Sunday, December 18, 2016

सदाकांत सरीखे भ्रष्ट अधिकारियों को प्रमुख सचिव पदों से हटाने की मांग के लिए धरना l









लखनऊ/18-12-16
यूपी की सत्ताधारी समाजवादी पार्टी में मचे घमासान की अब तक की लड़ाई में अखिलेश यादव विजयी बनकर उभरे हैं. अखिलेश सूबे की जनता को यह सन्देश देने में सफल रहे हैं कि वे यूपी में अब तक चल रही अन्य सभी सामानांतर सत्ताओं को धराशाही कर सूबे के इकलौते सीएम के रूप में स्थापित हो चुके हैं. अखिलेश ने यह भी स्थापित कर दिया है कि वे अब बिना किसी दबाब के अपने स्वतंत्र निर्णय लेने के लिए समर्थ हो गए है. अब तक अखिलेश एक ईमानदार राजनेता की अपनी छवि को कायम रखने में कामयाब रहे है.पिछले दिनों अखिलेश ने अपनी मंत्रिपरिषद से भ्रष्टाचार के आरोपी मंत्रियों को हटाकर सूबे की जनता को भ्रष्टाचार पर कड़ा रुख अपनाने का सन्देश देने की कोशिश की है पर बड़ा सबाल यह है कि क्या अखिलेश बाकई अपनी सरकार को भ्रष्टाचार मुक्त करने के प्रति गंभीर हैं या अखिलेश का अपने मंत्रियों को हटाना एक पारिवारिक और राजनैतिक ड्रामा भर था? अब यह सबाल उठाया है लखनऊ की समाजसेविका और आरटीआई कार्यकत्री उर्वशी शर्मा ने जिन्होंने अखिलेश यादव पर यूपी कैडर के 1983 बैच के 5 ऐसे आई.ए.एस. अधिकारियों को महत्वपूर्ण विभागों के प्रमुख सचिवों के पदों पर बैठाए रखने का आरोप लगाया है जिनको केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने विगत जुलाई माह में दागी घोषित करते हुए इन सभी का केंद्र सरकार के  सचिव और इसके समकक्ष पदों पर नाभिकायन करने से इनकार कर दिया था.

उर्वशी ने बातचीत में बताया कि वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र में उच्च और महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती के लिए अधिकारियों की स्क्रीनिंग के लिए '360 डिग्री प्रोफाइलिंग' की व्यवस्था लागू की है जिसके तहत किये गए परीक्षण के मूल्यांकन के बाद यूपी कैडर के 1983 बैच के दस अधिकारियों में से महज 3 ही सचिव या उसके समकक्ष पद के लिए योग्य पाए गए और बाकी 7 को दागी होने के कारण अनुत्तीर्ण घोषित किया गया.उर्वशी ने बताया कि केंद्र सरकार में सचिव और उसके समकक्ष पदों पर नियुक्तियों के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट समिति ने देश भर के 1983 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के पैनल की 360 डिग्री के मूल्यांकन मानदंड के तहत समीक्षा की थी. इस मूल्यांकन में वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट से परे जाकर सम्बंधित अधिकारी की सभी क्षेत्रों की छवि, प्रदर्शन,उसके वारे में वरिष्ठों और कनिष्ठों की प्रतिक्रिया, सीवीसी, सीबीआई से सीधी प्रतिक्रिया और खुफिया ब्यूरो की रिपोर्ट से मिली जानकारी की सभी कोणों समीक्षा कर अधिकारी की अखंडता के आधार पर प्रोन्नति निर्णय लिया गया. इस परिणाम को भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने बीते जुलाई की 18 तारिख को घोषित किया था. बकौल उर्वशी हाल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि केंद्र सरकार ने यूपी कैडर के 70 प्रतिशत IAS अधिकारियों को अयोग्य घोषित किया हो.

भारत सरकार ने राहुल भटनागर और राजीव कपूर का सचिव पद के लिए और अरुण कुमार सिन्हा का सचिव के समकक्ष पद के लिए योग्य घोषित  किया है जबकि राजीव कुमार,चंचल कुमार तिवारी,सदाकांत शुक्ला,हरि राज किशोर,संजीव सरन,राज प्रताप सिंह और बीरेश कुमार के दागी इतिहास के चलते इन सातों को अयोग्य ठहराया है.वर्तमान में राजीव कुमार निलंबित चल रहे हैं और राज प्रताप सिंह राजस्व परिषद् के सदस्य के महत्वहीन पद पर कार्यरत हैं.

उर्वशी ने बताया कि उन्होंने बीते 10 दिसम्बर को अखिलेश यादव को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि वे लोकजीवन में भ्रष्टाचार के प्रति अपनी असंवेदनशील कार्यप्रणाली का तत्काल परित्याग करके दिनांक 18-12-16 अपराह्न 01 बजे से पूर्व उत्तर प्रदेश राज्य कैडर के सदाकांत जैसे दागी आईएएस अधिकारियों को उत्तर प्रदेश के विभागों के प्रमुख सचिव के महत्वपूर्ण पदों से हटाते हुए इस आदेश की प्रति उनको  उपलब्ध कराने की कृपा करें ताकि वे  धरना प्रदर्शन करने से बच सकें पर क्योंकि सीएम ने कोई कार्यवाही नहीं की है इसलिए वे आज धरने पर बैठी हैं  l

केंद्र द्वारा अयोग्य घोषित किये गए चंचल कुमार तिवारी को प्रमुख सचिव पंचायती राज , दागी सदाकांत शुक्ला को प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन  , हरि राज किशोर को प्रमुख सचिव सार्वजनिक उद्यम विभाग और D.G. सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो, संजीव सरन को वन,पर्यावरण,वाह्य सहायतित परियोजना,सूचना प्रौधोगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे विभागों का प्रमुख सचिव और बीरेश कुमार को प्रमुख सचिव वाणिज्यकर और मनोरंजनकर बनाए रखने कर कड़ा ऐतराज जताते हुए उर्वशी ने अखिलेश को और सूबे के मुख्य सचिव को ज्ञापन भेजकर इन 5 दागी आई.ए.एस. अधिकारियों को प्रमुख सचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों से तत्काल हटाने की मांग करने की बात कही  है.

किसी विभाग के प्रमुख सचिव के पद को विभाग का सर्वोच्च पद बताते हुए उर्वशी ने अपने पत्र में लिखा है कि प्रमुख सचिव की उच्चतम स्थिति में एक दागी अधिकारी को रखना उस विभाग के दरवाजे उन्मुक्त भ्रष्टाचार द्वारा लूट के लिए खुला रखने के समान है और इस ज्ञापन की प्रति भारत के राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,मुख्य न्यायाधीश के साथ-साथ यूपी के राज्यपाल और इलाहाबाद उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश को भी भेजने की बात कही  है.

उत्तर प्रदेश में एक ईमानदार शासन व्यवस्था स्थापित करने के लिए यूपी में शीर्ष पदों पर दागी अफसरों का प्रवेश रोकने की आवश्यकता पर बल देते हुए उर्वशी ने इस पत्र के माध्यम से सूबे में तुरंत ही केंद्रीय सरकार की तरह की समग्र 360 डिग्री प्रोफाइलिंग व्यवस्था  लागू करने की मांग भी उठा दी  है .

लखनऊ के धरना स्थल, लक्ष्मण मेला मैदान पर सार्वजनिक रूप से फूँका गया यूपी के मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी का पुतला



उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में महिला यौन उत्पीडन जाँच समिति न बनाए जाने के कारण उस्मानी पर लगा महिला विरोधी मानसिकता का व्यक्ति होने का ठप्पा l

18/12/16
आज का दिन यूपी के सीआईसी जावेद उस्मानी के लिए उनके जीवन का काला दिन कहा जाए तो शायद गलत न होगा l जिस सूबे के वे कभी मुख्य सचिव हुआ करते थे उसी सूबे की राजधानी लखनऊ में आज उस्मानी का पुतला फूँका गया l

आरटीआई कार्यकत्री उर्वशी शर्मा ने आज लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान में जावेद उस्मानी पर उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में महिला यौन उत्पीडन जाँच समिति का गठन न करके महिला विरोधी मानसिकता के तहत कार्य करने का आरोप लगाते हुए जावेद उस्मानी का सार्वजनिक रूप से पुतला फूँका l

उर्वशी ने बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में महिला यौन उत्पीडन जाँच समिति का गठन किये जाने के लिए उनके द्वारा मा. उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ खंडपीठ में दायर की गयी याचिका के आदेश के अनुक्रम में आयोग ने उनको आश्वासन दिया था कि आयोग में शीघ्र ही विशाखा समिति गठित कर दी जायेगी पर कई माह बीत जाने के बाद भी आयोग में महिला यौन उत्पीडन जाँच समिति गठित नहीं की गई है जिसके कारण सूचना आयुक्तों द्वारा बिना ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की सुविधा वाले सुनवाई कक्षों में महिला आरटीआई आवेदकों का भांति-भांति से यौन उत्पीडन करना बदस्तूर जारी है l

बकौल उर्वशी क्योंकि आरटीआई एक्ट की धारा 15(4) के अनुसार उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में महिला यौन उत्पीडन जाँच समिति का गठन की पूरी जिम्मेवारी मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी ही हैं अतः उन्होंने बीते 10 दिसम्बर को भी उस्मानी को एक पत्र लिखकर आयोग में विशाखा समिति के गठन में जानबूझकर देरी कर महिलाओं के प्रति असंवेदनशील रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए अनुरोध किया था कि वे महिलाओं के प्रति अपनी असंवेदनशील मानसिकता कापरित्याग करके दिनांक 18-12-16 अपराह्न 03:30 बजे से पूर्व उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में महिला यौन उत्पीडन जाँच समिति का गठन कर इस आदेश की प्रति उनको उपलब्ध कराने की कृपा करें ताकि वे उनका पुतला दहन करने से बच सकें पर क्योंकि अभी तक आयोग में महिला यौन उत्पीडन जाँच समिति का गठन नहीं हुआ है इसलिए वे आज सार्वजनिक रूप से जावेद उस्मानी का पुतला दहन कर अपना विरोध प्रगट कर रही हैं l

Saturday, December 17, 2016

दागी IAS को प्रमुख सचिव पदों से हटा प्रमोशन में '360 डिग्री प्रोफाइलिंग' लागू करने की मांग के लिए धरना कल लखनऊ में l

 दागी IAS को प्रमुख सचिव पदों से हटा प्रमोशन में '360 डिग्री प्रोफाइलिंग' लागू करने की मांग के लिए धरना कल लखनऊ में l 

  

महिला विरोधी मानसिकता के UP CIC जावेद उस्मानी का पुतला दहन कल लखनऊ में l

महिला विरोधी मानसिकता के UP CIC जावेद उस्मानी का पुतला दहन कल लखनऊ में l

Tuesday, December 6, 2016

एसएसपी की जांच में फर्जी निकला लखनऊ के तथाकथित पत्रकार महेंद्र अग्रवाल का सोनभद्र के प्रकाशित अखबार कूटचक्र l





















लखनऊ / 06-12-2016

भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक के कार्यालय की वेबसाइट के अनुसार देश में हिंदी भाषा के समाचार पत्र-पत्रिकाओं के 52050 टाइटल पंजीकृत हैं l जहाँ एक तरफ सामाजिक सरोकारों से अपना जुड़ाव रखने वाले सुधी पत्रकार इनमें से अधिकाँश समाचार पत्र-पत्रिकाओं को देश की जनता की आवाज बनाकर लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ कहलाने के अपने नाम को सार्थक करने की पुरजोर कोशिश में शिद्दत से लगे हुए हैं और पत्रकारिता के क्षेत्र में शुचिता बनाए रखने के लिए जबरदस्त जद्दोजहत कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ पत्रकारिता के क्षेत्र में भी कुछ ‘भेंड़ की खाल में छुपे भेड़ियों’ ने फर्जी  समाचार पत्र-पत्रिकाओं के नाम पर सरकारी और प्राइवेट विज्ञापन लेने जैसे अनेकों  गोरखधन्धे और गैरकानूनी काम फैलाकर पत्रकारिता के क्षेत्र को भी बदनामी के दलदल में घसीटने का काम शुरू कर दिया है l  अब लखनऊ की समाजसेविका और आरटीआई कार्यकत्री  उर्वशी शर्मा ने एक ऐसे मामले का खुलासा किया है जिसने तथाकथित पत्रकारों द्वारा फर्जी अखबारों को खड़ा करके इन अखबारों के माध्यम से अपराध किये जाने का खुलासा करने के साथ-साथ भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक द्वारा समाचार पत्र-पत्रिकाओं का पंजीकरण करने और भारत सरकार के विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय द्वारा समाचार पत्र-पत्रिकाओं को विज्ञापन आबंटित करने की प्रणाली की ईमानदारी पर प्रश्नचिन्ह लगाकर इन संस्थाओं को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है l

मामला सोनभद्र का है जहाँ से प्रकाशित होने वाले हिंदी साप्ताहिक अखबार कूटचक्र के फर्जी होने की बात एक पुलिस जांच से सामने आई है l बताते चलें कि सोनभद्र के रहने वाले महेंद्र अग्रवाल का यह हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र बाकायदा भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक के कार्यालय से पंजीकृत है l समाचारपत्रों के पंजीयक की वेबसाइट के अनुसार इस अखबार के पब्लिशर,प्रिंटर,एडिटर और ओनर महेंद्र अग्रवाल हैं जिसका पता अनपरा, सोनभद्र, उत्तर प्रदेश है l यह वेबसाइट सोनभद्र, उत्तर प्रदेश में  कूटचक्र के नाम से एक प्रिंटिंग प्रेस का होना भी बताती है जहाँ इस अखबार की छपाई होनी बताई जाती है l

बकौल उर्वशी जब उनकी जानकारी में आया कि यह समाचार पत्र एक पूरी तरह फर्जी और जेबी अखबार है जिसकी मात्र फाइल कॉपी लखनऊ के रहने वाले में ही महेंद्र अग्रवाल द्वारा लखनऊ में ही छाप ली जाती है और महेंद्र अग्रवाल द्वारा कूटरचित प्रपत्र बनाकर सोनभद्र के फर्जी पते पर इस अखबार का पंजीकरण कराया गया है और फर्जी प्रिंटिंग प्रेस से इसका बड़ी संख्या में छपना दिखाकर सरकारी विज्ञापन लेकर सरकार के साथ धोखाधड़ी तो की ही जा रही है साथ ही साथ  लोगों को ब्लैकमेल करने का अपराध  भी किया जा रहा है तो उन्होंने सूबे के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा शुरू किये गए जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत दर्ज करा दी l

उर्वशी की शिकायत पर सोनभद्र के पुलिस अधीक्षक ने अनपरा थाने द्वारा जो स्थलीय जांच कराई है उसमें यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि सोनभद्र जिले में न तो कूटचक्र नाम के किसी अखबार का कोई कार्यालय है, न प्रिंटिंग प्रेस है, न इस अखबार की कोई छपाई होती है और स्थानीय मीडिया को भी ऐसे किसी भी समाचारपत्र की कोई जानकारी नहीं है l यह जांच आख्या थाना अनपरा जिला सोनभद्र के उपनिरीक्षक विनोद कुमार यादव ने बीते  21 नवम्बर को तैयार की है जिसके आधार पर अब उर्वशी ने महेंद्र अग्रवाल को फ्रॉड बताते हुए सोनभद्र के हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र कूटचक्र को पूरी तरह से फर्जी अखबार बताया है l

बकौल उर्वशी पुलिस जांच से यह प्रमाणित हो गया है कि महेंद्र अग्रवाल ने फर्जीबाड़े से कूटरचित अभिलेखों के आधार पर इस जेबी अखबार का सर्कुलेशन 25500 दिखाकर इस फर्जी अखबार के लिए भारत सरकार के विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय से वित्तीय वर्ष 2015-16 में 3708Rs. के और वित्तीय वर्ष 2016-17 में अब तक 7270Rs. के विज्ञापन हासिल करके सरकार के साथ वित्तीय धोखाधड़ी भी की है l

उर्वशी ने बताया कि उनको बताया गया है कि महेंद्र अग्रवाल द्वारा इस फर्जी अखबार कूटचक्र के नाम पर सरकारी और निजी क्षेत्र की कंपनियों, प्रतिष्ठानों आदि को ब्लैकमेल कर अपने इस अखबार के लिए विज्ञापन लेने के नाम पर धनउगाही की जाती है और ब्लैकमेलिंग के पैसों से इस शातिर कथित पत्रकार ने न केवल लखनऊ के हजरतगंज जैसे पॉश इलाके में आवास बना रखा है अपितु गोमती पार नए लखनऊ की कई कॉलोनियों में फ्लैट भी ले रखे हैं जिनकी जांच आवश्यक है और इसीलिये उन्होंने  326-A, प्रिंस काम्प्लेक्स, हजरतगंज, लखनऊ निवासी  महेंद्र अग्रवाल के खिलाफ  प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराकर कठोर विधिक कार्यवाही कराने  और अखबार का पंजीकरण तत्काल समाप्त कर विज्ञापन की धनराशि की बसूली कराने की कार्यवाही कराने के लिए प्रार्थना पत्र पुलिस विभाग और सूचना विभाग के अधिकारियों को प्रेषित कर दिए हैं  l