पांडेय को बीते 2 फरवरी को सेवा से बर्खास्त कर दिया है l

समाजसेविका उर्वशी ने बताया कि उनकी संस्था येश्वर्याज की हेल्पलाइन पर शिकायत आई   कि उत्तर प्रदेश के तत्कालीन अपर शिक्षा निदेशक बेसिक और अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक के 2 पदों पर कार्यरत विनय कुमार पाण्डेय बिना किसी नियुक्ति के ही फर्जी ढंग से सेवा में बने हुए थे l उर्वशी ने बताया कि उत्तर प्रदेश शासन के शिक्षा अनुभाग 1 के तत्कालीन विशेष सचिव माध्यमिक शिक्षा एच. एल. गुप्ता ने कार्यालय ज्ञाप संख्या 1724/15-1-06-27(5)/91 लखनऊ दिनांक 18 सितम्बर 2006 के द्वारा विनय कुमार पाण्डेय तत्कालीन रीडर उच्च शिक्षा संस्थान इलाहबाद जो उस समय प्राचार्य डायट जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान सारनाथ वाराणसी के पद पर कार्यरत थे, के नियुक्ति आदेश संख्या 281/15-1-90-8(3)/86 दिनांक 01 अगस्त 90 को तत्कालिक प्रभाव से निरस्त करते हुए उन्हें सेवा से कार्यमुक्त कर दिया था l सेवा कार्यमुक्ति के आदेश के खिलाफ विनय कुमार पाण्डेय द्वारा माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में याचिका संख्या WRIT A No.- 53761 of 2006 दाखिल की गई जिसे 04 अक्टूबर 2016 को निरस्त करते हुए सभी अंतरिम आदेशों को वेकेट कर दिया गया था l इस प्रकार 04 अक्टूबर 2016 को उत्तर प्रदेश शासन के शिक्षा अनुभाग 1 के तत्कालीन विशेष सचिव माध्यमिक शिक्षा एच एल गुप्ता का  कार्यालय ज्ञाप संख्या 1724/15-1-06-27(5)/91 लखनऊ दिनांक 18 सितम्बर 2006 प्रभावी हो गया था और विनय कुमार पाण्डेय की सेवाएं समाप्त हो गईं थीं पर शासन में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों ने मामले को दबाये रखा l

बकौल उर्वशी जब उन्होंने माध्यमिक शिक्षा विभाग की वेबसाइट देखी तो उन्हें पता चला कि विनय कुमार पाण्डेय वर्तमान सरकार में भी उत्तर प्रदेश के वर्तमान अपर शिक्षा निदेशक बेसिक और अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक के 2 पदों पर कार्यरत हैं l उर्वशी के अनुसार बिना किसी नियुक्ति के ही विनय कुमार पाण्डेय का फर्जी ढंग से इतने उच्च पदों पर शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग में बना रहना और अवैध रूप से कोषागार से वेतन भत्ते आहरित कर जनता के टैक्स के पैसों में सेंध लगाते रहना था पूरी शासन व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहा था जो विभाग के प्रमुख सचिव, निदेशक जैसे अधिकारियों के साथ साथ विभागीय मंत्रियों की भूमिका को भी संदेह के दायरे में ला रहा था  l इन सबमें माननीय न्यायालय के 04 अक्टूबर 2016 के आदेश का अनादर भी हो रहा था l

प्रकरण अत्यधिक संवेदनशील था और उर्वशी को पता चला था कि अवैध रूप से कार्य कर रहे विनय  कुमार पाण्डेय द्वारा  भ्रष्टाचार और अनियमितताएं भी की जा रही थीं इसीलिये उन्होंने  माननीय न्यायालय के आदेश की प्रति संलग्न करते हुए योगी आदित्यनाथ से शिकायत करके अनुरोध किया था कि विनय  कुमार पाण्डेय को तत्काल सेवा मुक्त कर उपरोक्त दोनों पदों से हटाया जाए  l

उर्वशी ने बताया कि उनकी शिकायत पर उन्हें निदेशक बेसिक शिक्षा द्वारा लिखित सूचना दी गई है कि शासनादेश संख्या-रिट-24/पन्द्रह-1-2018 -27(5)/1991 दिनांक 02 फरवरी,2018 द्वारा विनय कुमार पाण्डेय को सेवा से पृथक कर दिया गया है।

अपनी शिकायत पर हुई कार्यवाही से खुश उर्वशी ने बताया कि अब वे योगी आदित्यनाथ को एक और पत्र भेजकर मांग करेंगी कि मामले की उच्चस्तरीय जांच कराकर इस फर्जीबाड़े को सरअंजाम पहुचाने वाले विनय  कुमार पाण्डेय और पाण्डेय का साथ देने वाले शिक्षा विभाग के मंत्रियों, अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ प्रशासनिक कार्यवाही कर पाण्डेय को अवैध रूप से भुगतान किये गए वेतन भत्तों की बसूली की जाए और FIR लिखाकर विधिक कार्यवाही की जाए l