देश को सूचना का अधिकार दिलाने वाले केंद्रीय सूचना आयोग की खुली पोल!
http://www.bhaskar.com/article/UP-LUCK-central-information-commission-4527437-PHO.html
लखनऊ. वर्ष 2005 में लागू हुआ आरटीआई कानून नौवें वर्ष में प्रवेश कर
चुका है। आरटीआई कानून के देश में लागू होने से अब तक केंद्रीय सूचना
आयोग में दंड लगाने के मामले 0. 66% से भी कम हैं। लखनऊ निवासी आरटीआई
कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा के द्वारा केंद्रीय सूचना आयोग में
दायर की गई एक आरटीआई याचिका के जवाब में चौंकाने वाली बातें सामने आई
हैं। इन नौ सालों में केंद्रीय सूचना आयोग ने महज 987 मामलों में ही दंड
लगाया है, जो वर्ष 2012-13 तक केंद्रीय सूचना आयोग में प्राप्त कुल
147924 मामलों के सापेक्ष 0.66% से भी कम हैं।
संजय ने जनवरी में केंद्रीय सूचना आयोग के जन सूचना अधिकारी से बारह
बिंदुओं पर सूचना मांगी थी। मिली जानकारी के मुताबिक 3 फरवरी 2014 को
केंद्रीय सूचना आयोग के पास कुल 442393 मामलों के पत्र प्राप्त हो चुके
थे।
केंद्रीय सूचना आयोग के जन सूचना अधिकारी एवं संयुक्त सचिव तरुण कुमार ने
संजय को पत्र के माध्यम से बताया कि आयोग में शिकायतों और अपीलों का
अलग-अलग विवरण उपलब्ध नहीं है। उन्होंने वर्ष 2012-13 तक सूचना आयोग में
शिकायतों और अपीलों के कुल 147924 मामले प्राप्त होने की सूचना दी।
तरुण कुमार के इस पत्र के अनुसार केंद्रीय सूचना आयोग में दूरभाष के
माध्यम से सुनवाई किए गए मामलों की कोई भी सूचना संकलित नहीं है। पत्र
में बताया गया है कि वीडिओ कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से सुने गए मामलों की
संख्या के लिए मामले को एनआईसी को अंतरित करना पड़ा है।
आगे की स्लाइड में क्लिक जानें और क्या मिलीं जानकारियां...
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संजय के इसी पत्र पर केंद्रीय सूचना आयोग के संयुक्त सचिव एवं अपर
निबन्धक पंकज के. पी श्रेयष्कर द्वारा दी गई सूचना के अनुसार केंद्रीय
सूचना आयोग में इन नौ सालों में महज 987 मामलों में ही दंड लगाया गया है।
श्रेयष्कर ने संजय को बताया कि आयोग में न तो दंड के मामलों की वर्षवार
संख्या संकलित है और न ही अधिकारियों के विरुद्ध की गईं संस्तुतियां।
श्रेयष्कर ने संजय को यह भी बताया है कि आयोग में सिविल प्रक्रिया संहिता
के तहत अधिकारियों को समन करने और वादियों को क्षति-पूर्ति दिलाने के
मामलों की संख्या की सूचना भी संकलित नहीं है।
पंकज के.पी. श्रेयष्कर के जवाब से यह चौंकाने वाला खुलासा भी हुआ है कि
कोई नियम न होने पर भी आयोग सात मामलों में दंड माफी दे चुका है।
कोई नियम न होने पर भी आयोग द्वारा सात मामलों में दंड माफी किए जाने के
बिंदु पर स्पष्ट सूचना की मांग के साथ अपील दायर की गई है।
आगे की स्लाइड में क्लिक कर पढ़ें मामले पर क्या कह रहे हैं आरटीआई
एक्टिविस्ट संजय...
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संजय ने कहा कि पूरे देश को सूचना दिलाने की जिम्मेदारी उठाने वाले
केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा अपने काम-काज से संबंधित सूचनाएं देने के
स्थान पर इस प्रकार के टालमटोल वाले रवैये को अपनाना दुर्भाग्यपूर्ण है।
संजय ने इस मामले में मुख्य सूचना आयुक्त को ज्ञापन देकर केंद्रीय सूचना
आयोग के कामकाज और आंकड़ों को चुस्त-दुरुस्त एवं पारदर्शी बनाने की अपील
करने का मन बनाया है।
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- Urvashi Sharma
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