लखनऊ/07 नवम्बर 2015........."सत्ता कभी जनता के सामने पारदर्शी नहीं
होना चाहती। उसे तो ऐसा होने के लिए मजबूर ही करना पड़ता है और आज यह
कार्य अपने अधिकारों के प्रति जागरूक वह जनसमुदाय कर रहा है जिसे हम
'आरटीआई एक्टिविस्ट समुदाय' कहते हैं । हमने इस आरटीआई कानून को
जनांदोलनों के जरिये प्राप्त किया है तो तो अब इसे धारदार बनाए रखने के
लिए भी जहां जरूरी हो, प्रभावी हस्तक्षेप करना भी हमारा ही फर्ज है और आज
मैं देश के सभी आरटीआई कार्यकर्ताओं का का आवाहन करती हूँ कि वे आगे आयें
और इस आरटीआई आन्दोलन को बचाए रखने और इस में नयी जान फूंकने के लिए भी
जनांदोलन का ही मार्ग चुनें ।" ये उदगार हैं लखनऊ की सामाजिक कार्यकत्री
और आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा के जो महाराष्ट्र के मल्लिकार्जुन
कट्टी आदि पर हुए हमलों की भर्त्सना करने के लिए आज उत्तर प्रदेश की
राजधानी लखनऊ के हजरतगंज जीपीओ स्थित महात्मा गांधी पार्क में येश्वर्याज
सेवा संस्थान के तत्वावधान में समाजसेवियों द्वारा काले कपडे पहनकर किये
जा रहे विरोध प्रदर्शन को संबोधित कर रहीं थीं l
महाराष्ट्र के लातूर में एक राजनैतिक दल के कार्यकर्ताओं द्वारा लातूर के
श्री साहू महाविद्यालय कॉलेज में हुए गैरकानूनी निर्माण का खुलासा करने
पर आरटीआई एक्टिविस्ट मल्लिकार्जुन कट्टी की जमकर पिटाई करने और मुंह पर
काली स्याही दाल देने तथा इसी राजनैतिक दल के कार्यकर्ताओं द्वारा कुछ
दिनों पूर्व मुंबई में पाकिस्तानी पूर्व विदेशी मंत्री की बुक लॉन्च
कराने पर सुधीन्द्र कुलकर्णी के मुंह पर भी कालिख पोतने की धटना की
सार्वजनिक भर्त्सना करते हुए उर्वशी ने बताया कि महाराष्ट्र राज्य
आरटीआई कार्यकर्ताओं के मामले देश का सर्वाधिक असुरक्षित प्रदेश है। एक
सामाजिक संस्था के द्वारा संकलित आंकड़ों के हवाले से उर्वशी ने बताया कि
महाराष्ट्र में पिछले 10 सालो में 10 आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या हुई
है इसके बाद 6-6 हत्याओं के साथ गुजरात और उत्तर प्रदेश दूसरे स्थारन
पर, 4-4 हत्याओं के साथ कर्नाटक और बिहार तीसरे स्थान पर हैं । उर्वशी ने
बताया कि आरटीआई कार्यकर्ताओं पर जानलेवा हमलों के मामले में 60 हमलों
के साथ महाराष्ट्र राज्य प्रथम स्थान पर है,गुजरात 36 मामलो के साथ दूसरे
स्था न पर है, उत्तर प्रदेश ऐसे 25 मामलों के साथ तीसरे स्थान पर और 23
मामलों के साथ दिल्ली चौथे स्थाथन पर है। उर्वशी ने बताया कि गुजरे दस
साल में 39 आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है और 275 कार्यकर्ताओं को
हमले आदि तरीकों से परेशान किया गया है ।
उर्वशी ने कहा कि आरटीआई यानि कि सूचना का अधिकार संविधान की धारा 19
(1),जिसके तहत प्रत्येनक नागरिक को बोलने और अभिव्यकक्ति की स्वितंत्रता
दी गई है,के तहत एक मूलभूत अधिकार है और इस प्रकार आरटीआई कार्यकर्ताओं
पर हमले भारत के संविधान द्वारा स्थापित की गयी व्यवस्थाओं पर हमले हैं
जो इस देश में लोकतंत्र की मूल भावना को आहत कर कमजोर कर रहे हैं ।
आरटीआई को आम आदमी से जुड़ा एक्ट बताते हुए उर्वशी ने इस एक्ट को सरकारी
अधिकारियों एवं कर्मचारियों की कार्यशैली में पारदर्शिता लाने,
कार्यप्रणाली में दक्षता लाने के अलावा जवाबदेह और भ्रष्टाचार मुक्त
प्रशासन बनाने का एक ऐसा औजार बताया जो देश में प्रतिभागी लोकतंत्र की
स्थापना के लिए अत्यन्त प्रभावी भूमिका निभा सकता है परन्तु आरटीआई
कार्यकर्ताओं पर लगातार हो रहे हमलों के कारण इस औजार की धार अब कुंद
होती जा रही है। पत्रकारों से बात करते हुए उर्वशी ने कहा कि संविधान में
प्रदत्त अभिव्यक्ति की आजादी सूचना के अधिकार के बिना अधूरी है।
आरटीआई कानून को भारत की एक बड़ी उपलब्धि बताते हुए उर्वशी ने कहा कि इन
10 वर्षों में सरकारी कामकाज में पारदर्शिता व अधिकारियों में
उत्तरदायित्व का भाव लाने में इसकी उल्लेखनीय भूमिका रही है और इसकी वजह
से कई बड़े-बड़े घोटालों का पर्दाफाश भी हुआ हुआ है पर अब छुद्र
स्वार्थों की पूर्तिके लिए ज्यादातर सरकारों को उपकृत करने बाले
व्यक्तिओं की नियुक्तियों से कार्यरत सूचना आयुक्तों के द्वारा सरकारों
का पिछलग्गू बन जाने की वजह से आरटीआई कार्यकर्ताओं के उत्पीडन की
वारदातें लगातार बढ़ रही है। उत्पीडन से बचने के लिए उर्वशी ने आरटीआई
कार्यकर्ताओं को अपनी आरटीआई से सम्बंधित मामलों को मीडिया के माध्यम से
सार्वजनिक करने की सलाह दी । बकौल उर्वशी सरकारों द्वारा भोथरा बनाने की
तमाम कोशिशों के बाबजूद सिविल सोसायटी के माध्यम से शिद्दत से किये गए
जन-हस्तक्षेप के कारण ही आम आदमी की यह ताकत अभी भ्रष्टाचार से जमकर लोहा
ले रही है ।
धरने में मुख्य रूप से सामाजिक कार्यकर्ता इंजीनियर संजय शर्मा अशोक
कुमार गोयल,राम स्वरुप यादव,हरपाल सिंह,अब्दुल्ला सिद्दीकी,रुवैद किदवई,
शीबू निगम सहित बड़ी संख्या में समाजसेवियों ने प्रतिभाग कर अपना रोष
प्रकट किया । धरने का नेतृत्व येश्वर्याज की सचिव उर्वशी शर्मा ने किया
तथा समन्वयन और सञ्चालन सामाजिक कार्यकर्त्ता तनवीर अहमद सिद्दीकी ने
किया l।
विरोध प्रदर्शन में आये समाजसेवियों ने इस प्रकार के हमलों को
अभिव्यक्ति की आजादी के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन बताते हुए इस
राजनैतिक दल के इन कृत्यों को अलोकतांत्रिक और कायरतापूर्ण बताते हुए इन
कृत्यों की भर्त्सना की और सूबे के राज्यपाल और स्थानीय प्रशासन के
माध्यम से देश के राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री और महाराष्ट्र के राज्यपाल और
मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन प्रेषित कर देश भर के आरटीआई
कार्यकर्ताओं,लेखकों,पत्रकारों आदि 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के
पैरोकारों' की सुरक्षा की मांग बुलंद की ।
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