Sunday, April 29, 2012

शिक्षा के नाम पर 1416 लाख की बंदरबाट

http://www.rajexpress.in/news/78392.aspx

शिक्षा के नाम पर 1416 लाख की बंदरबाट
On 4/29/2012 8:30:46 PM


लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अजा/अजजा के बच्चों को तकनीकी शिक्षा देने के नाम
पर करोड़ों रुपए का घोटाला सामने आया है। येश्वर्याज सेवा संस्थान की
सचिव उर्वशी शर्मा ने पूर्ववर्ती सरकार के अफसरों पर आरोप लगाया कि 1416
लाख रुपए की निर्गत धनराशि को दलित हितों की उपेक्षा कर बन्दरबांट
कियागया है।

स्थानीय जीबी पंत पॉलीटेक्निक के निरीक्षण में संस्था की लैब एवं वर्कशॉप
को आधुनिक रूप देने के लिए दिए गए 164 लाख रुपए में 6 वाटर कूलर,18 एसी
1.5 टन और 70 कम्प्यूटर खरीदे गए हैं।

वाटर कूलर जब से आए हैं, काम नहीं कर रहे हैं और ब्रांड और कंपनी का पता
नहीं है। संस्था में कम्प्यूटर ट्रेड नहीं है और 70 कम्प्यूटर खरीदे गए,
जबकि लैब के लिए कोई सामान नहीं खरीदा गया है। पैटर्न वर्कशाप में पांच
नई मशीनें खरीदी गई, लेकिन स्टालेशन अभी तक नहीं कराया गया है, साथ ही
संस्थान के समस्त भवनों की मरम्मत के लिए 13 करोड़ का धनराशि उपलब्ध कराई
गई थी, उसका भी समुचित उपयोग नहीं हुआ है।

2009 में प्राविधिक शिक्षा विभाग की उच्चस्तरीय तकनीकी समिति एवं संस्था
के तकनीकी कार्मिकों द्वारा संस्था की लैब,वर्कशॉप आदि के तकनीकी उन्नयन
हेतु नवीन उपकरण, मशीन, उपस्कर आदि क्रय कर पॉलीटेक्निक में स्थापित
कराने हेतु प्रस्ताव प्रेषित किया था। उप्र शासन ने प्रस्ताव का मदवार
अनुमोदन अस्वीकृति कर रुपए 1416 लाख की धनराशि दी थी।

http://www.rajexpress.in/news/78392.aspx

उत्तर प्रदेश में दलित बच्चों की शिक्षा पर 1416 लाख का बन्दरबांट!

 
29 Apr 2012 04:50:50 PM IST
Last Updated : 29 Apr 2012 05:26:57 PM IST

उत्तर प्रदेश में दलित बच्चों की शिक्षा पर 1416 लाख का बन्दरबांट!

उर्वशी शर्मा
उत्तर प्रदेश में दलित बच्चों की शिक्षा पर 1416 लाख का बन्दरबांट का आरोप
 
उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति/जनजाति के बच्चों को तकनीकी शिक्षा देने के नाम पर करोड़ों रुपयों के घोटाले का मामला प्रकाश में आया है.
लखनऊ में येश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव उर्वशी शर्मा ने पूर्ववर्ती मायावती सरकार के अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि 1416 लाख की निर्गत धनराशि को दलित हितों की उपेक्षा कर बन्दरबांट कर लिया गया है.

लखनऊ में मोहान रोड पर राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त पॉलीटेक्निक के निरीक्षण में संस्था की लैब एवं वर्कशाप को आधुनिक रुप से सुसज्जित करने के लिए दिए गए 164 लाख रुपये में 6 वाटर कूलर,18 एसी 1.5 टन और 70 कम्प्यूटर खरीदे गए हैं.

वाटर कूलर जब से आये हैं, काम नहीं कर रहे हैं और ब्रांड और कम्पनी का पता नहीं है. संस्था में कम्प्यूटर ट्रेड नहीं है और 70 कम्प्यूटर खरीदे गए. जबकि लैब के लिए कोई सामान नहीं खरीदा गया है. पैटर्न वर्कशाप में भी कोई मशीन व उपकरण नहीं खरीदे गये हैं.

रिपोर्ट बताती है कि मशीन वर्कशाप में पांच नई मशीनें खरीदी गई लेकिन स्टालेशन अभी तक नहीं कराया गया है. संस्थान के समस्त भवनों की मरम्मत के लिए 13 करोड़ का धनराशि उपलब्ध कराई गई थी, उसका भी समुचित उपयोग नहीं हुआ है.
 
2009 में प्राविधिक शिक्षा विभाग की उच्चस्तरीय तकनीकी समिति एवं संस्था के तकनीकी कार्मिकों द्वारा संस्था की लैब,वर्कशॉप आदि के तकनीकी अद्यतनीकरण हेतु नवीन उपकरण /मशीन/उपस्कर आदि क्रय कर पॉलीटेक्निक में स्थापित कराने हेतु प्रस्ताव उत्तर प्रदेश शासन को प्रेषित किया गया था.

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश शासन ने इस प्रस्ताव का मदवार अनुमोदन/अस्वीकृति कर रुपये 1416 लाख की धनराशि निर्गत की गयी. इस रुपये 1416 लाख की धनराशि का व्यय उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पूर्व प्रेषित प्रस्ताव के मदवार अनुमोदन के अनुसार करने हेतु उत्तर प्रदेश शासन द्वारा मिश्री लाल पासवान निदेशक समाज कल्याण की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था.

इसमें सुरेन्द्र  प्रसाद- सचिव  प्राविधिक  शिक्षा  परिषद उत्तर प्रदेश, राजीव  सिन्हा-अधिशाषी अभियंता समाज कल्याण निर्माण निगम लखनऊ एवं राजेश चन्द्रा-तत्कालीन प्रधानाचार्य राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त पॉलीटेक्निक समिति के सदस्य थे.

इस समिति का कार्य उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पूर्वानुमोदित सूची के अनुसार नवीन उपकरण /मशीन/उपस्कर आदि को नियमानुसार क्रय कर संस्था में स्थापित कराना सुनिश्चित करना था किन्तु उक्त समिति द्वारा मनमाना व्यवहार कर उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पूर्वानुमोदित सूची से इतर अनावश्यक मदों में धनराशि व्यय की गयी जिसके कारण वित्तीय दुर्विनियोग एवं शासकीय धनराशि में दुरभिसंधि की प्रबल संभावना है.

यही नहीं, दो वर्ष से अधिक का समय व्यतीत हो जाने पर भी अभी तक कोई भी उपकरण /मशीन/उपस्कर आदि संस्था में स्थापित नहीं किया गया है. समिति द्वारा संपादित किये गये क्रय व अन्य कार्य भी संदेहास्पद है. किये गए सभी क्रय व अन्य कार्यों का स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच एजेंसी से भौतिक सत्यापन आवश्यक है.
         
पॉलीटेक्निक में शैक्षिक सत्र माह जुलाई से आरम्भ होता है किन्तु पांच माह में संस्था में शैक्षिक गतिविधियाँ लगभग शून्य होना तत्कालीन प्रधानाचार्य राजेश चन्द्रा की शैक्षिक कार्यों के प्रति उदासीनता ही दर्शाता है.

इससे यह भी स्पष्ट है कि तत्कालीन प्रधानाचार्य राजेश चन्द्रा के कार्यकाल में कक्षाएँ तो चली ही नहीं हैं साथ ही साथ दो वर्ष से अधिक का समय व्यतीत हो जाने पर भी अभी तक कोई भी उपकरण /मशीन/उपस्कर आदि संस्था में स्थापित नहीं किया गया है.

इस प्रकार अनुसूचित जाति/जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग के छात्रों के भविष्य के साथ जमकर खिलवाड़ किया गया है.

गौरतलब है कि अनुसूचित जाति/जनजाति  एवं  अन्य  पिछड़े वर्ग को तकनीकी क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षण प्रदान कर देश की मुख्यधारा में जोड़ने के उद्देश्य से लखनऊ में मोहान रोड पर राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त पॉलीटेक्निक 1965 से समाज कल्याण विभाग से संचालित हो रहा है.

संस्था में अनुसूचित जाति/जनजाति के 70 फीसद छात्र, अन्य पिछड़े वर्ग के 27 फीसद छात्र एवं सामान्य वर्ग के तीन फीसद छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं.

उर्वशी ने इस भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिये मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को 21 अप्रैल को प्रेषित पत्र में उपनिदेशक समाज कल्याण लखनऊ मंडल की निरीक्षण आख्या (10 अप्रैल 2012), प्रधानाचार्य के पत्र (2 दिसम्बर 11) प्रतियाँ भेजी हैं.
 
 
 

उत्तर प्रदेश में दलित बच्चों की शिक्षा पर 1416 लाख का बन्दरबांट!

http://www.samaylive.com/regional-news-in-hindi/uttar-pradesh-news-in-hindi/148455/lucknow-uttar-pradesh-sc-st-children-technical-education-multimi.html

उत्तर प्रदेश में दलित बच्चों की शिक्षा पर 1416 लाख का बन्दरबांट!

उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति/जनजाति के बच्चों को तकनीकी शिक्षा देने
के नाम पर करोड़ों रुपयों के घोटाले का मामला प्रकाश में आया है.

लखनऊ में येश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव उर्वशी शर्मा ने पूर्ववर्ती
मायावती सरकार के अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि 1416 लाख की निर्गत
धनराशि को दलित हितों की उपेक्षा कर बन्दरबांट कर लिया गया है.

लखनऊ में मोहान रोड पर राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त पॉलीटेक्निक के
निरीक्षण में संस्था की लैब एवं वर्कशाप को आधुनिक रुप से सुसज्जित करने
के लिए दिए गए 164 लाख रुपये में 6 वाटर कूलर,18 एसी 1.5 टन और 70
कम्प्यूटर खरीदे गए हैं.

वाटर कूलर जब से आये हैं, काम नहीं कर रहे हैं और ब्रांड और कम्पनी का
पता नहीं है. संस्था में कम्प्यूटर ट्रेड नहीं है और 70 कम्प्यूटर खरीदे
गए. जबकि लैब के लिए कोई सामान नहीं खरीदा गया है. पैटर्न वर्कशाप में भी
कोई मशीन व उपकरण नहीं खरीदे गये हैं.

रिपोर्ट बताती है कि मशीन वर्कशाप में पांच नई मशीनें खरीदी गई लेकिन
स्टालेशन अभी तक नहीं कराया गया है. संस्थान के समस्त भवनों की मरम्मत के
लिए 13 करोड़ का धनराशि उपलब्ध कराई गई थी, उसका भी समुचित उपयोग नहीं
हुआ है.

2009 में प्राविधिक शिक्षा विभाग की उच्चस्तरीय तकनीकी समिति एवं संस्था
के तकनीकी कार्मिकों द्वारा संस्था की लैब,वर्कशॉप आदि के तकनीकी
अद्यतनीकरण हेतु नवीन उपकरण /मशीन/उपस्कर आदि क्रय कर पॉलीटेक्निक में
स्थापित कराने हेतु प्रस्ताव उत्तर प्रदेश शासन को प्रेषित किया गया था.

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश शासन ने इस प्रस्ताव का मदवार
अनुमोदन/अस्वीकृति कर रुपये 1416 लाख की धनराशि निर्गत की गयी. इस रुपये
1416 लाख की धनराशि का व्यय उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पूर्व प्रेषित
प्रस्ताव के मदवार अनुमोदन के अनुसार करने हेतु उत्तर प्रदेश शासन द्वारा
मिश्री लाल पासवान निदेशक समाज कल्याण की अध्यक्षता में एक समिति का गठन
किया गया था.

इसमें सुरेन्द्र प्रसाद- सचिव प्राविधिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश,
राजीव सिन्हा-अधिशाषी अभियंता समाज कल्याण निर्माण निगम लखनऊ एवं राजेश
चन्द्रा-तत्कालीन प्रधानाचार्य राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त पॉलीटेक्निक
समिति के सदस्य थे.

इस समिति का कार्य उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पूर्वानुमोदित सूची के
अनुसार नवीन उपकरण /मशीन/उपस्कर आदि को नियमानुसार क्रय कर संस्था में
स्थापित कराना सुनिश्चित करना था किन्तु उक्त समिति द्वारा मनमाना
व्यवहार कर उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पूर्वानुमोदित सूची से इतर अनावश्यक
मदों में धनराशि व्यय की गयी जिसके कारण वित्तीय दुर्विनियोग एवं शासकीय
धनराशि में दुरभिसंधि की प्रबल संभावना है.

यही नहीं, दो वर्ष से अधिक का समय व्यतीत हो जाने पर भी अभी तक कोई भी
उपकरण /मशीन/उपस्कर आदि संस्था में स्थापित नहीं किया गया है. समिति
द्वारा संपादित किये गये क्रय व अन्य कार्य भी संदेहास्पद है. किये गए
सभी क्रय व अन्य कार्यों का स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच एजेंसी से भौतिक
सत्यापन आवश्यक है.

पॉलीटेक्निक में शैक्षिक सत्र माह जुलाई से आरम्भ होता है किन्तु पांच
माह में संस्था में शैक्षिक गतिविधियाँ लगभग शून्य होना तत्कालीन
प्रधानाचार्य राजेश चन्द्रा की शैक्षिक कार्यों के प्रति उदासीनता ही
दर्शाता है.

इससे यह भी स्पष्ट है कि तत्कालीन प्रधानाचार्य राजेश चन्द्रा के
कार्यकाल में कक्षाएँ तो चली ही नहीं हैं साथ ही साथ दो वर्ष से अधिक का
समय व्यतीत हो जाने पर भी अभी तक कोई भी उपकरण /मशीन/उपस्कर आदि संस्था
में स्थापित नहीं किया गया है.

इस प्रकार अनुसूचित जाति/जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग के छात्रों के
भविष्य के साथ जमकर खिलवाड़ किया गया है.

गौरतलब है कि अनुसूचित जाति/जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग को तकनीकी
क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षण प्रदान कर देश की मुख्यधारा में जोड़ने
के उद्देश्य से लखनऊ में मोहान रोड पर राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त
पॉलीटेक्निक 1965 से समाज कल्याण विभाग से संचालित हो रहा है.

संस्था में अनुसूचित जाति/जनजाति के 70 फीसद छात्र, अन्य पिछड़े वर्ग के
27 फीसद छात्र एवं सामान्य वर्ग के तीन फीसद छात्र शिक्षा ग्रहण करते
हैं.

उर्वशी ने इस भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिये मुख्यमंत्री अखिलेश यादव
को 21 अप्रैल को प्रेषित पत्र में उपनिदेशक समाज कल्याण लखनऊ मंडल की
निरीक्षण आख्या (10 अप्रैल 2012), प्रधानाचार्य के पत्र (2 दिसम्बर 11)
प्रतियाँ भेजी हैं.

http://www.samaylive.com/regional-news-in-hindi/uttar-pradesh-news-in-hindi/148455/lucknow-uttar-pradesh-sc-st-children-technical-education-multimi.html

bhadas4medianews : अधिकारियों ने समाज कल्‍याण विभाग के १४१६ लाख रुपयों का बंदरबांट किया

http://www.news.bhadas4media.com/index.php/yeduniya/1264-2012-04-29-13-41-54


[LARGE][LINK=/index.php/yeduniya/1264-2012-04-29-13-41-54]अधिकारियों
ने समाज कल्‍याण विभाग के १४१६ लाख रुपयों का बंदरबांट किया
[/LINK][/LARGE]
Written by उर्वशी शर्मा Category:
[LINK=/index.php/yeduniya]सियासत-ताकत-राजकाज-देश-प्रदेश-दुनिया-समाज-सरोकार[/LINK]
Published on 29 April 2012
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[LINK=/index.php/yeduniya/1264-2012-04-29-13-41-54?tmpl=component&print=1&layout=default&page=][IMG]/templates/youmagazine/images/system/printButton.png[/IMG][/LINK]
मुख्‍यमंत्री, महोदय। अनुसूचित जाति/जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग को
तकनीकी क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षण प्रदान कर देश की मुख्यधारा में
जोड़ने के पावन उद्देश्य से राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त पॉलीटेक्निक, मोहान
रोड, लखनऊ वर्ष १९६५ से समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित है। संस्था में
अनुसूचित जाति/जनजाति के ७०% छात्र, अन्य पिछड़े वर्ग के २७% छात्र एवं
सामान्य वर्ग के ३% छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं। वर्ष २००९ में
प्राविधिक शिक्षा विभाग की उच्चस्तरीय तकनीकी समिति एवं संस्था के तकनीकी
कार्मिकों द्वारा संस्था की लैब, वर्कशॉप आदि के तकनीकी अद्यतनीकरण हेतु
नवीन उपकरण/ मशीन / उपस्कर आदि क्रय कर पॉलीटेक्निक में स्थापित कराने
हेतु प्रस्ताव उत्तर प्रदेश शासन को प्रेषित किया गया। उत्तर प्रदेश शासन
द्वारा उक्त प्रस्ताव का मदवार अनुमोदन/अस्वीकृति कर रुपये १४१६ लाख की
धनराशि निर्गत की गयी।

उक्त रुपये १४१६ लाख की धनराशि का व्यय उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पूर्व
प्रेषित प्रस्ताव के मदवार अनुमोदन के अनुसार करने हेतु उत्तर प्रदेश
शासन द्वारा श्री मिश्री लाल पासवान निदेशक समाज कल्याण की अध्‍यक्षता
में एक समिति का गठन किया गया था। श्री सुरेन्द्र प्रसाद - सचिव
प्राविधिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री राजीव सिन्हा - अधिशाषी
अभियंता समाज कल्याण निर्माण निगम लखनऊ एवं श्री राजेश चन्द्रा -
तत्कालीन प्रधानाचार्य राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त पॉलीटेक्निक समिति के
सदस्य थे। उक्त समिति का कार्य उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पूर्वानुमोदित
सूची के अनुसार नवीन उपकरण / मशीन / उपस्कर आदि को नियमानुसार क्रय कर
संस्था में स्थापित कराना सुनिश्चित करना था किन्तु उक्त समिति द्वारा
मनमाना व्यवहार कर उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पूर्वानुमोदित सूची से इतर
अनावश्यक मदों में धनराशि व्यय की गयी, जिसके कारण वित्तीय दुर्विनियोग
एवं शासकीय धनराशि में दुरभिसंधि की प्रबल संभावना है। यही नहीं, क्योंकि
दो वर्ष से अधिक का समय व्यतीत हो जाने पर भी अभी तक कोई भी उपकरण / मशीन
/ उपस्कर आदि संस्था में स्थापित नहीं किया गया है अतः उक्त समिति द्वारा
संपादित किया गए क्रय व अन्य कार्य भी संदेहास्पद है एवं किये गए सभी
क्रय व अन्य कार्यों का स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच एजेंसी द्वारा भौतिक
सत्यापन आवश्यक है।

पॉलीटेक्निक में शैक्षिक सत्र माह जुलाई से आरम्भ होता है किन्तु पांच
माह में उक्त संस्था में शैक्षिक गतिविधियाँ लगभग शून्य होना, तत्कालीन
प्रधानाचार्य श्री राजेश चन्द्रा की शैक्षिक कार्यों के प्रति उदासीनता
तो दर्शाता ही है, इससे यह भी स्पष्‍ट है कि तत्कालीन प्रधानाचार्य श्री
राजेश चन्द्रा के कार्यकाल में कक्षाएँ तो चली ही नहीं हैं साथ ही साथ दो
वर्ष से अधिक का समय व्यतीत हो जाने पर भी अभी तक कोई भी उपकरण / मशीन /
उपस्कर आदि संस्था में स्थापित नहीं किया गया है और इस प्रकार अनुसूचित
जाति/जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग के छात्रों के भविष्य के साथ जमकर
खिलवाड़ किया गया है। कृपया उपनिदेशक समाज कल्याण लखनऊ मंडल की निरीक्षण
आख्या दिनांक १० अप्रैल २०१२, प्रधानाचार्य के पत्र दिनांक ०२-१२-११ एवं
मेरे द्वारा माननीय मुख्यमंत्री को प्रेषित पत्र दिनांक २१-०४-२०१२ की
प्रतियाँ संलग्न करते हुए इस आशय से प्रेषित हैं कि व्यापक लोकहित में
तत्कालीन निदेशक समाज कल्याण मिश्री लाल पासवान (मोबाइल ९४१५४७०७१८),
वर्तमान सचिव, प्राविधिक शिक्षा परिषद सुरेन्द्र प्रसाद (मोबाइल
९३३५९१११३०, ९४१५६६८१९७) एवं तत्कालीन प्रधानाचार्य राजेश चन्द्रा (
मोबाइल ९४१५५६५६३३) के सम्मिलित भ्रष्टाचार को उजागर करेंगे।

सादर

[B]उर्वशी शर्मा[/B]

सचिव - येश्वर्याज सेवा संस्थान
ऍफ़-२२८६ , राजाजीपुरम लखनऊ
ऍफ़ ब्लाक पानी की टंकी के पास
मोबाइल- ९३६९६१३५१३, ८०८१८९८०८१, ९४५५५५३८३८

http://www.news.bhadas4media.com/index.php/yeduniya/1264-2012-04-29-13-41-54

samay live : उत्तर प्रदेश में दलित बच्चों की शिक्षा पर 1416 लाख का बन्दरबांट!

http://www.samaylive.com/regional-news-in-hindi/uttar-pradesh-news-in-hindi/148455/lucknow-uttar-pradesh-sc-st-children-technical-education-multimi.html


रविवार, 29 अप्रैल, 2012 | 10:51 PM IST

उत्तर प्रदेश में दलित बच्चों की शिक्षा पर 1416 लाख का बन्दरबांट!


उत्तर प्रदेश में दलित बच्चों की शिक्षा पर 1416 लाख का बन्दरबांट का आरोप

उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति/जनजाति के बच्चों को तकनीकी शिक्षा देने
के नाम पर करोड़ों रुपयों के घोटाले का मामला प्रकाश में आया है.

लखनऊ में येश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव उर्वशी शर्मा ने पूर्ववर्ती
मायावती सरकार के अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि 1416 लाख की निर्गत
धनराशि को दलित हितों की उपेक्षा कर बन्दरबांट कर लिया गया है.

लखनऊ में मोहान रोड पर राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त पॉलीटेक्निक के
निरीक्षण में संस्था की लैब एवं वर्कशाप को आधुनिक रुप से सुसज्जित करने
के लिए दिए गए 164 लाख रुपये में 6 वाटर कूलर,18 एसी 1.5 टन और 70
कम्प्यूटर खरीदे गए हैं.

वाटर कूलर जब से आये हैं, काम नहीं कर रहे हैं और ब्रांड और कम्पनी का
पता नहीं है. संस्था में कम्प्यूटर ट्रेड नहीं है और 70 कम्प्यूटर खरीदे
गए. जबकि लैब के लिए कोई सामान नहीं खरीदा गया है. पैटर्न वर्कशाप में भी
कोई मशीन व उपकरण नहीं खरीदे गये हैं.

रिपोर्ट बताती है कि मशीन वर्कशाप में पांच नई मशीनें खरीदी गई लेकिन
स्टालेशन अभी तक नहीं कराया गया है. संस्थान के समस्त भवनों की मरम्मत के
लिए 13 करोड़ का धनराशि उपलब्ध कराई गई थी, उसका भी समुचित उपयोग नहीं
हुआ है.

2009 में प्राविधिक शिक्षा विभाग की उच्चस्तरीय तकनीकी समिति एवं संस्था
के तकनीकी कार्मिकों द्वारा संस्था की लैब,वर्कशॉप आदि के तकनीकी
अद्यतनीकरण हेतु नवीन उपकरण /मशीन/उपस्कर आदि क्रय कर पॉलीटेक्निक में
स्थापित कराने हेतु प्रस्ताव उत्तर प्रदेश शासन को प्रेषित किया गया था.

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश शासन ने इस प्रस्ताव का मदवार
अनुमोदन/अस्वीकृति कर रुपये 1416 लाख की धनराशि निर्गत की गयी. इस रुपये
1416 लाख की धनराशि का व्यय उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पूर्व प्रेषित
प्रस्ताव के मदवार अनुमोदन के अनुसार करने हेतु उत्तर प्रदेश शासन द्वारा
मिश्री लाल पासवान निदेशक समाज कल्याण की अध्यक्षता में एक समिति का गठन
किया गया था.

इसमें सुरेन्द्र प्रसाद- सचिव प्राविधिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश,
राजीव सिन्हा-अधिशाषी अभियंता समाज कल्याण निर्माण निगम लखनऊ एवं राजेश
चन्द्रा-तत्कालीन प्रधानाचार्य राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त पॉलीटेक्निक
समिति के सदस्य थे.

इस समिति का कार्य उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पूर्वानुमोदित सूची के
अनुसार नवीन उपकरण /मशीन/उपस्कर आदि को नियमानुसार क्रय कर संस्था में
स्थापित कराना सुनिश्चित करना था किन्तु उक्त समिति द्वारा मनमाना
व्यवहार कर उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पूर्वानुमोदित सूची से इतर अनावश्यक
मदों में धनराशि व्यय की गयी जिसके कारण वित्तीय दुर्विनियोग एवं शासकीय
धनराशि में दुरभिसंधि की प्रबल संभावना है.

यही नहीं, दो वर्ष से अधिक का समय व्यतीत हो जाने पर भी अभी तक कोई भी
उपकरण /मशीन/उपस्कर आदि संस्था में स्थापित नहीं किया गया है. समिति
द्वारा संपादित किये गये क्रय व अन्य कार्य भी संदेहास्पद है. किये गए
सभी क्रय व अन्य कार्यों का स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच एजेंसी से भौतिक
सत्यापन आवश्यक है.

पॉलीटेक्निक में शैक्षिक सत्र माह जुलाई से आरम्भ होता है किन्तु पांच
माह में संस्था में शैक्षिक गतिविधियाँ लगभग शून्य होना तत्कालीन
प्रधानाचार्य राजेश चन्द्रा की शैक्षिक कार्यों के प्रति उदासीनता ही
दर्शाता है.

इससे यह भी स्पष्ट है कि तत्कालीन प्रधानाचार्य राजेश चन्द्रा के
कार्यकाल में कक्षाएँ तो चली ही नहीं हैं साथ ही साथ दो वर्ष से अधिक का
समय व्यतीत हो जाने पर भी अभी तक कोई भी उपकरण /मशीन/उपस्कर आदि संस्था
में स्थापित नहीं किया गया है.

इस प्रकार अनुसूचित जाति/जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग के छात्रों के
भविष्य के साथ जमकर खिलवाड़ किया गया है.

गौरतलब है कि अनुसूचित जाति/जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग को तकनीकी
क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षण प्रदान कर देश की मुख्यधारा में जोड़ने
के उद्देश्य से लखनऊ में मोहान रोड पर राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त
पॉलीटेक्निक 1965 से समाज कल्याण विभाग से संचालित हो रहा है.

संस्था में अनुसूचित जाति/जनजाति के 70 फीसद छात्र, अन्य पिछड़े वर्ग के
27 फीसद छात्र एवं सामान्य वर्ग के तीन फीसद छात्र शिक्षा ग्रहण करते
हैं.

उर्वशी ने इस भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिये मुख्यमंत्री अखिलेश यादव
को 21 अप्रैल को प्रेषित पत्र में उपनिदेशक समाज कल्याण लखनऊ मंडल की
निरीक्षण आख्या (10 अप्रैल 2012), प्रधानाचार्य के पत्र (2 दिसम्बर 11)
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29 Apr 2012 04:50:50 PM IST

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- Urvashi Sharma
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Saturday, April 28, 2012

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Received: by 10.68.219.72 with SMTP id pm8mr14495607pbc.116.1335638059324;
Sat, 28 Apr 2012 11:34:19 -0700 (PDT)
Date: Sat, 28 Apr 2012 11:34:19 -0700
From: "URVASHI SHARMA" <rtihelpmail@gmail.com>
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Friday, April 13, 2012

Big Discount Lipper International 524C Child's Round Table and 2-Chair Set, Cherry

Big Discount Lipper International 524C Child's Round Table and 2-Chair Set, Cherry





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DESCRIPTION LIPPER INTERNATIONAL 524C CHILD'S ROUND TABLE AND 2-CHAIR SET, CHERRY



Perfect for coloring pictures of dinosaurs or practicing the ABCs, this petite table and chair set from Lipper International makes a great addition to any kid's room. For children up to age 12, the set comprises of a round table and two chairs. The table not only provides ample surface space, but it also contains a shelf for stowing scissors, crayons, and artworks-in-progress. With a 100-pound weight capacity each, the chairs' 13-inch seat heights enable children to sit down and get up with ease.
Made in Thailand, the table and chairs benefit from durable beech wood construction. The chairs feature standard three-slat ladderbacks for ample back support. A non-toxic cherry finish enhances the set's appearance, while it also thwarts splinters. To clean the furniture, wipe pieces down with a soft damp cloth and use a mild soap on marks. Dry immediately to prevent water damage to the wood. The set's design best befits indoor use, and avoid using markers and non-washable paints to preserve the furniture's veneer. Upon delivery, some assembly is required. The set also is available in natural, pecan, and white finishes. For additional seats, Lipper International offers the matching 523/4 chair set. The table stands 23 inches tall with a 29-inch diameter. Chairs measure 26-1/2 by 13-1/2 by 12-1/2 inches each. This item weighs 48 pounds upon shipping. --Jessica Reuling
Round Table & 2 Chair Set perfectly sized for Toddlers and will match any child's room décor. Perfect for having tea parties.