अभी अपनी कक्षा सात की अर्धवार्षिक परीक्षाओं में व्यस्त यह बच्ची भोलेपन से सबाल करती है कि ऐसा क्यों है कि हमारे देश के राजनेता जो कहते हैं वह करते नहीं और जो करते हैं वह कहते नहीं l प्रश्न का आशय पूछने पर ऐश्वर्या स्पस्ट करती है कि आने बाले 2 अक्टूबर को हम जाने कितने नेताओं को टेलीविज़न पर गाँधीजी को राष्ट्रपिता कहते और गाँधी जयन्ती राष्ट्रीय पर्व कहते सुनेंगे पर जब यही सम्मान आधिकारिक रूप से देने की बात आती है तो संविधान की दुहाई दी जाती है और यही नेता वैसे तो कानून की बात करते हैं पर चुपके से सजायाफ्ता जनप्रतिनिधियों की सदस्तयता बरकरार रखने को इसी संविधान को बदलने की तैयारी कर लेते है और पूछती हैं कि क्या यही महात्मा गाँधी के सपनों का भारत है ?
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