यूपी : माया-काल में प्रति 30 मिनट;अखिलेश-काल में प्रति 15 मिनट 1
महिला हुई उत्पीडित l
लखनऊ/11-02-17
आज यूपी में पहले चरण के का मतदान हो
रहा है l प्रदेश की जनता के लिए वह निर्णायक वक्त आ ही गया है जिसमें वह राजनेताओं
और राजनैतिक दलों द्वारा किये गये वादों और उनके घोषणा-पत्रों के आधार पर बेहतरी
की बड़ी-बड़ी आशाएं पालते हुए यूपी की सत्ता को अगले 5 वर्षों के लिए सही हाथों में
सौंपने के लिए मतदान केन्द्रों तक जाती है पर हर बार सरकार बनने के बाद खुद को ठगा
गया महसूस करती है l सरकार बनने के बाद प्रायः राजनेता और राजनैतिक दल अपने किये
गये वादों और घोषणाओं को पूरा करने के प्रति गंभीर रुख नहीं अपनाते है जिसके कारण ये
वादे और घोषणाएं महज चुनावी जुमले बनकर रह जाते है और बेचारी बेबस जनता के पास
अगले चुनावों का इंतज़ार करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचता है l उत्तर प्रदेश
की राजधानी लखनऊ की समाजसेविका और आरटीआई कार्यकत्री उर्वशी शर्मा द्वारा यूपी
महिला आयोग में दायर की गई एक आरटीआई पर आये जबाब से यूपी की पूर्ववर्ती 2 सरकारों
के कार्यकाल में महिला उत्पीडन के जो आंकड़े सामने आये हैं वे भयावह होने के साथ-साथ
पूर्ववर्ती 2 सरकारों के समय महिला उत्पीडन के प्रति सरकारों की असंवेदनशीलता को
भी परिलक्षित कर रहे है l
दरअसल समाजसेविका उर्वशी ने बीते साल
अक्टूबर महीने में उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में एक आरटीआई दायर कर जानना
चाहा था कि अखिलेश यादव की सरकार और अखिलेश की पूर्ववर्ती मायावती सरकार के
कार्यकाल में महिला आयोग मैं महिला
उत्पीडन की कुल कितनी-कितनी शिकायतें दर्ज
कीं गईं lइस सम्बन्ध में उर्वशी को जो सूचना दी गई है उसके अनुसार मायावती के 60
माह के कार्यकाल में महिला आयोग में 81,776 शिकायतें दर्ज हुईं जबकि अखिलेश यादव
के आरंभिक 54 माह के कार्यकाल में ये शिकायतें बढ़कर 1,46,652 हो गईं l
ये आंकड़े बता रहे है कि अखिलेश यादव
के कार्यकाल में यूपी में महिला उत्पीडन के मामले पूर्ववर्ती मायावती के कार्यकाल
के मुकाबले दोगुने हो गये हैं l बकौल उर्वशी कोई महिला पुलिस,प्रशासन से निराश
होने पर ही अपनी शिकायत लेकर महिला आयोग का
दरवाजा खटखटाती है और इसीलिये महिला उत्पीडन के ये लगातार बढ़ते हुए आंकड़े यूपी के
पुलिस,प्रशासन की महिला अपराधों के प्रति असंवेदनशीलता और यूपी में महिलाओं की
असुरक्षा के बड़े सबाल को भी सामने लेकर आ रहे हैं l
उर्वशी ने बताया कि इन आंकड़ों से
स्पष्ट है कि मायाराज के समय की मासिक महिला उत्पीडन दर 1362 थी जो अखिलेश के समय
बढ़कर दोगुनी अर्थात 2715 हो गयी है l यानी मायावती के समय यूपी में 45 महिलाओं का उत्पीडन हो रहा था जो अखिलेश के समय
बढ़कर 90 प्रतिदिन हो गया है l
बढ़कर दोगुनी अर्थात 2715 हो गयी है l यानी मायावती के समय यूपी में 45 महिलाओं का उत्पीडन हो रहा था जो अखिलेश के समय
बढ़कर 90 प्रतिदिन हो गया है l
पिछली बसपा और सपा सरकार को महिला
अपराध पर घेरते हुए उर्वशी सबाल उठाती हैं कि क्या उस सूबे को महिलाओं के लिए
सुरक्षित माना जा सकता है जहाँ प्रति 15 मिनट पर
1 महिला
का उत्पीडन हो रहा हो ?
समाजसेविका उर्वशी ने विधानसभा चुनाव
2017 लड़ रहे सभी राजनैतिक दलों और राजनेताओं से महिला अपराधों के मामलों में खोखले
वादे न करने और इस गंभीर मुद्दे पर संजीदा होकर संवेदनशील रवैया अपनाने की अपील भी
की है l
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