Tuesday, October 17, 2017

यूपी : सूचना आयुक्त ने 'आरटीआई रत्न' पुरस्कार प्राप्त आवेदक को धमकी दे बनाया बंधक l



लखनऊ/17 अक्टूबर 2017

समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के समधी और यूपी के सूचना आयुक्त अरविन्द सिंह बिष्ट को बीते कल एक आरटीआई आवेदक द्वारा आरटीआई के कानून की बात करना इतना अखर गया कि बिष्ट अपना आपा खो बैठे और आरटीआई आवेदक को जेल भेज देने की धमकी देते हुए 2 घंटे तक अवैध रूप से अपने सुरक्षाकर्मियों की हिरासत में रखा आरटीआई आवेदक ने अब लखनऊ स्थित सामाजिक संगठन 'येश्वर्याज' की संस्थापिका और समाजसेविका उर्वशी शर्मा को पत्र लिखकर मदद की गुहार लगाईं है l

आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा ने  बताया की तेलीबाग लखनऊ निवासी आनंद प्रसाद ने बीते कल देर रात एक पत्र लिखकर उनको बताया है कि कल दिन में सूचना आयुक्त अरविन्द सिंह बिष्ट के कक्ष में उनकी शिकायत की सुनवाई थी l बकौल आनंद उन्होंने सूचना आयुक्त को बताया कि उन्होंने एक्ट की धारा 19  के तहत सूचना लेने की अपील नहीं नहीं बल्कि असत्य सूचना देने की जांच एक्ट की धारा 18 के तहत करने की शिकायत की थी लेकिन सूचना आयुक्त एक्ट की धारा 18 की शिकायत और एक्ट की धारा 19 की अपील के अंतर को नहीं समझ पा  रहे थे और शिकायत की सुनवाई अपील की तरह कर रहे थे l आनंद ने उर्वशी को बताया है कि जब आयुक्त एक्ट के कानून की बारीकी नहीं समझ पाए तो उन्होंने यूपी आरटीआई  नियमावली के नियम  11 के तहत अपने मामले को किसी अन्य आयुक्त को अंतरित करने की मांग की जिस पर बिष्ट अपना आपा खो बैठे और आरटीआई आवेदक को जेल भेज देने की धमकी देते हुए 2 घंटे तक अवैध रूप से अपने सुरक्षाकर्मियों की  हिरासत में रखा बाद में एक मानवाधिकार कार्यकर्ता जय विजय द्वारा यूपी 100 पर शिकायत करने के बाद यूपी 100  की पुलिस के यूपी सूचना आयोग पहुंचने के बाद आनंद से जबरन 2 कागजों पर हस्ताक्षर करवाने के बाद उनको छोड़ा गया l


बकौल उर्वशी आनंद के अपने हस्ताक्षरित कागजों के दुरुपयोग की सम्भावना जताते हुए सूचना आयोग परिसर को अपने लिए असुरक्षित बताया है और उनके संगठन येश्वर्याज से मदद की गुहार लगाईं है lउर्वशी ने बताया कि उनके संगठन ने बीते 12 अक्टूबर को लखनऊ के प्रेस क्लब में आयोजित आरटीआई डे कार्यक्रम में आनंद प्रसाद को आरटीआई के सहारे अपनी गुमटी की लड़ाई लड़ने के लिए आरटीआई रत्न प्रोत्साहन पुरस्कार से सम्मानित भी किया था l सूचना आयुक्त के इस प्रकार के व्यवहार को गैर-कानूनी और आपराधिक कृत्य बताते हुए इस मामले की शिकायत यूपी के राज्यपाल और सीएम से करने के साथ-साथ दीपावली की छुट्टियों के बाद इस प्रकरण में आरटीआई एक्टिविस्ट्स के प्रतिनिधिमंडल के साथ मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी से मिलकर आनंद प्रसाद को न्याय दिलाने की बात कही है l

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