Friday, June 13, 2014

अखिलेश सरकार की दलितों के प्रति संवेदनहीनता फिर उजागर : दलित उत्पीड़न से सम्बंधित सूचना न देने पर उप्र के मुख्य सूचना आयुक्त ने समाज कल्याण विभाग के अनुसचिव राज कुमार त्रिवेदी पर किया रू 10000/- का अर्थदण्ड अधिरोपित

अब इसे उत्तर प्रदेश का दुर्भाग्य कहें या अखिलेश सरकार की दलितों के प्रति संवेदनहीनता कि सूबे के जिस समाज कल्याण विभाग पर दलितों के हितों की रक्षा करने का दायित्व है, उसी समाज कल्याण विभाग द्वारा दलित उत्पीड़न से सम्बंधित एक मामले की  सूचना तक नहीं दी गयी और हारकर  उत्तर प्रदेश  के मुख्य सूचना आयुक्त रंजीत सिंह पंकज ने बीते 20 मई को उप्र समाज कल्याण विभाग के अनुसचिव राज कुमार त्रिवेदी पर रू 10000/- का अर्थदण्ड अधिरोपित किया है l

दरअसल साल 2008 में समाज कल्याण की संस्था राजकीय गोविन्द बल्लभ पंत पॉलीटेक्निक के तत्कालीन प्रधानाचार्य अशोक कुमार बाजपेई  के द्वारा  संस्था के छात्रों से जातिसूचक शव्दों के प्रयोग की एक शिकायत की गयी थी l समाज कल्याण के संयुक्त निदेशक एवं वित्त नियंत्रक की जांच समिति ने अशोक कुमार बाजपेई  को दलित छात्रों से जातिसूचक शब्दों के प्रयोग का दोषी सिद्ध किया  था  l एक समाजसेविका होने के नाते दलित छात्रों को पूर्ण न्याय दिलाने एवं तत्कालीन प्रधानाचार्य अशोक कुमार बाजपेई के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने हेतु मैंने यह  प्रकरण येश्वर्याज सेवा संस्थान के माध्यम से समाज कल्याण के उच्चाधिकारियों के संज्ञान में  लाया एवं आरटीआई का प्रयोग भी किया l

समाज कल्याण के अनु सचिव धर्मराज सिंह ने साल 2012 में  निदेशक को अशोक कुमार बाजपेई के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज  कराकर प्रथम सूचना रिपोर्ट  की प्रति मुझे उपलब्ध कराने हेतु निर्देशित किया l इस पत्र के आधार पर सूचना आयोग ने मेरे वाद संख्या S-10/1387/C/2009 को दिनांक 25-10-2012 को निस्तारित कर दिया था l मैंने भी शासन के कथन पर विश्वास कर वाद निस्तारित हो जाने दिया किन्तु कई माह बाद भी प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति प्राप्त होने पर मैंने वाद को संख्या S-9/108/ पुनः /2013 पर पुनर्स्थापित कराया l

वाद की पुनर्स्थापना के बाद पर्याप्त अवसर दिए जाने पर भी प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति प्राप्त न कराये जाने पर उत्तर प्रदेश  के मुख्य सूचना आयुक्त रंजीत सिंह पंकज ने बीते 20 मई को उप्र समाज कल्याण विभाग के अनुसचिव एवं जन सूचना अधिकारी राज कुमार त्रिवेदी पर रू 10000/- का अर्थदण्ड अधिरोपित किया है  जिसकी बसूली राज कुमार त्रिवेदी के वेतन से दिनांक 31-08-14 तक अधिकतम तीन किश्तों में करने हेतु सचिव सचिवालय प्रशासन को तथा यह बसूली राज कुमार त्रिवेदी के वेतन से न होने की स्थिति में 10000/- रुपयों की बसूली भू-राजस्व की भाँति करने हेतु जिलाधिकारी लखनऊ को निर्देशित किया है l  उत्तर प्रदेश  के मुख्य सूचना आयुक्त रंजीत सिंह पंकज ने इस वाद को निस्तारित भी कर दिया है l

अब यह  उत्तर प्रदेश का दुर्भाग्य ही है जहाँ दलित उत्पीड़न जैसे संवेदनशील मामले में शासन के लिखे का भी भरोसा टूटा  है l अखिलेशराज में जब शासन के लिखे का भी भरोसा नहीं रहा है तो नेताओं के भाषणों के थोथेपन को तो कोई भी आसानी से समझ सकता है l यह  अखिलेश सरकार की दलितों के प्रति संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है  कि सूबे के जिस समाज कल्याण विभाग पर दलितों के हितों की रक्षा करने का दायित्व है, उसी समाज कल्याण विभाग द्वारा शासन के पत्र के बाबजूद दलित उत्पीड़न से सम्बंधित इस  मामले की प्रथम सूचना रिपोर्ट अभी तक नहीं लिखाई जा सकी है l

आखिर कब तक अखिलेश के सिपहसालार इसी तरह समाज के वंचित वर्ग की आवाज को दबाते रहेंगे ? शायद जब तक सत्ता से बेदखल न हो जाएं तब तक l

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