मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता भूपेंद्र वीरा की श्रद्धांजली सभा आगामी 28 अक्टूबर को UP की राजधानी लखनऊ के हजरतगंज जीपीओ निकट स्थित महात्मा गांधी पार्क में.
साथियों और मित्रों,
भू-माफियाओं के खिलाफ काफी लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे मुंबई के सांताक्रूज निवासी 72 वर्षीय आरटीआई कार्यकर्ता भूपेंद्र वीरा की हत्या की गूँज महाराष्ट्र से यूपी तक पंहुंच गयी है और अपने साथी की हत्या से दुखी और उद्देलित यूपी के आरटीआई कार्यकर्ताओं ने मेरे नेतृत्व में लामबंद होकर आगामी 28 अक्टूबर को सूबे की राजधानी लखनऊ के हृदयस्थल हजरतगंज के जीपीओ के निकट स्थित महात्मा गांधी पार्क में इकठ्ठा होकर मृत आरटीआई कार्यकर्त्ता की आत्मा की शांति के लिए 2 घंटे की श्रद्धांजली सभा का आयोजन करने और श्रद्धांजली सभा के बाद देश के राष्ट्रपति,प्रधान मंत्री और उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को संयुक्त रूप से हस्ताक्षरित ज्ञापन भेजकर देश में आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के लिए प्रभावी तंत्र विकसित करने की मांग उठाने का ऐलान कर दिया है.
मेरा मानना है कि आरटीआई एक्ट में आरटीआई प्रयोगकर्ताओं की सुरक्षा की कोई स्पष्ट परिभाषित व्यवस्था न होने और सूचना आयुक्तों द्वारा आरटीआई प्रयोगकर्ताओं की सुरक्षा के प्रति उदासीन रवैया अपनाने के कारण भ्रष्टाचार से सम्बंधित सूचनाएं मागने वाले आरटीआई कार्यकर्त्ता अत्यधिक असुरक्षित होते जा रहे हैं और यही कारण है कि आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हमलों और उनके उत्पीडन की घटनाओं में उत्तरोत्तर वृद्धि होती जा रही है.
मुंबई के साथी भूपेंद्र वीरा की हत्या के बाद उनकी आत्मा की शांति के लिए सूबे के आरटीआई कार्यकर्ता आगामी 28 अक्टूबर को लखनऊ हजरतगंज जीपीओ के निकट स्थित महात्मा गांधी पार्क में मेरी अगुआई में इकठ्ठा होकर दोपहर 12 बजे से 2 बजे अपराह्न तक मौन बैठकर श्रद्धांजली देंगे और इसके बाद देश के राष्ट्रपति,प्रधान मंत्री और उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को ज्ञापन भेजकर साल 2014 में अधिनियमित होने के बाबजूद कार्यान्वयन के लिए प्रतीक्षारत 'व्हिसिलब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट 2011' को तत्काल कार्यान्वित करते हुए आरटीआई कार्यकर्ताओं को व्हिसिलब्लोअर की श्रेणी में रखने और देश में आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के लिए प्रभावी तंत्र विकसित करने की मांग उठाएंगे.
मेरा तो कहना है कि आरटीआई कार्यकर्ताओं पर ये हमले सूचना मांगने के प्रति डर का माहौल कायम करने के लिए किये जा रहे है. मैं आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या को भारतीय लोकतंत्र की हत्या मानती हूँ और अब स्थितियां ऐसी बनती जा रहीं है जिनमें धन और बल की ताकत चुनावी राजनीति के बाद सार्वजनिक जीवन पर भी कब्ज़ा करती जा रही है.
साथियों, अब यह लड़ाई भ्रष्ट तंत्र और सचेतक नागरिकों के बीच है और मैं अपने साथियों के साथ निरंतर संघर्षरत रहकर यह सुनिश्चित करूंगी कि अंतिम जीत लोकचेतना की ही हो.इसके लिए मुझे आप सब के साथ की आवश्यकता है.
इस कार्यक्रम की सूचना लिखित रूप में लखनऊ प्रशासन को दे दी गयी है. आप सबसे अनुरोध है कि आरटीआई आन्दोलन को मजबूती देने के लिए आगामी 28 अक्टूबर को लखनऊ पंहुचें.
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