Sunday, October 12, 2014

आरटीआई विशेषज्ञ संजय की चुनौती पर सामने नहीं आया यूपी का कोई सूचना आयुक्त! अब अयोग्य सूचना आयुक्तों की नियुक्तियां रद्द कराने को उच्च न्यायालय में याचिका दायर करेंगे संजय l None of 9 info commissioners dared to accept RTI Expert Er. Sanjay Sharma's Challenge. "Shall adopt High Court Route to get the appointments of all 9 incapable info-commissioners of Uttar Pradesh nullified" asserts Sanjay.

प्रेस विज्ञप्ति ( प्रकाशनार्थ )Press Release ( for Publication/Circulation)
 

 
आज आरटीआई  एक्ट की नौवीं सालगिरह पर राजधानी लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान धरना स्थल पर पूर्वान्ह 11 बजे से अपरान्ह 03 बजे तक संस्था 'येश्वर्याज सेवा संस्थान' द्वारा  जनसुनवाई और जनजागरूकता  कैंप का आयोजन किया गया तो वही   लोक जीवन में पारदर्शिता संवर्धन, जबाबदेही निर्धारण और आमजन के मानवाधिकारों के संरक्षण के हितार्थ उत्तर प्रदेश में जमीनी स्तर पर कार्यशील संस्था 'तहरीर'  द्वारा   उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के निराशाजनक प्रदर्शन के विरोध में  धरना और  यूपी के हालिया कार्यरत 9 सूचना आयुक्तों पर अक्षमता का आरोप लगाते हुए उनको कैमरे के सामने  एक्ट पर खुली बहस की आरटीआई विशेषज्ञ ई० संजय शर्मा  द्वारा दी गयी चुनौती  के कार्यक्रम का आयोजन  एक्शन ग्रुप फॉर राइट टु इनफार्मेशन , आरटीआई कॉउंसिल ऑफ़ यूपी , ट्रैप संस्था अलीगढ , सूचना का अधिकार कार्यकर्ता एसोसिएशन, पीपल्स फोरम,  मानव विकास सेवा समिति मुरादाबाद  , जन सूचना अधिकार जागरूकता मंच,भ्रष्टाचार हटाओ देश बचाओ मंच , एसआरपीडी मेमोरियल समाज सेवा संस्थान , आल इण्डिया शैडयूल्ड कास्ट्स एंड शैडयूल्ड ट्राइब्स एम्पलाइज वेलफेयर एसोसिएशन, भागीदारी मंच, सार्वजनिक जबाबदेही भारत निर्माण मंच   आदि संगठनों के साथ संयुक्त  रूप से किया गया l कार्यक्रम की अध्यक्षता तहरीर संस्था के संस्थापक और अध्यक्ष o संजय शर्मा ने की l संजय शर्मा की गिनती देश के मूर्धन्य आरटीआई विशेषज्ञों में होती है  और उत्तर प्रदेश में आरटीआई के क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता का लोहा प्रदेश के सभी आरटीआई कार्यकर्ता मानते हैं lकार्यक्रम में प्रतिभागी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ साथ उत्तर प्रदेश के सभी जिलों के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रतिभाग किया l कैंप में आरटीआई विशेषज्ञों ने लोगों को आरटीआई के जनोपयोगी प्रयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया तो वही जनसुनवाई में जनसूचना अधिकारी, अपीलीय प्राधिकारी और सूचना  आयोग की  आरटीआई एक्ट के क्रियान्वयन के प्रति उदासीनता से व्यथित लोगों ने अपनी समस्याएं आरटीआई विशेषज्ञों  के साथ साझा  कर समस्याओ  के समाधान  के सम्बन्ध में मार्गदर्शन प्राप्त किया l   संयुक्त कार्यक्रम के प्रतिभागियों ने अपनी मांगों के सम्बन्ध  में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल  को सम्बोधित एक मांगपत्र  हस्ताक्षरित कर  प्रेषित किया  l कार्यक्रम में कामनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव नई  दिल्ली की ओर से येश्वर्याज को निःशुल्क उपलब्ध कराई गयी आरटीआई गाइड का भी निःशुल्क वितरण किया गया  l
 
 
 
इस सम्बन्ध में बात करते हुए संजय शर्मा ने बताया कि लोक जीवन में पारदर्शिता संवर्धन, जबाबदेही निर्धारण और आमजन के मानवाधिकारों के संरक्षण के हितार्थ उत्तर प्रदेश में जमीनी स्तर पर कार्यशील संस्था 'तहरीर'  को  प्राप्त प्रमाणों  के आधार पर उन्हें  यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि सूचना आयुक्तों की  अक्षमता के   कारण ही आरटीआई के तहत सूचना दिलाने बाली संस्था सूचना आयोग ही आज सूचना दिलाने के  मार्ग की सबसे बड़ी वाधा बन गयी है l   संजय ने कहा कि इन सूचना आयुक्तों की पोल-पट्टी खोलकर इनकी हकीकत संसार के सामने लाने के लिए ही उन्होंने   यूपी के हालिया कार्यरत 9 सूचना आयुक्तों पर अक्षमता का आरोप लगाते हुए उनको कैमरे के सामने  एक्ट पर खुली बहस की चुनौती दी है और  कहा कि इन आयुक्तों से हार जाने की दशा में   उन्होंने इन आयुक्तों द्वारा मुक़र्रर सजाये मौत तक की हर सजा को स्वीकारने का वादा भी किया है l संजय ने बताया कि चुनौती  के सम्बन्ध में उन्होंने राज्य सूचना आयोग को  2 -मेल दिनांक 09-10-14 और 10-10-14 को प्रेषित करने के साथ साथ  उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयोग के सचिव के कार्यालय में  दिनांक  10-10-14 को एक तीन पेज का चुनौती पत्र व्यक्तिगत रूप से आयोग जाकर  भी प्राप्त करा दिया है l संजय ने बताया कि उनके आंकलन के अनुसार उत्तर प्रदेश के वर्तमान सूचना आयुक्तों में से कोई भी सूचना आयुक्त पद के लिए निर्धारित योग्यताओं में से 10% भी योग्यता धारित नहीं करते है l संजय बताते हैं कि  प्रदेश के सूचना आयुक्त का पद मुख्य सचिव के समकक्ष है और एक सवाल उठाते हैं कि क्या यह माना जा सकता है कि जिस कार्यालय में योग्यतानुसार नियुक्त 9 मुख्य सचिव कार्यरत हों वहां ऐसी भयंकर बदहाली व्याप्त हो जबकि मात्र 1 मुख्य सचिव पूरा सूबा संभालता है ? इस सबाल का जबाब देते हुए संजय कहते हैं कि ऐसा इसलिए है क्योंकि वर्तमान में नियुक्त सभी सूचना आयुक्त नितांत अयोग्य हैं और वे मात्र  अपने राजनैतिक संबंधों के चलते ही यह महत्वपूर्ण पद पा गए हैं l बौद्धिक असम्बेदनशीलता , अक्षमता और  अपने राजनैतिक आकाओं के दबाब के चलते ही वे अपने पद की गरिमा के अनुकूल कार्य नहीं कर पा रहे हैं और इस उच्च पद को कलंकित कर रहे हैं l
 
 
 
आरटीआई विशेषज्ञ संजय शर्मा  ने बताया  कि उनकी खुली बहस की चुनौती पर आज यूपी का कोई भी  सूचना आयुक्तसामने नहीं आया l संजय ने अब अयोग्य सूचना आयुक्तों  की नियुक्तियां रद्द कराने को  उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने का निर्णय लिया है l
 
 
 
आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा के अनुसार उत्तर प्रदेश सूचना आयोग स्वयं ही आरटीआई एक्ट का विनाश करने में लगा है l  उर्वशी  ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि नौ सूचना आयुक्त नियुक्त होने के बाबजूद आयोग में 55000 से अधिक वाद लंबित हैं जो पूरे देश के सभी सूचना आयोगों में सर्वाधिक हैं l नौ सालों में आयोग की नियमावली तक नहीं लागू हो पाई है  और  आयोग का हर कार्मिक मनमाने रूप से स्व घोषित नियमों के अनुसार कार्य कर  रहा है जिसके कारण  उत्तर प्रदेश में लागू होने के 9 वर्षों में ही सूचना का अधिकार लगभग मृतप्राय हो चुका  है l
 
 
 
यूपी के राज्य सूचना आयोग के खिलाफ लामबंद  हुए  संगठनों ने एक सुर से सूचना आयुक्तों द्वारा आयुक्त पद ग्रहण करने के बाद से अब तक की अवधि में चल-अचल सम्पत्तियों में किये गए निवेशों को सार्वजनिक कराने, यूपी के अक्षम सूचना आयुक्तों को तत्काल निलंबित कर के उनके अब तक के कार्यों  की विधिक समीक्षा कराकर इनके विरुद्ध कार्यवाही कराने , सूचना आयुक्तों के रिक्त पदों पर पद की योग्यतानुसार पारदर्शी प्रक्रिया से  सूचना आयुक्तों की नियुक्ति कराने , 55000 से अधिक  लम्वित वादों की विशेष सुनवाईयां शनिवार और रविवार के अवकाश के दिनों में कराने, आयोग की नियमावली तत्काल  लागू कराने,आयोग में  नयी अपीलों और शिकायतों के प्राप्त होने के 1 सप्ताह के अंदर प्रथम सुनवाई कराने, आदेशों की नक़ल आदेश होने के 1 सप्ताह के अंदर आयोग की वेबसाइट पर अपलोड कराने, सूचना आयोग में रिश्वत मांगे जाने की शिकायतें करने के लिए एक सतर्कता अधिकारी नियुक्त कराने , अपीलों और शिकायतों की सुनवाई की अगली तारीखें अधिकतम  30 दिन बाद की देने,सूचना आयुक्तों और नागरिकों/ आरटीआई कार्यकर्ताओं के  पारस्परिक संवाद की प्रणाली विकसित करके प्रतिमाह एक बैठक कराने, आरटीआई कार्यकर्ताओं को  जनहित के लिए सूचना मांगने को प्रेरित करने का तंत्र विकसित कराने , सूचना आयोग में वादियों के मानवाधिकारों को संरक्षित रखने हेतु उनको खड़ा कर के सुनवाई करने के स्थान  पर कुर्सी पर बैठाकर  सुनवाई कराने , वादियों  को झूठे मामलों में फसाए जाने की स्थिति में अपना समुचित वचाव करने के लिए  वादी द्वारा मांगे जाने पर आयोग  की सीसीटीवी फुटेज तत्काल उपलब्ध कराने,  आयुक्तों द्वारा पारित आदेश लोकप्राधिकारियों की सुविधानुसार बदलने की प्रवृत्ति रोकने के लिए आयुक्त के स्टेनो की शॉर्टहैंड बुक पर पेंसिल के स्थान पर पेन  से लिखना अनिवार्य करने तथा शॉर्टहैंड बुक पर उपस्थित वादी और प्रतिवादी के हस्ताक्षर कराने  , आयुक्तों द्वारा दण्डादेशों को बापस लेने के असंवैधानिक कारनामों पर तत्काल रोक लगाने, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकथाम कानून के तहत तत्काल समिति बनाकर इस समिति  द्वारा अब तक  सूचना आयुक्तों के विरुद्ध महिलाओं द्वारा की  गयी उत्पीड़न की शिकायतों की तत्काल जांच कराने, आयोग के कार्यालयीन कार्यों की लिखित प्रक्रिया बनाये जाने, आयोग के द्वारा सम्पादित कार्यों की मासिक रिपोर्ट तैयार  कराकर स्वतः ही सार्वजनिक कराने आदि मांगों के साथ धरना देते हुए राज्यपाल को एक ज्ञापन भी प्रेषित किया l
 
 
कार्यक्रम का समापन करते हुए येश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव उर्वशी शर्मा ने सभी आगंतुकों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए 3 माह में उनकी मांगें माने जाने पर प्रदेश के अन्य सभी संगठनों को  साथ लेकर सूचना आयोग और प्रदेश सरकार के खिलाफ वृहद स्तर  पर उग्र आंदोलन करने को तैयार रहने का आव्हान किया l
 
 

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