लखनऊ में राष्ट्रीय आरटीआई सेमिनार, आरटीआई रत्न सम्मान समारोह, पैदल मार्च और प्रदर्शन का आयोजन
लखनऊ: आजादी के बाद के काल में देश के नागरिकों के वास्तविक सशक्तीकरण को अमली जामा पहनाने के सभी उपायों में से आरटीआई एक्ट का स्थान निःसंदेह रूप से सर्वोपरि है| कहने को तो लोकतंत्र में देश के नागरिकों को प्राप्त मताधिकार को सर्वाधिक महत्वपूर्ण नागरिक अधिकार कहा जाता रहा है किन्तु एक तो इस अधिकार का प्रयोग पांच साल में एक बार होता है और एक बार इसके प्रयोग में गलती हो जाने के बाद नागरिकों के पास पांच साल तक पछताने के सिवाय और कोई रास्ता नहीं बचता है जबकि इस के उलट सूचना का अधिकार नागरिकों को प्राप्त एक ऐसा शाश्वत अधिकार है जिसका प्रयोग निरंतर अनगिनत बार करके देश के नागरिक देश की सरकारों को नागरिकों का नौकर मात्र ही होने का एहसास कराकर प्रशासन में पारदर्शिता लाने एवं जबाबदेही सुनिश्चित करने को वाध्य करके भारतीय लोकतंत्र की मूल भावना अर्थात जनता की जनता के द्वारा जनता के लिए भ्रष्टाचार मुक्त शासन व्यवस्था स्थापित कर सकते हैं| इंजीनियर संजय शर्मा ने इन्ही विचारों के साथ उत्तर प्रदेश की राजधानी में येश्वर्याज सेवा संस्थान द्वारा आयोजित सेमीनार की शुरुआत की|
आरटीआई एक्ट की प्रभावकारिता के बारे में बोलते हुए शर्मा ने कहा कि आबादी के सन्दर्भ में भारत जैसे बड़े और विविधताओं से भरे देश में एक क़ानून का सही सही आंकलन करने के लिए आठ वर्ष का समय पर्याप्त नहीं माना जा सकता है| भारत में प्रति हज़ार आबादी पर मात्र तीन व्यक्तियों अथवा यह कह सकते हैं कि प्रति हज़ार वोटरों में से मात्र पांच वोटरों द्वारा आरटीआई एक्ट का प्रयोग किये जाने के आंकड़ों पर चिंता व्यक्त करते हुए शर्मा ने आरटीआई के प्रयोगकर्ताओं की संख्या में होने वाली उत्तरोत्तर वृद्धि को भारत में लोकतंत्र के सुद्रणीकरण के लिए एक शुभ संकेत बताया| देश के 25 आरटीआई एक्टिविस्टों की हत्या पर गहरा क्षोभ प्रकट करते हुए शर्मा ने आरटीआई की आगे की राह को सुगम बनाने के लिए केंद्र सरकार से लंबित चल रहे लोकहित प्रकटन और प्रकटन करने वाले व्यक्तियों का संरक्षण विधेयक 2010, नागरिक माल और सेवाओं का समयबद्ध परिदान और शिकायत निवारण विधेयक 2011 तथा लोकपाल विधेयक 2011 को प्राथमिकता के आधार पर इन बिलों की खामियों को दूर कर कानूनी जामा पहनाने की अपील की|
अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में सेवानिवृत न्यायाधीश कमलेश्वर नाथ ने सूचना के अधिकार के प्रभावी क्रियान्वयन को प्रतिकूल प्रभावित करने और आरटीआई की भविष्य की राह को कठिन बनाने के लिए राजनैतिक हस्तक्षेप को प्रमुख कारक बताया स इस विषय पर विस्तृत चर्चा करते हुए नाथ ने आरटीआई एक्ट को प्राणवायु मिलते रहना सुनिश्चित रखने के लिए सूचना आयुक्तों की नियुक्तियों को सभी प्रकार के राजनैतिक हस्तक्षेप से मुक्त रखे जाने की आवश्यकता पर बल दिया|
अपने सम्बोधन से पूर्व कमलेश्वर नाथ ने आरटीआई के प्रयोग द्वारा राष्ट्रीयएप्रादेशिक एवं व्यक्तिगत स्तर सराहनीय कार्यों के लिए क्रमशः मुरादाबाद निवासी सलीम बेग, लखनऊ निवासी हरपाल सिंह और जालौन निवासी अवध विहारी को आरटीआई रत्न 2013 पुरस्कार देकर सम्मानित किया|
राजनीति के शुद्धिकरण की प्रक्रिया में सतत रूप से प्रयासरत सेवानिवृत आईएएस एवं समाजसेवी एस एन शुक्ल ने बताया कि यद्यपि सूचना के अधिकार के अनुसार सूचना का दिया जाना नियम है और सूचना का न दिया जाना अपवाद मात्र तथापि लोक प्राधिकारियों द्वारा वास्तविक स्थिति इससे उलट बना दी गयी है| लोक प्राधिकारियों के इस रवैये पर रोष प्रकट करते हुए उन्होंने अधिनियम की धारा 4 ;1 (इ) के अनुपालन की हालिया स्थिति को घोर असंतोषजनक बताया स लोकहित प्रकटन और प्रकटन करने वाले व्यक्तियों का संरक्षण विधेयक 2010 पर चर्चा करते हुए शुक्ल ने बताया कि लोकहित का प्रकटन करने बाले व्यक्तियों की शिकायतें प्राप्त करने का आतंरिक तंत्र विकसित किये बिना एवं शिकायतों की जांचें वाह्य नियामक संस्थाओं से कराये जाने के प्रावधानों के समावेश के बिना पास हुआ यह कानून समुचित रूप से सशक्त नहीं होगा स शुक्ल ने लोकहित का प्रकटन करने वाले व्यक्तियों को कानून का पालन कराने बाली संस्थाओं और यदि आवश्यक हो तो मीडिया के समक्ष भी लोकहित का प्रकटन करने के कानूनी प्राविधान को करने की आवश्यकता पर बल दिया|
आरटीआई के भविष्य को उज्जवल बताते हुए नूतन ठाकुर ने कहा कि आरटीआई एक्ट अब भारत की जनता के मजबूत हाथों में आ चुका है और अब किसी भी सरकार के लिए पारदर्शिता के इस औजार की धार को कुंद कर पाना आसान नहीं है| डी0 डी0 शर्मा ने सूचना आयोग की कार्यप्रणाली पर तथ्यात्मक प्रमाण प्रस्तुत करते हुए प्रश्नचिन्ह लगाये तो वही आलोक कुमार सिंह ने लोकहित को सर्वोपरि बताते हुए गम्भीर मामलों में कम लागत बाले जनमत संग्रह कराये जाने की आवश्यकता पर बल दिया स सेमिनार में अशोक गोयल ने सूचना आयुक्तों के पदों को पारदर्शी प्रक्रिया से समाज के सभी क्षेत्रों के ख्याति प्राप्त व्यक्तियों से भरे जाने और राजनैतिक दलों को आरटीआई के दायरे में रखे जाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला स
सेमिनार में भारत के विभिन्न प्रांतों से आरटीआई कार्यकर्ताओं ने अपने अपने राज्यों तथा केंद्रीय विभागों से सम्बंधित समस्याओं एवं उनके सम्भावित समाधानों पर चर्चा की|
येश्वर्याज की सचिव उर्वशी शर्मा ने उपस्थित अतिथियों को को धन्यवाद ज्ञापित करने से पूर्व घोषणा की कि संवेदनशील प्रकरणों की सूचना मांगने में अन्तर्निहित खतरों को दृष्टिगत रखते हुए उनका संगठन लखनऊ के प्रधान डाकघर में पोस्ट बॉक्स लेने जा रहा है| उर्वशी ने बताया कि इस पोस्ट बॉक्स नंबर के पते का प्रयोग कर भारत का कोई भी व्यक्ति सूचना मांग सकता है स पोस्ट बॉक्स में प्राप्त पत्रों को स्कैन कर वेबसाइट http://postboxrti.blogspot.in/ पर अपलोड कर दिया जायेगा जहाँ से इसे डाउनलोड कर कोई भी व्यक्ति अपनी सूचना पर अग्रिम कार्यवाही कर सकता है स उर्वशी ने बताया कि यह सुविधा निःशुल्क होगी और इसका प्रयोग कर कोई भी व्यक्ति बिना अपना नाम सामने लाये सूचना मांग सकता है स
सेमिनार के पश्चात आरटीआई कार्यकर्ताओं ने आरटीआई के प्रभावी क्रियान्वयन की मांग सरकार के सामने लाने के उद्देश्य से आर एस यादव के नेतृत्व में प्रेस.क्लब से हजरतगंज जीपीओ स्थित गांधी प्रतिमा तक पैदल शान्ति मार्च निकाला तथा हजरतगंज जीपीओ स्थित गांधी प्रतिमा पर मोमबत्ती जलाकर प्रदर्शन भी किया|
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Tagged underदेश के नागरिकों के लिए आरटीआई एक शाश्वत अधिकार: इं. संजय शर्मा
- Written by Editor
- Saturday, 07 December 2013 12:17
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