Friday, August 5, 2011

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प्रेस विज्ञप्ति

1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के अंतिम चरण के दौरान, संयुक्त राज्य
अमेरिका ने जापान में हिरोशिमा और नागासाकी के शहरों के खिलाफ दो परमाणु
बम विस्फोट, 6 अगस्त, 1945 को पहली और 9 अगस्त, 1945 को दूसरी बार प्रयोग
किया | यह दो घटनाएँ ही युद्ध इतिहास में परमाणु हथियारों के प्रयोग
की एकमात्र घटनाएँ हैं परन्तु परमाणु बम की असीम ताक़त के पीछे भागते
देशों की अंधी दौड़ ने संसार को एक ऐसे विन्दु पर लाकर छोड़ दिया है कि
यदि अब युद्ध हुआ तो इस धरती पर जीवन पल भर में समाप्त हो जायेगा और
युद्ध हे बाद जीवन की संभावनाएँ भी नगण्य भर रह जाएँगी |
हिरोशिमा परमाणु बम आपदा के बाद यह एक प्रमुख प्रश्न है कि क्या हमारे
देश को भी परमाणु अस्त्रों को इकट्ठा करने की अंधी दौड़ में शामिल होना
चाहिए अथवा अंतर्राष्ट्रीय परिद्रश्य में देश की वर्तमान परमाणु नीति
को लेकर पुनर्विचार की आवश्यकता है ?आज की संगोष्ठी इसी विषय को लेकर
आयोजित की गयी थी |

परमाणु शक्ति का प्रयोग बिजली बनाने में भी हो रहा है | .परमाणु शक्ति
भारत में चौथा सबसे बड़ा बिजली का स्रोत है | आईटीईआर परियोजना में
अपनी भागीदारी के माध्यम से परमाणु संलयन रिएक्टरों और थोरियम आधारित
फास्ट ब्रीडर रिएक्टरों के विकास में भारत विश्व में अपनी एक पहचान बनाता
जा रहा है | किन्तु जापानी परमाणु आपदा के बाद यह एक प्रमुख प्रश्न है
कि क्या हमारे देश को भी परमाणु विद्युत परियोजनायों को लेकर पुनर्विचार
की आवश्यकता है ?आज की संगोष्ठी में इस विषय पर भी परिचर्चा की गयी |
साथ ही बिजली उत्पादन के अन्य ऐसे श्रोतों पर भी परिचर्चा हुई जो परमाणु
उर्जा का विकल्प बन सकें |

संगोष्ठी में बड़ी संख्या में लखनऊ के प्रबुद्ध जनमानस एवं समाजसेवियो ने
प्रतिभाग किया |

संगोष्ठी का आरम्भ करते हुए प्रसिद्ध समाजसेविका और येश्वर्याज सेवा
संस्थान की सचिव उर्वशी शर्मा ने कहा कि भारत के पास बिभिन्न परमाणु
हथियार हैं जिनमें लघु और मध्यम दूरी के बैलिस्टिक मिसाइलों, परमाणु
सक्षम विमान, सतह जहाजों, और पनडुब्बियों आदि हैं | हालांकि भारत ने
अपने परमाणु शस्त्रागार के आकार के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं किया
है, हाल के अनुमान बताते हैं कि भारत के बीच 80 और 100 परमाणु हथियार हैं
| भारत के सामरिक परमाणु कमान को औपचारिक रूप से 2003 में स्थापित किया
गया था |संयुक्त सेवाएँ SNC भारत के परमाणु हथियार मिसाइलें और परमाणु
संपत्ति के संरक्षक है | यह भारत की परमाणु नीति के सभी पहलुओं को
क्रियान्वित करने के लिए जिम्मेदार है | हालांकि, सीसीएस के रूप में
नागरिक नेतृत्व, (सुरक्षा पर कैबिनेट समिति) एकमात्र संस्था है जो
परिस्थितियों के अनुसार एक परमाणु हमले का आदेश करने के लिए अधिकृत:
हैं | इस प्रकार भारत का परमाणु बटन प्रधानमंत्री के नियंत्रण में
ही है | उर्वशी ने प्रधानमंत्री से अपील की कि अब समय आ गया है जब भारत
को आगे आकर अंतर्राष्ट्रीय पटल पर परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए सार्थक
प्रयास करने चाहिए |

प्रसिद्द समाजसेवी और सेव कल्चुरल values foundation के सचिव आशीष कुमार
श्रीवास्तव नें चर्चा को आगे बढ़ाते हुए सभा के सम्मुख यह तथ्य रखा कि
यधपि हथियार कार्यक्रम के लिए इस्तेमाल यूरेनियम को ऊर्जा कार्यक्रम से
अलग किया गया है तथापि उर्जा उत्पादन के लिए चल रहे संयंत्रो में समय समय
पर होने बाली दुर्घटनाएं समस्त मानव जाति के लिए खतरा हैं | उन्होंने
कहा कि परमाणु विकिरण मानव द्वारा बनायीं गयी भौगौलिक सीमाओं को नहीं
मानता और दुर्घटना होने पर निर्बाध रूप से सम्पूर्ण विश्व में फेलता है
| उन्होंने कुछ उदाहरण देते हुए बताया कि अमेरिकी विश्वविद्यालय में
शोधकर्ताओं ने 1993 और 1995 के बीच भारत में परमाणु संयंत्रों पर कम से
कम 124 "खतरनाक घटनाओं" गणना की थी | Fukushima आपदा के बाद आज देश की
सभी परमाणु विद्युत परियोजनाएं चिंता का विषय हैं | उन्होनें परमाणु
उर्जा के प्रयोग के स्थान पर उर्जा के वैकल्पिक साधनों के प्रयोग पर बल
दिया |

परिचर्चा में भाग लेते हुए अन्य वक्ताओं ने बिचार रखे कि हमारे पास
हवा, सूर्य, और बायोमास जैसे तीन अक्षय ऊर्जा श्रोत है | हमारे पास
धूप, हवा, बारिश, ज्वार, और धरती के गर्भ की गर्मी है, जो अक्षय हैं और
प्राकृतिक संसाधनों से आता है | अक्षय ऊर्जा जीवाश्म ईंधन और परमाणु
ऊर्जा के लिए एक विकल्प है | संगोष्ठी में परमाणु meltdowns और
Fukushima में (2011) परमाणु दुर्घटना, तीन माइल आइलैंड दुर्घटना (1979)
और चेरनोबिल आपदा (1986) जैसे अन्य रिएक्टर दुर्घटनाओं पर सामूहिक चिंता
व्यक्त की गयी | संगोष्ठी में इस तथ्य पर भी चिंता व्यक्त की गयी कि
कोयला और पनबिजली विद्युत उत्पादन कि तुलना में परमाणु बिजली उत्पादन
में प्रति यूनिट अधिक लोगों की मृत्यु का आकलन किया गया है | संगोष्ठी
में रेडियोधर्मी कचरे के भंडारण की समस्याओं पर भी चर्चा हुई|

संगोष्ठी में बिहार के प्रसिद्ध समाजसेवी सरफराज अहमद - प्रबंध निदेशक अल
खेर सोसाइटी , बिहार के प्रसिद्ध समाजसेवी मोहम्मद फरीदी , झारखण्ड के
प्रसिद्ध समाजसेवी मनोज चौबे , धर्मेन्द्र , अजय , प्रतापगढ़ के प्रसिद्ध
समाजसेवी सुशील , सेव कल्चुरल values foundation लखनऊ और येश्वर्याज
सेवा संस्थान लखनऊ के सदस्यों के साथ बड़ी संख्या में लखनऊ के प्रबुद्ध
जनमानस ने प्रतिभाग कर विचार एवं सुझाव व्यक्त किये |

संगोष्ठी में यह निर्णय लिया गया कि सभी बक्ताओं के विचारों और सुझावों
का समावेश कर एक ज्ञापन महामहिम राज्यपाल के माध्यम से देश के
प्रधानमंत्री को प्रेषित किया जायेगा |

संगोष्ठी के अंत में सरफराज अहमद ने सभी आगंतुकों को धन्यवाद ज्ञापित किया |

आशीष कुमार श्रीवास्तव


उर्वशी शर्मा


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उर्वशी शर्मा
"सूचना का अधिकार " हेल्पलाइन: 8081898081
yaishwaryaj@gmail.com

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