लखनऊ/28 मई 2016... यूपी के एक एनजीओ ने सूबे के मुख्य सूचना आयुक्त और पूर्व मुख्य सचिव जावेद उस्मानी को मानहानि का नोटिस भेजा है. इस एनजीओ ने बीते 23 अप्रैल को यूपी के सबसे खराब सूचना आयुक्त का पता लगाने के लिए राजधानी में एक सर्वे कराया था और बीते 30 अप्रैल को लखनऊ में एक प्रेस वार्ता करके सर्वे के परिणाम जारी किये थे. एनजीओ के पदाधिकारियों ने बीते 5 मई को मुख्य सूचना आयुक्त से भेंट करके सर्वे के परिणामों को उनको सौंपते हुए इन पर कार्यवाही करने की माँग भी की थी जिसके बाद मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी ने मीडिया के माध्यम से इस एनजीओ की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए संस्था के द्वारा कराये गए सर्वे के परिणामों पर कोई भी कार्यवाही नहीं करने का वक्तव्य दिया था. उस्मानी के इस वक्तव्य को संस्था के लिए मानहानिकारक बताते हुए एनजीओ ने बीते
24 मई को उस्मानी को मानहानि का नोटिस दिया है.
दरअसल यूपी के सबसे खराब सूचना आयुक्त का पता लगाने के लिए सामाजिक संस्था ‘येश्वर्याज सेवा संस्थान’ की ओर से एक सर्वे कराया गया था। खराब सूचना आयुक्तों के सर्वे में अरविंद सिंह बिष्ट
(17 फीसदी वोट) पहले , जावेद उस्मानी
(13.8 फीसदी वोट) दूसरे ,गजेंद्र यादव
(11.6 फीसदी वोट) तीसरे ,हाफिज उस्मान
(9.4 फीसदी वोट) चौथे ,स्वदेश कुमार (9.1 फीसदी वोट) पांचवें ,पारसनाथ गुप्ता (8.4
फीसदी वोट) छठे ,खदीजतुल कुबरा
(8.1 फीसदी वोट) सातवें , राजकेश्वर सिंह
(7.9 फीसदी वोट) आठवें और हैदर अब्बास रिजवी (7.2
फीसदी वोट),विजय शंकर शर्मा (7.2 फीसदी वोट) नौवें स्थान पर रहे थे.
संस्थान की सचिव उर्वशी शर्मा ने बताया कि उस्मानी द्वारा येश्वर्याज की क्रेडिबिलिटी पर
प्रश्नचिन्ह लगाने के सार्वजनिक वक्तव्य से संस्था की मानहानि हुई है जिसके लिए
उस्मानी को नोटिस भेजकर 1 माह में अपने
वक्तव्यों को बापस लेते हुए संस्था से बिना किसी शर्त के माफी मांगने और संस्था
द्वारा कराये गए सर्वे के परिणामों पर कार्यवाही करने और उस्मानी द्वारा ऐसा न
करने पर उस्मानी के खिलाफ न्यायालय में मुकद्दमा दर्ज कराने की बात कही गयी है.
नोटिस में उस्मानी पर आरोप लगाया गया है
कि सर्वे का परिणाम उनके पक्ष में न आने पर ही उस्मानी द्वारा आपराधिक मानसिकता के
तहत इस सर्वे की और संस्था की क्रेडिबिलिटी पर प्रश्नचिन्ह लगाकर संस्था और सर्वे
में प्रतिभाग कर अपनी निष्पक्ष राय देने वाले सम्मानित और प्रबुद्ध नागरिकों की
मानहानि करने का आपराधिक कृत्य भी किया गया है.
संस्था के राज्य सरकार से पंजीकृत संस्था होने और उस्मानी
द्वारा एक लोकसेवक होते हुए भी इस
संस्था की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगाकर संस्था की मानहानि करने के साथ-साथ राज्य सरकार द्वारा स्थापित व्यवस्था का भी अवमान करने और विधि द्वारा स्थापित इस सामाजिक संगठन को किसी कारण से भंग कर
दिए जाने या इसका पंजीकरण रद्द कर दिए जाने तक उस्मानी को इस संस्था की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगाने
का कोई विधिक अधिकार नहीं होने की बात भी इस नोटिस में कही गयी है.
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