आरटीआई से सरकारी कर्मचारियों को प्रताड़ित करने सम्बन्धी बयान दे फंसे सूचना आयुक्त
लखनऊ, फरवरी 09, 2014 || वैसे तो सूचना आयुक्त का काम सूचना दिलाना है पर उत्तर प्रदेश के नवनियुक्त सूचना आयुक्त अपने एक वक्तव्य के कारण खुद ही आरटीआई के जाल में फँस गए हैं| प्रदेश की राजधानी लखनऊ के एक आरटीआई कार्यकर्ता ने इन सूचना आयुक्त के विरुद्ध आरटीआई दायर कर सूचना आयुक्त से उस रिकॉर्ड की मांग की है जिसके आधार पर आयुक्त ने यह वक्तव्य दिया था कि कुछ मामलों में आरटीआई का प्रयोग सरकारी अधिकारियों को प्रताड़ित करने के लिए किया जा रहा है |
बीते 4 फरवरी को एक अंग्रेजी दैनिक को दिए साक्षात्कार में नवनियुक्त सूचना आयुक्त अरविन्द सिंह बिष्ट ने वक्तव्य दिया था कि कुछ मामलों में आरटीआई का प्रयोग सरकारी अधिकारियों को प्रताड़ित करने के लिए किया जा रहा है| बीते 7 फरवरी को प्रदेश की राजधानी लखनऊ निवासी आरटीआई कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा ने उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में एक अर्जी देकर सूचना आयुक्त से उस रिकॉर्ड की मांग की है जिसके आधार पर उन्होंने यह वक्तव्य दिया था |
संजय ने अपनी अर्जी में सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा के तहत सूचना आयुक्त को लोक प्राधिकारी होने के कारण सूचना के अधिकार के दायरे में होने का हवाला देते हुए अरविन्द सिंह बिष्ट के पास उनके कथन के समर्थन में उपलब्ध अभिलेखों की मांग की है|
सूचना मांगने की वजह पूछे जाने पर संजय ने बताया कि सूचना के अधिकार में न दिए जाने बाली सूचना के प्रगटन से रोक के पर्याप्त प्रवंध हैं और इसमें राज्य, सरकारी कर्मचारी और तृतीय पक्ष के हितों को सुरक्षित रखने की पर्याप्त व्यवस्था भी है अतः बिना सूचना आयुक्त की नियमप्रतिकूल मिलीभगत के सूचना मांगने वाले व्यक्ति द्वारा राज्य,सरकारी कर्मचारी या तृतीय पक्ष के हितों को अन्यथा प्रभावित करना या सरकारी कर्मचारी का उत्पीड़न करना सम्भव ही नहीं है|
संजय ने कहा कि वे इन मामलों के प्रपत्र प्राप्त कर प्रपत्रों के आधार पर दोषी सूचना आयुक्तों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही भी करेंगे|
http://themailtoday.com/%E0%A4%86%E0%A4%B0%E0%A4%9F%E0%A5%80%E0%A4%86%E0%A4%88-%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0/
No comments:
Post a Comment