Sunday, August 21, 2011

अन्ना हजारे के समर्थन में भ्रष्टाचार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन करने वाले निगम कर्मचारियों का असली चेहरा :महज छह सौ रुपये में अन्ना का लखनऊ का जन्म प्रमाण पत्र बना

अन्ना हजारे के समर्थन में भ्रष्टाचार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन करने वाले निगम कर्मचारियों का असली चेहरा :महज छह सौ रुपये में अन्ना का लखनऊ का जन्म प्रमाण पत्र बना  
 
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खुली पोल तो कागजी खेल
बचने के लिए अन्ना की मां के नाम पर शपथपत्र बनवाया
• अमर उजाला ब्यूरो
लखनऊ। घोटालों की जीती जागती मिसाल बन चुके नगर निगम ने एक और कारनामा कर
दिखाया। शुक्रवार को चंद रुपयों के बदले महाराष्ट्र निवासी और समाज सेवी
अन्ना हजारे का लखनऊ का जन्म प्रमाण पत्र बनाने वाला निगम कर्मचारी
शनिवार को लीपापोती में जुटे रहे। आलम यह कि अधिकारियों ने अपने बचाव के
मद्देनजर शनिवार को बैक डेट में अन्ना हजारे की मां लक्ष्मीबाई के नाम का
शपथपत्र तक बनवा लिया। यही नहीं कागजी खेल करने में उस्ताद निगम कर्मियों
ने जरूरी दस्तावेज जुटाकर पूरी फाइल तैयार कर ली। जोनल अधिकारी,
स्वास्थ्य अधिकारी और विभाग के बड़े बाबू फर्जी तरीके से बने प्रमाण पत्र
से जुड़े सभी दस्तावेज जुटाने के लिए दिनभर माथापच्ची करते रहे। वहीं,
अमर उजाला के खुलासे के बाद नगर आयुक्त शैलेश कुमार सिंह ने फोन पर
अधिकारियों को फटकार लगाते हुए पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
एक तरफ जहां भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे अन्ना हजारे के
समर्थन में पूरा देश उमड़ रहा है, वहीं महज छह सौ रुपये में अन्ना का
लखनऊ में बर्थ सर्टिफिकेट बना देने वाले निगम कर्मियों का चेहरा उजागर
होने के बाद महापौर डॉ. दिनेश शर्मा की भी त्योरियां चढ़ गई हैं।
उन्होंने पूरे मामले की जांच के लिए नगर आयुक्त शैलेश कुमार सिंह को आदेश
दिए हैं। इसके बाद इलाज कराने विदेश गए नगर आयुक्त ने फोन पर अपर नगर
आयुक्त प्रताप सिंह भदौरिया को जांच का जिम्मा सौंपा। रविवार को नगर
आयुक्त शहर लौट आएंगे, उसके बाद खुद इस मामले की पड़ताल करेंगे। इससे
पहले भ्रष्टाचार के खुलासे के बाद शनिवार को नगर मुख्यालय में हड़कंप मच
गया। सूत्र बता रहे हैं कि स्वास्थ्य विभाग के बाबुओं द्वारा बैकडेट (19
अगस्त) का एफीडेविट तैयार कराया। उन सभी कागजों को दुरुस्त किया गया,
जिसके आधार पर जन्म प्रमाण पत्र बनाया जाता है। नगर आयुक्त के आदेश के
बाद अपर नगर आयुक्त प्रताप सिंह भदौरिया ने अपर नगर आयुक्त पीके
श्रीवास्तव को जांच अधिकारी नियुक्ति किया है।
बड़े बाबू ने दी सफाई
जोनल अधिकारी ने स्वास्थ्य विभाग के बड़े बाबू राज नारायण मिश्र से जवाब
-तलब किया। शाम पांच बजे बड़े बाबू ने ठीकरा सिटी मजिस्ट्रेट द्वारा जारी
शपथपत्र पर फोड़ा। बड़े बाबू राजनारायण मिश्र ने कहा है कि निगम ने अन्ना
हजारे के नाम पर जन्म प्रमाण पत्र नहीं जारी किया गया है। किशन बाबू राव
पुत्र बाबूराव निवासी एमजी मार्ग के जिस नाम पर प्रमाण पत्र बनाया है वह
फर्जी है। जिस पते पर प्रमाण पत्र बनाया गया, वहां इस नाम का कोई नहीं
रहता है। प्रमाण पत्र सिटी मजिस्ट्रेट के एफीडेविट के आधार पर बनाया गया,
जिसे लक्ष्मीबाई नाम की महिला ने सबूत के लिए पेश किया है। नगर निगम एक्ट
के अनुसार एक साल से ऊपर के जन्म प्रमाण पत्र सिटी मजिस्ट्रेट की
एफीडेविट के आधार पर बनाया जाता है। जांच में फर्जी पाए जाने पर इसे
निरस्त कर दिया जाता है। बड़े बाबू ने कहा है कि जमील नाम का कोई
कर्मचारी स्वास्थ्य विभाग में है ही नहीं।
स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पीके सिंह को पूरे मामले की जांच के आदेश दिए गए
हैं। अगर मामला फर्जी पाया गया तो संबंधित विभाग के अधिकारियों और बाबुओं
के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
- प्रताप सिंह भदौरिया, अपर नगर आयुक्त
20 अगस्त को अमर उजाला में प्रकाशित खबर।
मैंने नगर आयुक्त को फोन पर जांच के आदेश दिए हैं। पारिवारिक कारणों के
चलते नगर आयुक्त शहर से बाहर हैं। उनके लौटने पर जांच शुरू होगी। जो भी
दोषी पाए जाएंगे, उन पर कार्रवाई होगी।
- डॉ. दिनेश शर्मा, महापौर
कई साल से जमे हैं बाबू
नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के बड़े बाबूू समेत कई कर्मचारी कई साल से
एक ही सीट पर चिपके हैं। इसमें 10 बाबुओं को पिछले दिनों नगर आयुक्त ने
दूसरे विभागों में स्थांनांतरित कर दिया था, लेकिन बाबुओं ने नई जगह
ज्वाइनिंग ही नहीं की। इन बाबुओं की हनक इतनी है कि इनके सामने नगर
आयुक्त का आदेश भी बेमानी साबित हो जाता है। जन्म और मृत्यु पंजीकरण
विभाग में कई साल से जमे बाबू बगैर पैसे लिए काम नहीं करते हैं। इसका
खुलासा अमर उजाला ने अप्रैल में किया था।
•जोनल अधिकारी व बड़े बाबू फाइल बनाने में जुटे रहे


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अन्ना के जन्म प्रमाण पर नगर निगम में हड़कंप
लखनऊ । नगर निगम की ओर से अन्ना हजारे को लखनऊ का निवासी बताते हुए जन्म
प्रमाण पत्र जारी करने का खुलासा होने के बाद शनिवार को निगम दफ्तर में
हड़कंप मचा रहा। महापौर डॉ दिनेश शर्मा की पहल पर निगम आयुक्त ने मामले
की जांच के आदेश दिए हैं।
महज छह सौ रुपये में अन्ना का लखनऊ का जन्म प्रमाण पत्र बनवा कर 'अमर
उजाला' ने शुक्रवार को ही निगम में चल रहे गोरखधंधे का खुलासा किया था।
बिना किसी दस्तावेज केबने इस जन्म प्रमाण पत्र पर रजिस्ट्रार के
हस्ताक्षर तो हैं ही, इसे निगम ने अपने रिकॉर्ड में भी दर्ज कर लिया है।
हालांकि खबर प्रकाशित होने के बाद निगम ने प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया
है।
शेष पेज 7 पर

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अन्ना के...
इस मामले की जानकारी विदेश में इलाज कराने गए नगर आयुक्त शैलेश कुमार
सिंह तक भी पहुंचाई गई। उन्होंने फोन पर ही निगम अफसरों की जमकर क्लास
लगाई। यही नहीं उन्होंने अपर नगर आयुक्त को जांच का जिम्मा देने के साथ
ही जल्द रिपोर्ट मांगी है। बता दें कि मुख्यालय गेट पर अन्ना हजारे के
समर्थन में भ्रष्टाचार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन करने वाले निगम
कर्मचारियों का असली चेहरा शुक्रवार को अमर उजाला उजागर किया था। निगम
में सक्रिय दलालों ने महज छह सौ रुपये की खातिर कर्मचारियों मदद से
महाराष्ट्र निवासी अन्ना हजारे के मूल नाम से लखनऊ में पैदा होने का जन्म
प्रमाण पत्र बना डाला था। दिलचस्प ये है कि निगम में तैनात रजिस्ट्रार ने
डीएम आवास का पता होने केबावजूद अपने हस्ताक्षर से इस प्रमाण पत्र को
जारी कर दिया।






- Urvashi Sharma
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