लखनऊ/ 21-04-17
आरटीआई के क्षेत्र में कार्य कर रही संस्था ‘सूचना का अधिकार बचाओ अभियान’
CPRI ट्रस्ट के 8 सदस्यीय प्रतिनिदिमंडल ने आज शाम यूपी के राज्यपाल राम नाईक से भेंट
की और यूपी के सूचना आयुक्तों की शिकायत करते हुए उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में
व्याप्त अनियमितताओं को दूर कराकर आरटीआई आवेदकों की समस्याओं का समाधान कराने की मांग
की l CPRI की संरक्षिका समाजसेविका और आरटीआई कार्यकत्री
उर्वशी ने बताया कि राज्यपाल ने आधे घंटे से अधिक की बातचीत में संस्था द्वारा उठाये
गये बिन्दुओं पर विस्तृत विचार-विमर्श किया और मांगपत्र के बिन्दुओं के विषयों पर यथावश्यक
व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप कर कार्यवाही का आश्वासन भी दिया l
बताते चलें कि ‘सूचना का अधिकार बचाओ अभियान’ एक
पंजीकृत ट्रस्ट है जो सम्पूर्ण भारत में ‘सूचना का अधिकार अधिनियम 2005’ के प्रचार
प्रसार के लिए और आरटीआई प्रयोगकर्ताओं की समस्याओं को आगे लाकर उनका समाधान कराने
के लिए प्रयासरत है l
CPRI के राष्ट्रीय अध्यक्ष तनवीर अहमद सिद्दीकी ने बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य
सूचना आयोग में अनेकों अनियमितताएं व्याप्त हैं जिनके सम्बन्ध में संस्था द्वारा किये
गये पत्राचार को राज्यपाल सचिवालय ने उत्तर प्रदेश शासन के प्रशासनिक सुधार विभाग
के प्रमुख सचिव को भेजा था किन्तु पूर्व की सरकार द्वारा इन प्रस्तावों पर कोई
कार्यवाही नहीं की गई थी l
राज्यपाल महोदय को दिये गये ज्ञापन के माध्यम
से उठाई गयी संस्था की प्रमुख 7 मांगें निम्नवत हैं :
1- उत्तर
प्रदेश के सूचना आयुक्तों द्वारा खुली सुनवाईयां नहीं की जा रहीं हैं l सुनवाईयों की
प्रतिदिन की समयसारिणी का अनुपालन सुनिश्चित कराने और सुनवाइयों को भयमुक्त,
प्रताड़नामुक्त, निष्पक्ष और भ्रष्टाचारमुक्त बनाने के लिए सभी सुनवाई कक्षों में
ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की सुविधा बहाल कराई जाए l
2- सूचना
आयुक्तों, सचिव, रजिस्ट्रार, उप सचिव आदि अधिकारियों के कार्यालय कक्षों के
साथ-साथ आयोग के सभी अन्य कार्यालय-कक्षों में घूस लेकर बिना बारी काम कर देना,घूस
न मिलने पर काम न करना और जनमानस के साथ दुर्व्यवहार करना आम होता जा रहा है
l इस समस्या के समाधान के लिए आयोग के सभी
कार्यालयों में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग
की सुविधा शुरू कराई जाए l
3- सूचना
आयुक्तों को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 और उत्तर प्रदेश आरटीआई नियमावली 2015
के विधिक प्राविधानों का अनुपालन करने से सम्बंधित सम्यक ज्ञान न होने के कारण सूचना
आयोग में दर्ज मामलों का निस्तारण अधिनियम की मूल भावना के अनुरूप ससमय नहीं हो पा
रहा है जिसके कारण एक तरफ सूचना आयोग में लंबित मामलों की संख्या में कमी नहीं आ
पा रही है तो वहीं दूसरी तरफ मामलों के लम्बा खिंचने के कारण आरटीआई आवेदकों की
हत्याओं/प्रताड़ना के मामले बढ़ते जा रहे हैं l इस समस्या के समाधान के लिए सूचना
आयुक्तों को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 और उत्तर प्रदेश आरटीआई नियमावली 2015
के विधिक प्राविधानों के अनुपालन से सम्बंधित प्रशिक्षण दिलाया जाए ताकि आयोग में
आये प्रकरणों का ससमय सम्यक निस्तारण हो सके l
4- आयोग
द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 22 का अनुपालन नहीं किया जा रहा है
और आयोग के अभिलेख सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत नहीं दिये जा रहे हैं l धारा 22
के अनुपालन में आयोग के अभिलेखों की सत्यापित प्रतियाँ सूचना का अधिकार अधिनियम
2005 के तहत प्रदान कराई जाएँ l
5- आयोग
में दर्ज शिकायतों और अपीलों के आदेशों की सत्यापित प्रतियाँ सुनवाई के दिनांक के
15 दिन के अन्दर आयोग की वेबसाइट पर अपलोड कराते हुए आदेश को पंजीकृत डाक के
माध्यम से आरटीआई आवेदक को भेजा जाए l
6- सूचना
आयुक्तों, सचिव, रजिस्ट्रार, उप सचिव आदि अधिकारियों के कार्यालय कक्षों के
साथ-साथ आयोग के अन्य सभी कार्यालय-कक्षों में पत्र / आपत्ति पत्र / आदेशों की नकल
के प्रार्थना पत्रों की प्राप्ति कर मुहर/मुद्रा के साथ पावती देने की व्यवस्था सुनिश्चित
की जाए l
7- सूचना
आयुक्तों द्वारा देर से सुनवाई शुरू करने / अचानक अवकाश पर चले जाने / अचानक किसी
अन्य शासकीय कार्य पर जाने की सूचना तत्काल आयोग की वेबसाइट पर प्रदर्शित करते हुए
सूचना एस.एम.एस. और ई-मेल द्वारा आरटीआई आवेदकों को तत्काल दिया जाना शुरू किया
जाए l
CPRI के प्रतिनिधिमंडल में उर्वशी शर्मा और तनवीर अहमद सिद्दीकी के साथ
CPRI के मुख्य विधिक सलाहकार रुवैद कमाल किदवई भी उपस्थित रहे l
राज्यपाल से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में समाजसेवी सफीर सिद्दीकी, सुरेश
शर्मा, मोहम्मद अमीन, नीलम गौतम और संजय शर्मा
भी शामिल थे l
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