लखनऊ
/ 04 नवंबर 2017…………………..
आबादी के हिसाब से भारत के सबसे बड़े सूबे यानि कि
उत्तर प्रदेश की तेजतर्रार एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा ने राज्य के सूचना आयोग और पुलिस
विभाग पर साजिश करके एक RTI आवेदक के खिलाफ अवैध FIR लिखाने का गंभीर आरोप
लगाया है l उर्वशी ने यह आरोप लखनऊ स्थित सामाजिक संगठन येश्वर्याज की आज की बैठक के
बाद लगाया है और जल्द ही इस मामले में येश्वर्याज के प्रतिनिधिमंडल के साथ यूपी के
राज्यपाल से मिलकर सूचना आयोग द्वारा RTI आवेदकों के खिलाफ इस तरह की साजिश करने के
प्रमाण राज्यपाल को सौंपकर राज्यपाल द्वारा
इस तरह के आरटीआई आवेदकों के उत्पीड़न के गंभीर मामलों का संज्ञान लेकर आरटीआई एक्ट की धारा 17 के तहत
कड़ी कार्यवाही करने की मांग करने की बात कही है l
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येश्वर्याज
की संस्थापिका उर्वशी शर्मा ने सभा की अध्यक्षता करते हुए इस चौंकाने वाले समाचार का
खुलासा किया है जिसके अनुसार पुलिस विभाग में आरटीआई डालकर अपनी अर्जी पर की गई कार्यवाही
पर सूचना मांगना एक RTI आवेदक को इतना भारी
पड़ा है कि सूचना आयोग के के इशारे पर पुलिस
ने खुद पहल करते हुए अपने एक
सब इंस्पेक्टर से तहरीर लेकर आरटीआई
आवेदक के खिलाफ IPC की धारा 353 और 504 में FIR दर्ज कर ली है और 2 साल से काम
सजा के अपराध होने पर भी लगातार आरटीआई आवेदक के घर पर दबिश डालकर उसका मानसिक उत्पीड़न
किया जा रहा है l
बकौल
उर्वशी मामला दरअसल यूं है कि RTI आवेदक लखनऊ
निवासी तनवीर अहमद सिद्दीकी ने साल 2016 में, जब सूचना आयोग इंदिरा भवन में हुआ करता
था, सूचना आयोग के एक आयुक्त पर अपने निजी स्टाफ के साथ मिलकर मारपीट और गाली गलौज
करने का आरोप लगाया था और इस संबंध में एक अर्जी यूपी के पुलिस महानिदेशक को भी भेजी
थी l उर्वशी ने बताया कि बाद में तनवीर ने
पुलिस महानिदेशक को भेजी इस अर्जी पर पुलिस विभाग द्वारा की गई कार्यवाही की सूचना
मांगी और पुलिस विभाग द्वारा सही सूचना ना दिए जाने पर आयोग में इस मामले की शिकायत
सूचना आयोग में दर्ज कराई l आवेदक की इस आरटीआई
अर्जी पर सूचना देने के स्थान पर सब इंस्पेक्टर प्रमोद कुमार यादव ने बीते महीने की
30 तारीख को आयोग जाकर आरोपी सूचना आयुक्त के निजी स्टाफ के बयान लिए और पीड़ित तनवीर
के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज करने की तहरीर हजरतगंज
थाने में दे दी और 30 तारीख को ही हजरतगंज थाने में तनवीर के खिलाफ मुकदमा कायम भी
हो गया l
आरटीआई एक्ट एक्ट
की धारा 21 का हवाला देते हुए देश के प्रख्तात आरटीआई एक्टिविस्टों में शुमार उर्वशी
शर्मा ने आरोप लगाया है कि सूचना आयोग ने लखनऊ
पुलिस के साथ पेशबंदी में यह झूंठी FIR लिखाई है l उर्वशी बताते हैं कि आरटीआई एक्ट की धारा 21 में यह प्राविधानित है कि कोई वाद अभियोजन या अन्य विधिक कार्यवाही किसी भी
ऐसी बात के बारे में जो इस अधिनियम या उसके अधीन बनाए गए किसी नियम के अधीन सद्भाव
पूर्वक की गई है या किये जाने के लिए आशयित है, किसी व्यक्ति के विरुद्ध न होगी l
बकौल उर्वशी इस FIR की तहरीर में यह स्पष्ट लिखा है की आवेदक तनवीर के खिलाफ
यह FIR उनके द्वारा साल 2016 में सूचना आयोग
में दर्ज कराई गई शिकायत संख्या एस 3 190 सी/2016 की सूचना देने के क्रम में दर्ज कराई गई है और पुलिस की इस कार्यवाही को आरटीआई एक्ट की धारा
21 के प्रतिकूल होने के आधार पर अवैध बताया है और इस FIR को
निरस्त
कराने की मांग उठा दी है l
बकौल
उर्वशी पीड़ित के विरुद्ध साल 2016 की 11 जनवरी
को घटित जिस घटना के आधार पर पीड़ित के खिलाफ 1 साल 9 महीने से ज्यादा का समय हो जाने
के बाद यह FIR दर्ज कराई गई है, उस मामले में तनवीर अहमद सिद्दीकी पुलिस थाने,SSP,
डीजीपी,शासन-प्रशासन ,सूचना आयोग, मानव अधिकार आयोग आदि को अर्जियां देने के बाद लखनऊ के सीजेएम न्यायालय में परिवाद दायर कर चुके हैं और सूचना आयुक्त के साथ
साथ उनके स्टाफ के खिलाफ तनवीर की रिवीजन पिटीशन लखनऊ के जिला जज के न्यायालय में सुनवाई
पर लगी हुई है और इन दो आधार पर उर्वशी ने तनवीर के खिलाफ लिखाई गई FIR को सूचना आयोग
द्वारा पेशबंदी में किया गया एक निंदनीय कार्य बताते हुए सूचना आयोग की इस साजिश की
सार्वजनिक भर्त्सना भी की है l
देश
के नामचीन एक्टिविस्टों में से एक समाजसेविका उर्वशी प्रश्न करती हैं कि यदि तनवीर
के खिलाफ कोई ऐसा अपराध सूचना आयुक्त की उपस्थिति में किया गया था तो सूचना आयोग ने
जनवरी 16 से अब तक पौने 2 साल से अधिक का समय हो जाने पर भी इस मामले में विधिक कार्यवाही
के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाया और आखिर क्यों जब आरोपी सूचना आयुक्त को लखनऊ के जिला
जज न्यायालय में अपना अधिवक्ता खड़ा करना पड़ा तब आरटीआई एक्ट की धारा 21 को धता बता कर सूचना आयोग में प्रचलित
शिकायत के आरटीआई आवेदन की विषय वस्तु के आधार पर
यह झूंठी FIR दर्ज कराई है जो एक्ट के अनुसार भी अवैध है l इस मामले में सूचना
आयोग की गहरी साजिश का जिक्र करते हुए उर्वशी बताती हैं कि अमूमन पुलिस महानिदेशक कार्यालय
से संबंधित सभी मामले मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी द्वारा सुने जाते हैं लेकिन इस मामले को साजिशन उसी आयुक्त के यहां
पंजीकृत किया गया जिसके खिलाफ तनवीर अहमद सिद्दीकी ने आपराधिक आरोप लगाए थे और इस आधार
पर मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयोग के रजिस्ट्रार को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है
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उर्वशी
ने बताया कि वे देश विदेश के शीर्ष आरटीआई कार्यकर्ताओं से संपर्क कर रही हैं और जल्द
ही इस मामले में एक देशव्यापी मुहिम चलकर तनवीर जैसे पीड़ितों को न्याय दिलाने के साथ-साथ
सूचना आयोगों के चेहरों पर चढ़े झूंठ और फरेब के मुखौटों को नोंच फेंका जाएगा
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