'आंकड़ों की सूचना देने में टालमटोल करता है केंद्रीय सूचना आयोग'
लखनऊ: वर्ष 2005 में लागू हुआ आरटीआई कानून नौवें वर्ष में प्रवेश कर चुका है l आरटीआई कानून के देश में लागू होने से अब तक केंद्रीय सूचना आयोग में दंड लगाने के मामले 0. 66% से भी कम हैं l लखनऊ निवासी आरटीआई कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा के द्वारा केंद्रीय सूचना आयोग में दायर की गयी एक आरटीआई याचिका के जबाब में बताया गया है कि इन नौ सालो में केंद्रीय सूचना आयोग ने महज 987 मामलो में ही दंड लगाया है जो वर्ष 2012-13 तक केंद्रीय सूचना आयोग में प्राप्त कुल 147924 मामलों के सापेक्ष 0. 66% से भी कम हैं l
संजय ने बीते जनवरी में केंद्रीय सूचना आयोग के जन सूचना अधिकारी से बारह बिंदुओं पर सूचना थी l केंद्रीय सूचना आयोग के जन सूचना अधिकारी एवं संयुक्त सचिव तरुण कुमार के पत्र के अनुसार केंद्रीय सूचना आयोग में 03-02 -14 तक 442393 पत्र प्राप्त चुके हैंl तरुण कुमार ने संजय को बताया है कि आयोग में शिकायतों और अपीलों का अलग-अलग विवरण उपलब्ध नहीं है और वर्ष 2012-13 तक केंद्रीय सूचना आयोग में शिकायतों और अपीलों के कुल 147924 मामले प्राप्त होने की सूचना दी हैl तरुण कुमार के इस पत्र के अनुसार केंद्रीय सूचना आयोग में दूरभाष के माध्यम से सुनवाई किये गए वादों की कोई भी सूचना संकलित नहीं है तो वही वीडिओ कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से सुने गए वादों की संख्या के लिए मामले को एन.आई.सी को अंतरित करना पड़ा हैl
संजय के इसी पत्र पर केंद्रीय सूचना आयोग के संयुक्त सचिव एवं अपर निबन्धक पंकज के. पी श्रेयष्कर द्वारा दी गयी सूचना के अनुसार केंद्रीय सूचना आयोग में इन नौ सालो में महज 987 मामलो में ही दंड लगाया गया हैl पंकज के. पी श्रेयष्कर ने संजय को बताया है कि आयोग में न तो दंड के मामलों की वर्षवार संख्या संकलित है और न हीं अधिकारियों के विरूद्ध द्वारा की गयी संस्तुतियl पंकज के. पी श्रेयष्कर ने संजय को यह भी बताया है कि आयोग में सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत अधिकारियों को सम्मन करने और वादियों को क्षति-पूर्ति दिलाने के मामलों की संख्या की सूचना भी संकलित नहीं है l
पंकज के.पी श्रेयष्कर के जवाब से यह चौंकाने वाला खुलासा भी हुआ है कि कोई नियम न होने पर भी आयोग सात मामलों में दंड माफी दे चुका हैl संजय ने पंकज के.पी श्रेयष्कर के द्वारा कोई नियम न होने पर भी आयोग सात मामलों में दंड माफी किये जाने के बिंदु पर स्पष्ट सूचना की मांग के साथ अपील दायर कर दी है l
संजय ने कहा कि पूरे देश को सूचना दिलाने की जिम्मेवारी उठाने वाले केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा अपने काम-काज से सम्बंधित सूचनाएं देने के स्थान पर इस प्रकार के टालमटोल वाले रवैये को अपनाना दुर्भाग्यपूर्ण हैl संजय ने इस मामले में मुख्य सूचना आयुक्त को ज्ञापन देकर केंद्रीय सूचना आयोग के कामकाज और आंकड़ों को चुस्त-दुरुस्त एवं पारदर्शी बनाने की अपील करने का मन बनाया है l
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