सदाकांत के पत्र दिनांक
16-03-17 और डीओपीटी के अंडर सेक्रेट्री राजकिशन वत्स के
पत्र दिनांक 13-02-17 को डाउनलोड करने के लिए वेबलिंक को http://upcpri.blogspot.in/2017/03/ias-l_20.html क्लिक
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लखनऊ/20-03-17/
उर्वशी शर्मा
लगता है बीते
विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड जीत के बाद बीते 16 मार्च को अपने
मातहतों को पुरानी कार्यशैली त्यागकर सुधरने की नसीहत देने का आदेश जारी कर उसे भारतीय
जनता पार्टी के नेताओं को भेजकर चापलूसी के मोड में आये यूपी के अपर मुख्य सचिव पद
पर तैनात आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के प्रमुख सचिव सदाकांत शुक्ला का यूपी का मलाईदार
पद पाने का सपना महज सपना बन कर रह जाएगा और सदाकांत का यह ख्याव कभी हकीकत नहीं
बन पायेगा l भारत सरकार के गृह मंत्रालय में तैनाती के दौरान लेह में रोड का कॉन्ट्रैक्ट देने में खुफिया जानकारी लीक कर भारत की सुरक्षा को दांव पर लगाकर 200 करोड़ का घोटाला करने की बजह से पूर्ववर्ती मायावती सरकार के समय यूपी
बापस भेज दिये गये दागी आई.ए.एस. सदाकांत के खिलाफ सी.बी.आई. द्वारा साल 2011 में दर्ज
की गई ऍफ़.आई.आर. पर अभियोजन का मामला काफी समय से गृह मंत्रालय में अटका पड़ा था जो
बीते 13 फरवरी को राजधानी लखनऊ निवासी समाजसेवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता संजय
शर्मा के सतत प्रयासों से भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ( DOPT ) को
अंतिम निर्णय के लिए प्राप्त हो गया है जहाँ यह प्रक्रियाधीन है l
बताते चलें कि
पूर्व की मनमोहन सिंह की सरकार के समय केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय में तैनाती के
दौरान सदाकांत ने कथित रूप से भारत की सुरक्षा को खतरे में डालकर 200 करोड़ की घूस ली थी जिस बजह से सी.बी.आई. ने सदाकांत कप दोषी पाते हुए
सदाकांत के खिलाफ साल 2011 में ऍफ़.आई.आर. दर्ज की थी और सदाकांत के दिल्ली स्थित
आवास पर छापेमारी भी की थी l सदाकांत
के खिलाफ सीबीआई ने डीओपीटी से अभियोजन मंजूरी मांगी थी। तब डीओपीटी ने यह मामला
गृह मंत्रालय भेज दिया था जहाँ यह अटका पड़ा था । संजय ने के पत्र लिखकर और आरटीआई
लगाकर अब यह मामला गृह मंत्रालय से डीओपीटी भिजवा दिया है l संजय द्वारा बीते साल
के नवम्बर महीने में भारत सरकार से की गई एक शिकायत के बाद डीओपीटी के अंडर
सेक्रेट्री राजकिशन वत्स ने बीते 13 फरवरी को संजय को एक पत्र भेजकर इस मामले में
कार्यवाही अंतिम दौर में होने की सूचना दी है l
समाजसेवी संजय
ने बताया कि माया सरकार और अखिलेश सरकार ने सदाकांत के रीढ़-विहीन और भ्रष्टाचारी होने
के विशेष गुण के आधार पर साधक-सिद्धक बन
अपने-अपने हित साधने को उच्च पद सौंपे जिसका प्रमाण सदाकांत द्वारा बीते 16 मार्च
को जारी किया गया पत्र है जो स्वतः ही सिद्ध कर रहा है कि सदाकांत ने अखिलेश सरकार
के कार्यकाल में अपने विभाग के मातहतों को भ्रष्टाचार करने की छूट दे रखी थी l
संजय ने बताया
कि उन्हें अपेक्षा है कि इमानदार छवि के तेजतर्रार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जानबूझकर
मक्खी नहीं निगलेंगे और ‘भारत माता’ के साथ गद्दारी कर भ्रष्टाचार करने वाले
सदाकांत को न केवल हाशिये पर रखेंगे अपितु इन्हें इनके किये की सजा दिलाने के लिए
प्रदेश सरकार के स्तर से आवश्यक प्रयास भी करेंगे l
केंद्र द्वारा
बापस किये जाने पर सदाकांत यूपी आकर कुछ दिन हाशिये पर रहे और फिर अपने चापलूसी के
गुण से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती को और फिर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश
यादव को साधा और इन दोनों के कार्यकाल में जमकर मलाई खाई l यूपी में भारतीय जनता
पार्टी की सरकार बनने के बाद सदाकांत ने इसी चापलूसी के अस्त्र का फन्दा बनाकर 16 मार्च
को अपने मातहतों को पुरानी कार्यशैली त्यागकर सुधरने की नसीहत देने का आदेश जारी
कर उसे भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को भेजकर अपनी निष्ठां अखिलेश से तोड़कर भारतीय
जनता पार्टी के साथ होने का सन्देश दिया है पर इसी बीच अभियोजन स्वीकृति का मामला
अंतिम दौर में पहुंचने से लग रहा है कि इस बार सदाकांत के मंसूबे सफल नहीं होंगे और
सूबे में भ्रष्टाचार का सर्वनाश करने का दावा करने वाली ‘योगी’ सरकार सदाकांत को
कोई तवज्जो नहीं देगी l
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