Tuesday, July 31, 2018

लखनऊ : जालसाजी मामले में न्यायालय ने लौटाई पुलिस की फाइनल रिपोर्ट, पारा थानाध्यक्ष को दिया पॉलीटेक्निक प्रवक्ता के खिलाफ अग्रिम विवेचना का आदेश l

थाना पारा में आईपीसी की धारा 420/467/468/471/167 में दर्ज मुक़दमे की आरोपी राजकीय जी. बी.पन्त पॉलिटेक्निक की अंगरेजी की महिला प्रवक्ता श्रद्धा सक्सेना उर्फ श्रद्धा शुक्ला के खिलाफ न्यायालय की बड़ी कार्यवाही l


लखनऊ / 31 जुलाई 2018 ......................  
लखनऊ के न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम की अदालत ने राजधानी लखनऊ की मोहान रोड स्थित राजकीय जी. बी. पन्त पॉलिटेक्निक में अंगरेजी के प्रवक्ता पद पर काम कर रही श्रद्धा सक्सेना उर्फ श्रद्धा शुक्ला द्वारा की गई जालसाजी के मामले में कड़ी कार्यवाही की है और लखनऊ के थाना पारा द्वारा भेजी गई फाइनल रिपोर्ट को अस्वीकार कर बापस लौटा दिया है और  थानाध्यक्ष को मामले की अग्रेत्तर विवेचना कराने का आदेश दिया है l अदालत ने यह कार्यवाही लखनऊ पुलिस की अंतिम रिपोर्ट के खिलाफ नामचीन समाजसेविका और आरटीआई कार्यकत्री उर्वशी शर्मा द्वारा दायर किये गए प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र का निस्तारण करते हुए दिया है l

एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा ने बताया कि राजधानी के मोहान रोड स्थित समाज कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश की शैक्षणिक संस्था राजकीय गोविंद बल्लभ पंत पॉलीटेक्निक में कार्यरत  अँग्रेज़ी भाषा की महिला प्रवक्ता श्रद्धा सक्सेना उर्फ श्रद्धा शुक्ला द्वारा छल, कपट, कूटरचना, जालसाजी जैसे संगीन अपराध करने की बात पता चलने पर उन्होंने साल 2015 की 21 मार्च को अभियुक्ता श्रद्धा सक्सेना के खिलाफ  भारतीय दंड विधान की धारा 420/467/468/471/167 में एफआईआर संख्या 113/2015 दर्ज  कराई थी l बकौल उर्वशी पुलिस ने इस मामले में कोई जांच नहीं की और श्रद्धा से घूस खाकर मामले में अंतिम रिपोर्ट लगा दी l उर्वशी बताती हैं कि पुलिस की अंतिम रिपोर्ट के खिलाफ उन्होंने अदालत में प्रोटेस्ट अर्जी दी और अपनी लिखित बहस दाखिल की l पुलिस की जांच रिपोर्ट की खामियों के सम्बन्ध में उर्वशी की लिखित बहस में उठाये गए बिन्दुओं को सही पाते हुए अदालत ने बीती 19 जुलाई को आदेश पारित करके पुलिस की अंतिम रिपोर्ट बापस लौटा दी है और थानाध्यक्ष पारा को अग्रेत्तर विवेचना कराकर आख्या अदालत में पेश करने का आदेश दिया है l अदालत ने अपने आदेश में यह भी लिखा है कि मामले में न तो मुक़दमे की वादिनी समाजसेविका उर्वशी शर्मा का वयान लिया गया और न ही मामले से सम्बंधित सुसंगत साक्ष्यों का संकलन करने के लिए कोई कार्यवाही ही की गई है l


अपनी वेबाक राय के लिए प्रसिद्द उर्वशी कहती हैं कि आदिकाल से ही भारतीय समाज में अध्यापकों को उच्च आदर्शों का पोषक माना गया है परंतु समय के साथ इस दिशा में क्षरण होता गया है और अब   स्थिति यह  गयी है कि आज अध्यापक भी सामान्यतया   सोचे जाने बाले जघन्यतम अपराधों के आरोपी बन रहे हैं l समाज कल्याण द्वारा समाज के वंचित वर्ग के छात्र-छात्राओं को समाज की मुख्यधारा में लाने उद्देश्य से यूपी में  संचालित इस एकमात्र पॉलीटेक्निक की एक महिला अध्यापिका द्वारा इस प्रकार के जघन्यतम अपराध  करने और फिर अपराधों के दण्ड से बचने के लिए पुलिस को घूस खिलाने  को श्रद्धा द्वारा की गई एक और अतिरिक्त अपराधिक वारदात बताते हुए उर्वशी ने इस मामले में समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर श्रद्धा  को तत्काल निलंबित कर उसके विरुद्ध विभागीय नियमों के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की माँग करने की बात कही है  l  


उर्वशी ने बताया कि वे शीघ्र ही लखनऊ के एसएसपी से मिलकर मामले में अंतिम रिपोर्ट लगाने वाले घूसखोर विवेचकों  के खिलाफ FIR लिखाकर विधिक कार्यवाही कराने और विभागीय कार्यवाही कराकर प्रशासनिक दण्ड देने की मांग भी करेंगी l 

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