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यूपी कैडर के सीनियर आईएएस सदाकांत की असलियत
क्या आप यह सोच सकते हैं कि एक ऐसा व्यक्ति जिसके खिलाफ सीबीआई ने देश से
दगाबाजी कर निजी उपक्रमों को संवेदनशील सूचनाएं मुहैया कराकर निजी हित
साधने के गंभीर आरोप लगाये हों , जिसके खिलाफ सीबीआई जांच के लिए भारत
सरकार ने अनुमति दी हो और सीबीआई की यह जांच वर्ष 2011 से अब तक प्रचलित
हो वह व्यक्ति न केबल स्वतंत्र घूम रहा हो बल्कि प्रदेश सरकार में तीन
तीन विभागों के प्रमुख सचिव का पद भी धारित कर नीली बत्ती की सुविधाओं
का उपभोग रहा हो ? अगर आप उत्तर प्रदेश में हैं तो आप ऐसा बिलकुल सोच
सकते हैं l यह चौंकाने बाला खुलासा सामाजिक कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा की
एक आरटीआई से हुआ है l
गौरतलब है कि मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के निवासी यूपी
कैडर के सीनियर आईएएस सदाकांत पर गृह मंत्रालय में ज्वाइंट सेक्रेट्री के
रूप में कार्य करते हुए निजी कंपनियों को संवेदनशील सूचनाएं मुहैया कराकर
भ्रष्टाचार करने के आरोप लगे थे l आरोप था कि सदा कांत निहित
स्वार्थसिद्धि हेतु नेशनल प्रोजेक्ट कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन के एक
प्रोजेक्ट में प्राइवेट कंपनी को गोपनीय जानकारियाँ मुहैया करा रहे थे l
गृह मंत्रालय ने इस मामले में सदाकांत से पूछताछ के लिए सीबीआई को
मंजूरी देते हुए उन्हें वापस उनके कैडर में भेज दिया था ।
सदाकांत 2007 में पांच साल के लिए केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए थे और
केंद्र में उनका कार्यकाल 2012 तक था लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप लगने के
बाद सीबीआई द्वारा सदाकांत के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज किये
जाने के बाद पांच साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही सदाकांत को
वापस उनके कैडर में भेज दिया गया था ।
लखनऊ निवासी सामाजिक कार्यकत्री उर्वशी शर्मा ने बीते सितम्बर में भारत
सरकार के गृह मंत्रालय से सदाकांत के कथित भ्रष्टाचार,देश के साथ दगाबाजी
कर गोपनीय सूचनाएँ लीक करने,प्राइवेट कंपनी के साथ किये गए कथित करार
एवं गृह मंत्रालय द्वारा सदाकांत को उनके मूल कैडर में बापस भेजने संबंधी
फाइलों की फोटो कॉपी और पत्राचार की कॉपी माँगी थी l
गृह विभाग ने सदाकांत को उनके मूल कैडर में बापस भेजने संबंधी पत्र
दिनांक 20-05-11 की छायाप्रति उर्वशी को उपलब्ध करा दी है l गृह
मंत्रालय की निदेशक एवं केंद्रीय जन सूचना अधिकारी श्यामला मोहन ने अन्य
चार बिन्दुओं पर सदाकांत के कथित भ्रष्टाचार,देश के साथ दगाबाजी कर
गोपनीय सूचनाएँ लीक करने,प्राइवेट कंपनी के साथ किये गए कथित करार , गृह
मंत्रालय द्वारा सदाकांत को उनके मूल कैडर में बापस भेजने संबंधी फाइलों
की फोटो कॉपी इत्यादि देने के सम्बन्ध में अधिनियम की धारा 8(1)(h) के
सन्दर्भ से उर्वशी को सूचित किया है कि ये सूचना देने से सदाकांत के
विरुद्ध चल रही जांच की प्रक्रिया वाधित हो सकती है और सूचना देने से मना
कर दिया है l आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(h) के अंतर्गत ऐसी सूचना देने
से छूट है जिसके दिए जाने से अपराधियों के अन्वेषण,पकडे जाने या अभियोजन
की प्रक्रिया में अड़चन पड़ेगी l
उर्वशी कहती हैं कि गृह विभाग के पत्र से स्पस्ट है कि भारत सरकार का गृह
विभाग आज भी यह मान रहा है कि उनके द्वारा चाही गयी सूचना दिए जाने से
सदाकांत के विरुद्ध चल रहे अभियोजन की प्रक्रिया में अड़चन पड़ेगी यानी
भारत सरकार के अनुसार सदाकांत आज भी CBI द्वारा दायर केस में अभियुक्त
हैं l
उर्वशी ने अपनी इस आरटीआई के आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार की कार्य
प्रणाली की शुचिता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर
सदाकांत को तत्काल निलंबित करने का आग्रह किया है l सूबे के मुखिया
अखिलेश और अन्य को भेजे अपने पत्र में उर्वशी ने लिखा है कि यह विडंवना
ही है कि प्रदेश सरकार भ्रष्टाचारियो पर इस प्रकार की विशेष कृपा दृष्टि
बनाये हुए है कि भारत सरकार का अभियुक्त IAS उत्तर प्रदेश सरकार में तीन
तीन विभागों का प्रमुख बना बैठा है l अपने पत्र में उर्वशी ने भारत सरकार
में रहते हुए निजी कंपनियों से सांठ-गाँठ कर भ्रष्टाचार के सीबीआई के
आरोपी को उत्तर प्रदेश में आवास एवं शहरी नियोजन विभाग देने और भारत
सरकार की गोपनीय सूचना दिए जाने बाले सदाकांत को सूचना विभाग का प्रमुख
सचिव बनाये जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए मिड डे मील की गिरती
गुणवत्ता का ठीकरा भी बाल विकास एवं पुष्टाहार के प्रमुख सचिव सदाकांत के
सर फोड़ा है l
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