लखनऊ/14
मई 2016... यूपी का एक एनजीओ सूबे के मुख्य सूचना आयुक्त और पूर्व मुख्य सचिव जावेद
उस्मानी को मानहानि का नोटिस भेजने की तैयारी कर रहा है l दरअसल इस एनजीओ ने यूपी
के सबसे खराब सूचना आयुक्त का पता लगाने और यूपी में आरटीआई के मार्ग की सबसे बड़ी
वाधा का पता लगाने के लिए बीते 23 अप्रैल को राजधानी में एक सर्वे कराया था l एनजीओ
ने बीते 30 अप्रैल को लखनऊ में एक प्रेस वार्ता करके सर्वे के परिणाम जारी किये थे
l एनजीओ के पदाधिकारियों ने मुख्य सूचना आयुक्त से बीते 5 मई को भेंट करके सर्वे के परिणामों को उनको सौंपते हुए इन पर
कार्यवाही करने की माँग भी की थी l इसके बाद मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी ने
बीते 9 मई को मीडिया के माध्यम से इस एनजीओ की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगाते
हुए संस्था के द्वारा कराये गए सर्वे के परिणामों पर कोई भी कार्यवाही नहीं करने का
वक्तव्य दिया था l उस्मानी के इस वक्तव्य
को संस्था के लिए मानहानिकारक बताकर एनजीओ अब उस्मानी को मानहानि का नोटिस देने की
तैयारी कर रहा है l एनजीओ ने उस्मानी पर लोकसेवक के दायित्वों का सम्यक निर्वहन न
करने का भी आरोप लगाया है l
दरअसल
यूपी के सबसे खराब सूचना आयुक्त का पता लगाने और यूपी में आरटीआई के मार्ग की सबसे
बड़ी वाधा का पता लगाने के लिए सामाजिक संस्था ‘येश्वर्याज सेवा संस्थान’ की ओर से एक सर्वे कराया गया था। सर्वे
में उत्तराखंड के हरिद्वार और उत्तर प्रदेश के
आगरा,बहराइच,बरेली,बस्ती, देवरिया,इटावा, फर्रुखाबाद, फतेहपुर, गोंडा,
जालौन, कानपुर, लखनऊ,मऊ,रायबरेली,सीतापुर,श्रा वस्ती,सुल्तानपुर और उन्नाव
जिले के लोगों ने भाग लेकर यूपी के सबसे खराब सूचना आयुक्त का और यूपी
में आरटीआई एक्ट को प्रभावी रूप से लागू करने के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा
का चुनाव करने के येश्वर्याज के इस अनूठे सर्वे में अपनी राय व्यक्त की थी l सर्वे में व्यक्त
कुल मतों में से 17% मत पाकर अरविन्द सिंह बिष्ट पहली पायदान पर रहे.
13.8% मत पाकर मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी दूसरी पायदान पर, 11.6%
मत पाकर गजेन्द्र यादव तीसरी पायदान पर,9.4% मत पाकर हाफिज उस्मान चौथी
पायदान पर, 9.1% मत पाकर स्वदेश कुमार पांचवीं पायदान पर,8.4% मत पाकर
पारस नाथ गुप्ता छठी पायदान पर,8.1% मत पाकर खदीजतुल कुबरा सातवीं पायदान
पर, 7.9% मत पाकर राजकेश्वर सिंह आठवीं पायदान पर और बराबर-बराबर 7.2% मत
पाकर दो सूचना आयुक्त सैयद हैदर अब्बास रिज़वी और विजय शंकर शर्मा आख़िरी
पायदान पर रहे थे l
आगरा,बहराइच,बरेली,बस्ती, देवरिया,इटावा, फर्रुखाबाद, फतेहपुर, गोंडा,
जालौन, कानपुर, लखनऊ,मऊ,रायबरेली,सीतापुर,श्रा
जिले के लोगों ने भाग लेकर यूपी के सबसे खराब सूचना आयुक्त का और यूपी
में आरटीआई एक्ट को प्रभावी रूप से लागू करने के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा
का चुनाव करने के येश्वर्याज के इस अनूठे सर्वे में अपनी राय व्यक्त की थी l सर्वे में व्यक्त
कुल मतों में से 17% मत पाकर अरविन्द सिंह बिष्ट पहली पायदान पर रहे.
13.8% मत पाकर मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी दूसरी पायदान पर, 11.6%
मत पाकर गजेन्द्र यादव तीसरी पायदान पर,9.4% मत पाकर हाफिज उस्मान चौथी
पायदान पर, 9.1% मत पाकर स्वदेश कुमार पांचवीं पायदान पर,8.4% मत पाकर
पारस नाथ गुप्ता छठी पायदान पर,8.1% मत पाकर खदीजतुल कुबरा सातवीं पायदान
पर, 7.9% मत पाकर राजकेश्वर सिंह आठवीं पायदान पर और बराबर-बराबर 7.2% मत
पाकर दो सूचना आयुक्त सैयद हैदर अब्बास रिज़वी और विजय शंकर शर्मा आख़िरी
पायदान पर रहे थे l
आरटीआई
एक्ट के क्रियान्वयन की सबसे बड़ी बाधा का पता लगाने के लिए किये
सर्वे में लोगों ने कुल पड़े मतों में से 28% मत देकर जन सूचना
अधिकारियों द्वारा आरटीआई आवेदनों के निस्तारण में की जा रही हीलाहवाली
को आरटीआई एक्ट के क्रियान्वयन की सबसे बड़ी बाधा बताया. सर्वे के अनुसार
25.4% मत पाकर सूचना आयोग की खराब कार्यप्रणाली आरटीआई एक्ट के
क्रियान्वयन की दूसरी बड़ी बाधा के रूप में सामने आयी. 24.3% मत पाकर
आरटीआई रूल्स 2015 तीसरी और 22.2% मत पाकर प्रथम अपीलीय अधिकारियों का
गैर-जिम्मेदाराना रवैया आरटीआई एक्ट के क्रियान्वयन की चौथी बाधा के रूप
में सामने आया था l
सर्वे में लोगों ने कुल पड़े मतों में से 28% मत देकर जन सूचना
अधिकारियों द्वारा आरटीआई आवेदनों के निस्तारण में की जा रही हीलाहवाली
को आरटीआई एक्ट के क्रियान्वयन की सबसे बड़ी बाधा बताया. सर्वे के अनुसार
25.4% मत पाकर सूचना आयोग की खराब कार्यप्रणाली आरटीआई एक्ट के
क्रियान्वयन की दूसरी बड़ी बाधा के रूप में सामने आयी. 24.3% मत पाकर
आरटीआई रूल्स 2015 तीसरी और 22.2% मत पाकर प्रथम अपीलीय अधिकारियों का
गैर-जिम्मेदाराना रवैया आरटीआई एक्ट के क्रियान्वयन की चौथी बाधा के रूप
में सामने आया था l
संस्थान की सचिव उर्वशी शर्मा ने बताया कि
उस्मानी द्वारा मीडिया को दिए एक इंटरव्यू से उनके संज्ञान में आया है कि मुख्य
सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी का कहना है “सर्वे कराने वाली संस्था कोई
सर्टिफाइड सर्वेयर संस्था नहीं है। इसकी कोई क्रेडिबिलिटी नहीं है। इसके
नतीजों पर हम कोई कार्रवाई नहीं करेंगे।” उर्वशी ने बताया कि उस्मानी का
कहना है, ‘इस
तरह कोई भी आदमी आए और कहे कि हमने सर्वे कराया है। फिर कहे कि इस पर कार्रवाई करें।
इसका कोई औचित्य नहीं है।’ उर्वशी ने बताया कि उनको पता चला है कि यह पूछे जाने पर यदि इस सर्वे के नतीजों पर
आयोग अपना कोई पक्ष नहीं रखता है तो यह माना जाएगा कि सर्वे के नतीजे
सही हैं। इस पर जावेद उस्मानी ने कहा कि पक्ष तब रखा जाता है, जब इसकी कोई विश्वसनीयता हो।
उर्वशी
ने बताया कि उनको पता चला है कि यह पूछे जाने पर कि फिर यदि सर्वे सही नहीं
है तो क्या आयोग संस्था पर कोई कार्रवाई करेगा ? मुख्य सूचना आयुक्त ने कहा कि
क्या उन्होंने कोई अवैध काम किया है ? कोई जुर्म किया है? हम उन्हें इग्नोर करेंगे।
उर्वशी
ने उस्मानी के इन वक्तव्यों को संस्था के लिए मानहानिकारक बताकर उस्मानी को अधिवक्ता
के मार्फत मानहानि का नोटिस देने की बात कही है l उर्वशी ने उस्मानी पर लोकसेवक के
दायित्वों का सम्यक निर्वहन न करने का भी आरोप लगाया है l उर्वशी का कहना है कि
उन्होंने उस्मानी को बाकायदा सूचित करके आयोग के एक प्रतिनिधि को सर्वे में भेजकर
सर्वे का पर्यवेक्षण करने का न्योता भी दिया था और इसीलिये उस्मानी को अब इस सर्वे
पर उंगली उठाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है l
उर्वशी
के मुताबिक उनका एनजीओ राज्य सरकार से पंजीकृत संस्था है और लोकसेवक होते हुए भी उस्मानी
ने उनकी संस्था की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगाकर संस्था की मानहानि करने के
साथ-साथ राज्य सरकार द्वारा स्थापित व्यवस्था का भी अवमान किया है lउर्वशी के
अनुसार विधि द्वारा स्थापित उनके सामाजिक संगठन को उस्मानी जब तक भंग नहीं करा
देते तब तक वह इसकी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगा सकते l
बकौल
उर्वशी उनके सर्वे का परिणाम जनता का आदेश है और इसको न मानने की सार्वजनिक घोषणा
करके उस्मानी ने एक लोकसेवक के दायित्वों का सम्यक निर्वहन न करने का अपराध भी किया
है जिसके लिए उनके खिलाफ अलग से कानूनी कार्यवाही कराई जायेगी l
उर्वशी
ने उस्मानी द्वारा एशिया का नोबेल माने जाने वाले मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित
समाजसेवी डा० संदीप पाण्डेय द्वारा येश्वर्याज के सर्वे में व्यक्त राय को भी हलके
में लेने की बात को उस्मानी का ब्यूरोक्रेटिक माइंडसेट के साथ दर्शाया गया मानसिक
दिवालियापन करार दिया है l
उर्वशी
ने उस्मानी पर मुख्य सूचना आयुक्त के दायित्वों का निर्वहन न करने और अलीगढ़
मुस्लिम यूनिवर्सिटी का वाइस चांसलर बनने के लिए जोड़-तोड़ करने का आरोप भी लगाया है
l
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