गरीब 'जन' के शाही 'प्रतिनिधि' : एक आदमी की दावत पर उड़ाए 6871 रुपये
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सत्तारूढ़ यूपीए सरकार की सालगिरह दावत में 6871 रुपये खर्च करने पड़े एक मेहमान पर
अलीगढ़ : चुनावी सरगर्मियों के इस मौसम में जनता का सही प्रतिनिधि होने
का दम भरने वाले सभी उम्मीदवार बरसाती मेढकों की तरह टर्राते नजर आ रहे
हैं।
गरीब जनता को चांद-तारे तोड़कर ला देने जैसे न जाने क्या-क्या अकल्पनीय
वादे किए जा रहे हैं। जनता पशोपेश में है कि उसे 'नागनाथों' और
'सांपनाथों' में से ही किसी को चुनना पड़ेगा। अगर वह न भी चुनना चाहे तो
भी कोई न कोई नागनाथ या सांपनाथ तो चुन ही जाएगा क्योंकि हमारा सिस्टम ही
ऐसा है।
यदि ऐसा नहीं होता तो इस भारत में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय की
एक रिपोर्ट के अनुसार एक गरीब 17 रुपये प्रतिदिन में गुजर-बसर करता है।
भारत का योजना आयोग 28 रुपये रोजाना खर्च करने वाले को गरीब नहीं मानता
है, सत्तारूढ़ पार्टी के नेता 12 रुपये में भरपेट भोजन मिलने के दावे करते
हैं। उसी देश की सत्तारूढ़ यूपीए सरकार अपने सालगिरह जश्न पर प्रति आगंतुक
पर 6871 रुपये खर्च करने से पहले एक बार भी नहीं सोचती।
लखनऊ की आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा ने यूपीए-2 सरकार के चौथे
सालगिरह जश्न के आगंतुकों और खर्चे के संबन्ध में प्रधानमंत्री कार्यालय
से सूचना मांगी थी जिसके जवाब में मिली सूचना ने कांग्रेस नेतृत्व वाली
यूपीए सरकार की पोल खोलकर रख दी।
यूपीए सरकार ने जनता के धन को पानी की तरह बहा दिया। आरटीआई एक्टिविस्ट
उर्वशी शर्मा से जब समीक्षा भारती की बात हुई तो उन्होंने बताया कि बीते
22 नवंबर को प्रधानमंत्री कार्यालय से जो सूचना मिली है वह बेहद चौंकाने
वाली है।
20 मई 2013 को यूपीए सरकार की सालगिरह जश्न में 522 मेहमान निमंत्रित थे
जिनमें से 300 ने जश्न में शिरकत की। यानी जश्न में बुलाए गए लोगों में
से 43% से अधिक अनुपस्थित रहे जो जनता के पैसे से किए जा रहे आयोजन के
नियोजनकताओं की कार्यप्रणाली पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न है कि आखिर क्यों
इतनी बड़ी संख्या में ऐसे लोगों को आमंत्रित किया गया जो कार्यक्रम में
आने वाले ही नहीं थे।
आए हुए 300 मेहमानों पर किए गए खर्चों के मदवार आंकड़े भी बेहद चौकाने
वाले हैं। प्रति आगंतुक 3,719 रुपये के हिसाब से 11,15,819 रुपये की भारी
भरकम रकम टेंट की व्यवस्था जिसमें 6,20,000 रुपये का वाटर प्रूफ पंडाल,
5,000 रुपये की स्टेज बनी, 2,103 रुपये प्रति आगंतुक के हिसाब से
6,30,874 रुपये खान-पान में और 1,012 रुपये प्रति आगंतुक के हिसाब से
3,03,770 रुपये की भारी भरकम रकम बिजली व्यवस्था में खर्ची गई। 10,896
रुपये के फूल लाए गए। कुल मिलाकर 20,61,359 रुपये एक दावत में खर्च कर
दिए गए। इस प्रकार एक मेहमान की मेहमान नवाज़ी में 6,871 रुपये खर्च करने
पड़े। बड़ा सवाल यह है कि भारत जैसे गरीब देश की सरकारें आखिर कब सरकारी
पैसे की इस तरह की बेमतलब शाहखर्ची छोड़कर वास्तव में जनता का पैसा जनता
पर ही खर्चने को सोचेंगी।
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