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लखनऊ/12 सितम्बर
2016/ Written by Socio Political News Desk
उत्तर प्रदेश के सूचना आयोग में ‘महिला सम्मान रक्षा’ की मुहिम चलाने वाली आरटीआई कार्यकत्री पर बीते शनिवार रात उस समय हमला किये जाने की बात सामने आयी है जब वह छद्म नाम से जांच करने के लिए आये एक व्यक्ति से सबाल-जबाब कर रही थीं l हमलावर राजधानी के एक शिक्षण संस्थान में राजपत्रित पद पर कार्य करने वाला लोकसेवक बताया जा रहा है l पुलिस ने कार्यकत्री से एफ.आई.आर. की तहरीर ले ली है और जांच कराने के बाद एफ.आई.आर. लिखने की बात कही है l सम्बंधित थाने द्वारा एफ.आई.आर. न लिखे जाने के कारण जहाँ एक तरफ कार्यकत्री ने लेडी सिंघम के नाम से मशहूर आईपीएस अधिकारी और लखनऊ की एसएसपी मंजिल सैनी को अपनी अर्जी बीते रविवार को भेज दी हैं तो वहीं सूबे की राजधानी में आरटीआई कार्यकत्री के ऊपर हुए इस हमले और सम्बंधित थाने द्वारा इस अपराध की एफ.आई.आर. न लिखे जाने के कारण आरटीआई कार्यकर्ताओं में जोरदार रोष व्याप्त है और उन्होंने इस मामले में सूबे के राज्यपाल से मिलकर ज्ञापन देने की बात कही है l
घटना राजधानी लखनऊ के राजाजीपुरम इलाके की है जहाँ रहने वाली सामाजिक और आरटीआई कार्यकत्री उर्वशी शर्मा ने लखनऊ के मोहान रोड स्थित राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त पॉलिटेक्निक मोहान रोड लखनऊ के कर्मशाला अधीक्षक पवन कुमार मिश्रा पर प्रतिरूपण द्वारा छल करने, गाली-गलोच करने, हमला करने और चरित्रहनन की बातें कहने का संज्ञेय
अपराध कारित करने का आरोप लगाते हुए इस अपराध की प्रथम
सूचना रिपोर्ट
दर्ज कर
विधिक कार्यवाही
की मांग बीते शनिवार की रात थाना तालकटोरा के थानाध्यक्ष से की थी और बीते रविवार एस.एस.पी. को पत्र लिखकर यह मांग दोहराई है l
उर्वशी ने बताया कि उनके द्वारा लोकायुक्त उत्तर प्रदेश के समक्ष दायर की गयी एक शिकायत के आधार पर आरोपी पवन का सेवा में विनियमितीकरण रद्द किया जा चुका है और पवन को प्राविधिक एवं औधोगिक संस्थाओं के सचिव पद पर नियुक्त किये जाने का आदेश भी रद्द किया जा चुका है जिसके कारण पवन उनकी जान के पीछे पड़ा हुआ है l उनके द्वारा पवन
कुमार मिश्र
के खिलाफ
लखनऊ के
थाना काकोरी
में पंजीकृत
कराये गए मुकदमा अपराध
संख्या 30/08 अंतर्गत आईपीसी धारा
420, 468 के सम्बन्ध
में सीजेएम
लखनऊ के
न्यायालय में
विचाराधीन केस
नंबर 784/14 में
पवन दिनांक
11-08-15 से 21-08-15 तक
जेल में
रहा था
और इसीलिये
उसे 11-08-15 को
निलंबित किया
गया था
। उनके प्रार्थना पत्र पर पारित किये गए आदेश
में तत्कालीन
प्रमुख सचिव
सुनील कुमार
ने आदेशित
किया है
कि 11-08-15 से
21-08-15 तक की
अवधि पवन
के सेवाकाल
में व्यवधान
मानी जायेगी
और 11-08-15 से
21-08-15 तक की
अवधि के
सेवाकाल के
सम्बन्ध में
निर्णय सीजेएम
लखनऊ के
न्यायालय में
विचाराधीन परिवाद
संख्या 1585/15 के
अंतिम रूप
से निस्तारित
होने के
बाद ही
लिया जा
सकेगा । आरोपी पवन कुमार मिश्र द्वारा इस परिवाद को बापस लेने के लिए अपने अन्य साथियों के साथ उनका पीछा ( Stalking ) करने और मौका पाकर उनको जान से मारने की धमकी देने,केस बापस लेने के लिए दवाव बनाने की साजिश के तहत उनकी जासूसी कराकर उनके जानकारों और रिश्तेदारों के नाम पते प्राप्त कर क्षद्म लोकप्राधिकारी बनकर उनसे संपर्क कर उनके चरित्रहनन की बातें करने,पवन की बजह से उनका जीना दूभर होने और उनको व उनके परिवार को परिवार को पवन और इसके साथियों से जान-माल का खतरा होने की बात भी उर्वशी ने कही है
l
बकौल उर्वशी पवन जालसाजी करने में सिद्धहस्त है जिसने दिनांक 28 फरवरी
2008 को उच्चतम न्यायालय दिल्ली में उपस्थित होकर Review
petition (c) No. 7096/08 in Special Leave Petition ( Civil ) no. CC 1083 of
2008 का शपथ पत्र हस्ताक्षरित किया और दिल्ली उच्चतम न्यायालय में होते हुए भी इसी दिनांक 28 फरवरी
2008 को राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त पॉलिटेक्निक मोहान रोड लखनऊ की उपस्थिति पंजिका में हस्ताक्षर भी किये जो कि जालसाजी किये बिना किसी भी प्रकार संभव ही नहीं हैं । इस मामले में एफ.आई.आर. दर्ज कराकर विधिक कार्यवाही कराने की उनकी अर्जी एस.एस,पी. लखनऊ के कार्यालय में लंबित है ।
उर्वशी ने बताया कि वे सामाजिक संस्था येश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव भी है। बीते शनिवार को येश्वर्याज की पूर्व उपाध्यक्षा बबिता सिंह, निवासिनी
2208, राजाजीपुरम,लखनऊ के पुत्र ने बीते शनिवार की रात 07:04
बजे मोबाइल नंबर 9936068253 से उनके मोबाइल नंबर 9369613513 पर कॉल की और बताया कि कोई जांच अधिकारी संस्था के सम्बन्ध में जांच हेतु आये हैं और संस्था के वारे में तहकीकात कर रहे हैं l जब वह बबिता सिंह के घर भूतल स्थित ड्राइंगरूम में पंहुची तो उन्होंने देखा कि राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त पॉलिटेक्निक मोहान रोड लखनऊ के कर्मशाला अधीक्षक पवन कुमार मिश्रा वहां सोफे पर बैठे थे l जब उन्होंने पवन से जानना चाहा कि वे किस प्राधिकार से संस्था की जांच कर रहे हैं तो पवन ने कहा कि थाना हजरतगंज में तैनात पुलिस कार्मिक श्री अरुण कुमार सिंह ने उनको संस्था की जांच हेतु अधिकृत किया है l जब उन्होंने पवन से अनुरोध किया कि वे थाना हजरतगंज में तैनात पुलिस कार्मिक श्री अरुण कुमार सिंह द्वारा दिए गए प्राधिकार पत्र को दिखायें तो पवन अचानक सोफे से उठे और उनको ( न लिखे जाने योग्य ) गालियाँ देते हुए उन पर हमला कर उनके कुरते की आस्तीन फाड़ दी और घर से बाहर की तरफ भाग गया l उनके दायें घुटने में सियाटिका का दर्द होने के कारण वे जमीन पर गिर गयी l वह धीरे-धीरे उठी और बाहर आयी तो देखा कि पवन अपनी मोटरसाइकिल की तरफ जाते हुए उनके चरित्र के वारे में गंदी-गंदी बातें जोर-जोर से बोल रहा था l उन्होंने बाहर आकर पवन को वहीं रूककर सबके सामने येश्वर्याज के जांच अधिकारी होने के प्रमाण दिखाने को रुकने के लिए ललकारा लेकिन पवन अपनी मोटरसाइकिल स्टार्ट करके वहां से चला गया l बकौल उर्वशी यह आश्चर्यजनक रहा कि बबिता सिंह और उनके परिवारीजनों ने इस मामले में उन की कोई भी मदद नहीं की l उर्वशी का कहना है कि इस प्रकार पवन ने प्रतिरूपण द्वारा छल करने का अपराध भी किया है l बाद में वे थाने गयी और वहीं से कागज कलम लेकर एफ.आई.आर. की तहरीर लिखकर थाना प्रभारी को दी
l
महिला के विरुद्ध संज्ञेय अपराधों कारित किये जाने के मामलों में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने की विधिक बाध्यता और प्रशासनिक अनिवार्यता होने के बाबजूद उनकी एफ.आई.आर. नहीं लिखे जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए उर्वशी ने कहा कि भारतीय दण्ड विधि संशोधन अधिनियम 2013
में महिला-अपराधों के लिए किये गए नए प्राविधानों और उच्चतम न्यायालय द्वारा ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के सम्बन्ध में पारित आदेश के अनुसार एफ.आई.आर. न लिखने पर सम्बंधित पुलिस कार्मिक के खिलाफ भी कार्यवाही का प्राविधान हो गया है और इसीलिये उन्होंने एस.एस.पी. को भेजे अपने पत्र में थाना तालकटोरा के थानाध्यक्ष को कानून का अनुपालन न करने के लिए दण्डित करने की मांग भी की है l उर्वशी ने लखनऊ पुलिस की इस तरह के कार्यशैली को सूबे की अखिलेश सरकार की महिला सम्मान रक्षा की मंशा के प्रतिकूल बताया l
आरटीआई कार्यकर्ता अशोक कुमार गोयल, तनवीर अहमद सिद्दीकी आदि ने सूबे की राजधानी में सीएम अखिलेश की नाक के नीचे आरटीआई कार्यकत्री के ऊपर हुए इस हमले और सम्बंधित थाने द्वारा इस अपराध की एफ.आई.आर. न लिखे जाने की घटना को निंदनीय बताते हुए लखनऊ पुलिस की इस कार्यशैली की भर्त्सना की और बताया कि इस घटना के कारण आरटीआई कार्यकर्ताओं में जोरदार रोष व्याप्त है l कार्यकर्ताओं ने इस हमले के पीछे कुछ सूचना आयुक्तों का हाथ होने की सम्भावना भी व्यक्त की है l तनवीर ने इस मामले में वरिष्ठ आरटीआई कार्यकर्ता अशोक कुमार गोयल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा सूबे के राज्यपाल से मिलकर ज्ञापन देने की बात कही है l
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