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आरटीआई कार्यकर्ताओं का अनोखा प्रदर्शन
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आरटीआई कार्यकर्ताओं पर लगातार हो रहे हमले और उत्पीड़न के खिलाफ 'नेशनल व्हिसल्ब्लोवर्स डे' पर बुधवार को जीपीओ स्थित गांधी प्रतिमा के समक्ष आरटीआई और सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों ने नुक्कड़ नाटक 'मदारी और बंदर' के माध्यम से एवं 'सीटी बजाकर' प्रदर्शन किया। येश्वर्याज सेवा संस्थान के बैनर तले अपनी तरह का बेहद और अलग प्रदर्शन कर आयोजक और आरटीआई कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा ने कहा, "उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों द्वारा राजनेताओं के इशारों पर कार्य करके निर्दोष जनता को निरंतर ही प्रताड़ित किया जा रहा है और आम-जन को प्रशासन और पुलिस से न्याय नहीं मिल रहा है। इन निंदनीय कृत्यों में प्रशासन और पुलिस का पूरा तंत्र ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहभागी है।"
प्रशासनिक और पुलिस तंत्र राजनेताओं को अपना मदारी मान चुका है और उनके इशारों पर बंधक बन्दर की तरह नाच रहा है।
उर्वशी ने कहा कि प्रदेश में आए दिन हो रहे दंगों तथा बदायूं, मोहनलालगंज जैसे दुष्कर्म और हत्याकांड के मामलों की पुनरावृत्ति यह सिद्ध करती है कि अपराधों के प्रति सरकार पूर्णतया: बहरी हो गई है।
उन्होंने कहा कि हम राज्य में बढ़ते अपराधों के प्रति सरकार के कानों तक जनता की आवाज पंहुचाने के लिए सीटी बजाकर आक्रोश व्यक्त करते हुए प्रदर्शन कर रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों ने प्रदेश की ध्वस्त कानून व्यवस्था और मानवाधिकारों के खुले उल्लंघनों के लिए प्रदेश सरकार को जमकर कोसा। उन्होंने प्रदेश में सचेतकों और आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्याओं की घटनाओं को लोकतंत्र की हत्या करार देते हुए सरकार से आरटीआई कार्यकर्ताओं और सचेतकों को झूठे मामलों में फंसाए जाने की घटनाओं की सीबीसीआईडी से जांच कराने की मांग की।
प्रदर्शनकारियों ने प्रशासनिक और पुलिस तंत्र को पारदर्शी और जवाबदेह बनाकर प्रदेश में मानवाधिकारों के संरक्षण की मांग की और प्रशासनिक सुधार और पुलिस सुधार के लिए तेरह सूत्री मांगपत्र सूबे के मुखिया अखिलेश यादव को प्रेषित किया गया।
प्रदर्शनकारियों ने विगत दिनों मारे गए सचेतकों, आरटीआई कार्यकर्ताओं और निर्दोष आमजनों की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
प्रशासनिक और पुलिस तंत्र राजनेताओं को अपना मदारी मान चुका है और उनके इशारों पर बंधक बन्दर की तरह नाच रहा है।
उर्वशी ने कहा कि प्रदेश में आए दिन हो रहे दंगों तथा बदायूं, मोहनलालगंज जैसे दुष्कर्म और हत्याकांड के मामलों की पुनरावृत्ति यह सिद्ध करती है कि अपराधों के प्रति सरकार पूर्णतया: बहरी हो गई है।
उन्होंने कहा कि हम राज्य में बढ़ते अपराधों के प्रति सरकार के कानों तक जनता की आवाज पंहुचाने के लिए सीटी बजाकर आक्रोश व्यक्त करते हुए प्रदर्शन कर रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों ने प्रदेश की ध्वस्त कानून व्यवस्था और मानवाधिकारों के खुले उल्लंघनों के लिए प्रदेश सरकार को जमकर कोसा। उन्होंने प्रदेश में सचेतकों और आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्याओं की घटनाओं को लोकतंत्र की हत्या करार देते हुए सरकार से आरटीआई कार्यकर्ताओं और सचेतकों को झूठे मामलों में फंसाए जाने की घटनाओं की सीबीसीआईडी से जांच कराने की मांग की।
प्रदर्शनकारियों ने प्रशासनिक और पुलिस तंत्र को पारदर्शी और जवाबदेह बनाकर प्रदेश में मानवाधिकारों के संरक्षण की मांग की और प्रशासनिक सुधार और पुलिस सुधार के लिए तेरह सूत्री मांगपत्र सूबे के मुखिया अखिलेश यादव को प्रेषित किया गया।
प्रदर्शनकारियों ने विगत दिनों मारे गए सचेतकों, आरटीआई कार्यकर्ताओं और निर्दोष आमजनों की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
- Agency: IANS
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