लखनऊ/07-02-2018....................सूबे
की चर्चित समाजसेविका और आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा की भ्रष्टाचार विरोधी
मुहिम एक बार फिर रंग लाई है l उर्वशी द्वारा मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर बीते
31 दिसम्बर को डाली गई एक शिकायत पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कड़े रुख के बाद
सरकार ने आनन-फानन में कार्यवाही करते हुए हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी शासन
सत्ता में भ्रष्ट गठजोड़ बनाकर अपर शिक्षा निदेशक बेसिक व माध्यमिक जैसे महत्वपूर्ण
पदों पर पिछले डेढ़ साल से कुण्डली मारे बैठे विनय कुमार पांडेय को बीते 2 फरवरी
को सेवा से बर्खास्त कर दिया है l
समाजसेविका उर्वशी ने बताया कि उनकी संस्था
येश्वर्याज की हेल्पलाइन पर शिकायत आई कि उत्तर प्रदेश के तत्कालीन अपर शिक्षा निदेशक
बेसिक और अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक के 2 पदों पर कार्यरत विनय कुमार पाण्डेय
बिना किसी नियुक्ति के ही फर्जी ढंग से सेवा में बने हुए थे l उर्वशी ने बताया कि
उत्तर प्रदेश शासन के शिक्षा अनुभाग 1 के तत्कालीन विशेष सचिव माध्यमिक शिक्षा एच.
एल. गुप्ता ने कार्यालय ज्ञाप संख्या 1724/15-1-06-27(5)/91 लखनऊ दिनांक 18
सितम्बर 2006 के द्वारा विनय कुमार पाण्डेय तत्कालीन रीडर उच्च शिक्षा संस्थान
इलाहबाद जो उस समय प्राचार्य डायट जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान सारनाथ
वाराणसी के पद पर कार्यरत थे, के नियुक्ति आदेश संख्या 281/15-1-90-8(3)/86 दिनांक
01 अगस्त 90 को तत्कालिक प्रभाव से निरस्त करते हुए उन्हें सेवा से कार्यमुक्त कर
दिया था l सेवा कार्यमुक्ति के आदेश के खिलाफ विनय कुमार पाण्डेय द्वारा माननीय
उच्च न्यायालय इलाहाबाद में याचिका संख्या WRIT A No.- 53761 of 2006 दाखिल की गई
जिसे 04 अक्टूबर 2016 को निरस्त करते हुए सभी अंतरिम आदेशों को वेकेट कर दिया गया था
l इस प्रकार 04 अक्टूबर 2016 को उत्तर प्रदेश शासन के शिक्षा अनुभाग 1 के तत्कालीन
विशेष सचिव माध्यमिक शिक्षा एच एल गुप्ता का
कार्यालय ज्ञाप संख्या 1724/15-1-06-27(5)/91 लखनऊ दिनांक 18 सितम्बर 2006 प्रभावी
हो गया था और विनय कुमार पाण्डेय की सेवाएं समाप्त हो गईं थीं पर शासन में बैठे
भ्रष्ट अधिकारियों ने मामले को दबाये रखा l
बकौल उर्वशी जब उन्होंने माध्यमिक शिक्षा विभाग
की वेबसाइट देखी तो उन्हें पता चला कि विनय कुमार पाण्डेय वर्तमान सरकार में भी उत्तर
प्रदेश के वर्तमान अपर शिक्षा निदेशक बेसिक और अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक के 2
पदों पर कार्यरत हैं l उर्वशी के अनुसार बिना किसी नियुक्ति के ही विनय कुमार
पाण्डेय का फर्जी ढंग से इतने उच्च पदों पर शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग में बना
रहना और अवैध रूप से कोषागार से वेतन भत्ते आहरित कर जनता के टैक्स के पैसों में
सेंध लगाते रहना था पूरी शासन व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहा था जो विभाग के
प्रमुख सचिव, निदेशक जैसे अधिकारियों के साथ साथ विभागीय मंत्रियों की भूमिका को
भी संदेह के दायरे में ला रहा था l इन
सबमें माननीय न्यायालय के 04 अक्टूबर 2016 के आदेश का अनादर भी हो रहा था l
प्रकरण अत्यधिक संवेदनशील था और उर्वशी को पता
चला था कि अवैध रूप से कार्य कर रहे विनय
कुमार पाण्डेय द्वारा भ्रष्टाचार और
अनियमितताएं भी की जा रही थीं इसीलिये उन्होंने माननीय न्यायालय के आदेश की प्रति संलग्न करते
हुए योगी आदित्यनाथ से शिकायत करके अनुरोध किया था कि विनय कुमार पाण्डेय को तत्काल सेवा मुक्त कर उपरोक्त
दोनों पदों से हटाया जाए l
उर्वशी ने बताया कि उनकी शिकायत पर उन्हें निदेशक बेसिक शिक्षा द्वारा लिखित
सूचना दी गई है कि शासनादेश संख्या-रिट-24/पन्द्रह-1-2018
-27(5)/1991 दिनांक 02 फरवरी,2018 द्वारा विनय कुमार पाण्डेय को सेवा से पृथक कर दिया गया है।
अपनी शिकायत पर हुई कार्यवाही से खुश उर्वशी ने
बताया कि अब वे योगी आदित्यनाथ को एक और पत्र भेजकर मांग करेंगी कि मामले की
उच्चस्तरीय जांच कराकर इस फर्जीबाड़े को सरअंजाम पहुचाने वाले विनय कुमार पाण्डेय और पाण्डेय का साथ देने वाले
शिक्षा विभाग के मंत्रियों, अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ प्रशासनिक
कार्यवाही कर पाण्डेय को अवैध रूप से भुगतान किये गए वेतन भत्तों की बसूली की जाए
और FIR लिखाकर विधिक कार्यवाही की जाए l
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