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यूपी के जनसूचना आयुक्तों पर गंभीर आरोप
लखनऊ में सूचना आयुक्तों के खिलाफ 12 को धरना
कई आरटीआई संगठन हुए लामबंद-ई संजय शर्मा
स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 9 October 2014 05:34:22 AM
er san̄jaya śarmā
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयोग सूचना आयुक्तों पर गंभीर आरोप
लगाते हुए कई सामाजिक संगठन उनके खिलाफ लामबंद हो गए हैं। आरटीआई संगठनों
ने यूपी के सूचना आयुक्तों पर अक्षमता का भी आरोप लगाया है और
उन्हेंसूचना एक्ट पर खुली बहस की चुनौती दी है। सूचना आयुक्तों के खिलाफ
बारह अक्टूबर को लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान में धरना-अनशन स्थल पर धरना
देने की घोषणा भी की गई है।आरटीआई कार्यकर्ता और 'तहरीर' के संस्थापक
अध्यक्ष ई संजय शर्मा ने एक ईमेल में आरोप लगाया है कि वर्तमान में
कार्यरत नौ सूचना आयुक्तों का राज्य सूचना आयोग में बेहद निराशाजनक
प्रदर्शन है जिसके विरोध में प्रदेश के विभिन्न सामाजिक संगठन 'तहरीर' के
साथ इकट्ठे होकर राजधानी लखनऊ में उस दिन पूर्वांह 11 बजे से अपरान्ह 3
बजे तक धरना-प्रदर्शन करेंगे।
तहरीर के अध्यक्ष ई संजय शर्मा ने बताया कि इस कार्यक्रम में येश्वर्याज
सेवा संस्थान, एक्शन ग्रुप फॉर राइट टु इनफार्मेशन, आरटीआई कॉउंसिल ऑफ़
यूपी, ट्रैप संस्था अलीगढ़, सूचना का अधिकार कार्यकर्ता एसोसिएशन, मानव
विकास सेवा समिति मुरादाबाद, जन सूचना अधिकार जागरूकता मंच, भ्रष्टाचार
हटाओ देश बचाओ मंच, एसआरपीडी मेमोरियल समाज सेवा संस्थान, आल इंडिया
शैडयूल्ड कास्ट्स एंड शैडयूल्ड ट्राइब्स एम्पलाइज वेलफेयर एसोसिएशन आदि
संगठन शिरकत करेंगे। ई संजय शर्मा ने बताया कि 'तहरीर' उत्तर प्रदेश
स्थित एक जन संघर्षशील सामाजिक संगठन है, जो लोक जीवन में पारदर्शिता
संवर्धन, जवाबदेही निर्धारण और आमजन के मानवाधिकारों के संरक्षण के
हितार्थ जमीनी स्तर पर कार्यशील है। तहरीर की कार्यप्रणाली अन्य सामाजिक
संगठनों से कुछ भिन्न है, 'तहरीर' का सूत्रवाक्य है-'अपनी शक्ति आप हैं'।
'तहरीर' सभी नागरिकों की आत्मनिर्भरता के सिद्धांत पर समुचित रूप से
प्रशिक्षित कर उनको उनकी लड़ाई स्वयं ही लड़ने के लिए तैयार करती है और
उनको परदे के पीछे रहकर अप्रत्यक्ष सहायता प्रदान करते हुए विजयश्री
दिलाती है। संजय शर्मा ने बताया कि पारदर्शिता संवर्धन के सबसे प्रभावी
औजार आरटीआई एक्ट को लागू हुए बारह अक्टूबर को 9 वर्ष पूरे हो जाएंगे।
लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान धरना स्थल पर 12 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश में
पारदर्शिता कानून के क्रियांवयन की दुर्दशा के संबंध में 'तहरीर' संगठन
ने हाल ही में राज्यपाल को एक ज्ञापन भी प्रेषित किया था। संजय शर्मा ने
कहा कि आरटीआई एक्ट में सूचना आयोग की भूमिका एक्ट के संरक्षक की है,
परंतु दुर्भाग्य है कि उत्तर प्रदेश सूचना आयोग आरटीआई एक्ट के संरक्षक
के स्थान पर एक्ट के प्राविधानों के क्रियांवयन के मार्ग के विनाशक के
रूप में सामने आ रहा है।
ई संजय शर्मा का कहना कि उत्तर प्रदेश में नौ सूचना आयुक्त होने के
बावजूद 55,000 से अधिक वादों का लंबित होना आयोग में व्याप्त
दुर्व्यवस्थाओं का हाल स्वयं ही बयान कर रहा है। नौ साल में आयोग की
नियमावली तक नहीं लागू हो पाई है, आयोग में लंबित वादों की सुनवाई, नई
अपीलों और शिकायतों का पंजीकरण और सुनवाई, आदेशों की नक़ल देने आदि की कोई
स्पष्ट एवं स्थापित व्यवस्था तक नहीं है, वर्तमान सूचना आयुक्त आयोग के
अधिनियम के बाध्यकारी प्राविधानों को समझने और क्रियांवित कराने में
पूर्णतया असफल रहे हैं और सूचना आयुक्त वादों की सुनवाई मनमाने ढंग से और
अपनी व्यक्तिगत सनक के आधार पर कर रहे हैं। संजय शर्मा का दावा है कि
उत्तर प्रदेश सूचना आयोग का एक भी आदेश विधिक मापदंडों के अनुसार की गई
जांच में पास नहीं हो पाएगा, सूचना आयुक्त न तो अधिनियम और कानून जानते
हैं और न ही बताने पर जानने का प्रयास करते हैं। अधिकांश सूचना आयुक्त
अधिनियम के तहत प्राप्त शिकायतों का संज्ञान नहीं ले रहे हैं और इन
शिकायतों को सरसरी तौर पर खारिज करने का असंवैधानिक कार्य कर रहे हैं।
ई संजय शर्मा ने एक साथ सभी आयुक्तों को अधिनियम के प्राविधानों पर
इन-कैमरा बहस हेतु खुली चुनौती दी है, जिसका सभी सामाजिक संगठनों ने
समर्थन किया है। संजय शर्मा कहते हैं कि सूचना आयोग में बदहाली का आलम ये
है कि बिना रिश्वत दिए आयोग के आदेशों की नक़ल भी नहीं मिलती है, तीस दिन
में सूचना देने के लिए बने एक्ट के तहत आयोग में अपील करने पर 6 माह से 1
साल में सुनवाई का नंबर आता है और अगली तारीखें भी 30 दिन से 6 माह तक की
दी जा रही हैं। सूचना आयुक्त नागरिकों और आरटीआई कार्यकर्ताओं से मिलने
के कतई इच्छुक नहीं हैं और आरटीआई कार्यकर्ताओं ने जनहित के लिए मांगी गई
सूचनाओं पर दायर अपीलों की सुनवाइयों से पीछा छुड़ाने के लिए कार्यकर्ताओं
को सुनवाई में बेइज़्ज़त करने, उनके साथ बदसलूकी करने और यहां तक कि
कार्यकर्ताओं पर सरकारी कार्य में बाधा पंहुचाने की झूठी ऍफ़आईआर लिखाने
जैसी पतित और तुच्छ कारगुजारियां कर रहे हैं।
वरिष्ठ आरटीआई कार्यकर्ता का कहना है कि यह कहना अनुचित न होगा कि सूचना
आयोग में सर्वत्र पूर्णतः अराजकता व्याप्त है और सूचनार्थी यदि आयोग में
हैं तो मानिए खतरे में हैं। आयुक्तों के पारित आदेश लोक प्राधिकारियों की
सुविधानुसार बदलने, दंड आदेशों को असंवैधानिक रूप से वापस लेने जैसे
कारनामों के चलते 'तहरीर' को यह कहने में गुरेज़ नहीं है कि 'विख्यात
व्यक्ति' के रूप में चयन के परदे के पीछे मनोनीत सूचना आयुक्त अब अपना
असली 'कुख्यात व्यक्ति' का चेहरा प्रदेश को दिखा रहे हैं, जिसका
दुष्परिणाम पूरा प्रदेश भुगत रहा है। संजय शर्मा ने कहा है कि उत्तर
प्रदेश में पारदर्शिता कानून की हत्या किए जाने की इन परिस्थितियों में
पारदर्शिता संवर्धन के लिए वचनबद्ध संगठन 'तहरीर' मूकदर्शक बना नहीं रह
सकता और इसीलिए 12 अक्टूबर को पारदर्शिता संवर्धन के सबसे प्रभावी औजार
आरटीआई एक्ट के नौवें साल पर उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के निराशाजनक
प्रदर्शन के विरोध में धरना-प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया है। इस
अवसर पर कामनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव नई दिल्ली की ओर से
येश्वर्याज को निःशुल्क उपलब्ध कराई गई आरटीआई गाइड का भी निःशुल्क वितरण
किया जाएगा।
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-Sincerely Yours,
Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption 9455553838
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that i should delete your name from my mailing list.
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