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हौसले पंख हैं, उड़ना इनकी पहचान
शेफाली श्रीवास्तव
हर साल महिला दिवस पर महिलाओं की बहादुरी और सक्सेस पर कई कहानियां कही
जाती हैं लेकिन दिन बीतते ही उनके सम्मान और एक्स्ट्रा ऑर्डनरी होने की
बात सभी के दिमाग से कहीं मिट जाती है। इस बारे में जब हमने शहर की कुछ
खास महिलाओं से बात की तो वह भी इसे लेकर परेशान दिखीं कि हमारे लिए
सिर्फ एक दिन ही क्यों/ जबकि हम अपना काम पूरे साल करते हैं।
'हर दिन होना चाहिए महिलाओं का सम्मान'
मड़ियांव की एक छोटी सी बस्ती में रहने वालीं 27 साल की उषा विश्वकर्मा
उन सभी लड़कियों के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं जिन्हें आए दिन शहर की
गलियों में फब्तियां सुननी पड़ती हैं। उषा जब 17 साल की थीं तो उनके साथ
मोहल्ले के कुछ लड़कों ने रेप करने की कोशिश की थी। उषा बताती हैं कि
मैंने उस समय उन लड़कों को जोरदार किक और झापड़ मारा था। अब ऐसी ही
लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग देने के लिए उषा रेड ब्रिगेड नाम
की एक संस्था चलाती हैं। उषा अब तक शहर की 17500 लड़कियों को ट्रेनिंग दे
चुकी हैं। उषा ने केबीसी के आखिरी सीजन में 12 लाख 50 हजार रुपये की राशि
भी जीती थी। वह कहती हैं कि साल में सिर्फ एक दिन ही नहीं बल्कि हर दिन
महिलाओं का सम्मान होना चाहिए।
'गर्ल्स एजुकेशन को मिले बढ़ावा'
राजाजीपुरम में रहने वाली 13 साल की ऐश्वर्या पाराशर को लोग आरटीआई गर्ल
के नाम से जानते हैं। ऐश्वर्या ने साल 2012 में एक आरटीआई दाखिल की थी,
जिसमें उन्होंने महात्मा गांधी को पहली बार राष्ट्रपिता कब कहा गया, इसकी
जानकारी मांगी थी। आश्चर्य की बात यह रही कि खुद सरकार को भी यह नहीं पता
कि महात्मा गांधी को कब और क्यों राष्ट्रपिता की उपाधि दी गई। ऐश्वर्या
इस समय गोमती नदी की सफाई अभियान के लिए सिग्नेचर कैम्पेन चला रही हैं।
महिला दिवस के लिए ऐश्वर्या कहती हैं कि मैं चाहती हूं कि ग्रामीण इलाकों
में लड़कियों की शिक्षा पर जोर दिया जाए।
लड़कियों के बारे में मेंटलिटी बदलना बहुत जरूरी'
वह जब 200 सीसी की बाइक लेकर सड़कों पर निकलती हैं तो लोग उन्हें आश्चर्य
भरी निगाहों से देखते हैं। गोमती नगर में रहने वाली 25 वर्षीय वर्तिका
जैन एक फीमेल बाइक राइडर हैं। हाल ही में वह बाइक राइडिंग करते हुए लखनऊ
से करीब 6,834 कि.मी. दूर भारत के सबसे आखिरी गांव माने जाने वाले माना
घूमने गई थीं। वर्तिका बताती हैं कि मुझे बाइक राइडिंग के लिए मेरे भाई
और दोस्त ने बहुत सपोर्ट किया था। इंडिया में लोगों की मेंटेलिटी काफी
बेकार है जो लड़कियों के बाइक चलाने पर काफी आश्चर्य से देखते हैं। मेरा
मानना है कि जब एक लड़की आठ-नौ घंटे की ड्यूटी करने के बाद घर संभाल सकती
है तो बाइक क्यों नहीं चला सकती।
सिस्टम में आएं लड़कियां
सत्रह साल की रेशम फातमा एसिड विक्टिम हैं। 1 फरवरी 2014 को जब रेशम घर
से ट्यूशन से पढ़ कर निकलीं तो उनके दूर के रिश्तेदार ने उन्हें घर ड्रॉप
करने के लिए कार में बैठाया। रास्ते में उस रिश्तेदार ने रेशम पर
जबर्दस्ती शादी करने को कहा। रेशम के मना करने पर रिश्तेदार ने तिलमिलाते
हुए रेशम के सिर पर सल्फ्यूरिक एसिड उड़ेल दिया। बुरी तरह झुलस चुकी रेशम
ने तुरंत उसके चंगुल से निकलकर एक ऑटो बुक किया जिसने उनको पास के एक
पुलिस स्टेशन पर ड्रॉप किया। गुनहगार को पकड़ लिया गया और कुछ दिन बाद
जेल के अंदर अपराधी ने सुसाइड भी कर लिया। रेशम को उनकी बहादुरी के लिए
प्रतिष्ठित बाल वीरता पुरस्कार दिया गया। महिला दिवस के मौके पर रेशम
कहती हैं कि लड़कियों को खूब पढ़ना चाहिए जिससे वह देश के सिस्टम में आ
सकें।
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