http://epaper.jagran.com/ePaperArticle/24-jan-2014-edition-LUCKNOW-page_26-9530-10870-11.html
जासं, लखनऊ : अक्सर उन लोगों से टकरा जाती हूं जो न्याय के लिए दर-दर भटक
रहे होते हैं.. बार-बार खुद से सवाल करती हूं कि न्याय मिलने की राह में
इतने रोड़े क्यों हैं? सच को जानने के लिए लोगों के सामने प्रक्रियाओं का
चक्रव्यूह सा रच दिया जाता है। लोग इसे तोड़ने की कोशिश तो करते हैं पर
कमोबेश सफल नहीं हो पाते। आखिर सच के साथ ऐसा छिपावा क्यों? जवाब खुद
तलाशने की कोशिश की और निष्कर्ष मिला सूचना का अधिकार। यह कहना है समाज
सेविका उर्वशी शर्मा का। आरटीआइ का प्रयोग करके वह सीएम से लेकर
प्रधानमंत्री आवास से जुड़े कई तथ्यों को उजागर कर चुकी हैं। 1राजाजीपुरम
निवासी उर्वशी शर्मा का सफर कुछ ऐसे शुरू हुआ कि किसी ने उन्हें समाज
कल्याण विभाग में अनियमित नियुक्तियों के बारे में जानकारी दी। नौकरी
देने में योग्यताओं को दरकिनार कर अधिकारियों द्वारा की गई धांधली की
सूचना जब मिली तो उन्होंने सूचना के अधिकार से जानकारी प्राप्त की और उन
सभी नियुक्त लोगों पर एफआइआर भी दर्ज कराई। अभी वह मामला न्यायालय में है
इसलिए उर्वशी कुछ अधिक टिप्पणी नहीं की। हाल ही में उन्होंने मुख्यमंत्री
की बेरोजगारी भत्ता योजना में हुए खर्च की जानकारी मांगी तो पता चला कि
कुछ साढ़े आठ करोड़ भत्ते में दिया गया और इस योजना के आयोजन में करीब
साढ़े 12 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए। जनता के पैसे को इस कदर पानी में
बहाया जा रहा है यह जनता को भी तो मालूम चले। जनता दर्शन पर मांगी गई
सूचना में पता चला कि समस्याओं का निस्तारण मात्र दो से ढाई फीसद होता
है। उर्वशी का कहना है कि जिस दिन अधिकारी खुद को राजा समझना छोड़ लोक
सेवक के दर्जे पर रखेंगे, समाज खुद ही सुधर जाएगा।जासं, लखनऊ : अक्सर उन
लोगों से टकरा जाती हूं जो न्याय के लिए दर-दर भटक रहे होते हैं..
बार-बार खुद से सवाल करती हूं कि न्याय मिलने की राह में इतने रोड़े
क्यों हैं? सच को जानने के लिए लोगों के सामने प्रक्रियाओं का चक्रव्यूह
सा रच दिया जाता है। लोग इसे तोड़ने की कोशिश तो करते हैं पर कमोबेश सफल
नहीं हो पाते। आखिर सच के साथ ऐसा छिपावा क्यों? जवाब खुद तलाशने की
कोशिश की और निष्कर्ष मिला सूचना का अधिकार। यह कहना है समाज सेविका
उर्वशी शर्मा का। आरटीआइ का प्रयोग करके वह सीएम से लेकर प्रधानमंत्री
आवास से जुड़े कई तथ्यों को उजागर कर चुकी हैं। 1राजाजीपुरम निवासी
उर्वशी शर्मा का सफर कुछ ऐसे शुरू हुआ कि किसी ने उन्हें समाज कल्याण
विभाग में अनियमित नियुक्तियों के बारे में जानकारी दी। नौकरी देने में
योग्यताओं को दरकिनार कर अधिकारियों द्वारा की गई धांधली की सूचना जब
मिली तो उन्होंने सूचना के अधिकार से जानकारी प्राप्त की और उन सभी
नियुक्त लोगों पर एफआइआर भी दर्ज कराई। अभी वह मामला न्यायालय में है
इसलिए उर्वशी कुछ अधिक टिप्पणी नहीं की। हाल ही में उन्होंने मुख्यमंत्री
की बेरोजगारी भत्ता योजना में हुए खर्च की जानकारी मांगी तो पता चला कि
कुछ साढ़े आठ करोड़ भत्ते में दिया गया और इस योजना के आयोजन में करीब
साढ़े 12 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए। जनता के पैसे को इस कदर पानी में
बहाया जा रहा है यह जनता को भी तो मालूम चले। जनता दर्शन पर मांगी गई
सूचना में पता चला कि समस्याओं का निस्तारण मात्र दो से ढाई फीसद होता
है। उर्वशी का कहना है कि जिस दिन अधिकारी खुद को राजा समझना छोड़ लोक
सेवक के दर्जे पर रखेंगे, समाज खुद ही सुधर जाएगा।
http://epaper.jagran.com/ePaperArticle/24-jan-2014-edition-LUCKNOW-page_26-9530-10870-11.html
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