लखनऊ / 24 मार्च 2018............
समाचार लेखिका - उर्वशी शर्मा ( स्वतंत्र पत्रकार )
Exclusive News by YAISHWARYAJ ©yaishwaryaj
भारत को अपने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से सटे सूबे जम्मू-काश्मीर की सीमाओं की रक्षा करने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है l उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के फायरब्रांड आरटीआई कंसलटेंट और इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा भारत सरकार के गृह मंत्रालय में दायर की गई एक आरटीआई पर भारतीय सेना के नई दिल्ली स्थित एकीकृत रक्षा मंत्रालय के केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी और लेफ्टिनेंट कर्नल राजीव गुलेरिया द्वारा दिए गए एक जबाब से खुलासा हो गया है कि पिछले 14 वर्षों में सीमाओं की रक्षा करते हुए कुल जितने सैनिक पूरे देश में शहीद हुए हैं उनमें से 80 फीसदी सैनिक अकेले जम्मू-काश्मीर में हताहत हुए हैं l
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To go through original RTI reply, Please click this exclusive weblink http://upcpri.blogspot.in/2018/03/80-rti-l.html
लोकजीवन में पारदर्शिता,जबाबदेही और मानवाधिकार संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रहे देश के नामचीन समाजसेवियों में शुमार होने वाले संजय शर्मा ने बीते 20 नवम्बर को भारत सरकार के गृह कार्य मंत्रालय में एक आरटीआई अर्जी देकर इस सम्बन्ध में सूचना माँगी थी l भारतीय सेना के नई दिल्ली स्थित एकीकृत रक्षा मंत्रालय के केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी और लेफ्टिनेंट कर्नल राजीव गुलेरिया ने बीती 19 फरवरी को पत्र जारी कर संजय को सूचना दी है l
गुलेरिया ने संजय को बताया है कि 01 जनवरी 2004 से 31 दिसम्बर 2017 तक की 14 वर्षों की अवधि में देश भर में हुई बैटल कैजुएलटीज़ में कुल 2261 जवान शहीद हुए जिनमें से 1805 जवान अकेले जम्मू-कश्मीर राज्य में हुई बैटल कैजुएलटीज़ में शहीद हुए l अगर बात किसी एक साल की बैटल कैजुएलटीज़ की जाए तो इस RTI जबाब के अनुसार साल 2004 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समय में देश में सर्वाधिक 354 सैनिक शहीद हुए और इसी साल जम्मू-काश्मीर में सर्वाधिक 302 सैनिक शहीद हुए हैं तथा साल 2013 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के ही समय में देश में सबसे कम 75 सैनिक शहीद हुए और इसी साल जम्मू-काश्मीर में भी सबसे कम 58 सैनिक शहीद हुए हैं l बैटल कैजुएलटीज़ में देश के कुल शहीद सैनिकों की तुलना में साल 2015 में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समय में सबसे कम 63 फीसद सैनिक जम्मू-काश्मीर में हताहत हुए हैं तो वहीं देश के कुल शहीद सैनिकों की तुलना में पिछले साल 2017 में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ही समय में सबसे अधिक 95 फीसद सैनिक अकेले जम्मू-काश्मीर में हताहत हुए हैं l
गुलेरिया ने संजय को यह भी बताया है कि 01 जनवरी 2004 से 31 दिसम्बर 2017 तक की 14 वर्षों की अवधि में देश भर में हुई फिजिकल कैजुएलटीज़ में कुल 19131 जवान शहीद हुए l अगर बात किसी एक साल की फिजिकल कैजुएलटीज़ की जाए तो इस RTI जबाब के अनुसार साल 2010 में मनमोहन सिंह के समय देश में सर्वाधिक 1530 सैनिक शहीद हुए और बीते साल नरेंद्र मोदी के समय 2017 में सबसे कम 1210 सैनिक हताहत हुए हैं l
सुरक्षा बलों और सैनिकों के जीवन को अनमोल बताते हुए आरटीआई विशेषज्ञ संजय शर्मा ने अपने अपंजीकृत संगठन ‘तहरीर’ की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पकिस्तान सीमा विवाद सुलझाने और जम्मू कश्मीर समस्या का स्थाई समाधान खोजकर शहीद सैनिकों की संख्या में कमी लाने की मांग रखने की बात इस स्वतंत्र पत्रकार उर्वशी शर्मा से की गई एक एक्सक्लूसिव वार्ता में कही है l
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News written by freelance journalist Urvashi Sharma
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