येश्वर्याज की
भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम से प्रभावित व्यक्तियों ने फर्जी शिकायतों करा भ्रष्ट
डिप्टी सोसाइटी रजिस्ट्रार अजय गुप्ता से
कराया सचिव उर्वशी शर्मा पर फर्जी मनगढंत और कूटरचित प्रपत्रों के आधार पर संस्था
का पंजीकरण करने का आरोप सिद्ध !
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लखनऊ/03 अगस्त 2016..........
उत्तर प्रदेश में
भ्रष्टाचार विरोध का पर्याय बनी संस्था ‘येश्वर्याज सेवा संस्थान’ और इसकी
तेजतर्रार सचिव और समाजसेविका उर्वशी शर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचारियों ने एकजुट होकर
आखिर दांव चल ही दिया है. लखनऊ मंडल के डिप्टी रजिस्ट्रार अजय गुप्ता ने 02 अगस्त
को एक पत्र जारी कर येश्वर्याज सेवा संस्थान का पंजीकरण निरस्त किये जाने का आदेश
प्रदान करते हुए संस्थान की सचिब उर्वशी शर्मा पर फर्जी मनगढंत और कूटरचित
प्रपत्रों के आधार पर संस्था का पंजीकरण कराने का आरोप सिद्ध कर दिया है.
अजय गुप्ता ने
संस्था के एक सदस्य प्रेम सागर के एक शपथ-पत्र और संस्था कार्यालय में उपस्थित
होकर दिए गए बयान के आधार पर अवधारित किया है कि संस्था की सचिव उर्वशी शर्मा ने फर्जी
मनगढंत और कूटरचित प्रपत्रों के आधार पर संस्था का पंजीकरण कराया है.
इस वारे में बात
करते हुए उर्वशी ने बताया कि उनकी संस्था की भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम से प्रभावित
व्यक्तियों ने भ्रष्ट आई.ए.एस. सुनील कुमार के दलाल महेंद्र अग्रवाल के माध्यम से
पहले तो संस्था को ब्लैकमेल करना चाहा पर जब संस्था ब्लैकमेल नहीं हुई तो संस्था को बदनाम
करने के उद्देश्य से संस्था के विरुद्ध फर्जी शिकायतें करना शुरू कर दिया. उर्वशी
ने बताया कि आपराधिक मानसिकता के महेंद्र अग्रवाल के खिलाफ उन्होंने थाना हजरतगंज
में मुकद्दमा भी दर्ज कराया है जिसमें महेंद्र अग्रवाल के खिलाफ चार्ज-शीट
न्यायालय भेजी जा चुकी है.
उर्वशी ने आरोप
लगाया कि महेंद्र अग्रवाल ने आपराधिक मानसिकता के तहत पहले उनकी संस्था के सदस्यों
से मिलकर उनके पैत्रक निवास में चोरी कराकर
संस्था के अभिलेख चोरी कराये और फिर संस्था के खिलाफ फर्जी मनगढंत और कूटरचित
शिकायतें करना शुरू कर दिया. बकौल उर्वशी उनकी संस्था की भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम
से प्रभावित व्यक्तियों ने एकजुट होकर न केवल संस्था के सदस्यों से झूंठे शपथ-पत्र
और कथन दिलवाए अपितु भ्रष्ट डिप्टी रजिस्ट्रार अजय गुप्ता को घूस खिलाकर मनमानी
जांच कराई है.
उर्वशी ने बताया कि भ्रष्ट
डिप्टी रजिस्ट्रार अजय गुप्ता के पूर्व के काले इतिहास के चलते उन्होंने
जांच-अधिकारी बदलने के लिए रजिस्ट्रार को कई पत्र दिए पर इन पत्रों का कोई भी
संज्ञान नहीं लिया गया है.
फर्जी मनगढंत और कूटरचित
प्रपत्रों के आधार पर संस्था का पंजीकरण कराने की बात पर उर्वशी ने कहा कि उनकी
संस्था का पंजीकरण रजिस्ट्रार के द्वारा पूर्ण संतुष्टि के बाद किया गया है. यही
नहीं संस्था के सभी सदस्यों ने तदसमय के अधिकारियों के समक्ष उपस्थित होकर अपने
हस्ताक्षर किये थे अतः यह जांच विधिशून्य है.
उर्वशी ने कहा कि वे
इस आदेश के विधिक पक्ष का विश्लेषण करा रही हैं और शीघ्र ही अजय गुप्ता के खिलाफ
घूस खाकर विधिविरुद्ध रीति से आदेश जारी करने के अपराध की प्रथम सूचना रिपोर्ट
दर्ज कराएंगी.
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