माया, अखिलेश दोनों के शासन में बढ़े महिलाओं के खिलाफ अपराध: तहरीर
Written by Editor
Saturday, 08 November 2014 15:48
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में चाहें मायावती हों या अखिलेश यादव, ये दोनों ही
सीएम के रूप में महिलाओं की सुरक्षा के सम्बन्ध में दावे तो बड़े बड़े करते
रहे पर हक़ीक़त तो यह है कि ये दोनों ही सीएम यूपी में महिलाओं के
विरुद्ध अपराधों पर लगाम लगाने में पूर्णतः विफल रहे हैं l इस कड़वी
सच्चाई का खुलासा सामाजिक संस्था 'तहरीर'* के संस्थापक ई० संजय शर्मा की
एक आरटीआई पर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के जन सूचना अधिकारी के०
पी० उदय शंकर द्वारा दिए गए एक जवाब से हुआ है l
संजय को उपलब्ध कराई गयी सूचना के अनुसार उत्तर प्रदेश में साल 2010
में 20169,साल 2011 में 22639 ,साल 2012 में 23569 और साल 2013 में
महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की 32546 घटनाएं सरकारी आंकड़ों में दर्ज
हैंl गौरतलब है कि वर्ष 2010 से मार्च 2012 तक सूबे की कमान मायावती के
हाथ में थी और मार्च 2012 से वर्ष 2013 तक की अवधि में अखिलेश यादव सूबे
के मुखिया रहे हैं l इन आकड़ों से स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश में साल
2011 में साल 2010 के मुकाबले महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की 2470
अधिक (12.25%) घटनाएं हुईं l साल 2012 में साल 2010 के मुकाबले
महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की 3400 अधिक (16.86%) घटनाएं हुईं तो वही
साल 2013 में साल 2010 के मुकाबले महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की
12377 अधिक (61.37%) घटनाएं हुईं हैं l
संजय कहते हैं कि इन आकड़ों के साल-दर-साल विश्लेषण से भी यह स्पष्ट है
कि उत्तर प्रदेश में साल 2011 में साल 2010 के मुकाबले महिलाओं के
विरुद्ध अपराधों की 2470 अधिक घटनाएं ( 12.25%) हुईं l साल 2012 में
साल 2011 के मुकाबले महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की 930 अधिक घटनाएं
( 4.10%) हुईं तो वही साल 2013 में साल 2012 के मुकाबले महिलाओं के
विरुद्ध अपराधों की 8977 अधिक घटनाएं (38.09%) हुईं हैं जो यह सिद्ध
कर रहा है कि साल 2010 से 2013 तक यूपी में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों
की घटनाओं में लगातार वृद्धि ही हो रही है और फिर चाहें वह मायावती के
नेतृत्व में बनी बहुजन समाज पार्टी की सरकार हो या अखिलेश यादव के
नेतृत्व में बनी समाजवादी पार्टी की सरकार, सभी सरकारें महिलाओं के
विरुद्ध अपराधों की घटनाओं को रोकने के मामले में महज कोरी वयानवाजी कर
महिलाओं को गुमराह ही करती रही हैं और महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की
घटनाओं को रोकने में पूर्णतया विफल रही हैं l
संजय को उपलब्ध कराई गयी सूचना के अनुसार उत्तर प्रदेश में साल 2013
में साल 2010 के मुकाबले रेप की 1487 घटनाएं अधिक (95.14%) घटनाएं
हुईं, महिलाओं की शालीनता को भंग करने की 4510 घटनाएं अधिक (161%) हुईं
और दहेज़ निरोधक अधिनियम के अंतर्गत 1162 घटनाएं अधिक (1010%) दर्ज हुईं
हैं l
यद्यपि महिलाओं के विरुद्ध सभी श्रेणियों के अपराधों में वृद्धि हुई है
किन्तु यूपी में महिलाओं के अपहरण की घटनाओं में साल 2010 से 2013 तक
लगातार वृद्धि ही हुई है l उत्तर प्रदेश में साल 2010 में 5468,साल
2011 में 7525 ,साल 2012 में 7910 और साल 2013 में महिलाओं के अपहरण
की 9737 घटनाएं सरकारी आंकड़ों में दर्ज हैं l इस प्रकार उत्तर प्रदेश
में साल 2013 में साल 2010 के मुकाबले महिलाओं के अपहरण की 78.07%
घटनाएं अधिक हुईं l
सूबे में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की घटनाओं की संख्या में हो रही
बेतहाशा उत्तरोत्तर वृद्धि पर तंज कसते हुए संजय कहते है कि इतनी तेजी से
तो कारखानों की मशीनों की प्रोडक्टिविटी ( उत्पादकता ) भी नहीं बढ़ती है
और उत्तर प्रदेश की सरकारी मशीनरी को अपराध पैदा करने बाली ऐसी मशीन की
संज्ञा दी है जिसकी अपराध पैदा करने की प्रोडक्टिविटी ( उत्पादकता )
उच्च दर पर बढ़ती ही जा रही है l
महिलाओं के विरुद्ध अपराधों को उत्तर प्रदेश के विकास के सभी मार्गों
की सबसे बड़ी वाधा बताते हुए संजय ने कहा कि महिलाओं के विरुद्ध अपराधों
के परिपेक्ष्य में सरकार की कमजोर इच्छाशक्ति, सरकार की दोषियों को
बचाने या बेकरूर को फसाने के दुरुद्देश्य से बेवजह दखल देने की
प्रवृत्ति तथा प्रशासनिक अमले और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की स्पष्ट
जबाबदेही के अभाव के कारण ही सरकार, प्रशासनिक अमला और स्थानीय
जनप्रतिनिधि महिलाओं के विरुद्ध अपराधों को रोकने के उपायों के
क्रियान्वयन के प्रति गंभीर नहीं हैं और सरकारें भी महिलाओं के विरुद्ध
अपराधों की घटनाएं हो जाने के बाद महज सरकारी खानापूर्ति कर मामले की
इतिश्री कर देती हैं पर वैज्ञानिक सबूतों के आधार पर महिलाओं के विरुद्ध
अपराधों की घटनाओं की त्वरित विवेचना और न्यायालयों में इन मामलों का
त्वरित निपटारा न होने के कारण ही इन अपराधों की घटनाओं में लगातार
बेतहाशा वृद्धि हो रही है l
संजय ने अब महिलाओं के विरुद्ध अपराधों के परिपेक्ष्य में सरकार ,
प्रशासनिक अमले और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की स्पष्ट जबाबदेही के
निर्धारण के लिए सामाजिक संस्था 'तहरीर' के माध्यम से एक व्यापक मुहिम
चलाने का ऐलान करते हुए इस सम्बन्ध में देश के प्रधानमंत्री , गृहमंत्री
और सूबे के राज्यपाल, मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर प्रशासनिक अमले और
स्थानीय जनप्रतिनिधियों को महिलाओं के विरुद्ध अपराधों को रोकने के
उपायों के क्रियान्वयन के प्रति गंभीर बनाने हेतु उनकी स्पष्ट जबाबदेही
का निर्धारण करने हेतु नियम-कानून बनाने और महिलाओं के विरुद्ध अपराधों
की घटनाओं में वैज्ञानिक सबूतों के आधार पर महिलाओं के विरुद्ध अपराधों
की घटनाओं की त्वरित और समयबद्ध विवेचना एवं न्यायालयों में इन मामलों
का त्वरित और समयबद्ध निपटारा किये जाने की मांग करने का भी ऐलान किया
है l
संजय का कहना है कि वह यह जानना चाहते हैं कि यूपी में महिलाओं के
विरुद्ध अपराधों में हो रही वृद्धि को यूपी की जनसँख्या वृद्धि-दर से
जोड़ने बाले सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव इन आंकड़ों पर क्या कहेंगे और
इन आंकड़ों पर क्या कहेंगे हालिया आगरा यात्रा के दौरान अन्य प्रदेशों के
अपराधियों द्वारा ही यूपी आकर अपराध करने का वक्तव्य देने बाले यूपी
सीएम अखिलेश यादव l संजय जानना चाहते हैं कि क्या यूपी की जनसँख्या साल
2010 के मुकाबले 2011 में 12.25%,2012 में 16.86% और 2013 में 61.37% बढ़ी
है? संजय यह भी जानना चाहते हैं कि क्या यूपी की पुलिस इतनी नपुंसक हो
गयी है कि अन्य प्रदेशों के अपराधी यूपी आकर अपराध करने लगे हैं ? संजय
जानना चाहते हैं कि यदि यूपी की पुलिस इतनी ही नपुंसक हो गयी है तो आखिर
इन अपराधों पर लगाम लगेगी कैसे?
हालिया अखिलेश दास रिश्वत-प्रकरण से बेनकाब हुई मायावती एवं पिछले ढाई
साल से अपने चाचाओं और पिताजी के फरमानों के भंवर में फंसकर अपने बजूद
तक को खो रहे अखिलेश यादव के द्वारा महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की
रोकथाम के लिए किये गए प्रयासों की सफलता के परिपेक्ष्य में संजय ने
कहा "यूपी देता रहा दुहाई, महिलाओं की इज्जत न बचने पाई ; सीएम रहीं
चाहे 'लालची' बहन मायावती, या फिर हालिया 'लुपलुप' अखिलेश भाई l"
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-Sincerely Yours,
Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
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