लखनऊ / 14 मार्च 2018............
समाचार लेखिका - उर्वशी शर्मा ( स्वतंत्र पत्रकार )
Exclusive News by YAISHWARYAJ ©yaishwaryaj
देश और प्रदेशों की सरकारें पारदर्शिता की बात करती तो हैं पर बात जब खुद पारदर्शिता का पालन करने की आती है तो यह सरकारें बगलें झाँकने लगती हैं और अपने क्रियाकलापों की सूचनाएं सार्वजनिक करने के स्थान पर सूचनाओं का प्रगटीकरण रोकने के लिए बेसिर पैर के वहाने बनाने लगती हैं l कुछ ऐसा ही मामला आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश से सामने आ रहा है जहाँ की राजधानी लखनऊ के फायरब्रांड आरटीआई कंसलटेंट और इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा दायर की गई RTI पर योगी सरकार ने प्राइवेट वकीलों के पैनल गठन की सूचना सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया है l संजय का कहना है कि हैरतअंगेज बात तो यह है कि सरकार ने संजय को लिखकर बताया है कि प्राइवेट वकीलों के पैनल की नियुक्ति की प्रक्रिया की फाइलों को सार्वजनिक करने से भारत की प्रभुता और अखंडता, उत्तर प्रदेश की सुरक्षा,रणनीति,वैज्ञानिक या आर्थिक हित,विदेश से सम्बन्ध पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा या किसी अपराध को करने का उद्दीपन होगा l यही नहीं, इस सूचना का प्रगटन लोक हित में नहीं होने और माँगी गई सूचना में वाणिज्यिक विश्वास,व्यापार गोपनीयता या बौद्धिक सम्पदा के सम्मिलित होने और सूचना के प्रगटन से पर व्यक्ति की प्रतियोगी स्थिति को नुकसान होने की बात भी संजय को बताई गई है l
मूल आरटीआई आवेदन और जवाब देखने के लिए इस एक्सक्लूसिव वेबलिंक http://upcpri.blogspot.in/2018/03/14-rti-l.html को क्लिक करें l
बताते चलें कि लोकजीवन में पारदर्शिता और जबाबदेही और मानवाधिकार संरक्षण के लिए काम कर रहे देश के नामचीन कार्यकर्ताओं में शुमार होने वाले संजय शर्मा ने बीते साल के सितम्बर महीने की 23 तारीख को यूपी के मुख्य सचिव के कार्यालय में एक आरटीआई अर्जी देकर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सरकार की तरफ से पैरवी करने के लिए प्राइवेट वकीलों का पैनल नियुक्त करने के सम्बन्ध में 3 बिन्दुओं पर सूचना माँगी थी l मुख्य सचिव कार्यालय के अनु सचिव एवं जन सूचना अधिकारी पी. के. पाण्डेय ने संजय का आवेदन बीते साल 3 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश शासन के न्याय विभाग को ट्रान्सफर किया l संजय को अब न्याय अनुभाग - 3 के विशेष सचिव और जन सूचना अधिकारी मुशीर अहमद अब्बासी द्वारा बीती 15 फरवरी को जारी किया गया पत्र मिला है जिसमें संजय को बताया गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सरकार की तरफ से पैरवी करने के लिए प्राइवेट वकीलों का आबंधन प्रशासकीय विभागों के प्रस्तावों पर प्रशासकीय विभागों की पत्रावलियों में किया जाता है और हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सरकार की तरफ से पैरवी करने के लिए प्राइवेट वकीलों को किये गए भुगतानों की इकट्ठी सूचना सूबे की सरकार के पास नहीं होने की बात बताई है l RTI एक्ट की धारा 8(1)(क) और 8(1)(घ) की बात कहते हुए अब्बासी ने संजय को पैनल गठन की फाइल की नोटशीट्स नहीं दी है l संजय का कहना है कि वकीलों के पैनल गठन की सूचना सार्वजनिक होने से भारत की प्रभुता और अखंडता, उत्तर प्रदेश की सुरक्षा,रणनीति,वैज्ञानिक या आर्थिक हित,विदेश से सम्बन्ध पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा या किसी अपराध को करने का उद्दीपन होने,इस सूचना का प्रगटन लोक हित में नहीं होने और माँगी गई सूचना में वाणिज्यिक विश्वास,व्यापार गोपनीयता या बौद्धिक सम्पदा के सम्मिलित होने और सूचना के प्रगटन से पर व्यक्ति की प्रतियोगी स्थिति को नुकसान होने की बात बचकानी है l प्राइवेट वकीलों का पैनल नियुक्त करने के लिए सरकार द्वारा जारी किये गए विज्ञापनों, प्राप्त आवेदनों,साक्षात्कार और परिणाम की सीधी सीधी सूचना देने की जगह अब्बासी ने प्राइवेट वकीलों के पैनल का गठन विधि परामर्शी निदेशिका के प्रस्तर संख्या 9.02 और 9.04(2) के प्राविधानों के तहत किये जाने की गोलमोल सूचना संजय को दी है l
एक्टिविस्ट संजय शर्मा ने एक विशेष बातचीत में इस स्वतंत्र पत्रकार उर्वशी शर्मा को बताया कि बीते साल सितम्बर महीने में योगी सरकार ने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सरकार की तरफ से पैरवी करने के लिए 14 प्राइवेट वकीलों का एक पैनल बनाया था l इस पैनल का गठन अपारदर्शी ढंग से भाई-भतीजाबाद के आधार पर करने की शिकायत मिलने के बाद सच जानने के लिए उन्होंने यह RTI दायर की थी l बकौल संजय उनकी RTI अर्जी पर न्याय विभाग ने जो प्ली लेते हुए सूचना देने से मना किया है वे न सिर्फ बेसिर पैर की हैं बल्कि इस प्रकार की बहानेबाजी से पैनल का गठन अपारदर्शी ढंग से भाई-भतीजाबाद के आधार पर करने की बात और अधिक पुष्ट हो रही है l संजय ने इस आधार पर योगी सरकार को पारदर्शिता के मुद्दे पर कटघरे में खड़ा करते हुए मामले को राज्य सूचना आयोग ले जाकर आयोग के माध्यम से सूचनाएं प्राप्त करने के बाद पैनल नियुक्ति मामला हाई कोर्ट ले जाने की बात कही है l
सामाजिक और राजनैतिक मुद्दों पर अपनी तीखी राय बेबाकी से रखने वाले RTI एक्सपर्ट संजय ने संत से मुख्यमंत्री बने योगी आदित्यनाथ से उच्च अपेक्षाओं की बात कही है और अपने पंजीकृत सामाजिक संगठन ‘तहरीर’ के संस्थापक अध्यक्ष की हैसियत से पत्र लिखकर इस प्रकार की सभी नियुक्तियों को पारदर्शी रीति से करने और नियुक्ति के प्रपत्रों को पब्लिक डोमेन में रखने की मांग उठाने की बात इस स्वतंत्र पत्रकार उर्वशी शर्मा से की गई एक एक्सक्लूसिव वार्ता में कही है l
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News written by freelance journalist Urvashi Sharma
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